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समलैंगिक, द्विलैंगिक, और परलैंगिक जीवन, दुनिया भर में ऐसा दीखता है।

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    जब मैंने अपने माता पिता को बताया
    कि मैं समलैंगिक हूँ,
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    तो जो पहली बात उन्होंने मुझसे कही,वह थी,
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    "हम तुम्हें वापस ताइवान ला रहे हैं।"
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    (खिलखिलाहट)
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    उनके हिसाब से मेरी यौन प्रवृत्ति
    अमेरिका की गलती थी।
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    पश्चिम ने मुझे भटके हुए विचारों से
    भ्रष्ट कर दिया था,
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    और अगर मेरे माता पिता ने
    ताइवान छोड़ा ही ना होता,
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    तो उनकी इकलोती बेटी बेटी के साथ
    यह कभी हुआ ही नहीं होता।
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    सच कहूँ तो, आया तो मेरे दिमाग में भी था,
    कि कहीं वह सही तो नहीं कह रहे थे।
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    बेशक, एशिया में भी समलैंगिक लोग हैं,
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    बिलकुल वैसे ही जैसे विश्व के हर हिस्से में
    समलैंगिक लोग होते हैं।
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    परन्तु एक "खुला" जीवन जीने का विचार,
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    "मैं समलैंगिक हूँ, यह मेरी विवाहिता है,
    और हमें अपने जीवन पर गर्व है"
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    इस विचार वाले तरीके में,
    क्या केवल एक पश्चिमी विचार था?
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    अगर मैं ताइवान में पली-बड़ी होती,
    या पश्चिम के सिवा किसी भी दूसरी जगह में,
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    तो क्या मुझे खुश और सम्पन्न
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    समलैंगिक, द्विलैंगिक,
    और परलैंगिक लोगों के आदर्श मिलते?
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    लीज़ा डैज़ल्स:
    मेरी धारणा भी समान थी।
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    सैन फ्रैंसिस्को में
    एक एचआईवी सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में
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    मैं कई समलैंगिक आप्रवासियों से मिली।
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    उन्होंने मुझे अपने देश में
    समलैंगिक होने के कारण, खुद पर हुए,
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    अत्याचारों के बारे में बताया।
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    और उन कारणों के बारे में
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    जिनकी वजह से उन्हें भाग कर
    अमेरिका आना पड़ा।
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    मैंने देखा कि वह कैसे हताश हो चुके थे।
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    10 वर्षों तक, यह काम करने के बाद
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    मुझे खुद के लिए बेहतर कहानी चाहिए थी।
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    मैं जानती थी
    कि यह दुनिया उत्तम होने से कोसों दूर है,
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    पर ऐसा तो नहीं हो सकता
    कि हर समलैंगिक कहानी दुःखद ही हो।
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    जेनी चैंग: तो हमें एक युगल के रूप में,
    आशा भरी कुछ कहानियाँ ढूँढने की ज़रूरत थी।
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    तो हमने विश्व की यात्रा करने
    और ऐसे लोगों को ढूँढने का मिशन शुरू किया,
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    जिन्हें हमने आखिर,
    "सुपरगेज़" (उत्तम समलैंगिक) का नाम दिया।
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    (खिलखिलाहट)
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    यह ऐसे समलैंगिक,
    द्विलैंगिक, और परलैंगिक लोग होते
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    जो दुनिया में कुछ असाधारण कर रहे थे।
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    यह लोग साहसिक, लचनशील,
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    और उससे भी ज़्यादा
    खुद पर गर्व करने वाले होते।
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    यह ऐसे लोग थे
    जैसा बनने की मैं महत्त्वाकाँक्षा रखती हूँ।
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    हमारा इरादा उनकी कहानियों को
    फ़िल्म द्वारा दुनिया के साथ बाँटने का था।
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    लीज़ा डैज़ल्स: बस एक परेशानी थी।
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    हमें ना तो रिपोर्ट करने का अनुभव था,
    और ना ही फिल्म बनाने का।
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    (खिलखिलाहट)
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    हमें तो पता भी नहीं था
    कि सुपरगेज़ हमें मिलेंगे कहाँ,
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    तो हमें बस यह भरोसा रखना पड़ा
    कि सब हो जाएगा।
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    तो हमने पाश्चिम से दूर, एशिया,
    अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में 15 देश चुने,
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    जो समलैंगिक, द्विलैंगिक,
    और परलैंगिक अधिकारों में विभिन्न थे।
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    हमने एक कैमकोर्डर खरीदा,
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    वृत्तचित्र कैसे बनाते हैं,
    पर एक पुस्तक खरीदी --
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    (खिलखिलाहट)
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    आज कल आप बहुत कुछ सीख सकते हैं --
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    और दुनिया की सैर के लिए निकल पड़े।
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    जेनी चैंग: हमारी यात्रा के
    पहले कुछ देशों में था नेपाल।
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    बड़े पैमाने पर गरीबी,
    एक दशक लम्बा गृहयुद्ध,
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    और हाल ही में आए
    एक भयानक भूकम्प के बावजूद भी,
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    नेपाल ने बराबरी की लड़ाई में
    महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए हैं।
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    इस आन्दोलन की
    एक मुख्य शख्स हैं, भूमिका श्रेष्ठ।
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    भूमिका, एक खूबसूरत और जीवंत नारी हैं,
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    जिन्हें अपनी लिंग अभिव्यक्ति के कारण
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    विद्यालय से निष्कासित
    और जेल में कैद कर दिया गया।
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    पर 2007 में, भूमिका और नेपाल की
    एलजीबीटी अधिकार संस्थाने
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    नेपाल के उच्चतम न्यायालय में
    एलजीबीटी भेदभाव के विरुद्ध
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    रक्षा करने के लिए
    सफलतापूर्वक याचिका दायर की।
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    यह रहीं भूमिका:
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    मुझे किस बात पर सबसे ज़्यादा गर्व है?
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    मैं एक परलैंगिक व्यक्ति हूँ।
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    मुझे अपने जीवन पर बहुत गर्व है।
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    21 दिसम्बर 2007 को
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    उच्चतम न्यायालय ने यह निर्णय दिया
    कि नेपाल सरकार
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    परलैंगिक पहचान पत्र दे
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    और समलैंगिक विवाह को स्वीकार किया।
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    लीज़ा डैज़ल्स: मैं भूमिका के
    निरन्तर आत्मविश्वास की सराहना करती हूँ।
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    एक सार्वजनिक शौचालय का प्रयोग करने जैसी
    सरल बात भी
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    बहुत बड़ी चुनौती बन सकती है
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    जब आप, लोगों की
    सख्त लिंग अपेक्षाओं से भिन्न हों।
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    पूरे एशिया में यात्रा करते समय
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    सार्वजनिक शौचालयों में महिलाएँ
    मुझसे घबरा जाती थीं।
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    उन्हें मुझ जैसे लोगों को
    देखने की आदत नहीं थी।
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    मुझे शान्ति से शौचालय प्रयोग करने के लिए
    एक रणनीति बनानी पड़ी।
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    (खिलखिलाहट)
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    तो जब भी मैं किसी शौचालय में जाती,
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    तो अपने नारी भागों को
    दिखाने के लिए छाती फुलाकर
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    जितना हो सके
    खतरा ना लगने का प्रयास करती थी।
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    अपना हाथ बढ़ाकर,
    "हेलो", कहती थी,
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    ताकि लोग बस मेरी ज़नाना आवाज़ सुन सकें।
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    यह सब बहुत थका देता है,
    पर मैं यही हूँ।
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    मैं और कुछ नहीं हो सकती।
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    जेनी चैंग: नेपाल के बाद हम भारत गए।
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    जहाँ एक तरफ भारत एक हिन्दू समाज है,
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    जिसमें समलैंगिकों से
    भय रखने की प्रथा नहीं है।
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    वहीं दूसरी तरफ, वह एक बहुत ही गहरी
    पितृसत्तात्मक प्रणाली का समाज भी है,
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    जो ऐसी किसी भी चीज़ को अस्वीकार कर देता है
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    जो स्त्री-पुरुष व्यवस्था के लिए
    खतरा बन सकती है।
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    जब हमने सक्रियतावादियों से बात की,
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    तो उन्होंने हमें बताया
    कि सशक्त होने की शुरुआत
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    उचित लैंगिक बराबरी
    सुनिश्चित करने से होती है,
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    जहाँ समाज में नारियों का पद स्थापित हो।
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    और उस तरीके से,
    समलैंगिक, द्विलैंगिक, और परलैंगिक लोगों के
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    पद की भी पुष्टि की जा सकती है।
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    लीज़ा डैज़ल्स:
    वहाँ हम राजकुमार मानवेन्द्र से मिले।
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    वह दुनिया के पहले
    खुले तौर पर समलैंगिक राजकुमार हैं।
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    राजकुमार मानवेन्द्र "ओपराह विनफ्री शो" में
    बहुत ही अन्तर्राष्ट्रीय तरीके से
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    सामने आए थे।
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    उनके माता-पिता ने उन्हें त्याग दिया
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    और शाही परिवार को
    अत्यधिक शर्मसार करने का आरोप लगाया।
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    हमने राजकुमार मानवेन्द्र के साथ
    बैठकर बात की
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    कि उन्होंने इतने सार्वजनिक रूप से
    सामने आने का निश्चय क्यों किया।
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    यह रहे वह:
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    मुझे लगा कि हमारे समाज में
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    यह जो कलंक और भेदभाव मौजूद है
    इसको ख़त्म करने की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है।
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    और इस बात ने मुझे उकसाया कि मैं सामने आकर
    खुले रूप से अपने बारे में बात करूँ।
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    चाहे हम समलैंगिक हों,
    परलैंगिक हों, द्विलैंगिक हों
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    या हम जिस भी लैंगिक अल्प संख्या से हों,
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    हम सब को एक हो कर
    अपने अधिकारों के लिए लड़ना होगा।
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    समलैंगिक अधिकारों को
    न्यायालयों में नहीं जीता जा सकता,
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    बल्कि उन्हें लोगों के दिल
    और दिमाग में जीतना होगा।
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    जेनी चैंग: मेरे बाल काटते हुए,
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    जो महिला बाल काट रही थी
    उसने मुझसे पुछा,
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    "क्या तुम्हारा पति है?"
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    अब, यह एक ख़ौफ़नाक सवाल था,
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    जो मुझे इस यात्रा पर
    स्थानीय लोग बहुत पूछते थे।
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    जब मैंने उसको यह समझाया
    कि मैं एक पुरुष नहीं
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    बल्कि एक स्त्री के साथ हूँ
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    तो वह विशवास ही नहीं कर पाई,
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    और उसने मुझसे बहुत सारे सवाल पूछे,
    मेरे माता-पिता की प्रतिक्रिया के बारे में,
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    और क्या मैं दुःखी हूँ कि मैं कभी
    बच्चे पैदा नहीं कर पाऊँगी।
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    मैंने उसको बताया
    कि मेरे जीवन में कोई हदें नहीं हैं
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    और लीज़ा और मैं
    एक दिन परिवार बनाने का इरादा रखते हैं।
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    अब यह महिला भी मुझे
    एक सनकी पश्चिमी व्यक्ति के रूप में
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    खारिज करने के लिए तैयार थी।
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    वह यह कल्पना ही नहीं पा रही थी
    कि ऐसी विचित्र बात
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    उसके अपने देश में भी हो सकती है।
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    जब तक,
    मैंने उसे उन सुपरगेज़ के फोटो नहीं दिखाए
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    जिनका साक्षात्कार हमने भारत में किया था।
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    उसने राजकुमार मानवेन्द्र को
    टेलीविज़न पर देखने के कारण पहचाना
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    और जल्द ही मेरे पास और नाई दर्शक थे
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    जो मुझसे मिलने में रूचि रखते थे।
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    (खिलखिलाहट)
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    और उस साधारण दोपहर में,
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    मुझे एक पूरे ब्यूटी सैलून की पहचान
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    उन सामाजिक बदलावों से कराने का मौका मिला
    जो उनके अपने ही देश में हो रहे थे।
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    लीज़ा डैज़ल्स: भारत से हम
    पूर्वी अफ्रीका गए,
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    एक ऐसा क्षेत्र जो समलैंगिक,
    द्विलैंगिक, और परलैंगिक लोगों के प्रति
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    असहिष्णुता के लिए जाना जाता है।
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    केन्या में, अपने परिवारों के आगे
    खुलकर सामने आने वाले 89 प्रतिशत लोगों को
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    त्याग दिया जाता है।
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    समलैंगक कृत्य अपराध हैं
    जिनसे जेल हो सकती है।
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    केन्या में, हम मृदु भाषी,
    डेविड कुरिया से मिले।
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    डेविड का गरीबों के लिए काम कर पाने
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    और अपनी सरकार को सुधारने का
    बड़ा मिशन था।
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    इसलिए उन्होंने चुनाव लड़ने का निश्चय किया।
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    वह केन्या के पहले खुले तौर पर
    समलैंगिक राजनीतिक उम्मीदवार बने।
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    डेविड अपना अभियान
    अपनी सच्चाई से मुकरे बिना करना चाहते थे।
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    पर हम उनकी सुरक्षा को लेकर चिन्तित थे
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    क्योंकि उन्हें क़त्ल की
    धमकियाँ मिलने लगीं थीं।
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    (वीडियो) डेविड कुरिया:
    उस समय, मैं बहुत डरा हुआ था
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    क्योंकि वह सच में
    मुझे मार डालने की बातें बोल रहे थे।
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    और, हाँ,
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    कुछ लोग ऐसे हैं
    जो यह करते हैं
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    और उनको लगता है कि वह कोई
    धार्मिक दायित्व पूरा कर रहे हैं।
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    जेनी चैंग:
    डेविड अपने ऊपर शर्मिंदा नहीं थे।
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    जब उन्हें धमकियाँ मिल रहीं थीं
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    तब भी वह अपनी सच्चाई से हिले नहीं।
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    लीज़ा डैज़ल्स:
    बिलकुल दूसरी तरफ है आर्जेंटीना।
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    आर्जेंटीना एक ऐसा देश है
    जिसमें 92 प्रतिशत लोग कैथोलिक हैं।
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    इसके बावजूद भी, आर्जेंटीना के समलैंगिक,
    द्विलैंगिक, और परलैंगिक कानून
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    अमेरिका से भी ज़्यादा प्रगतिशील हैं।
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    2010 में, आर्जेंटीना,
    वैवाहिक बराबरी को अपनाने वाला
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    लैटिन अमेरिका में पहला
    और विश्व में 10वाँ देश बना।
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    वहाँ हम मरीया रशीद से मिले।
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    मरीया उस आन्दोलन को चलाने की
    प्रेरक शक्ति थीं।
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    मरीया रशीद (स्पॅनिश):
    मैं हमेशा कहती हूँ, कि वास्तव में,
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    वैवाहिक बराबरी का प्रभाव
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    केवल उन युगलों पर नहीं होता
    जो विवाह करते हैं।
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    ऐसे बहुत से लोग हैं,
    जो शायद कभी विवाह ना करें,
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    पर उनके सहकर्मियों द्वारा
    उनको अलग निगाह से देखा जाएगा,
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    उनके परिवारों, पड़ोसियों द्वारा,
  • 8:11 - 8:15
    समानता के राष्ट्रीय संदेश के कारण।
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    मुझे आर्जेंटीना पर बहुत गर्व महसूस होता है
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    क्योंकि आज आर्जेंटीना
    समानता का आदर्श है।
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    और आशा है जल्द ही,
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    पूरी दुनिया में समान अधिकार होंगे।
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    जेनी चैंग:
    जब हम मेरे पूर्वजों की धरती पर गए,
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    काश मैं अपने माता-पिता को दिखा पाती
    कि हमने वहाँ क्या देखा।
  • 8:34 - 8:35
    क्योंकि यह हैं वह
    जिनसे हम वहाँ मिले:
  • 8:35 - 8:41
    (वीडियो) एक, दो, तीन।
    शंघाई में समलैंगिकों का स्वागत है!
  • 8:41 - 8:43
    (खिलखिलाहट)
  • 8:46 - 8:52
    युवा और ख़ूबसूरत समलैंगिक, द्विलैंगिक,
    और परलैंगिक चीनी लोगों का एक पूरा समुदाय।
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    बेशक, उनके भी अपने संघर्ष थे।
  • 8:54 - 8:56
    पर वह उनसे लड़ रहे थे।
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    शंघाई में मुझे
    एक स्थानीय समलैंगिक समूह से बात करने
  • 9:00 - 9:04
    और अपनी टूटी-फूटी मेंडारिन चीनी भाषा में
    हमारी कहानी सुनाने का मौका मिला।
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    ताइपे में,
    हम जब कभी मेट्रो में जाते थे,
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    तो हमें एक और समलैंगिक युगल
    हाथ थामे दीखता था।
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    और हमें पता चला कि एशिया का सबसे बड़ा
    समलैंगिक, द्विलैंगिक, और परलैंगिक समारोह
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    मेरे दादा-दादी के घर से
    कुछ गालियाँ छोड़ कर ही होता है।
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    काश मेरे माता-पिता यह जानते।
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    लीज़ा डैज़ल्स: जब तक हमारी
    यह थोड़ी-कम-सीधी दुनिया की सैर ख़त्म हुई
  • 9:25 - 9:26
    (खिलखिलाहट)
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    हम 50,000 मील की दूरी तय कर चुके थे
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    और 120 घण्टे की वीडियो बना चुके थे।
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    हमने 15 देशों का सफर किया
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    और 50 सुपरगेज़ का साक्षात्कार किया।
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    पता चला, उनको ढूँढना
    बिलकुल भी मुश्किल नहीं था।
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    जेनी चैंग: बेशक, बराबरी की ओर जाती इस
  • 9:40 - 9:42
    ऊबड़खाबड़ राह में
    त्रासदियाँ अब भी होती हैं।
  • 9:42 - 9:47
    और हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि 75 देश
    आज भी समलैंगिकता को अपराध मानते हैं।
  • 9:48 - 9:51
    पर दुनिया के हर कोने में
  • 9:51 - 9:54
    आशा और साहस की कहानियाँ भी हैं।
  • 9:55 - 9:58
    हमारी यात्रा से जो हमने आखिरकार सीखा
  • 9:58 - 10:01
    वह था कि बराबरी
    एक पश्चिमी आविष्कार नहीं है।
  • 10:03 - 10:07
    लीज़ा डैज़ल्स: बराबरी के आन्दोलन का
    एक महत्वपूर्ण कारक है चलते रहना,
  • 10:07 - 10:11
    चलते रहना जैसे-जैसे और भी ज़्यादा लोग
    पूर्ण आत्म को गले लगाएँ
  • 10:11 - 10:13
    और उस हर मौके का प्रयोग करें
  • 10:13 - 10:15
    जो उनके पास अपने हिस्से की
    दुनिया बदलने के लिए हो,
  • 10:15 - 10:17
    और चलते रहना जैसे-जैसे और भी ज़्यादा देश
  • 10:17 - 10:20
    एक दूसरे में बराबरी के आदर्श ढूँढ पाएँ।
  • 10:20 - 10:23
    जब नेपाल ने समलैंगिक, द्विलैंगिक,
    और परलैंगिक भेदभाव के विरुद्ध
  • 10:23 - 10:26
    सुरक्षा प्रदान करी
    तो भारत भी आगे बढ़ा।
  • 10:26 - 10:28
    जब आर्जेंटीना ने
    वैवाहिक बराबरी को गले लगाया
  • 10:28 - 10:31
    तो उरुग्वे और ब्राज़िल ने भी अनुगमन किया।
  • 10:31 - 10:34
    जब आयरलैंड ने बराबरी के लिए हाँ कहा,
  • 10:34 - 10:38
    (वाहवाही)
  • 10:38 - 10:40
    तो दुनिया ने रुक कर ध्यान दिया।
  • 10:40 - 10:43
    जब अमेरिका का उच्चतम न्यायलय
    पूरे विश्व को एक ऐसा कथन कहता है
  • 10:43 - 10:44
    जिस पर हम सब गर्व कर सकें।
  • 10:44 - 10:46
    (वाहवाही)
  • 10:50 - 10:52
    जेनी चैंग: जब हमने अपनी बनाई वीडियो का
    पुनर्विलोकन किया,
  • 10:52 - 10:56
    तो हमें एहसास हुआ
    कि हम एक प्रेम कहानी देख रहे थे।
  • 10:56 - 10:59
    यह ऐसी प्रेम कहानी नहीं थी
    जिसकी आशा मुझसे की जाती है,
  • 10:59 - 11:03
    बल्कि ऐसी जो इतनी स्वतन्त्रता,
    जोखिम और प्रेम से भरी थी
  • 11:03 - 11:06
    जितनी की मैं कभी सम्भवतः
    कल्पना भी नहीं कर सकती थी।
  • 11:06 - 11:09
    अपनी यात्रा से वापस घर आने के एक वर्ष बाद
  • 11:09 - 11:12
    वैवाहिक बराबरी कलिफोर्निया में आई।
  • 11:12 - 11:16
    और अन्त में, हमें विश्वास है,
    कि प्यार की जीत होगी।
  • 11:19 - 11:21
    (वीडियो) कैलिफोर्निया के राज्य,
  • 11:21 - 11:24
    और सर्वशक्तिमान ईश्वर द्वारा,
  • 11:24 - 11:26
    मुझमें निहित अधिकार से,
  • 11:26 - 11:30
    मैं आपको जीवन भर के लिए
    विवाहित करार देती हूँ।
  • 11:30 - 11:31
    आप एक दूसरे को चूम सकते हैं।
  • 11:31 - 11:33
    (वाहवाही)
Title:
समलैंगिक, द्विलैंगिक, और परलैंगिक जीवन, दुनिया भर में ऐसा दीखता है।
Speaker:
जेनी चैंग और लीज़ा डैज़ल्स
Description:

सैन फ्रैंसिस्को के एक समलैंगिक युगल के रूप में, अपने तरीके से रहने के लिए जेनी चैंग और लीज़ा डैज़ल्स का समय अपेक्षाकृत आसान था। पर इस खाड़ी क्षेत्र के बुलबुले के बाहर, उन लोगों का जीवन कैसा था जिनके पास मूल अधिकार भी नहीं थे? वह दोनों "सुपरगेज़" की खोज में दुनिया की सैर पर निकलीं, ऐसे समलैंगिक, द्विलैंगिक, और परलैंगिक लोगों की, जो दुनिया में कुछ असाधारण कर रहे थे। अफ्रीका, एशिया और दक्षिण अमेरिका के 15 देशों में - भारत से लेकर, जो हाल ही में खुल कर सामने आये विश्व के एक मात्र राजकुमार का घर है, आर्जेंटीना तक, वैवाहिक बराबरी प्रदान करने वाला लैटिन अमेरिका का पहला देश - उन्हें ऐसी प्रेरणादायक कहानियाँ और ऐसे साहसिक, लचनशील और गर्वपूर्ण सुपरगेज़ मिले, जिनकी तलाश में वह निकले थे।

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
11:50

Hindi subtitles

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