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मासिक धर्म के बारे में बात करने का अनुकूल तरीका I अदिति गुप्ता I

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    पीरियड्स|
  • 0:12 - 0:13
    खून|
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    मासिक धर्म|
  • 0:15 - 0:16
    गन्दा|
  • 0:16 - 0:18
    गुप्त|
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    छुपा कर|
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    क्यों?
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    यह एक ऐसी स्वाभाविक घटना है,
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    जो सभी औरतों को हर महीने
    सामना करना पड़ता है,
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    तकरीबन अपनी आधी ज़िन्दगी भर I
  • 0:30 - 0:33
    यह एक ऐसी महत्वपूर्ण घटना है,
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    की हमारी नस्ल का प्रजनन इसपर निर्भर है
  • 0:38 - 0:40
    फिर भी हम इसे निषिद्ध मानते हैं|
  • 0:41 - 0:43
    इसके बारे में बात करने से कतराते हैं|
  • 0:45 - 0:47
    मेरी पहली बार माहवारी के होने पर,
  • 0:47 - 0:49
    मुझे यह बात सबसे छुपा कर रखने को
    कहा गया था,
  • 0:50 - 0:52
    मेरे पिता और भाई से भी|
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    फिर जब स्कूल में यह अध्याय हमें पढ़ाने
    की बारी आई...
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    तो विज्ञान के टीचर ने यह
    विषय पढ़ाया ही नहीं!
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    (हंसी)
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    जानते हैं इन बातों से मैं क्या सीखी
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    मैं यह सीखी की इसके बारे में
    बात करना बहुत शर्मनाक है|
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    मैंने अपने शरीर की वजह से
    शर्मिंदा होना सीखा
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    मैंने सभय रहना की वजह से,
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    मासिक धर्म के बारे में अनजान रहना सीखा।
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    भारत के कई हिस्सों में की हुई
    रिसर्च ये बताती है,
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    की हर १० में से तीन लड़कियों इस बात से
    अनभिज्ञ हैं, जब तक की वह खुद पहली बार
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    मासिक धर्म में नहीं हुईं।
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    और राजस्थान के कुछ हिस्से ऐसे भी
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    हैं, जहाँ १० में से ९ लड़कियां
    इस बात से अवगत नहीं हैं|
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    आपको यह जानकार आश्चर्य होगा
  • 1:35 - 1:37
    की जिन लड़कियों से मैंने बात की है
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    उनमें से अधिकतर अपनी पहली माहवारी तक
    इसके बारे में नहीं जानती थीं;
  • 1:41 - 1:43
    सोचती थीं की उन्हें ब्लड कैंसर है
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    और वे जल्दी ही मर जाएँगी।
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    मासिक धर्म के दौरान सफाई से रहना
    बहुत आवश्यक है
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    ताकि जननांगों में कोई इन्फेक्शन न हो|
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    लेकिन भारत में केवल १२ प्रतिशत महिलाओं
    के पास यह सुविधा है की
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    वे माहवारी के दौरान स्वच्छ तरीके से रह सके
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    यदि हिसाब लगाया जाये तो,
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    ८८ प्रतिशत औरतें माहवारी के दौरान स्वत्छ
    तरीके से अपनी देखभाल नहीं करतीं
  • 2:08 - 2:09
    मैं भी उनमें से एक थी।
  • 2:10 - 2:13
    मैं झारखंड के एक छोटे से शहर गढ़वा में
    बड़ी हुई, जहाँ
  • 2:13 - 2:16
    एक सेनेटरी नैपकिन खरीदना भी एक
    शर्मनाक बात मानी जाती है।
  • 2:17 - 2:19
    तो फिर हर महीने माहवारी के दौरान
  • 2:19 - 2:21
    मैं कपडे के टुकड़े इस्तेमाल करने लगी।
  • 2:23 - 2:25
    हर बार मैं वह कपडे धो कर फिर से
    इस्तेमाल करती
  • 2:25 - 2:27
    और जब ज़रूरत न हो तब किसी
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    अँधेरे कोने में छुपा कर रखती,
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    ताकि किसी को भी मेरी माहवारी के बारे में
    पता न चले
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    बार बार धोने केे वजह से वह कपडे
    खुरदुरे हो जाते
  • 2:35 - 2:38
    जिसकी वजह मुझे रैश और इन्फेक्शन हो जाता।
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    लगभग पांच सालों तक मैंने यही नियम अपनाया
    जब तक की मैं उस शहर में रही।
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    एक और बात मैंने जो मैंने
    सीखी , वोह थी
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    कई तरह के सामाजिक बंधन
  • 2:50 - 2:55
    जो की हमारी लड़कियों और महिलाओं को
    इन दिनोंके दौरान सहने पड़ते हैं।
  • 2:55 - 2:57
    शायद आप सभी जानते होंगे,
  • 2:57 - 3:00
    लेकिन जो नहीं जानते,
    उनके लिए मैं बता दूँ
  • 3:01 - 3:03
    मुझे आचार छूने और खाने की मनाही थी
  • 3:04 - 3:09
    मैं सोफे पर या किसी भी परिवारजन
    के बिस्तर पर नहीं बैठ सकती थी।
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    हर महीने मुझे अपने बिस्तर की चद्दरें
    धोनी पड़ती,
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    भले ही उनपर कोई दाग ना लगा हो।
  • 3:13 - 3:15
    मुझे अशुद्ध मानकर पूजा करने और
  • 3:15 - 3:20
    किसी भी प्रकार के धार्मिक कार्य करने
    की मनाही थी।
  • 3:21 - 3:23
    कई मंदिरों के बाहर आप यह सूचना
    लिखी पाएंगे जो
  • 3:23 - 3:26
    महिलाओं को मासिक धरम के
    दौरान को मंदिर के अन्दर
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    आने से मना करता हैऔर
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    विडम्बना इस बात की है की
    लड़कियों पर ऐसी पाबंदियां
  • 3:33 - 3:37
    अधिकतर घर की बुज़ुर्ग महिलओं द्वारा ही
    लगाई जाती हैं।
  • 3:38 - 3:42
    आख़िरकार, वे भी ऐसी ही नियम सीख कर
    बड़ी हुई हैं।

  • 3:42 - 3:45
    और कोई भी रोक टोक के बिना
  • 3:45 - 3:47
    यही भ्रम और वहम
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    पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ते गए।
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    मेरे कई सालों के इस काम के दौरान
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    कई लड़कियों के वृतांत सुने हैं
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    जहाँ लड़कियों का कहना और बर्तन भी अलग
    रखे जाते हैं।
  • 3:58 - 4:00
    उन्हें इन दिनों में
    नहाने की भी मनाही होती है,
  • 4:01 - 4:05
    और कई घरों में तो इन्हे परिवार के सभी
    सदस्यों से अलग रख जाता था।

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    भारत की लगभग ८५ प्रतिशत लड़कियां और
    महिलाएं हर महीने ऐसी ही किसी प्रकार
  • 4:11 - 4:16
    की प्रथा का पालन करती चली आ रहीं हैं।
  • 4:17 - 4:18
    क्या आप सोच सकते हैं की यह किसी
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    भी लड़की के आत्मसम्मान और आत्मविश्वास
    पर क्या असर करता है ?
  • 4:22 - 4:25
    उसपर जो मानसिक आघात पहुँचता है
  • 4:25 - 4:28
    वह उसकी शख्सियत पर, उसकी पढ़ाई पर और
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    उसके प्रारंभिक वर्षों के हर पहलु पर
  • 4:29 - 4:34
    क्या असर कर सकता है ?
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    मैंने यह सभी प्रतिबंधक नियम १३ वर्षों
    तक निभाए,
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    फिर मेरे पार्टनर तुहिन से हुई मेरे एक
    वार्तालाप
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    ने मासिक धर्म के बारे में मेरा नजरिया
    बदल दिया।
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    २००९ में जब तुहिन और मैं डिज़ाइन में
    पोस्ट ग्रेजुएट कर रहे थे,
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    हमें एक दूसरे से प्यार हो गया
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    और मैं उससे इस बारे में बेझिजक बात
    कर पाती थी
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    तुहिन को भी इस बारे में काम पता था
  • 4:59 - 5:01
    (हंसी)
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    वह यह जानकर हैरान हो गया की लड़कियों
    को मरोड़ उठती है
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    और हमें हर महीने खून आता है।
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    (हंसी)
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    हां।
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    वो यह जानकर बेहद हैरान हुआ की
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    मासिक धर्म में होने पर औरतों पर इतनी
    सारी पाबंदियां लगाई जाती हैं
  • 5:21 - 5:24
    और वो भी अपने हे परिवार और समाज द्वारा।
  • 5:24 - 5:26
    उन दिनों की मेरी तकलीफ कैसे कम हो,
  • 5:26 - 5:30
    वह इंटरनेट पर इसके बारे में
    जानकारी लेता था।
  • 5:30 - 5:32
    जब उसने अपनी जानकारी मुझे बताई,
  • 5:32 - 5:35
    तो मुझे एहसास हुआ की मैं खुद इस बारे में
    बहुत काम जानती हूँ।
  • 5:35 - 5:39
    और मेरी कई धारणाओं के पीछे
    कोई सच नहीं था।
  • 5:40 - 5:41
    उस समय हम दोनों
    इस बात से विस्मित
  • 5:41 - 5:44
    हुए, की इतने पड़े लिखे होने पर भी
    अगर हम पीरियड्स के बारे में
  • 5:44 - 5:46
    इतना कम जानते हैं, तो दुनिया
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    और भी में लाखों लड़कियां होंगी जो इस बारें
    में अनजान होंगी।
  • 5:51 - 5:52
    इस समस्या को बेहतर
  • 5:53 - 5:54
    जानने और समझने के लिए
  • 5:54 - 5:59
    मैंने इस अनभिज्ञता की वजह पर
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    एक साल तक शोध किया।
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    हालांकि यह मना जाता है की पीरियड्स
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    के बारे में अनभिज्ञता और मिथ्या धारणाएँ
    केवल ग्रामीण इलाकों की समस्या है,
  • 6:09 - 6:10
    मैंने अपने शोध के दौरान
  • 6:10 - 6:13
    यह पाया की बड़े शेहरों में भी उतनी ही
    अनभिज्ञता है
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    और इसका अस्तित्व बड़े शहरों के सुशिक्षित
    वर्ग में भी पाया जाता है।
  • 6:19 - 6:21
    कई माता-पिता और शिक्षकों से
    मैंने यह जाना की
  • 6:21 - 6:27
    वे लड़कियों को पहले से ही इस बारे में
  • 6:27 - 6:29
    शिक्षित करना चाहते हैं।
  • 6:30 - 6:32
    और--
  • 6:32 - 6:35
    परन्तु पास उचित माध्यमों का आभाव था
  • 6:35 - 6:36
    और चूंकि यह एक अनुचित बात
  • 6:36 - 6:39
    मानी जाती है, वे इस बारे में
    बात करने से कतराते थे
  • 6:40 - 6:45
    आजकल लड़कियां छठी या सातवीं कक्षा में
    मासिक धर्म में हो जाती है
  • 6:45 - 6:47
    परन्तु हमारा पाठ्यक्रम लड़कियों
  • 6:47 - 6:50
    को पीरियड्स के बारे में आठवी या नववी
    कक्षा में अवगत करता है
  • 6:51 - 6:53
    और चूंकि यह एक निषिद्ध बात है
  • 6:54 - 6:57
    शिक्षक इस विषय को पढाते ही नहीं।
  • 6:58 - 7:03
    तो स्कूल में लड़कियों को
    इस बारे में नहीं सिखया जाता,
  • 7:03 - 7:05
    माता-पिता इस बारे में बात नहीं करते
  • 7:05 - 7:06
    लड़कियां कहाँ जायें?
  • 7:07 - 7:10
    दो दशक पहले और आज--
  • 7:11 - 7:12
    कुछ भी नहीं बदला।
  • 7:14 - 7:16
    मैंने यह तुहिन को बताया
    और हमने सोचा की अगर हम
  • 7:16 - 7:18
    ऐसी कोई वस्तु बनाएं
  • 7:18 - 7:23
    जो लड़कियों को मासिक धर्म के बारे में खुद
    समझने में मदद करे।
  • 7:23 - 7:27
    कोई वस्तु जो माता-पिता और शिक्षकों को भी
    इस बारे में बेझिजक बात करने
  • 7:27 - 7:30
    में सहायता करे?
  • 7:31 - 7:33
    मैंने अपने शोध के दौरान
  • 7:33 - 7:35
    कई किस्से जमा किये थे
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    इनमें से कई कई लड़कियों के मासिक धर्म के
    अनुभवों के किस्से थे जो
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    लड़कियों को पीरियड्स के बारे में उत्सुकता
    जगाते और अपने करीबी
  • 7:44 - 7:48
    दोस्तों से बात करने में रुची जागृत करते
  • 7:48 - 7:49
    हम भी यही चाहते थे।
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    हम कोई ऐसी चीज़ चाहते थे
    जो लड़कियों को उत्सुक करें और
  • 7:52 - 7:55
    उन्हें इस बारे में सीखने को बाध्य करे।
  • 7:55 - 7:58
    हम इन कहानियों से लड़कियों को इस विषय में
    शिक्षित करना चाहते थे।
  • 8:00 - 8:03
    इस लिए हमने हास्य-पुस्तिका बनाने का
    निश्चय किया
  • 8:03 - 8:06
    जिसमें हास्य-किरदार इन कहानियों को
    अभिनीत करेंगे और
  • 8:06 - 8:10
    लड़कियों को मासिक धर्म के बारे में मनोरंजक
    दिलचस्प तरीकें से अवगत करायेंगे
  • 8:11 - 8:14
    लड़कियों की विभिन्न युवावास्थाओ को
    दर्शाने के लिए
  • 8:14 - 8:15
    हमारे पास तीन किरदार हैं।
  • 8:16 - 8:19
    पिंकी, जिसे अभी तक पीरियड्स नहीं हुए
  • 8:19 - 8:22
    जिया जिसे इस चित्रकथा की कहानी के
    दौरान माह्वारी होती है
  • 8:22 - 8:26
    और मीरा जिसे पहले से ही मासिक धर्म का
    अनुभव है
  • 8:26 - 8:28
    और एक चौथा किरदार है, प्रिया दीदी।
  • 8:28 - 8:32
    जिसके द्वारा, लड़कियों को युवावस्था के अनेक
    पहलुओं और माहवारी के दौरान
  • 8:32 - 8:34
    सफाई से रहना सीखतीं हैं
  • 8:35 - 8:37
    इस पुस्तक को बनाने वक़्त इस बात का ख्याल
  • 8:37 - 8:41
    रखा की कोई भी चित्र किसी भी तरह से
    आपात्तिजनक न हों और
  • 8:41 - 8:43
    साथ ही सांस्कृतिक रूप से सचेतन हो
  • 8:44 - 8:48
    इस पुस्तक की प्राथमिक परिक्षण के दौरान
    हमने पाया की लड़कियों ने इसे खूब पसंद किया
  • 8:48 - 8:50
    और पड़ने को काफ़ी इच्छुक रहीं
  • 8:50 - 8:53
    और साथ ही पीरियड्स के बारे में आप ही अधिक
    से अधिक जानकारी पाई
  • 8:53 - 8:56
    माता-पिता और शिक्षक इस पुस्तक के
    द्वारा पीरियड्स के बारे में
  • 8:56 - 8:58
    लड़कियों से बझिजक बात कर पाए
  • 8:58 - 9:01
    कई बार तो लडकों भी इस पुस्तक को पड़ने में
    रूचि दिखाई
  • 9:01 - 9:03
    (हंसी)
  • 9:03 - 9:05
    (तालियां)
  • 9:07 - 9:11
    इस हास्य-पुस्तिका के ज़रिये एक ऐसा माहौल
    बन सका जहाँ मासिक धर्म
  • 9:11 - 9:13
    निषेद नहीं था।
  • 9:16 - 9:20
    कई वालंटियर्स ने इस पुस्तक के पप्रोटोटाइप
    के द्वारा लड़कियों को सिखाया और
  • 9:20 - 9:23
    भारत के पांच अलग राज्यों में मासिक धर्म की
    जानकारी के वोर्क्शोप्स आयोजित किये
  • 9:24 - 9:27
    एक वालंटियर ने इस पुस्तक के प्रोटोटाइप को
    लद्दाख के एक आश्रम में लाकर
  • 9:27 - 9:29
    युवा म्हणतो को जानकारी दी
  • 9:29 - 9:32
    इस पुस्तक का अंतिम संस्करण का नाम
    "मेंस्त्रुपेडिया कॉमिक" रखा गया और
  • 9:33 - 9:35
    यह पिछले सितम्बर में लांच के गयी।
  • 9:36 - 9:37
    और अब तक,
  • 9:37 - 9:42
    भारत में ४००० से ज्यादा लड़कियों को इस
    पुस्तक के द्वारा शिक्षित किया गया है
  • 9:42 - 9:44
    (तालियाँ)
  • 9:44 - 9:46
    धन्यवाद।
  • 9:46 - 9:48
    (तालियां)
  • 9:51 - 9:53
    और दस अलग देशों में निरंतर
  • 9:54 - 9:57
    इस पुस्तक का अलग अलग भाषाओँ में
    अनुवाद ज़ारी है,
  • 9:57 - 10:00
    और स्थानिक संस्थाओं के
    सहयोग से इस पुस्तक को
  • 10:00 - 10:02
    अनेक देशों में उपलब्ध कराया जा रहा है
  • 10:02 - 10:05
    भारत के कई भागों में से १५ विद्यालयों ने
  • 10:05 - 10:09
    इस पुस्तक को अपने पाठ्यक्रम का
    हिस्सा बना दिया है जिससे की लड़कियों को
  • 10:09 - 10:11
    मासिक धर्म के बारे में सिखाया जा सके
  • 10:11 - 10:13
    (तालियाँ)
  • 10:17 - 10:23
    मैं यह देख कर अचंभित हूँ की,
  • 10:23 - 10:27
    माता-पिता, शिक्षक्जन, स्कूल के प्राध्यापक
  • 10:27 - 10:28
    एक जुट होकर
  • 10:28 - 10:33
    इस विषय की जागरूकता का अभियान
    अपने अपने समुदाय में ले जाकर
  • 10:33 - 10:36
    यह कोशिश की है की लड़कियों को सही उम्र में
    मासिक धर्म की जानकारी मिले और
  • 10:36 - 10:38
    साथ ही इसे निषेध न समझा जाये।
  • 10:40 - 10:44
    मैं एक ऐसे भविष्य की आशा करती हूँ जहाँ
    मासिक धर्म एक शाप नहीं,
  • 10:44 - 10:46
    ना ही कोई रोग मना जाये बल्कि,
  • 10:46 - 10:48
    एक लड़की के जीवन में एक सुखद बदलाव है।
  • 10:49 - 10:50
    और मैं--
  • 10:50 - 10:52
    (तालियाँ)
  • 10:55 - 10:56
    और मैं समापन करना चाहूंगी
  • 10:56 - 11:00
    सभी माताओं और पिताओं से एक
    छोटी सी दर्ख्वास्त करते हुए
  • 11:00 - 11:01
    प्यारे माता-पिता,
  • 11:02 - 11:04
    यदि आप पीरियड्स से शर्मिंदा होंगे,
  • 11:04 - 11:06
    तो आपकी बेटियाँ भी शर्मिंदा होंगी।
  • 11:07 - 11:09
    इसलिए प्लीज़ पीरियड पॉजिटिव रहिये।
  • 11:09 - 11:10
    (हंसी)
  • 11:10 - 11:11
    धन्यवाद।
  • 11:11 - 11:14
    (तालियाँ)
Title:
मासिक धर्म के बारे में बात करने का अनुकूल तरीका I अदिति गुप्ता I
Description:

यह व्याख्यान एक स्थानीय TEDx कार्यक्रम में पेश किया गया था, यह TED सम्मलेन से सवतंत्र रूप से बनाया गया है I

यह सच है:मासिक धर्म के बारे में बात करने से लोग कतराते हैंI और भारत में इस निषेद के वजह से हर १० में से ३ लड़कियां अपने पहली माहवारी होने तक मासिक धर्म के बारे में कुछ भी नहीं जानती I इससे जुडी हुई प्रतिबंधक नियम युवा होती लड़कियों पर मानसिक आघात पहुंचती हैI इन्ही प्रतिबंधों के बीच बड़ी हुई अदिति गुप्ता, लड़कियों, माता-पिता एवं शिक्षकों की मदद करना चाहती थीं ताकि वे मासिक धर्म के बारे में आराम से और बिना शर्मिंदगी से बात कर सकेंI वो बताती हैं की उन्होंने ये कैसे किया I

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDxTalks
Duration:
11:28

Hindi subtitles

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