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मानववृद्धि का कारण क्या हैं?

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    सत्तर हजार साल पहले हमारे पूर्वज
    नगणनीय जानवर थे|
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    एक महत्वपूर्ण बात हमारी
    पूर्वजोँ के बारे मे
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    है की वो लोग महत्वहीन थे|
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    उन लोगों की दुनिया के ऊपर
    मुद्रा जेल्ली मछली
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    या आग मक्खियो या वुड पेकर
    से ज्यादा नहीं था|
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    आज इसके व्यतिरेक हम
    इस ग्रह पर काबू पालिये|
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    और प्रश्न ये है कि:
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    हम वहाँ से यहाँ कैसे पहुंच गये?
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    हम अपने आप को कैसे मोड लिये
    ताकी हम आफ्रिका के कोने में
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    अपने काम देखने वाले
    नगणनीय वानर से
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    इस दुनिया के शासक कैसे बनगये?
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    आम तौर पर, हम व्यक्तिगतस्तर पर
    दूसरे जानवर और हमलोगोँ
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    मे फर्क देखते है|
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    हमलोग ये मानना चाह्ते है --
    मैँ ये मानना चाह्ता हूँ --
  • 0:50 - 0:54
    कि मुझ मेँ कुछ खास बात है,
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    मेरे शरीर मे, मेरे दिमाग मे,
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    जो मुझे एक कुत्ता, एक सुवर, या एक
    चिँपाँजी से कई ज्यादा बेहतर बनाता है|
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    लेकिन सच तो ये है कि
    व्यक्तिगत स्तर पर
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    मैँ शर्मानक, चिँपाँजी
    समान रूप मे हूँ|
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    और अगर तुम मुझे और एक चिँपाँजी
    को एक सुनसान द्वीप मे रखोँगे|
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    और अगर हम को जीने के लिए सँघर्ष
    करना पडा, और कौन बेहतर बचता
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    मै अपना शर्त निश्चित रूप से चिँपाँजी के
    ऊपर, रखूँगा परन्तु मेरे ऊपर नहीँ|
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    और मुझमें व्यक्तिगत रूप
    से कोई कमी नहीँ है|
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    मुझे लगता है, अगर वेआप में से किसी
    एक को लेते और तुमको अकेले
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    चिँपाँजी के साथ कोई द्वीप मे रखते तो
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    चिँपाँजी आप से बेहतर काम करेगा|
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    असली फर्क मनुष्य और
    बाकी सारी जानवर के बीच
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    अंतर व्यक्तिगत स्तर पर नहीँ है;
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    बल्कि सामजिक स्तर पर है|
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    मनुष्य धर्ती को काबू मे रख सकते है
    क्योँ कि वे सिर्फ ऐसी जानवर है
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    जो ज्यादा सँख्या मे सहयोग और लचील
    ढँग से मदद कर सकते हैँ|
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    अब, दूसरे जानवर है -
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    जैसे कि समाजिक कीडे,
    मखियाँ, चीटियाँ --
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    जो ज्यादा सँख्या मे साथ देते हैं,
    पर इतना लचीले ढँग से नहीँ करते|
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    उनका साथ देना कठिन हैं|
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    मूल्र रूप से एक ही रास्ता है जिस तरीके से
    मधु मक्खी काम कर सकती हैँ|
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    और अगर वहाँ कोई नया अवसर
    या नया खतरा हो,
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    मधु मक्खी समजिक व्यवस्था का
    पुन: कल्पना रातोँ रात नहीँ कर सकते|
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    उदाहरणार्थ, वो अपने राणी
    को फासि नहीं देसक्ते
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    और एक राज्य का
    स्थापना नहीं कर सकते
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    या श्रामिक मक्कियो का तांशाही
    साम्यवादी नहीं बना सकते
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    दूसरे जानवर जैसे सामाजिक स्थनधारियों
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    भेदियों, हाथियों, दाल्फिंस, चिपांजीस --
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    वो ज्यादा लचीले ढंग से समर्थन देते हैं|
  • 2:41 - 2:45
    लेकिन वो ऐसे बहुत कम संख्या मे करते है,
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    क्योंकि चिन्म्पांजियोँ में साथ देना
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    उन दोनो को एक दूसरोँ
    को समझने पर है|
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    मै एक चिन्म्पांजी हूँ और
    तुम एक चिन्म्पांजी हो,
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    और मै तुम्हारे साथ मिलकर
    काम करना चाहता हूँ|
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    मुझे तुम्हे व्यक्तिगत
    रूप से जानना जरूरी है|
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    किस तरह के चिम्पांजी हो तुम?
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    तुम एक अच्छा चिम्पांजी हो?
  • 3:02 - 3:04
    क्या तुम एक दुष्ट चिम्पांजी हो?
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    क्या तुम भरोसा के लायक हो?
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    अगर मै तुम्हे नही जानता मै
    तुम्हारे साथ कैसे दे सकता हूँ ?
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    ऐसे एक हीं जानवर है जो इन
    दोनो क्षमतावो को मिला सकता है
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    और लचीले ढंग से भी और ज्यादा
    संख्या मे भी साथ दे सकते है
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    वो है हम मानव जाती|
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    एक का एक ,या दस का दस,
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    चिंपांजी हम से बेहतर हो सकते है|
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    पर ,अगर तुम १००० लोग को १००० चिंपांजियों
    के सामने रखोगे तो,
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    मानव आसानी से जीत जायेंगे,
    इसका कारण सरल है
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    कि १००० चिंपांजियों एक दूसरे
    के साथ नहीं दे सकते|
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    और अगर तुम १००,०००
    चिंपांजियों को एक साथ
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    ऑक्सफ़ोर्ड स्ट्र्रीट या वेम्ब्ले स्टेडियम
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    या टियनानमें स्क्वेअर या व्हेटिकन मे ठूसना
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    तुम को पूरा अस्थ्व्यस्थता मिलेगि
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    कल्पना करो १,००,००० चिंपांजियों
    से भरा वेम्ब्ले स्टेडियम को
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    पूरा पागलपन मिलेगा
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    इसके उलते मे लोग वहाँ हजारोँ
    मे इकट्टा होते हैँ,
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    और हमे आम तौर पर
    अस्वस्थता नहीँ मिलेगी|
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    हमे अत्यन्त सुविग्न और प्रभावी
    सहयोगी को नेटवर्क मिलेगा|
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    मनुष्य चरित्रमे सभी बडे उपलब्धियँ
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    यदी पिरमिड की निर्माण हो
    या चांद की यात्रा हो
  • 4:24 - 4:27
    व्यक्तिगत सामर्थ्य पर
    आधार नहीँ हैं,
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    पर एक दूसरे की लचीले ढंग से मदद
    कर ने की ऊपर आधारित है|
  • 4:31 - 4:35
    अब मै जो सम्भाषण दे रहा हूँ
    उसके बारे मे सोचिये:
  • 4:35 - 4:41
    मै यहाँ लगबग ३०० या ४००
    श्रोताओँ के सामने खडा हूँ,
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    तुम मे से ज्यादा लोग
    मेरे लिये बिलकुल अजनबी हो|
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    ऐसे ही मै उन लोगोँ को नहीँ जानता
    जो इसका इंतेजाम् किया
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    और इस कार्यक्रम के ऊपर काम किया|
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    मै पैलट और हवाइ जहाज की
    सभ्ययोँ को नहीं जानता
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    जो मुझे यहाँ लेके आये
    और कल लँडन को लेके गये|
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    मै उन लोगोँ को नहीं जानता जो इस मैक्रोफोन
    और केमेरा का आविष्कार किये,
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    और् बना दिये जो इस वक्त मेरे
    बातोँ को रिकॉर्ड कर रहे है|
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    मै उन लोगोँ को नहीँ जानता जो
    सब किताबेँ और लेख लिखे
  • 5:12 - 5:14
    जो मै इस सँ भाषण के लिये
    तैयार होते हुये पढा था|
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    और मै उन सभी लोगोँ को
    बिलकुल भी नहीँ जानता
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    जो नयी दिल्ली या ब्युनोस ऐरस् से
  • 5:21 - 5:24
    इन्टरनेट पर ये संभाषण देख रहें होंगे|
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    फिर भी हम एक दूसरे को
    ना जानते हुये भी
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    हम इस विचारों का अदला बदली
    वैश्विक स्तर पे कर सकते है|
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    ये सब कुच चिंपांजियों
    नहीँ कर सकते|
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    वो बेशक संसूचित करते हैँ,
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    पर तुम एक चिंपांजी को कोई दूर की बैंड
    के लिये हाथियोँ या कोई और चीज
  • 5:45 - 5:49
    जो चिंपांजियों को दिलचस्प लगे,
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    उसके बारे मे भाषण देने के लिये
    जाते हुये नहीँ देख सकते.
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    अब साथ देना हमेशा अच्छी बात नहीं होती;
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    सभी दारूण चीज पूरी चरित्र
    मे मनुष्य जो कर रहे है --
  • 6:01 - 6:04
    और हम जो बहुत हीं गलत चीज
    जो हम कर रहे हैँ --
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    वो सभी चीज भी बड़े पैमाने पर
    सहयोग पर आधारित है|
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    जैल एक तरफ के सहयोग है;
  • 6:12 - 6:14
    बूचड़खाने भी एक सहयोग की प्रणाली है;
  • 6:15 - 6:18
    कारा शिविर एक सहयोग की प्रणाली है|
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    चिंपांजियों के पास बूचड़खाने,
    जैल और ,कारा शिविर नहीँ होते|
  • 6:24 - 6:28
    अब अगर मैने शायद आपको यकीन दिलाया कि
    हाँ,हम इस दुनिया को काबू मे कर सकते
  • 6:28 - 6:33
    क्योँकि हम एक दूसरे का समर्थन लचीले
    ढंग से बडी सँख्या मे करते हैँ|
  • 6:34 - 6:36
    अगला प्रश्न जो तुरंत उठता है
  • 6:36 - 6:39
    एक कुतूहली श्रोता के मन मे कि
  • 6:39 - 6:42
    हम ये कैसे करते हैँ?
  • 6:42 - 6:48
    पूरी जानवरोँ मे क्या है जो सिर्फ हमे योग्य
    बनाता है कि हम एक दूसरे की समर्थन कर सकते?
  • 6:50 - 6:52
    इसकी उत्तर है हमारी कल्पना शक्ती|
  • 6:53 - 6:58
    हम अनगिनत सँख्या मे
    अजनबियोँ की मदद कर सकते हैँ,
  • 6:58 - 7:02
    क्योँकि इस ग्रह के सारी जानवरोँ
    मे सिर्फ हम हैँ,
  • 7:02 - 7:07
    कुछ बना सकते हैँ, कल्पनावोँ,
    और कल्पनात्मक रचनावोँ को मानते हैँ|
  • 7:07 - 7:12
    और जब तक सभी लोग
    उस कल्पना को मानते हैँ,
  • 7:12 - 7:15
    सब लोग एक ही नियम,एक ही
    मानद्न्डोँ, और एक ही मूल्योँ
  • 7:16 - 7:18
    का अनुसरण करते है|
  • 7:19 - 7:23
    बाकी सब जानवर सिर्फ वास्तविकता का
    वर्णन करने के लिये अपनी संचार व्यवस्था
  • 7:23 - 7:25
    इस्तेमाल करते हैँ|
  • 7:26 - 7:30
    एक चिंपांजी कह सकता है
    "देखो! वहाँ एक शेर है ,चलो हम भागते हैँ!"
  • 7:30 - 7:34
    या,"देखो! वहाँ एक केले की पेढ है !
    आओ हम चले और केले लाये"
  • 7:34 - 7:40
    मनुष्य उसके विपरीत ,अपने भाषा
    सिर्फ सच का विवरण देने के लिये ही नहीं
  • 7:40 - 7:45
    बल्कि नया सच ,सच की कल्पना
    करने के लिये भी इस्तेमाल करते है|
  • 7:45 - 7:49
    एक मनुष्य ये बोल सकता
    "देखो, बादल के ऊपर वहाँ एक भगवान है"
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    और मै ने जो बोला
    अगर तुम वो नहीं करोगे,
  • 7:51 - 7:55
    जब तुम मरोगे,भगवान तुम्हे दँड देगा
    और नरक मे भेजेगा|
  • 7:55 - 7:59
    और अगर तुम सब मेरे इस कहाँनी,
    जो मै ने बनाया,पर यकीन करोगे
  • 7:59 - 8:03
    तब तुम मानदंडों और कानूनों
    और मूल्यों का पालन करोगे,
  • 8:03 - 8:04
    और तुम अपना
    सहयोग दे सकते|
  • 8:04 - 8:07
    ये सिर्फ मनुष्य ही कर सकता है|
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    तुम एक चिंपांजी को कभी तुम्हे एक केला
    देने के लिए नहीँ मना सकते
  • 8:11 - 8:15
    ये वादा कर्ते हुए कि "तुम जब मरोगे तो
    तुम चिँपाँजियोँ का स्वर्ग जाओगे..."
  • 8:15 - 8:16
    (हँसी)
  • 8:16 - 8:19
    "... और तुम्हे बहुत सारे केले मिलेँगे
    तुम्हारी अच्छे कामोँ के लिए|
  • 8:19 - 8:21
    इसलिए मुझे अब ये केला दे दो|"
  • 8:21 - 8:23
    कोई चिंपांजी कभी भी ये कहानी
    पर यकीन नहीँ करेग|
  • 8:24 - 8:26
    सिर्फ़ मनुष्य ही ऐसे कहानियों
    पर यकीन करते हैँ|
  • 8:26 - 8:29
    इसीलिए हम इस दुनिया पर काबू पा लिए
  • 8:29 - 8:33
    लेकिन चिंपांजी चिडियघरोँ और अनुसंधान
    प्रयोगशालाओं मेँ ताले के पीछे है|
  • 8:35 - 8:38
    अब तुम ये मानलोगे कि हाँ,
  • 8:38 - 8:44
    आध्यात्मिक क्षेत्र मेँ मनुष्य एक ही कल्पना
    मे यकीन कर एक दूसरे की समर्थन करते हैँ|
  • 8:44 - 8:49
    लाखोँ मे लोग इकट्टे होते है एक बडा गिरजा
    या मस्जीद का निर्माण करने के लिए
  • 8:49 - 8:55
    या जिहाद या धर्मयुद्ध मे लडने के लिए क्योँ
    कि वे सबलोग एक ही कहानी मे यकीन करते हैँ|
  • 8:55 - 8:57
    जो भगवान, स्वर्ग और नरक के बारे मे हैँ|
  • 8:58 - 9:03
    पर मै जिस पर जोर देना चाह्ता हूँ वह ये
    है कि मनुष्य की दूसरे भडी समर्थन मे भी
  • 9:03 - 9:09
    ये ही काम करता है
  • 9:09 - 9:12
    ना कि सिर्फ आध्यात्मिक क्षेत्र|
  • 9:12 - 9:14
    उदाहरणार्थ, न्याय व्यवस्था मेँ देखिए,
  • 9:15 - 9:21
    ज्यादातर न्याय व्यवस्थाएँ आज दुनिया मेँ
    मानव हक मेँ यकीन रखने पर आधारित हैँ|
  • 9:21 - 9:23
    लेकिन मानव हक क्या हैँ?
  • 9:24 - 9:28
    मानव हक, सिर्फ एक कहानी है, जो हमने
    कल्पना की जैसे कि भगवान और स्वर्ग को.
  • 9:28 - 9:31
    वह तो वस्तुगत सच्चाई नहीँ हैँ|
  • 9:31 - 9:34
    ये कुछ होमो सेपियन्स के
    बारे मेँ जैविक प्रभाव नहीँ हैँ|
  • 9:35 - 9:39
    एक मनुष्य को काटो,
    खोलो, अंदर देखो,
  • 9:39 - 9:44
    तुमको दिल, किड्नी, न्यूराँन्स,
    हारमोन, डी एन ए,
  • 9:44 - 9:46
    लेकिन तुम्हेँ कोई हक नहीँ दिखेगा|
  • 9:46 - 9:50
    ये हक कहानियोँ मेँ ही
    खोज कर सकते है
  • 9:50 - 9:54
    जो हमलोगोँ ने, अविष्कार किया और
    पिछले कुछ शताब्दोँ मेँ विस्तार किया|
  • 9:55 - 10:00
    ओ बहुत सकारात्मक कहानियाँ,
    बहुत अच्छे कहानियाँ,
  • 10:00 - 10:03
    पर ओ भी कल्पनात्मक रचनाएँ
    जो हमने आविष्कार किया है|
  • 10:04 - 10:06
    ये बात राजकीय क्षेत्र मेँ
    भी लागू होती है,
  • 10:07 - 10:13
    आधुनिक राजकीय मेँ राष्ट्र और देश
    दो बहुत ही खास कारक है|
  • 10:13 - 10:15
    पर राष्ट्र और देश क्या हैँ?
  • 10:16 - 10:18
    ओ वस्तुगत सच्चाई नहीँ है|
  • 10:18 - 10:20
    ये पर्वत वस्तुगत सच्चाई है|
  • 10:20 - 10:24
    आप उसको देख सकते, आप उसको छू सकते,
    आप उसको कभी सूँघ सकते|
  • 10:24 - 10:26
    लेकिन एक देश या एक राष्ट्र
  • 10:26 - 10:30
    जैसे इज्राइल,या इरान,या फ्रांस
    या जर्मनी,
  • 10:30 - 10:33
    ये एक कहानी है जो हम ने आविश्कार किया
  • 10:33 - 10:35
    और उसके साथ हम अत्यंत जुड गए
  • 10:35 - 10:37
    आर्थिक क्षेत्र मे भी
    समान सूत्र चलता है|
  • 10:38 - 10:42
    विश्व अर्थव्यवस्था मे
    महत्व पूर्ण आज हैँ
  • 10:42 - 10:44
    कंपनियों और निगमों
  • 10:44 - 10:48
    आज तुम मे से ज्यादा लोग शायद
    कोई निगमोँ के लिये काम करते होंगे
  • 10:48 - 10:51
    जैसे गूगल,या टोयोटा या मैक डोनाल्ड्स
  • 10:52 - 10:53
    असल मे ये सब चीज क्या हैँ?
  • 10:54 - 10:58
    ओ जिन्हे वकील न्याय कल्पना बुलाते हैँ|
  • 10:58 - 11:02
    ओ कथायेँ शक्तिशाली मेधावी
    जिसको हम वकील कहते हैँ
  • 11:02 - 11:05
    से आविष्कार किया गया और बनाए रखा|
  • 11:05 - 11:07
    (हँसी)
  • 11:07 - 11:10
    और निगम क्या करते है ?
  • 11:10 - 11:13
    ज्यादातर ओ पैसे बनाने की सोचते हैँ|
  • 11:13 - 11:15
    मगर येपैसे क्या है ?
  • 11:15 - 11:20
    फिर से,पैसे एक वस्तुगत सच्चाई नही है
    ,उस्को कोई वस्तुगत मूल्य नही है
  • 11:20 - 11:23
    एक हरा कागज का तुकडा ,डॉलर बिल लेलो
  • 11:23 - 11:26
    उस्की तरफ देखो,उसका कोई मूल्य नही है
  • 11:26 - 11:28
    तुम उसको नही खा सकते
    तुम उसको नही पी सकते,
  • 11:28 - 11:29
    तुम उसको नही
    पहन सकते
  • 11:30 - 11:34
    पर तब आये उसके साथ
    ये उस्ताद कहानीकारों
  • 11:34 - 11:35
    बड़े बैंकरों,
  • 11:35 - 11:37
    वित्त मंत्रियों,
  • 11:37 - 11:38
    प्रधान मंत्रियों --
  • 11:38 - 11:41
    और ओ बहुत ही कायल कहानियाँ बता ते हैँ
  • 11:41 - 11:43
    "देखो तुम ये कागज़ का टुकडा
    देखते हो?
  • 11:43 - 11:45
    ये असल मे 10 केले के लायक है"
  • 11:46 - 11:48
    और अगर मै उसको मानता हूँ,
    तुम मानते हो,
  • 11:48 - 11:49
    और सबलोग
    इसको मानते हैँ
  • 11:49 - 11:51
    ये सचमुच काम करेगा
  • 11:51 - 11:54
    मै इस कागज के बेकार टुकड़ा ले सकता हूँ
  • 11:54 - 11:56
    सूपर मार्केट जा सकता हूँ,
  • 11:56 - 12:00
    एक पूरा अजनबी ,जिसे मै इस के पहले
    कभी मिला नही को दे सकता हू
  • 12:00 - 12:04
    और उसके बदले मे मिलेगा असली केले
    जिसको मै खा सकता हूँ|
  • 12:05 - 12:07
    ये कुछ अद्भुत है|
  • 12:07 - 12:09
    तुम चिन्म्पांजीस के साथ
    ये कभी नही कर सकते
  • 12:09 - 12:11
    चिन्म्पांजीस बेशक लेनदेन करते हैँ
  • 12:11 - 12:13
    "हाँ,तुम मुझे एक नारियल देदो
    ,मै तुम्हे एक केला दूंगा"
  • 12:13 - 12:15
    ओ काम कर सकता है
  • 12:15 - 12:18
    पर तुम मुझे एक् कागज के बेकार टुकड़ा दो
  • 12:18 - 12:20
    और तुम मुझे एक केला देने
    की आशा करते हो
  • 12:20 - 12:21
    बिलकुल नहीं!
  • 12:21 - 12:23
    तुम क्या सोचते हो
    मै एक मानव हूँ?
  • 12:23 - 12:25
    (हँसी)
  • 12:25 - 12:29
    पैसे असल में अत्यन्त सफल कहानी है
  • 12:29 - 12:32
    जो कभी मनुष्य द्वारा आविष्कार और कहा गया
  • 12:32 - 12:36
    क्योंकी ये ही एक कहानी है जिसमे
    हर कोई विश्वास रखता है|
  • 12:37 - 12:39
    हर कोई भगवान मे विश्वास नही रखता,
  • 12:40 - 12:43
    हर कोई मानव अधिकार मे
    विश्वास नही रखता
  • 12:43 - 12:45
    हर कोई राष्ट्रवाद मे विश्वास नही रखता
  • 12:45 - 12:49
    पर सबलोग पैसोँ मे,
    डालर बिल् मे विश्वास रखते हैँ|
  • 12:50 - 12:51
    ओसामा बिन लदेन को भी लीजिए,
  • 12:52 - 12:55
    वे अमेरिकी राजनीति, अमेरिकी धर्म
    और अमेरिकी संस्कृति
  • 12:55 - 12:57
    से नफ़रत करते थे,
  • 12:57 - 13:00
    पर उनको अमेरिकी डाँलर से
    कोई एतराज नहीँ था|
  • 13:00 - 13:02
    वे उसे सही मे बहुत पसंद कर्ते थे|
  • 13:02 - 13:04
    (हँसी)
  • 13:04 - 13:06
    अब बात समाप्त करने के लिए;
  • 13:06 - 13:12
    हम मनुष्य दुनिया को काबू पाने के लिए
    हम दोहरी वास्तविकता मेँ जीते है|
  • 13:13 - 13:16
    बाकी सब जानवर वस्तुगत
    सच्चाई मेँ जीते है|
  • 13:17 - 13:22
    उनकी सच्चाई मेँ
    वस्तुगत संस्थाओं,
  • 13:22 - 13:26
    जैसे कि नदियाँ और वृक्षों
    और शेर और हाथियाँ हैँ|
  • 13:26 - 13:30
    हम मनुष्य, हम भी वस्तुगत
    सच्चाई मेँ जीते हैँ|
  • 13:30 - 13:35
    हमारी दुनिया मेँ भी नदियाँ और वृक्षों
    और शेर और हाथियाँ हैँ|
  • 13:35 - 13:37
    पर शताब्दों बीतने पर,
  • 13:37 - 13:42
    इस वस्तुगत सच्चाई के ऊपर कल्पनिक
    जगत की दूसरी परत
  • 13:42 - 13:46
    निर्मण कर ली हैँ जो कि
  • 13:46 - 13:49
    कल्पनिक संस्थाओं,
  • 13:49 - 13:54
    जैसे कि दीशों, जैसे भगवान,
    जैसे पैसे, जैसे निगमों|
  • 13:54 - 13:59
    और अद्भुत बात ये है कि
    जैसे चरित्र सामने आया,
  • 13:59 - 14:05
    इस कल्प्निक सच्चाई और
    भी शक्तिशाली बनगयी
  • 14:05 - 14:09
    इसलिए आज इस दुनिया में सबसे
    ज्यादा शक्तिशाली बल
  • 14:09 - 14:11
    ये कल्पनिक वस्तु हैँ|
  • 14:12 - 14:19
    आज नदियाँ और वृक्षों और शेर और हाथियाँ
    जीवित रहना काल्पनिक संस्थाओं
  • 14:19 - 14:24
    की निर्ण्यों और इच्छाओं पर निर्भर हैं,
  • 14:24 - 14:28
    जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका,
    जैसे गूगल, जैसे वर्ल्ड बैंक --
  • 14:28 - 14:32
    जो संस्थाओं स्वयं की
    कल्पना में ही मौजूद हैं|
  • 14:33 - 14:34
    धन्यवाद|
  • 14:34 - 14:39
    (तालियाँ)
  • 14:44 - 14:47
    ब्रूनो गियुस्सानि: युवल, आपकी
    नई किताब बाहर आई|
  • 14:47 - 14:48
    सपियन्स के बाद, आपने
    एक और किताब लिखा,
  • 14:48 - 14:51
    और वो हेब्रू में प्रकाशन हुई
    पर अभीतक अनुवादित नहीं हुई
  • 14:51 - 14:54
    युवल नो हरारी: मैं अनुवाद कर
    रहा हूँ जैसे हम बात कर रहे हैं|
  • 14:54 - 14:56
    बी जी: उस किताब मे,अगर मैँ सही समझा
  • 14:56 - 15:02
    आप तर्क कर रहे थे कि अद्भुत सफलताओं
    हम अनुभव कर रहे हैँ
  • 15:02 - 15:04
    और संभावित हमारे जिंदगियोँ
    को और बेह्तर बनाने के साथ साथ
  • 15:04 - 15:06
    उत्पन्न कर सकते हैँ
    और मैं आप को दुहराता हूँ
  • 15:06 - 15:11
    "नया वर्ग और नया वर्ग संघर्ष
    ,जैसे औद्योगिक क्रांति ने किया"
  • 15:11 - 15:12
    आप इसका विवरण
    दे सकते?
  • 15:13 - 15:15
    Y.N.H: हाँ औद्योगिक क्रांति में
  • 15:15 - 15:20
    हम ने एक नई शहरी सर्वहारा का खोज देखा|
  • 15:20 - 15:25
    और ज्यादतर रजकीय और पिछ्ले
    दो सौ साल की सामाजिक चरित्र में
  • 15:25 - 15:28
    इस वर्ग के साथ क्या करना है और
    नये सवाल और सुनहरे अवसर|
  • 15:28 - 15:33
    अब हम एक नये विशाल वर्ग के
    बेकार लोगों को देख सकते है|
  • 15:33 - 15:34
    (हँसी)
  • 15:34 - 15:39
    जैसे कंप्यूटर्स कई क्षेत्रों मे ज्यादा
    बेहतर और ज्यादा बेहतर होते है,
  • 15:39 - 15:44
    कंप्यूटर मनुष्य को मात करके उसको
    ज्यादातर कार्यों मे
  • 15:44 - 15:48
    अनावश्यक बनाने की संभावना है|
  • 15:48 - 15:51
    और इक्कीस्वीं शताब्द की
    बडा रजनीतिक और आर्थिक
  • 15:51 - 15:53
    प्रश्न ये है कि,
  • 15:53 - 15:55
    "हमें इंसानों की जरूरत क्या हैं?",
  • 15:55 - 15:59
    या तो कम से कम " हमें इतने सारे
    मनुष्यों की जरूरतें क्या हैं?"
  • 15:59 - 16:01
    BG: आपके पुस्तक में इसका जवाब है?
  • 16:01 - 16:05
    YNH: अभी, ड्र्ग्स और कंप्यूटर खेलों के
    माद्यम से उनको खुशी रखना ही
  • 16:05 - 16:07
    सबसे अच्छा अनुमान है...
  • 16:07 - 16:08
    (हँसी)
  • 16:08 - 16:11
    लेकिन ये आकर्षक भविष्य
    जैसा नहीं दिखता है|
  • 16:11 - 16:14
    BG: ठीक है, महत्वपूर्ण आर्थिक
    असमानता प्रक्रिया की बढ़ती
  • 16:14 - 16:17
    सबूत के बारे मे मूल रूप से
  • 16:17 - 16:21
    आपने पुस्तक मे और अभी जो
    चर्चा की वो
  • 16:21 - 16:22
    एक शुरुआत ही है|
  • 16:22 - 16:24
    YNH: फिर, ये भविष्यवाणी नहीं है;
  • 16:24 - 16:28
    अपने आगे सभी प्रकार की
    संभावनाओं को देखना है|
  • 16:28 - 16:33
    बेकार लोगों का नए वर्ग
    का सृजन भी एक संभावना है|
  • 16:33 - 16:36
    मानव जाति को जैविक जातियों
    विभाजन, जैसे कि धनिक
  • 16:36 - 16:39
    को उन्नत बनाकर आभासी देवताओं
    के रूप मे और गरीबों को
  • 16:39 - 16:43
    अधोगति कड़ाके बेकार लोगों जैसा
  • 16:43 - 16:48
    दिखाने की भी दूसरी
    संभावना है|
  • 16:48 - 16:51
    BG: मुझे लगता है कि और एक टेड टाक
    अगले एक दो सालों मे हो सकत है|
  • 16:51 - 16:52
    धन्यवाद युवल, यात्रा करने के लिए|
  • 16:52 - 16:54
    वै एन हेच: धन्यवाद!
  • 16:54 - 16:55
    (तालियाँ)
Title:
मानववृद्धि का कारण क्या हैं?
Speaker:
युवल नोआह हरारी
Description:

सत्तर हजार साल पहले, हमारे पूर्वज नगणनीय जानवर, जो आफ्रिका के कोने में, दूसरे जानवर के साथ रहनेवाले नगणनीय वानर थे| लेकिन आज, बहुत लोग मुझसे असम्मती नहीं होगे, ये कहने से कि मनुष्य ने प्रुथ्वी पर काबू पा लिया; हमारी विस्तार सभी महाद्वीपों में हुई, और हमारे कार्यों दूसरे जानवरों के भाग्य निर्धारित करते (और संभवता पृथ्वी का भी)| हम वहाँ से यहाँ कैसे पहुंच गये? इतिहासकार नो हरारी, मानवीय उन्नति के लिए, आश्चर्य जनक कारण का विवरण दिया|

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
17:08

Hindi subtitles

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