मानववृद्धि का कारण क्या हैं?
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0:01 - 0:06सत्तर हजार साल पहले हमारे पूर्वज
नगणनीय जानवर थे| -
0:06 - 0:10एक महत्वपूर्ण बात हमारी
पूर्वजोँ के बारे मे -
0:11 - 0:12है की वो लोग महत्वहीन थे|
-
0:12 - 0:18उन लोगों की दुनिया के ऊपर
मुद्रा जेल्ली मछली -
0:18 - 0:20या आग मक्खियो या वुड पेकर
से ज्यादा नहीं था| -
0:21 - 0:24आज इसके व्यतिरेक हम
इस ग्रह पर काबू पालिये| -
0:25 - 0:26और प्रश्न ये है कि:
-
0:26 - 0:29हम वहाँ से यहाँ कैसे पहुंच गये?
-
0:30 - 0:33हम अपने आप को कैसे मोड लिये
ताकी हम आफ्रिका के कोने में -
0:33 - 0:36अपने काम देखने वाले
नगणनीय वानर से -
0:37 - 0:39इस दुनिया के शासक कैसे बनगये?
-
0:40 - 0:46आम तौर पर, हम व्यक्तिगतस्तर पर
दूसरे जानवर और हमलोगोँ -
0:46 - 0:47मे फर्क देखते है|
-
0:47 - 0:50हमलोग ये मानना चाह्ते है --
मैँ ये मानना चाह्ता हूँ -- -
0:50 - 0:54कि मुझ मेँ कुछ खास बात है,
-
0:54 - 0:57मेरे शरीर मे, मेरे दिमाग मे,
-
0:57 - 1:02जो मुझे एक कुत्ता, एक सुवर, या एक
चिँपाँजी से कई ज्यादा बेहतर बनाता है| -
1:03 - 1:06लेकिन सच तो ये है कि
व्यक्तिगत स्तर पर -
1:07 - 1:10मैँ शर्मानक, चिँपाँजी
समान रूप मे हूँ| -
1:10 - 1:15और अगर तुम मुझे और एक चिँपाँजी
को एक सुनसान द्वीप मे रखोँगे| -
1:15 - 1:20और अगर हम को जीने के लिए सँघर्ष
करना पडा, और कौन बेहतर बचता -
1:20 - 1:25मै अपना शर्त निश्चित रूप से चिँपाँजी के
ऊपर, रखूँगा परन्तु मेरे ऊपर नहीँ| -
1:25 - 1:28और मुझमें व्यक्तिगत रूप
से कोई कमी नहीँ है| -
1:28 - 1:33मुझे लगता है, अगर वेआप में से किसी
एक को लेते और तुमको अकेले -
1:33 - 1:35चिँपाँजी के साथ कोई द्वीप मे रखते तो
-
1:35 - 1:37चिँपाँजी आप से बेहतर काम करेगा|
-
1:39 - 1:43असली फर्क मनुष्य और
बाकी सारी जानवर के बीच -
1:43 - 1:45अंतर व्यक्तिगत स्तर पर नहीँ है;
-
1:46 - 1:47बल्कि सामजिक स्तर पर है|
-
1:48 - 1:52मनुष्य धर्ती को काबू मे रख सकते है
क्योँ कि वे सिर्फ ऐसी जानवर है -
1:52 - 1:58जो ज्यादा सँख्या मे सहयोग और लचील
ढँग से मदद कर सकते हैँ| -
1:58 - 2:00अब, दूसरे जानवर है -
-
2:00 - 2:03जैसे कि समाजिक कीडे,
मखियाँ, चीटियाँ -- -
2:03 - 2:08जो ज्यादा सँख्या मे साथ देते हैं,
पर इतना लचीले ढँग से नहीँ करते| -
2:08 - 2:11उनका साथ देना कठिन हैं|
-
2:11 - 2:15मूल्र रूप से एक ही रास्ता है जिस तरीके से
मधु मक्खी काम कर सकती हैँ| -
2:15 - 2:19और अगर वहाँ कोई नया अवसर
या नया खतरा हो, -
2:19 - 2:24मधु मक्खी समजिक व्यवस्था का
पुन: कल्पना रातोँ रात नहीँ कर सकते| -
2:24 - 2:26उदाहरणार्थ, वो अपने राणी
को फासि नहीं देसक्ते -
2:27 - 2:28और एक राज्य का
स्थापना नहीं कर सकते -
2:28 - 2:32या श्रामिक मक्कियो का तांशाही
साम्यवादी नहीं बना सकते -
2:32 - 2:35दूसरे जानवर जैसे सामाजिक स्थनधारियों
-
2:35 - 2:39भेदियों, हाथियों, दाल्फिंस, चिपांजीस --
-
2:39 - 2:41वो ज्यादा लचीले ढंग से समर्थन देते हैं|
-
2:41 - 2:45लेकिन वो ऐसे बहुत कम संख्या मे करते है,
-
2:45 - 2:48क्योंकि चिन्म्पांजियोँ में साथ देना
-
2:48 - 2:52उन दोनो को एक दूसरोँ
को समझने पर है| -
2:52 - 2:55मै एक चिन्म्पांजी हूँ और
तुम एक चिन्म्पांजी हो, -
2:55 - 2:56और मै तुम्हारे साथ मिलकर
काम करना चाहता हूँ| -
2:56 - 2:59मुझे तुम्हे व्यक्तिगत
रूप से जानना जरूरी है| -
2:59 - 3:01किस तरह के चिम्पांजी हो तुम?
-
3:01 - 3:02तुम एक अच्छा चिम्पांजी हो?
-
3:02 - 3:04क्या तुम एक दुष्ट चिम्पांजी हो?
-
3:04 - 3:05क्या तुम भरोसा के लायक हो?
-
3:05 - 3:08अगर मै तुम्हे नही जानता मै
तुम्हारे साथ कैसे दे सकता हूँ ? -
3:10 - 3:13ऐसे एक हीं जानवर है जो इन
दोनो क्षमतावो को मिला सकता है -
3:13 - 3:19और लचीले ढंग से भी और ज्यादा
संख्या मे भी साथ दे सकते है -
3:19 - 3:20वो है हम मानव जाती|
-
3:21 - 3:25एक का एक ,या दस का दस,
-
3:25 - 3:28चिंपांजी हम से बेहतर हो सकते है|
-
3:28 - 3:33पर ,अगर तुम १००० लोग को १००० चिंपांजियों
के सामने रखोगे तो, -
3:33 - 3:37मानव आसानी से जीत जायेंगे,
इसका कारण सरल है -
3:37 - 3:41कि १००० चिंपांजियों एक दूसरे
के साथ नहीं दे सकते| -
3:41 - 3:45और अगर तुम १००,०००
चिंपांजियों को एक साथ -
3:45 - 3:49ऑक्सफ़ोर्ड स्ट्र्रीट या वेम्ब्ले स्टेडियम
-
3:49 - 3:52या टियनानमें स्क्वेअर या व्हेटिकन मे ठूसना
-
3:52 - 3:54तुम को पूरा अस्थ्व्यस्थता मिलेगि
-
3:54 - 3:58कल्पना करो १,००,००० चिंपांजियों
से भरा वेम्ब्ले स्टेडियम को -
3:59 - 4:00पूरा पागलपन मिलेगा
-
4:00 - 4:06इसके उलते मे लोग वहाँ हजारोँ
मे इकट्टा होते हैँ, -
4:06 - 4:09और हमे आम तौर पर
अस्वस्थता नहीँ मिलेगी| -
4:09 - 4:15हमे अत्यन्त सुविग्न और प्रभावी
सहयोगी को नेटवर्क मिलेगा| -
4:17 - 4:21मनुष्य चरित्रमे सभी बडे उपलब्धियँ
-
4:21 - 4:24यदी पिरमिड की निर्माण हो
या चांद की यात्रा हो -
4:24 - 4:27व्यक्तिगत सामर्थ्य पर
आधार नहीँ हैं, -
4:27 - 4:31पर एक दूसरे की लचीले ढंग से मदद
कर ने की ऊपर आधारित है| -
4:31 - 4:35अब मै जो सम्भाषण दे रहा हूँ
उसके बारे मे सोचिये: -
4:35 - 4:41मै यहाँ लगबग ३०० या ४००
श्रोताओँ के सामने खडा हूँ, -
4:41 - 4:44तुम मे से ज्यादा लोग
मेरे लिये बिलकुल अजनबी हो| -
4:45 - 4:50ऐसे ही मै उन लोगोँ को नहीँ जानता
जो इसका इंतेजाम् किया -
4:50 - 4:52और इस कार्यक्रम के ऊपर काम किया|
-
4:52 - 4:56मै पैलट और हवाइ जहाज की
सभ्ययोँ को नहीं जानता -
4:56 - 4:59जो मुझे यहाँ लेके आये
और कल लँडन को लेके गये| -
4:59 - 5:03मै उन लोगोँ को नहीं जानता जो इस मैक्रोफोन
और केमेरा का आविष्कार किये, -
5:03 - 5:08और् बना दिये जो इस वक्त मेरे
बातोँ को रिकॉर्ड कर रहे है| -
5:08 - 5:12मै उन लोगोँ को नहीँ जानता जो
सब किताबेँ और लेख लिखे -
5:12 - 5:14जो मै इस सँ भाषण के लिये
तैयार होते हुये पढा था| -
5:14 - 5:17और मै उन सभी लोगोँ को
बिलकुल भी नहीँ जानता -
5:17 - 5:21जो नयी दिल्ली या ब्युनोस ऐरस् से
-
5:21 - 5:24इन्टरनेट पर ये संभाषण देख रहें होंगे|
-
5:24 - 5:28फिर भी हम एक दूसरे को
ना जानते हुये भी -
5:28 - 5:34हम इस विचारों का अदला बदली
वैश्विक स्तर पे कर सकते है| -
5:34 - 5:37ये सब कुच चिंपांजियों
नहीँ कर सकते| -
5:37 - 5:39वो बेशक संसूचित करते हैँ,
-
5:39 - 5:45पर तुम एक चिंपांजी को कोई दूर की बैंड
के लिये हाथियोँ या कोई और चीज -
5:45 - 5:49जो चिंपांजियों को दिलचस्प लगे,
-
5:49 - 5:52उसके बारे मे भाषण देने के लिये
जाते हुये नहीँ देख सकते. -
5:53 - 5:57अब साथ देना हमेशा अच्छी बात नहीं होती;
-
5:57 - 6:01सभी दारूण चीज पूरी चरित्र
मे मनुष्य जो कर रहे है -- -
6:01 - 6:04और हम जो बहुत हीं गलत चीज
जो हम कर रहे हैँ -- -
6:04 - 6:09वो सभी चीज भी बड़े पैमाने पर
सहयोग पर आधारित है| -
6:09 - 6:11जैल एक तरफ के सहयोग है;
-
6:12 - 6:14बूचड़खाने भी एक सहयोग की प्रणाली है;
-
6:15 - 6:18कारा शिविर एक सहयोग की प्रणाली है|
-
6:18 - 6:23चिंपांजियों के पास बूचड़खाने,
जैल और ,कारा शिविर नहीँ होते| -
6:24 - 6:28अब अगर मैने शायद आपको यकीन दिलाया कि
हाँ,हम इस दुनिया को काबू मे कर सकते -
6:28 - 6:33क्योँकि हम एक दूसरे का समर्थन लचीले
ढंग से बडी सँख्या मे करते हैँ| -
6:34 - 6:36अगला प्रश्न जो तुरंत उठता है
-
6:36 - 6:39एक कुतूहली श्रोता के मन मे कि
-
6:39 - 6:42हम ये कैसे करते हैँ?
-
6:42 - 6:48पूरी जानवरोँ मे क्या है जो सिर्फ हमे योग्य
बनाता है कि हम एक दूसरे की समर्थन कर सकते? -
6:50 - 6:52इसकी उत्तर है हमारी कल्पना शक्ती|
-
6:53 - 6:58हम अनगिनत सँख्या मे
अजनबियोँ की मदद कर सकते हैँ, -
6:58 - 7:02क्योँकि इस ग्रह के सारी जानवरोँ
मे सिर्फ हम हैँ, -
7:02 - 7:07कुछ बना सकते हैँ, कल्पनावोँ,
और कल्पनात्मक रचनावोँ को मानते हैँ| -
7:07 - 7:12और जब तक सभी लोग
उस कल्पना को मानते हैँ, -
7:12 - 7:15सब लोग एक ही नियम,एक ही
मानद्न्डोँ, और एक ही मूल्योँ -
7:16 - 7:18का अनुसरण करते है|
-
7:19 - 7:23बाकी सब जानवर सिर्फ वास्तविकता का
वर्णन करने के लिये अपनी संचार व्यवस्था -
7:23 - 7:25इस्तेमाल करते हैँ|
-
7:26 - 7:30एक चिंपांजी कह सकता है
"देखो! वहाँ एक शेर है ,चलो हम भागते हैँ!" -
7:30 - 7:34या,"देखो! वहाँ एक केले की पेढ है !
आओ हम चले और केले लाये" -
7:34 - 7:40मनुष्य उसके विपरीत ,अपने भाषा
सिर्फ सच का विवरण देने के लिये ही नहीं -
7:40 - 7:45बल्कि नया सच ,सच की कल्पना
करने के लिये भी इस्तेमाल करते है| -
7:45 - 7:49एक मनुष्य ये बोल सकता
"देखो, बादल के ऊपर वहाँ एक भगवान है" -
7:49 - 7:51और मै ने जो बोला
अगर तुम वो नहीं करोगे, -
7:51 - 7:55जब तुम मरोगे,भगवान तुम्हे दँड देगा
और नरक मे भेजेगा| -
7:55 - 7:59और अगर तुम सब मेरे इस कहाँनी,
जो मै ने बनाया,पर यकीन करोगे -
7:59 - 8:03तब तुम मानदंडों और कानूनों
और मूल्यों का पालन करोगे, -
8:03 - 8:04और तुम अपना
सहयोग दे सकते| -
8:04 - 8:07ये सिर्फ मनुष्य ही कर सकता है|
-
8:07 - 8:11तुम एक चिंपांजी को कभी तुम्हे एक केला
देने के लिए नहीँ मना सकते -
8:11 - 8:15ये वादा कर्ते हुए कि "तुम जब मरोगे तो
तुम चिँपाँजियोँ का स्वर्ग जाओगे..." -
8:15 - 8:16(हँसी)
-
8:16 - 8:19"... और तुम्हे बहुत सारे केले मिलेँगे
तुम्हारी अच्छे कामोँ के लिए| -
8:19 - 8:21इसलिए मुझे अब ये केला दे दो|"
-
8:21 - 8:23कोई चिंपांजी कभी भी ये कहानी
पर यकीन नहीँ करेग| -
8:24 - 8:26सिर्फ़ मनुष्य ही ऐसे कहानियों
पर यकीन करते हैँ| -
8:26 - 8:29इसीलिए हम इस दुनिया पर काबू पा लिए
-
8:29 - 8:33लेकिन चिंपांजी चिडियघरोँ और अनुसंधान
प्रयोगशालाओं मेँ ताले के पीछे है| -
8:35 - 8:38अब तुम ये मानलोगे कि हाँ,
-
8:38 - 8:44आध्यात्मिक क्षेत्र मेँ मनुष्य एक ही कल्पना
मे यकीन कर एक दूसरे की समर्थन करते हैँ| -
8:44 - 8:49लाखोँ मे लोग इकट्टे होते है एक बडा गिरजा
या मस्जीद का निर्माण करने के लिए -
8:49 - 8:55या जिहाद या धर्मयुद्ध मे लडने के लिए क्योँ
कि वे सबलोग एक ही कहानी मे यकीन करते हैँ| -
8:55 - 8:57जो भगवान, स्वर्ग और नरक के बारे मे हैँ|
-
8:58 - 9:03पर मै जिस पर जोर देना चाह्ता हूँ वह ये
है कि मनुष्य की दूसरे भडी समर्थन मे भी -
9:03 - 9:09ये ही काम करता है
-
9:09 - 9:12ना कि सिर्फ आध्यात्मिक क्षेत्र|
-
9:12 - 9:14उदाहरणार्थ, न्याय व्यवस्था मेँ देखिए,
-
9:15 - 9:21ज्यादातर न्याय व्यवस्थाएँ आज दुनिया मेँ
मानव हक मेँ यकीन रखने पर आधारित हैँ| -
9:21 - 9:23लेकिन मानव हक क्या हैँ?
-
9:24 - 9:28मानव हक, सिर्फ एक कहानी है, जो हमने
कल्पना की जैसे कि भगवान और स्वर्ग को. -
9:28 - 9:31वह तो वस्तुगत सच्चाई नहीँ हैँ|
-
9:31 - 9:34ये कुछ होमो सेपियन्स के
बारे मेँ जैविक प्रभाव नहीँ हैँ| -
9:35 - 9:39एक मनुष्य को काटो,
खोलो, अंदर देखो, -
9:39 - 9:44तुमको दिल, किड्नी, न्यूराँन्स,
हारमोन, डी एन ए, -
9:44 - 9:46लेकिन तुम्हेँ कोई हक नहीँ दिखेगा|
-
9:46 - 9:50ये हक कहानियोँ मेँ ही
खोज कर सकते है -
9:50 - 9:54जो हमलोगोँ ने, अविष्कार किया और
पिछले कुछ शताब्दोँ मेँ विस्तार किया| -
9:55 - 10:00ओ बहुत सकारात्मक कहानियाँ,
बहुत अच्छे कहानियाँ, -
10:00 - 10:03पर ओ भी कल्पनात्मक रचनाएँ
जो हमने आविष्कार किया है| -
10:04 - 10:06ये बात राजकीय क्षेत्र मेँ
भी लागू होती है, -
10:07 - 10:13आधुनिक राजकीय मेँ राष्ट्र और देश
दो बहुत ही खास कारक है| -
10:13 - 10:15पर राष्ट्र और देश क्या हैँ?
-
10:16 - 10:18ओ वस्तुगत सच्चाई नहीँ है|
-
10:18 - 10:20ये पर्वत वस्तुगत सच्चाई है|
-
10:20 - 10:24आप उसको देख सकते, आप उसको छू सकते,
आप उसको कभी सूँघ सकते| -
10:24 - 10:26लेकिन एक देश या एक राष्ट्र
-
10:26 - 10:30जैसे इज्राइल,या इरान,या फ्रांस
या जर्मनी, -
10:30 - 10:33ये एक कहानी है जो हम ने आविश्कार किया
-
10:33 - 10:35और उसके साथ हम अत्यंत जुड गए
-
10:35 - 10:37आर्थिक क्षेत्र मे भी
समान सूत्र चलता है| -
10:38 - 10:42विश्व अर्थव्यवस्था मे
महत्व पूर्ण आज हैँ -
10:42 - 10:44कंपनियों और निगमों
-
10:44 - 10:48आज तुम मे से ज्यादा लोग शायद
कोई निगमोँ के लिये काम करते होंगे -
10:48 - 10:51जैसे गूगल,या टोयोटा या मैक डोनाल्ड्स
-
10:52 - 10:53असल मे ये सब चीज क्या हैँ?
-
10:54 - 10:58ओ जिन्हे वकील न्याय कल्पना बुलाते हैँ|
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10:58 - 11:02ओ कथायेँ शक्तिशाली मेधावी
जिसको हम वकील कहते हैँ -
11:02 - 11:05से आविष्कार किया गया और बनाए रखा|
-
11:05 - 11:07(हँसी)
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11:07 - 11:10और निगम क्या करते है ?
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11:10 - 11:13ज्यादातर ओ पैसे बनाने की सोचते हैँ|
-
11:13 - 11:15मगर येपैसे क्या है ?
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11:15 - 11:20फिर से,पैसे एक वस्तुगत सच्चाई नही है
,उस्को कोई वस्तुगत मूल्य नही है -
11:20 - 11:23एक हरा कागज का तुकडा ,डॉलर बिल लेलो
-
11:23 - 11:26उस्की तरफ देखो,उसका कोई मूल्य नही है
-
11:26 - 11:28तुम उसको नही खा सकते
तुम उसको नही पी सकते, -
11:28 - 11:29तुम उसको नही
पहन सकते -
11:30 - 11:34पर तब आये उसके साथ
ये उस्ताद कहानीकारों -
11:34 - 11:35बड़े बैंकरों,
-
11:35 - 11:37वित्त मंत्रियों,
-
11:37 - 11:38प्रधान मंत्रियों --
-
11:38 - 11:41और ओ बहुत ही कायल कहानियाँ बता ते हैँ
-
11:41 - 11:43"देखो तुम ये कागज़ का टुकडा
देखते हो? -
11:43 - 11:45ये असल मे 10 केले के लायक है"
-
11:46 - 11:48और अगर मै उसको मानता हूँ,
तुम मानते हो, -
11:48 - 11:49और सबलोग
इसको मानते हैँ -
11:49 - 11:51ये सचमुच काम करेगा
-
11:51 - 11:54मै इस कागज के बेकार टुकड़ा ले सकता हूँ
-
11:54 - 11:56सूपर मार्केट जा सकता हूँ,
-
11:56 - 12:00एक पूरा अजनबी ,जिसे मै इस के पहले
कभी मिला नही को दे सकता हू -
12:00 - 12:04और उसके बदले मे मिलेगा असली केले
जिसको मै खा सकता हूँ| -
12:05 - 12:07ये कुछ अद्भुत है|
-
12:07 - 12:09तुम चिन्म्पांजीस के साथ
ये कभी नही कर सकते -
12:09 - 12:11चिन्म्पांजीस बेशक लेनदेन करते हैँ
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12:11 - 12:13"हाँ,तुम मुझे एक नारियल देदो
,मै तुम्हे एक केला दूंगा" -
12:13 - 12:15ओ काम कर सकता है
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12:15 - 12:18पर तुम मुझे एक् कागज के बेकार टुकड़ा दो
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12:18 - 12:20और तुम मुझे एक केला देने
की आशा करते हो -
12:20 - 12:21बिलकुल नहीं!
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12:21 - 12:23तुम क्या सोचते हो
मै एक मानव हूँ? -
12:23 - 12:25(हँसी)
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12:25 - 12:29पैसे असल में अत्यन्त सफल कहानी है
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12:29 - 12:32जो कभी मनुष्य द्वारा आविष्कार और कहा गया
-
12:32 - 12:36क्योंकी ये ही एक कहानी है जिसमे
हर कोई विश्वास रखता है| -
12:37 - 12:39हर कोई भगवान मे विश्वास नही रखता,
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12:40 - 12:43हर कोई मानव अधिकार मे
विश्वास नही रखता -
12:43 - 12:45हर कोई राष्ट्रवाद मे विश्वास नही रखता
-
12:45 - 12:49पर सबलोग पैसोँ मे,
डालर बिल् मे विश्वास रखते हैँ| -
12:50 - 12:51ओसामा बिन लदेन को भी लीजिए,
-
12:52 - 12:55वे अमेरिकी राजनीति, अमेरिकी धर्म
और अमेरिकी संस्कृति -
12:55 - 12:57से नफ़रत करते थे,
-
12:57 - 13:00पर उनको अमेरिकी डाँलर से
कोई एतराज नहीँ था| -
13:00 - 13:02वे उसे सही मे बहुत पसंद कर्ते थे|
-
13:02 - 13:04(हँसी)
-
13:04 - 13:06अब बात समाप्त करने के लिए;
-
13:06 - 13:12हम मनुष्य दुनिया को काबू पाने के लिए
हम दोहरी वास्तविकता मेँ जीते है| -
13:13 - 13:16बाकी सब जानवर वस्तुगत
सच्चाई मेँ जीते है| -
13:17 - 13:22उनकी सच्चाई मेँ
वस्तुगत संस्थाओं, -
13:22 - 13:26जैसे कि नदियाँ और वृक्षों
और शेर और हाथियाँ हैँ| -
13:26 - 13:30हम मनुष्य, हम भी वस्तुगत
सच्चाई मेँ जीते हैँ| -
13:30 - 13:35हमारी दुनिया मेँ भी नदियाँ और वृक्षों
और शेर और हाथियाँ हैँ| -
13:35 - 13:37पर शताब्दों बीतने पर,
-
13:37 - 13:42इस वस्तुगत सच्चाई के ऊपर कल्पनिक
जगत की दूसरी परत -
13:42 - 13:46निर्मण कर ली हैँ जो कि
-
13:46 - 13:49कल्पनिक संस्थाओं,
-
13:49 - 13:54जैसे कि दीशों, जैसे भगवान,
जैसे पैसे, जैसे निगमों| -
13:54 - 13:59और अद्भुत बात ये है कि
जैसे चरित्र सामने आया, -
13:59 - 14:05इस कल्प्निक सच्चाई और
भी शक्तिशाली बनगयी -
14:05 - 14:09इसलिए आज इस दुनिया में सबसे
ज्यादा शक्तिशाली बल -
14:09 - 14:11ये कल्पनिक वस्तु हैँ|
-
14:12 - 14:19आज नदियाँ और वृक्षों और शेर और हाथियाँ
जीवित रहना काल्पनिक संस्थाओं -
14:19 - 14:24की निर्ण्यों और इच्छाओं पर निर्भर हैं,
-
14:24 - 14:28जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका,
जैसे गूगल, जैसे वर्ल्ड बैंक -- -
14:28 - 14:32जो संस्थाओं स्वयं की
कल्पना में ही मौजूद हैं| -
14:33 - 14:34धन्यवाद|
-
14:34 - 14:39(तालियाँ)
-
14:44 - 14:47ब्रूनो गियुस्सानि: युवल, आपकी
नई किताब बाहर आई| -
14:47 - 14:48सपियन्स के बाद, आपने
एक और किताब लिखा, -
14:48 - 14:51और वो हेब्रू में प्रकाशन हुई
पर अभीतक अनुवादित नहीं हुई -
14:51 - 14:54युवल नो हरारी: मैं अनुवाद कर
रहा हूँ जैसे हम बात कर रहे हैं| -
14:54 - 14:56बी जी: उस किताब मे,अगर मैँ सही समझा
-
14:56 - 15:02आप तर्क कर रहे थे कि अद्भुत सफलताओं
हम अनुभव कर रहे हैँ -
15:02 - 15:04और संभावित हमारे जिंदगियोँ
को और बेह्तर बनाने के साथ साथ -
15:04 - 15:06उत्पन्न कर सकते हैँ
और मैं आप को दुहराता हूँ -
15:06 - 15:11"नया वर्ग और नया वर्ग संघर्ष
,जैसे औद्योगिक क्रांति ने किया" -
15:11 - 15:12आप इसका विवरण
दे सकते? -
15:13 - 15:15Y.N.H: हाँ औद्योगिक क्रांति में
-
15:15 - 15:20हम ने एक नई शहरी सर्वहारा का खोज देखा|
-
15:20 - 15:25और ज्यादतर रजकीय और पिछ्ले
दो सौ साल की सामाजिक चरित्र में -
15:25 - 15:28इस वर्ग के साथ क्या करना है और
नये सवाल और सुनहरे अवसर| -
15:28 - 15:33अब हम एक नये विशाल वर्ग के
बेकार लोगों को देख सकते है| -
15:33 - 15:34(हँसी)
-
15:34 - 15:39जैसे कंप्यूटर्स कई क्षेत्रों मे ज्यादा
बेहतर और ज्यादा बेहतर होते है, -
15:39 - 15:44कंप्यूटर मनुष्य को मात करके उसको
ज्यादातर कार्यों मे -
15:44 - 15:48अनावश्यक बनाने की संभावना है|
-
15:48 - 15:51और इक्कीस्वीं शताब्द की
बडा रजनीतिक और आर्थिक -
15:51 - 15:53प्रश्न ये है कि,
-
15:53 - 15:55"हमें इंसानों की जरूरत क्या हैं?",
-
15:55 - 15:59या तो कम से कम " हमें इतने सारे
मनुष्यों की जरूरतें क्या हैं?" -
15:59 - 16:01BG: आपके पुस्तक में इसका जवाब है?
-
16:01 - 16:05YNH: अभी, ड्र्ग्स और कंप्यूटर खेलों के
माद्यम से उनको खुशी रखना ही -
16:05 - 16:07सबसे अच्छा अनुमान है...
-
16:07 - 16:08(हँसी)
-
16:08 - 16:11लेकिन ये आकर्षक भविष्य
जैसा नहीं दिखता है| -
16:11 - 16:14BG: ठीक है, महत्वपूर्ण आर्थिक
असमानता प्रक्रिया की बढ़ती -
16:14 - 16:17सबूत के बारे मे मूल रूप से
-
16:17 - 16:21आपने पुस्तक मे और अभी जो
चर्चा की वो -
16:21 - 16:22एक शुरुआत ही है|
-
16:22 - 16:24YNH: फिर, ये भविष्यवाणी नहीं है;
-
16:24 - 16:28अपने आगे सभी प्रकार की
संभावनाओं को देखना है| -
16:28 - 16:33बेकार लोगों का नए वर्ग
का सृजन भी एक संभावना है| -
16:33 - 16:36मानव जाति को जैविक जातियों
विभाजन, जैसे कि धनिक -
16:36 - 16:39को उन्नत बनाकर आभासी देवताओं
के रूप मे और गरीबों को -
16:39 - 16:43अधोगति कड़ाके बेकार लोगों जैसा
-
16:43 - 16:48दिखाने की भी दूसरी
संभावना है| -
16:48 - 16:51BG: मुझे लगता है कि और एक टेड टाक
अगले एक दो सालों मे हो सकत है| -
16:51 - 16:52धन्यवाद युवल, यात्रा करने के लिए|
-
16:52 - 16:54वै एन हेच: धन्यवाद!
-
16:54 - 16:55(तालियाँ)
- Title:
- मानववृद्धि का कारण क्या हैं?
- Speaker:
- युवल नोआह हरारी
- Description:
-
सत्तर हजार साल पहले, हमारे पूर्वज नगणनीय जानवर, जो आफ्रिका के कोने में, दूसरे जानवर के साथ रहनेवाले नगणनीय वानर थे| लेकिन आज, बहुत लोग मुझसे असम्मती नहीं होगे, ये कहने से कि मनुष्य ने प्रुथ्वी पर काबू पा लिया; हमारी विस्तार सभी महाद्वीपों में हुई, और हमारे कार्यों दूसरे जानवरों के भाग्य निर्धारित करते (और संभवता पृथ्वी का भी)| हम वहाँ से यहाँ कैसे पहुंच गये? इतिहासकार नो हरारी, मानवीय उन्नति के लिए, आश्चर्य जनक कारण का विवरण दिया|
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 17:08
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