फसल बीमा, एक बोने-लायक संकल्प
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0:00 - 0:04केन्या में, सन १९८४
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0:04 - 0:06'कटोरे-वाला साल' कहके पहचाना जाता है,
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0:06 - 0:09या गोरो-गोरो-वाला साल.
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0:09 - 0:12गोरो-गोरो उस बर्तन का नाम है, जिससे
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0:12 - 0:15बाज़ार में दो किलोग्राम मकई का आटा मापा जाता है,
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0:15 - 0:18और इस मकई के आटे से बनती है 'उगाली',
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0:18 - 0:22एक तरह की टिक्की (यूरोपी 'पोलेंटा' जैसी) जो सब्ज़ियों के साथ खाई जाती है.
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0:22 - 0:24मकई और सब्ज़ियाँ दोनों ही
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0:24 - 0:27केन्या के ज़्यादातर खेतों में उगाई जाती हैं,
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0:27 - 0:29जिसका मतलब यह निकला कि ज़्यादातर परिवार
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0:29 - 0:31अपने ही खेतों से खुद को खिला सकते हैं.
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0:31 - 0:35एक गोरो-गोरो तीन वक्त के खाने के बराबर है,
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0:35 - 0:37एक सामान्य परिवार के लिए,
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0:37 - 0:40और सन १९८४ में पूरी फसल
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0:40 - 0:43बस एक गोरो-गोरो को भर पाई.
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0:43 - 0:46वह जो सुखा पड़ा था, तब और अब भी सबसे बुरे अकालों में गिना जाता है
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0:46 - 0:49जो अब याददाश्त में हैं.
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0:49 - 0:52अब आज, मैं किसानों को उस कटोरे-वाले साल जैसे
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0:52 - 0:54सूखे के ख़िलाफ़ बीमा दिलाती हूँ,
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0:54 - 0:59या ख़ास तौर पर, वर्षा-बीमा दिलाती हूँ.
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0:59 - 1:01मैं जिस परिवार से आती हूँ, वह धर्म-प्रचारकों का है,
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1:01 - 1:03जिन्होंने इंडोनेशिया में अस्पताल बनवाए,
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1:03 - 1:06और मेरे पिताजी ने एक मनोवैज्ञानिक अस्पताल बनवाया
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1:06 - 1:07तंज़ानिया में.
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1:07 - 1:10यह मैं हूँ, पाँच साल की उम्र में, उस अस्पताल के सामने.
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1:10 - 1:12मुझे नहीं लगता कि उन्होने सोचा होगा कि मैं बड़ी होकर
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1:12 - 1:15बीमा बेचूंगी. (हंसी)
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1:15 - 1:18तो मुझे बताने दीजिये कि यह हुआ कैसे.
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1:18 - 1:20सन २००८ में,
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1:20 - 1:22मैं रवांडा के कृषि मंत्रालय में काम कर रही थी,
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1:22 - 1:24और तब ही जो मुझसे उच्च-पद पर थीं, वे पद-वृद्धि पाकर
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1:24 - 1:26मंत्री बनीं थीं.
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1:26 - 1:27उन्होंने एक महत्त्वाकांक्षी योजना शुरू की,
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1:27 - 1:30अपने देश में एक हरित क्रांति के आरंभ के लिए,
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1:30 - 1:31और बस मानिए हम तुरंत ही कई टनों की भारी मात्रा में
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1:31 - 1:34खाद और बीज का आयात कराने लगे थे,
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1:34 - 1:36और किसानों को बता रहे थे कि उस खाद को
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1:36 - 1:38बोने में कैसे अपनाया जाए.
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1:38 - 1:40दो हफ़्ते बाद,
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1:40 - 1:43अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के सदस्य हमारे पास आए,
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1:43 - 1:44और उन्होंने मेरी मंत्री से पूछा,
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1:44 - 1:47"मंत्रीजी, यह तो बड़ी ही अच्छी बात है कि आप किसानों को
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1:47 - 1:51खाद्य-सुरक्षा पाने की ओर सहायता दे रही हैं, मगर बारिश नहीं हुई तो ?"
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1:51 - 1:53मेरी मंत्री ने गर्व से
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1:53 - 1:55और ज़रा ललकार के स्वर में कहा,
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1:55 - 2:00"मैं बारिश की दुआ करूंगी!"
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2:00 - 2:03उसी से बहस ख़त्म हो गयी.
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2:03 - 2:05जब हम गाड़ी में मंत्रालय लौट रहे थे,
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2:05 - 2:07तब वे मेरी तरफ मुड़कर कहीं,
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2:07 - 2:09"रोस, पूंजी के मामलों में हमेशा तुम्हें दिलचस्पी रही है.
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2:09 - 2:13जाकर हमारे लिए कुछ बीमा ढूंढकर लाओ."
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2:13 - 2:15तबसे छह साल बीते हैं,
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2:15 - 2:17और पिछले साल मेरा यह सौभाग्य था
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2:17 - 2:18कि मैं एक ऐसी मंडली का भाग रही,
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2:18 - 2:22जिसने केन्या और रवांडा में एक लाख पचासी हज़ार से अधिक किसानों को
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2:22 - 2:24सूखे के ख़िलाफ़ बीमा दिलवाई.
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2:24 - 2:26उनके पास औसतन आधे एकर की ज़मीन थी,
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2:26 - 2:29और उन्होंने औसतन दो यूरो का बीमा-किस्त (प्रीमियम ) चुकाया.
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2:29 - 2:32यह लघु-बीमा है.
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2:32 - 2:34अब, व्यावहारिक तौर पर चली आ रही बीमा-पद्धति तो
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2:34 - 2:36दो या तीन यूरो के बीमा-क़िस्त से तो नहीं चलेगी,
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2:36 - 2:39क्योंकि परम्परागत बीमा खेतों की जांच के दौरों पर निर्भर है.
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2:39 - 2:41यहां जर्मनी के किसान के यहां खेत की जांच के दौरे आते हैं,
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2:41 - 2:43ऋतु के आरम्भ में, मध्य में,
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2:43 - 2:46और अंत में, और फिर एक बार अगर नुकसान हुआ हो तो,
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2:46 - 2:49घाटे का जायज़ा लेने.
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2:49 - 2:52अफ्रीका के मध्य में एक लघु-स्तरीय किसान के मामले में,
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2:52 - 2:54ऐसे दौरों का हिसाब
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2:54 - 2:57संभाला नहीं जा सकता.
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2:57 - 3:01इसलिए इसके बदले, हम तकनीक और आंकड़ों का सहारा लेते हैं.
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3:01 - 3:03यह उपग्रह यह पता लगवाता है कि
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3:03 - 3:05बादल थे या नहीं,
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3:05 - 3:06क्योंकि, ज़रा सोचिये:
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3:06 - 3:11अगर बादल हैं, तो थोड़ी वर्षा हो सकती है,
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3:11 - 3:13लेकिन अगर बादल नहीं हैं,
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3:13 - 3:16तो वास्तव में वर्षा असंभव है.
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3:16 - 3:18यह तसवीरें केन्या में इस साल के
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3:18 - 3:20बारिश के मौसम की शुरुआत दिखाती हैं.
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3:20 - 3:22आप देख सकते हैं कि ६ मार्च के आस-पास,
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3:22 - 3:25बादल प्रवेश करते हैं और फिर गायब हो जाते हैं,
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3:25 - 3:27और फिर ११ मार्च के आस-पास,
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3:27 - 3:30बादल सचमुच में आने लगते हैं.
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3:30 - 3:33वे, और वे बादल,
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3:33 - 3:36ही इस साल के बारिश के मौसम की शुरुआत हैं.
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3:36 - 3:39इस उपग्रह की दृष्टि पूरी अफ्रीका पर है
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3:39 - 3:42और इसके द्वारा सन १९८४ से लेकर के मौसम की जानकारी उपलब्ध है,
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3:42 - 3:44और यह बहुत अहम है, क्योंकि जब आप जानते हैं
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3:44 - 3:46कि किसी जगह में पिछले तीस सालों में
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3:46 - 3:48कितने बार सुखा पड़ा था,
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3:48 - 3:50तब आप काफी अच्छा अनुमान लगा सकते हैं
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3:50 - 3:53कि भविष्य में अकाल की संभावनाएं क्या हैं,
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3:53 - 3:55और इसका मतलब यह है कि आप सूखे की जोखिम को
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3:55 - 3:58आर्थिक हानि के रूप में तोल सकते हैं.
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3:58 - 4:00सिर्फ आँकड़े काफी नहीं हैं.
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4:00 - 4:03हम कृषि-शास्त्र पर आधारित संगणकीय कलन विधियों की युक्ति करते हैं,
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4:03 - 4:06जो हमें बताती हैं कि किसी फसल को कितने
बारिश की ज़रुरत है और किस समय में. -
4:06 - 4:09मिसाल के तौर पर, मकई को बोते समय,
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4:09 - 4:11आपको दो दिन की बारिश चाहिए
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4:11 - 4:13ताकि किसान बो सकें,
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4:13 - 4:15और उसके बाद हर दो हफ्ते बारिश की ज़रुरत है
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4:15 - 4:18ताकि फसल ठीक से उगे.
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4:18 - 4:21उसके बाद, हर तीन हफ्ते में बारिश होनी चाहिए
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4:21 - 4:24ताकि फसल के पत्ते निकलें,
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4:24 - 4:27और कलियाने के समय, और अक्सर बारिश होनी चाहिए
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4:27 - 4:31लगभग १० दिन में एक बार, ताकि पसल में भुट्टे बन सके.
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4:31 - 4:32और ऋतु के अंत में,
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4:32 - 4:34आप असल में बारिश नहीं चाहेंगे,
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4:34 - 4:38क्योंकि तब बारिश फसल को नुक्सान पहुंचा सकती है.
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4:38 - 4:41ऐसे बीमा आवरण की रचना तो कठिन है ही,
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4:41 - 4:43मगर असली चुनौती यह निकली की बीमा को कैसे बेचा जाए.
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4:43 - 4:48बीमा को कैसे बेचा जाए.
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4:48 - 4:50हमने खुद के सामने बहुत ही सामान्य लक्ष्य रखे,
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4:50 - 4:54कि ५०० किसान बीमा द्वारा सुरक्षित हों, हमारी पहली ऋतु के बाद.
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4:54 - 4:57दो महीनों के ज़ोरदार विज्ञापन के बाद,
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4:57 - 4:58हमनें कुल-मिलाकर
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4:58 - 5:02१८५ किसान भरती करवाए थे.
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5:02 - 5:05मैं निराशा और असमंजस में थी.
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5:05 - 5:07सब मुझे बताते रहे कि किसान
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5:07 - 5:09बीमा चाहते हैं,
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5:09 - 5:12मगर हमारे प्रमुख ग्राहक तो खरीद ही नहीं रहे थे.
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5:12 - 5:15वे रुके थे यह देखने कि होता क्या है,
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5:15 - 5:18बीमा उद्योगों पर भरोसा नहीं करते थे,
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5:18 - 5:20या सोचते थे, "इतने सालों से तो मैं संभालता रहा.
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5:20 - 5:24अब क्यों मैं बीमा खरीदूंगा?"
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5:24 - 5:26अब आप में से काफी लोग लघु-उधार (micro-credit) से परिचित हैं,
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5:26 - 5:30जो गरीब लोगों को छोटे क़र्ज़ प्रदान करने की प्रक्रिया है
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5:30 - 5:32जिसका आविष्कार किया था मोहम्मद यूनुस ने,
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5:32 - 5:33जिन्होंने नोबेल शान्ति पुरस्कार जीता था
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5:33 - 5:35ग्रामीण बैंक के साथ अपने काम के लिए.
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5:35 - 5:38वास्तव में, लघु-उधार बेचना
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5:38 - 5:41और बीमा बेचना एक जैसी बातें नहीं हैं.
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5:41 - 5:45उधार के लिए, एक किसान को बैंक के भरोसे को कमाने की ज़रुरत है,
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5:45 - 5:49और अगर कामयाबी मिली, तो बैंक उसे अग्रिम राशि देगी.
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5:49 - 5:51यह एक आकर्षक प्रस्ताव है.
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5:51 - 5:54बीमा के लिए, किसान को बीमा निगम पर
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5:54 - 5:56भरोसा करना पड़ता है, और बीमा निगम को
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5:56 - 5:59अग्रिम राशि के रूप में पैसा देना पड़ता है.
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5:59 - 6:02यह बहुत अलग मूल्यों पर आधारित प्रस्ताव है.
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6:02 - 6:05और इसलिए बीमा का जमाव काफी धीमा रहा है,
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6:05 - 6:08जिसमें अब तक सिर्फ ४.४ प्रतिशत अफ्रीकियों ने
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6:08 - 6:10सन २०१२ में बीमा को अपनाया,
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6:10 - 6:12और इस संख्या में से आधे एक ही देश से हैं,
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6:12 - 6:14दक्षिण अफ्रीका.
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6:14 - 6:16हमनें कुछ साल
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6:16 - 6:18बीमा को सीधे किसानों को बेचने की कोशिश की,
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6:18 - 6:20जिसके विज्ञापन के खर्च बहुत ज़्यादा थे
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6:20 - 6:24और सफलता बहुत सीमित थी.
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6:24 - 6:25फिर हमारे ध्यान में आया कि ऐसे कई संगठन हैं
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6:25 - 6:28जो किसानों के साथ काम कर रहे थे,
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6:28 - 6:32जैसे बीज उद्योग, लघु-उधार संस्थाएं,
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6:32 - 6:34मोबाइल फ़ोन उद्योग,
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6:34 - 6:35सरकारी संस्थाएं.
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6:35 - 6:38वे सब किसानों को क़र्ज़ प्रदान कर रहे थे,
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6:38 - 6:40और अक्सर, क़र्ज़ को पक्का करने से ठीक पहले,
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6:40 - 6:42किसान कहते,
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6:42 - 6:44"मगर बारिश नहीं हुई तो?
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6:44 - 6:48आप कैसे उम्मीद रख सकते हैं कि मैं क़र्ज़ चुका पाऊंगा?"
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6:48 - 6:50ज़्यादातर संस्थाएं
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6:50 - 6:52जोखिम खुद ही उठाए थे,
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6:52 - 6:54और बस इस उम्मीद पर कायम थे,
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6:54 - 6:56कि उस साल की हालत सबसे बदतर नहीं होगी.
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6:56 - 6:58मगर ज़्यादातर संस्थाएं
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6:58 - 7:00कृषि-क्षेत्र में अपना विस्तार सीमित ही रख रहे थे.
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7:00 - 7:03वे ऐसे जोखिम उठा नहीं सकते थे.
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7:03 - 7:07यही संस्थाएं हमारे ग्राहक बने,
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7:07 - 7:10और जब उधार और बीमा का समावेश किया जाए,
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7:10 - 7:13तो दिलचस्प चीज़ें होने लगती हैं.
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7:13 - 7:16मुझे आप एक कहानी सुनाने दीजिये.
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7:16 - 7:20फ़रवरी २०१२ की शुरुआत में पश्चिम केन्या में,
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7:20 - 7:23बारिश शुरू हुई, और जल्दी शुरू हुई,
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7:23 - 7:26और जब बारिश जल्दी शुरू होती है, तो किसानों को बढ़ावा मिलता है,
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7:26 - 7:30क्योंकि आम तौर पर इसका मतलब यह है कि मौसम अच्छा होने वाला है.
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7:30 - 7:32इसलिए वे क़र्ज़ निकालकर बोए.
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7:32 - 7:34अगले तीन हफ़्तों में,
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7:34 - 7:36एक बूँद बारिश भी नहीं हुई,
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7:36 - 7:39और जो फसल इतनी अच्छी तरह उगे थे,
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7:39 - 7:42मुरझाकर मर गए.
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7:42 - 7:45हमने कर्ज़ों पर बीमा लागू की थी, उस लघु-उधार संस्था के
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7:45 - 7:46जिसने क़र्ज़ दिए थे
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7:46 - 7:49उस इलाके के ६००० किसानों को,
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7:49 - 7:51और हमने उन्हे फ़ोन करके कहा,
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7:51 - 7:52"देखिए, हमें सुखे के बारे में पता है.
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7:52 - 7:54हम आपका साथ देंगे.
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7:54 - 7:58हम आपको इस ऋतु के अंत में २००,००० यूरो देंगे."
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7:58 - 8:00उन्होंने कहा, "वाह, बढ़िया है,
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8:00 - 8:02मगर ऐसे तो बहुत देर हो जाएगी.
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8:02 - 8:04क्या आप हमें अभी पैसे दे सकते हैं?
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8:04 - 8:07अगर ऐसा हो, तो किसान अभी भी वापस बीज बो सकते हैं
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8:07 - 8:10और इस ऋतु की फसल पा सकते हैं."
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8:10 - 8:13इसलिए हमने अपने बीमा-साझेदारों को राज़ी करवाया,
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8:13 - 8:16और कुछ समय बाद उस अप्रैल में, इन किसानों ने पुनः बीजारोपण किया.
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8:16 - 8:19इस वापस बीज बोने के सुझाव को हम एक बीज उद्योग के पास ले गए,
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8:19 - 8:21और उन्हे मनवाया कि वे बीमा के दाम को
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8:21 - 8:23बीज के एक बोरे के दाम में जोड़ लें,
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8:23 - 8:25और हर एक बोरे में हमने जमा किया एक कार्ड
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8:25 - 8:26जिसमे एक अंक था,
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8:26 - 8:28और जब किसान वह कार्ड खुलवाते थे,
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8:28 - 8:30वे उस अंक को SMS द्वारा भेजते थे,
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8:30 - 8:32और वह अंक असल में हमारे काम आता
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8:32 - 8:33उस किसान के ठिकाने का पता लगाने में,
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8:33 - 8:36और उन्हें उपग्रह-चित्र के उचित बिंदु में दर्ज करने में.
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8:36 - 8:39एक उपग्रह फिर आनेवाले तीन हफ़्तों की
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8:39 - 8:40वर्षा का अनुमान करता,
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8:40 - 8:42और अगर बारिश नहीं हुई,
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8:42 - 8:46तो हम उन्हें नए बीज मुआवज़े में दे देते थे.
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8:46 - 8:47पहले ही के कुछ ---
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8:47 - 8:52(तालियां) --- ज़रा रुकिए, मैं आखिर तक नहीं पहुँची!
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8:52 - 8:55इस पुनः बीजारोपण आश्वासन के पहले लाभ-भोगियों में से
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8:55 - 8:57एक थे बॉस्को म्विन्यि.
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8:57 - 9:00हमने उनके खेत का दौरा किया उसी अगस्त में कुछ समय बाद,
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9:00 - 9:04और काश मैं आपको उनके चहरे की मुस्कान दिखा पाती
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9:04 - 9:06जब उन्होंने हमें अपनी फसल दिखाई,
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9:06 - 9:08क्योंकि यह मुस्कान मेरे दिल को छू गयी
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9:08 - 9:10और मुझे यह एहसास दिलवाई कि बीमा बेचना
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9:10 - 9:12कितनी अच्छी चीज़ हो सकती है.
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9:12 - 9:14मगर आप देखिए, उन्होंने आग्रह किया कि
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9:14 - 9:17हम उनके पूरे फसल को तस्वीर में लाएं,
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9:17 - 9:21और इसलिए हमें काफी दूर से तस्वीर खींचनी पडी.
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9:21 - 9:24इस ऋतु में बीमा ने उनके फसल को सुरक्षित रखा,
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9:24 - 9:27और मैं मानती हूँ कि आज,
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9:27 - 9:30हमारे पास सभी साधन हैं जिनके सहयोग से अफ़्रीकी किसान
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9:30 - 9:32खुद के तक़दीर के मालिक बन सकते हैं.
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9:32 - 9:34फिर कभी 'कटोरे-वाले साल' नहीं आने चाहिए.
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9:34 - 9:37उसके बदले मैं, राह देख रही हूँ, किसी तरह,
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9:37 - 9:40'बीमा-वाले साल' की,
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9:40 - 9:43या 'शानदार फसल-वाले साल' की.
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9:43 - 9:46धन्यवाद.
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9:46 - 9:47(तालियां)
- Title:
- फसल बीमा, एक बोने-लायक संकल्प
- Speaker:
- रोस गॉस्लिंगा
- Description:
-
अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान तले पूरे इलाके में, लघु-स्तरीय किसान ही वहां के स्थानीय और राष्ट्रीय अर्थ-व्यवस्थाओं के आधार-शैल हैं - जब तक मौसम अविश्वसनीय होकर उनके फसल बिगड़ न जाए. इसका समाधान है बीमा, एक विशाल महाद्वीपी स्तर पर, और एकदम काम सस्ते दामों में. रोस गॉस्लिंगा, जो केन्या की नागरिक हैं, और उनकी मंडली ने एक अपरम्परागत प्रक्रिया का आविष्कार किया है जिससे उन किसानों को, जिनके फसल का जल्दी नुक्सान हुआ हो, एक दोबारा मौका मिले उपज के मौसम में.
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 10:04
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Arvind Iyer
A fellow-translator, Nishant Mishra, was kind enough to review the translation informally and some edits he suggested were made here: https://docs.google.com/document/d/1xX_lprkV33INj-CNtlFlz_jutqqhfPTvvvI-fAGHSGI/edit
Do consider incorporating those if found suitable and convenient.