आर्ट पीटीएसडी के अदृश्य घावों का मरहम हो सकती है
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0:01 - 0:04आप सेना में सीनियर अफ़सर हैं
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0:04 - 0:06और आपकी अफग़ानिस्तान में पोस्टिंग है.
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0:08 - 0:10आप पर ज़िम्मेदारी है
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0:10 - 0:13सैकड़ों लोगों को सुरक्षित रखने की,
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0:13 - 0:15और आपके ठिकाने पर हमला हो गया है.
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0:16 - 0:19आपके आसपास बम और गोले फट रहे हैं.
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0:20 - 0:23आप धुएँ और धूल में घिरे देखने समझने
की कोशिश कर रहे हैं, -
0:23 - 0:26आप अपने घायल सहायक की
हर सम्भव मदद कर रहे हैं -
0:26 - 0:28और नज़दीक के बंकर तक घिसटते
हुए पहुँचते हैं. -
0:29 - 0:32आप होश में है मगर बुरी तरह हिले हुए हैं,
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0:32 - 0:36आप एक करवट लेटते हैं
और जो हुआ उसे समझने की कोशिश करते हैं. -
0:38 - 0:40जब आपको दिखना शुरू होता है,
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0:40 - 0:42आप खून से सना एक चेहरा देखते हैं,
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0:42 - 0:44जो आपको घूरता है.
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0:45 - 0:48ये आतंकित कर देने वाला दृश्य है,
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0:48 - 0:51मगर आप तुरत ख़ुद को बताते हैं
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0:51 - 0:53कि ये सच नहीं महज़ एक छलावा है.
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0:54 - 0:59यही ख़ूनी चेहरा आपको जागते सोते
बार बार दिखता है. -
0:59 - 1:03आप ये किसी को नहीं बताते
अपनी नौकरी खोने के डर से -
1:03 - 1:04या कमजोर समझे जाने के डर से.
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1:06 - 1:08आपने इस चेहरे का एक नाम रखा है,
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1:08 - 1:10बंकर वाला खूनी चेहरा
(Bloody Face in Bunker) -
1:10 - 1:12और उसे शॉर्ट में बी.एफ.आई.बी. कहते हैं.
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1:14 - 1:17आपके अंदर छुपा बी.एफ.आई.बी.
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1:17 - 1:19आपको परेशान करता है,
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1:19 - 1:22अगले सात साल तक.
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1:24 - 1:25अब अपनी आँखे बंद कीजिए.
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1:27 - 1:29क्या आपको BFIB दिखा?
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1:32 - 1:34अगर हाँ, तो आप देख रहे हैं
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1:34 - 1:37युद्ध के उन अदृश्य घावों को,
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1:37 - 1:40जिन्हें अक्सर कहा जाता है
पोस्ट-ट्रॉमैटिक-स्ट्रेस-डिसॉर्डर -
1:40 - 1:41या ट्रोमेटिक ब्रेन इंजरी.
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1:42 - 1:45हालाँकि मुझे पोस्ट-ट्रॉमैटिक-
स्ट्रेस-डिसॉर्डर नहीं है, -
1:45 - 1:47मैं उस से अनजान भी नहीं हूँ.
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1:48 - 1:52जब मैं छोटी थी, मैं गर्मियों में
अपने दादा-दादी के पास जाती थी. -
1:53 - 1:54अपने दादा को देख कर
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1:54 - 1:57मुझे पता लगा
मन पर युद्ध के प्रभावों का. -
1:59 - 2:02मेरे दादा कोरियन लड़ाई में
बतौर मरीन शरीक हुए, -
2:02 - 2:06एक गोली ने उनकी गर्दन को चीर कर
उनके चीखने की क़ाबलियत को ख़त्म कर दिया. -
2:07 - 2:10वो देखते रहे जब एक साथी ने
उन्हें अनदेखा कर दिया, -
2:10 - 2:11उन्हें मरा समझ कर,
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2:11 - 2:13वही मरने के लिए छोड़ दिया गया.
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2:15 - 2:18सालों बाद, जब उनके शारीरिक
घाव भर चुके थे और -
2:18 - 2:19वो घर वापस आ चुके थे,
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2:19 - 2:23वो जागते समय कभी अपने इन
अनुभवों को याद नहीं करते थे. -
2:24 - 2:27लेकिन रात को मैं उन्हें
ज़ोर ज़ोर से गालियाँ देते सुनती थी -
2:27 - 2:28अपने कमरे के भीतर से.
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2:29 - 2:33और दिन में भी, उनके कमरे में
बता के ही जाती थी, -
2:33 - 2:35कि कहीं वो चौंक न जाएँ.
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2:37 - 2:39उन्होंने जीवन के बाक़ी दिन
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2:39 - 2:42अलग-थलग और होंठ सी कर बिताए,
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2:42 - 2:44अपने को व्यक्त करने के तरीक़ों के बिना,
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2:44 - 2:47और मेरे पास उनकी मदद करने
के कोई रास्ते नहीं थे,. -
2:50 - 2:52मेरे पास उनकी इस हालत के
लिए कोई नाम भी नहीं था. -
2:52 - 2:54जब तक कि मैं बीस साल की न हुई.
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2:55 - 2:58आर्ट थेरपी में ग्रैजूएट डिग्री करते वक्त,
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2:58 - 3:01मेरा झुकाव सदमों की
तरफ़ हुआ. -
3:02 - 3:06और जब क्लास में पोस्ट-ट्रॉमैटिक
-स्ट्रेस-डिसॉर्डर के बारे में सीखा, -
3:06 - 3:08या शॉर्ट में PTSD
(पी.टी.एस.डी.) -
3:08 - 3:12तो मेरे दादा जैसे फ़ौजियों की मदद
का मेरा जज़्बा -
3:12 - 3:13बनता चला गया.
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3:15 - 3:18सदमे से होने वाले तनाव के लिए
हमारा पास कई नाम रहे हैं -
3:18 - 3:19युद्ध के लम्बे इतिहास में:
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3:20 - 3:22घर की याद सताना,
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3:22 - 3:24सैनिक का घायल दिल,
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3:25 - 3:26धमाके का झटका,
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3:27 - 3:29हज़ार मील पर टिकी नज़र,
उदाहरण के लिए. -
3:30 - 3:33और जब मैं डिग्री कर रही थी,
एक नयी लड़ाई शुरू हो रही थी, -
3:33 - 3:37और आधुनिक कवच और
नयी नयी मिलिटरी गाड़ियों के चलते, -
3:37 - 3:40लोग ऐसे भयंकर धमाकों में भी ज़िंदा बच
रहे थे जिनमे पहले वो शर्तिया मारे जाते. -
3:42 - 3:45मगर उनके अदृश्य घाव भयानक
स्तर पर घातक और मारक हो रहे थे, -
3:45 - 3:48और इसने मिलिटरी के डॉक्टर और
शोधकर्ताओं को मजबूर किया कि वो -
3:48 - 3:53सच में ये ट्रोमेटिक ब्रेन इंजरी (TBI) को
जानने समझने की कोशिश करें, -
3:53 - 3:56और दिमाग़ पर PTSD के असर को.
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3:57 - 4:00तकनीक और मेडिकल इमेजिंग
में हुए विकास के कारण -
4:00 - 4:03हम अब समझते हैं की
सदमा "ब्रोका" को शिथिल कर देता है -
4:03 - 4:08यानी दिमाग़ का उस हिस्से को जो भाषा
और बोलने को नियंत्रित करता है. -
4:09 - 4:11शारीरिक संरचना में हुआ ये बदलाव,
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4:11 - 4:14जिसे अक्सर स्पीच-लेस टेरर कहते हैं,
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4:14 - 4:17साथ में मानसिक बीमारी से जुड़े कलंक,
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4:17 - 4:18और भेदभाव के शिकार होने का डर,
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4:18 - 4:20या ग़लत समझे जाने का भय,
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4:20 - 4:23और साथ ही,
नौकरी खोने की सम्भावना, -
4:23 - 4:27मिल कर हमारे मिलिटरी के स्त्री-पुरुषों को
एक अदृश्य लड़ाई में अकेले झोंक देती है. -
4:28 - 4:31मिलिटरी वालों ने पीढ़ी-दर-पीढ़ी
-
4:31 - 4:35चुप्पी की आदर ओढ़ कर
बिना अपने अनुभव बताए ज़िंदगी बसर की है, -
4:35 - 4:37और अकेलेपन को झेला है.
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4:39 - 4:42मेरे पहली नौकरी में मेरा काम था
-
4:42 - 4:46देश के सबसे बड़े मिलिटरी मेडिकल सेंटर
पर आर्ट थेरपिस्ट के रूप में रहना, -
4:46 - 4:47वॉल्टर रीड सेंटर पर.
-
4:47 - 4:51कुछ साल मनोचिकित्सा के
लाक्ड-इन विभाग में काम के बाद, -
4:51 - 4:56मैं NICoE में ट्रांसफ़र हो गयी
नेशनल इंट्रेपिड सेंटर ओफ़ एक्सलेन्स में, -
4:56 - 5:00जो TBI से जूझते कार्यरत फ़ौजियों की
देखभाल करता है, -
5:01 - 5:03मेरा आर्ट थेरपी में अटूट विश्वास था,
-
5:03 - 5:06लेकिन मुझे फ़ौजियों को
इस के लिए राज़ी करना था, -
5:06 - 5:10मज़बूत, लहीम-सहीम,
मर्दाना मिलिटरी वालों को -
5:10 - 5:11और कुछ ऐसी ही औरतों को भी,
-
5:12 - 5:16कि वो आर्ट बनाने को
एक थेरपी के रूप में इस्तेमाल कर के देखें. -
5:17 - 5:21और उस के नतीजे किसी
चमत्कार से कम नहीं थे. -
5:22 - 5:24जीवंत और असलियत बयान करती आर्ट
-
5:24 - 5:27अब फ़ौजी पुरुष और महिलाएँ
बनाते हैं, -
5:27 - 5:30और हर आर्ट का काम एक कहानी बयान करता है.
-
5:31 - 5:34हमने ये पाया है कि आर्ट हमें
उस अड़चन से बचती है -
5:34 - 5:36जो भाषा और बोलचाल की
कमी से पैदा होती है. -
5:37 - 5:41आर्ट बनाना दिमाग़ के ठीक उस हिस्से को
प्रभावित करता है जो सदमे को याद रखता है. -
5:42 - 5:46फ़ौजी आर्ट बना कर अपने अनुभवो का
का धीरे-धीरे सामना करते हैं -
5:46 - 5:47एक सुरक्षित माहौल में.
-
5:48 - 5:51फिर वो अपनी बनायी आर्ट में
शब्द भी जोड़ सकते हैं -
5:51 - 5:55जिससे दिमाग़ के दाएँ और बाँए हिस्से
फिर से साथ काम करना शुरू करते हैं. -
5:57 - 6:00ये असर हम हर तरह की
कला में देख सकते हैं -- -
6:00 - 6:03रेखाचित्र, पेंटिंग, कोलाज़ --
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6:03 - 6:06मगर सबसे ज़्यादा असरदार रहा है
-
6:07 - 6:08मुखौटे बनाना.
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6:09 - 6:13क्योंकि इन अदृश्य घावों का
अक्सर कोई नाम नहीं होता है, -
6:14 - 6:15बस चेहरे होते हैं.
-
6:17 - 6:19और जब फ़ौजी
इन मुखौटों को तैयार करते हैं, -
6:19 - 6:23उन्हें अपने सदमे का सामना
करने के तरीक़े मिलते हैं. -
6:24 - 6:26ये अद्भुत है कि अक्सर वो
ऐसा कर पाते हैं कि -
6:26 - 6:29सदमे से आगे बढ़ कर
ख़ुद को संजोएँ. -
6:31 - 6:32BFIB याद है?
खूनी चेहरा? -
6:34 - 6:37वो मेरे एक मरीज़ का
वास्तविक अनुभव था, -
6:37 - 6:39और जब उसने मुखौटा बनाया,
-
6:39 - 6:42वो उस खूनी चहरे को छोड़ कर
आगे बढ़ सका -
6:43 - 6:46शुरूवात में, ये मेरे फ़ौजी मरीज़
के लिए बहुत कठिन था, -
6:46 - 6:49लेकिन धीरे धीरे वो उस खूनी चेहरे
को एक मुखौटे की तरह देखने लगे, -
6:49 - 6:51न कि अपने अदृश्य घाव की तरह,
-
6:51 - 6:52और जब वो मुझसे मिल कर जा रहे होते थे,
-
6:53 - 6:56वो मुझे मास्क देते हुए कहते थे,
"मलिसा, इस का ख़्याल रखना." -
6:56 - 7:01धीरे धीरे, हम ने उस खूनी चेहरे को
एक बक्से में गिरफ़्तार कर दिया, -
7:01 - 7:03और जब वो NiCOe से गए,
-
7:03 - 7:05वो उसे खूनी चेहरे को पीछे छोड़ गए.
-
7:06 - 7:09अगले एक साल में, उन्हें वो खूनी
चेहरा सिर्फ़ दो बार दिखा -
7:09 - 7:11और दोनो बार वो मुस्करा रहा था
-
7:11 - 7:13और मेरे मरीज़ को उस से
परेशानी नहीं हुई. -
7:14 - 7:17अब तो उन्हें जब भी पुराने अनुभव से
कोई परेशानी होती है, -
7:17 - 7:19वो पेंटिंग में अपने को रमा लेते हैं.
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7:20 - 7:23हर बार जब वो किसी
डरावनी याद की पेंटिंग कर देते हैं, -
7:23 - 7:25वो उन्हें दिखना कम या बंद हो जाती हैं.
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7:27 - 7:31फ़िलोसोफ़रो हमें हज़ारों सालों
से बता रहे हैं कि -
7:31 - 7:32रचनात्मकता की शक्ति का
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7:32 - 7:35विध्वंस करने के शक्ति से बहुत
क़रीबी रिश्ता है. -
7:36 - 7:38अब साइंस भी बताता है
कि दिमाग़ का जो हिस्सा -
7:38 - 7:40सदमे को याद रखता है
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7:40 - 7:43वही हमें फिर से स्वस्थ रूप में
गढ़ता है. -
7:44 - 7:47और आर्ट थेरपी हमें इस जोड़ को बनाने
के तरीक़े दे रही है. -
7:48 - 7:50हमें अपने एक फ़ौजी से पूछा कि
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7:50 - 7:54मुखौटे बनाने ने उनके इलाज़ में
क्या असर डाला, -
7:54 - 7:55और उन्होंने कहा,
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7:56 - 7:59फ़ौजी:
आप बस इस मुखौटे में तल्लीन हो जाते हैं. -
7:59 - 8:00इसे बनाने में खो जाते हैं.
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8:00 - 8:04ये मुझे अपनी रुकावटों से आगे ले गया,
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8:05 - 8:08और इसलिए मैं उसे बना सका.
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8:08 - 8:11और फिर जब दो दिन बाद
मैंने उस मुखौटे को देखा, तो मुझे लगा, -
8:11 - 8:15"हे भगवान, यही तस्वीर तो है,
यही इस पहेली की चाबी है," -
8:15 - 8:17और वहाँ से बस मैं आगे बढ़ता गया.
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8:17 - 8:20मतलब, वहाँ से, जहां मैं ठीक होने के
बारे में सोच भी नहीं सकता था , -
8:20 - 8:23क्योंकि वहाँ वो कहते थे
कर्ट!, फिर क्या हुआ? बताओ!. -
8:23 - 8:25और 23 साल में पहली बार,
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8:25 - 8:28मैंने असल में खुल कर इस अनुभव
पर किसी से भी बात कर सकता हूँ. -
8:28 - 8:31मैं इस क्षण भी आपसे
उस बारे में बात कर सकता हूँ, -
8:31 - 8:33क्योंकि अब वो पहेली नहीं रही.
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8:33 - 8:35ये आश्चर्यजनक है.
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8:35 - 8:39इसने 23 साल पुराने मेरे PTSD
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8:40 - 8:46और TBI को ऐसी जगह पहुँचाया है
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8:46 - 8:48जहां से लगता है कि ये कभी हुआ ही नहीं.
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8:50 - 8:51माफ़ कीजिए!
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8:52 - 8:54मेलिसा: पिछले पाँच साल में,
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8:54 - 8:58हमने 1000 से भी ज़्यादा मुखौटे बनाए हैं,
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8:58 - 8:59ये बहुत सुखद है, है ना?
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9:01 - 9:02धन्यवाद.
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9:02 - 9:04(तालियाँ)
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9:07 - 9:11काश मैं अपने दादा के साथ भी
आर्ट थेरपी का काम कर पाती, -
9:12 - 9:14मगर मुझे पता है कि वो खुश होंगे
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9:15 - 9:17कि हम नए तरीक़े निकाल रहे हैं
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9:17 - 9:20आज के और भविष्य के
फ़ौजियों के इलाज़ के लिए, -
9:21 - 9:24और ख़ुद उनके अंदर की ताक़त का इस्तेमाल
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9:25 - 9:26कर के उन्हें ख़ुद को
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9:26 - 9:28स्वयं ठीक करने के तरीक़े.
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9:30 - 9:31धन्यवाद.
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9:31 - 9:35(तालियाँ)
- Title:
- आर्ट पीटीएसडी के अदृश्य घावों का मरहम हो सकती है
- Speaker:
- मेलिसा वॉकर
- Description:
-
रचनात्मक आर्ट थेरपिस्ट मलिसा वॉकर कहती हैं की सदमा लोगों को चुप्पी की चारदीवारी में क़ैद कर देता है मगर आर्ट लोगों को युद्ध में हुए तमाम अदृश्य मानसिक घावों से बरी कर सकती है. इस प्रेरित करने वाले टॉक में, वो बताती हैं कि मुखौटे बनाने की कला ने कैसे फ़ौजी पुरुषों और महिलाओं को अपने घावों का सामना करने की ताक़त दी - और उन से निज़ात दिलवायी.
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 09:48
Abhinav Garule approved Hindi subtitles for Art can heal PTSD's invisible wounds | ||
Abhinav Garule edited Hindi subtitles for Art can heal PTSD's invisible wounds | ||
Vatsala Shrivastava accepted Hindi subtitles for Art can heal PTSD's invisible wounds | ||
Vatsala Shrivastava edited Hindi subtitles for Art can heal PTSD's invisible wounds | ||
Swapnil Dixit edited Hindi subtitles for Art can heal PTSD's invisible wounds |