1 00:00:01,309 --> 00:00:06,374 सत्तर हजार साल पहले हमारे पूर्वज नगणनीय जानवर थे| 2 00:00:06,398 --> 00:00:10,497 एक महत्वपूर्ण बात हमारी पूर्वजोँ के बारे मे 3 00:00:10,521 --> 00:00:12,473 है की वो लोग महत्वहीन थे| 4 00:00:12,497 --> 00:00:17,631 उन लोगों की दुनिया के ऊपर मुद्रा जेल्ली मछली 5 00:00:17,655 --> 00:00:20,016 या आग मक्खियो या वुड पेकर से ज्यादा नहीं था| 6 00:00:20,643 --> 00:00:24,226 आज इसके व्यतिरेक हम इस ग्रह पर काबू पालिये| 7 00:00:24,853 --> 00:00:26,195 और प्रश्न ये है कि: 8 00:00:26,219 --> 00:00:29,341 हम वहाँ से यहाँ कैसे पहुंच गये? 9 00:00:29,666 --> 00:00:33,318 हम अपने आप को कैसे मोड लिये ताकी हम आफ्रिका के कोने में 10 00:00:33,342 --> 00:00:36,489 अपने काम देखने वाले नगणनीय वानर से 11 00:00:36,513 --> 00:00:39,003 इस दुनिया के शासक कैसे बनगये? 12 00:00:39,876 --> 00:00:45,566 आम तौर पर, हम व्यक्तिगतस्तर पर दूसरे जानवर और हमलोगोँ 13 00:00:45,590 --> 00:00:47,071 मे फर्क देखते है| 14 00:00:47,412 --> 00:00:50,406 हमलोग ये मानना चाह्ते है -- मैँ ये मानना चाह्ता हूँ -- 15 00:00:50,430 --> 00:00:53,978 कि मुझ मेँ कुछ खास बात है, 16 00:00:54,002 --> 00:00:57,128 मेरे शरीर मे, मेरे दिमाग मे, 17 00:00:57,152 --> 00:01:02,435 जो मुझे एक कुत्ता, एक सुवर, या एक चिँपाँजी से कई ज्यादा बेहतर बनाता है| 18 00:01:03,221 --> 00:01:06,482 लेकिन सच तो ये है कि व्यक्तिगत स्तर पर 19 00:01:06,506 --> 00:01:09,537 मैँ शर्मानक, चिँपाँजी समान रूप मे हूँ| 20 00:01:10,029 --> 00:01:15,264 और अगर तुम मुझे और एक चिँपाँजी को एक सुनसान द्वीप मे रखोँगे| 21 00:01:15,288 --> 00:01:19,536 और अगर हम को जीने के लिए सँघर्ष करना पडा, और कौन बेहतर बचता 22 00:01:19,560 --> 00:01:24,776 मै अपना शर्त निश्चित रूप से चिँपाँजी के ऊपर, रखूँगा परन्तु मेरे ऊपर नहीँ| 23 00:01:25,419 --> 00:01:28,445 और मुझमें व्यक्तिगत रूप से कोई कमी नहीँ है| 24 00:01:28,469 --> 00:01:32,595 मुझे लगता है, अगर वेआप में से किसी एक को लेते और तुमको अकेले 25 00:01:32,619 --> 00:01:34,584 चिँपाँजी के साथ कोई द्वीप मे रखते तो 26 00:01:34,608 --> 00:01:37,075 चिँपाँजी आप से बेहतर काम करेगा| 27 00:01:38,823 --> 00:01:43,008 असली फर्क मनुष्य और बाकी सारी जानवर के बीच 28 00:01:43,032 --> 00:01:45,479 अंतर व्यक्तिगत स्तर पर नहीँ है; 29 00:01:45,503 --> 00:01:47,105 बल्कि सामजिक स्तर पर है| 30 00:01:47,518 --> 00:01:52,324 मनुष्य धर्ती को काबू मे रख सकते है क्योँ कि वे सिर्फ ऐसी जानवर है 31 00:01:52,348 --> 00:01:57,525 जो ज्यादा सँख्या मे सहयोग और लचील ढँग से मदद कर सकते हैँ| 32 00:01:58,167 --> 00:01:59,935 अब, दूसरे जानवर है - 33 00:01:59,959 --> 00:02:03,130 जैसे कि समाजिक कीडे, मखियाँ, चीटियाँ -- 34 00:02:03,154 --> 00:02:07,726 जो ज्यादा सँख्या मे साथ देते हैं, पर इतना लचीले ढँग से नहीँ करते| 35 00:02:08,099 --> 00:02:10,536 उनका साथ देना कठिन हैं| 36 00:02:11,012 --> 00:02:15,191 मूल्र रूप से एक ही रास्ता है जिस तरीके से मधु मक्खी काम कर सकती हैँ| 37 00:02:15,215 --> 00:02:19,026 और अगर वहाँ कोई नया अवसर या नया खतरा हो, 38 00:02:19,050 --> 00:02:23,593 मधु मक्खी समजिक व्यवस्था का पुन: कल्पना रातोँ रात नहीँ कर सकते| 39 00:02:23,617 --> 00:02:26,497 उदाहरणार्थ, वो अपने राणी को फासि नहीं देसक्ते 40 00:02:26,521 --> 00:02:28,427 और एक राज्य का स्थापना नहीं कर सकते 41 00:02:28,451 --> 00:02:31,553 या श्रामिक मक्कियो का तांशाही साम्यवादी नहीं बना सकते 42 00:02:32,442 --> 00:02:34,785 दूसरे जानवर जैसे सामाजिक स्थनधारियों 43 00:02:34,809 --> 00:02:38,683 भेदियों, हाथियों, दाल्फिंस, चिपांजीस -- 44 00:02:38,707 --> 00:02:41,453 वो ज्यादा लचीले ढंग से समर्थन देते हैं| 45 00:02:41,477 --> 00:02:44,818 लेकिन वो ऐसे बहुत कम संख्या मे करते है, 46 00:02:44,842 --> 00:02:47,715 क्योंकि चिन्म्पांजियोँ में साथ देना 47 00:02:47,739 --> 00:02:51,787 उन दोनो को एक दूसरोँ को समझने पर है| 48 00:02:51,811 --> 00:02:54,579 मै एक चिन्म्पांजी हूँ और तुम एक चिन्म्पांजी हो, 49 00:02:54,603 --> 00:02:56,406 और मै तुम्हारे साथ मिलकर काम करना चाहता हूँ| 50 00:02:56,430 --> 00:02:59,025 मुझे तुम्हे व्यक्तिगत रूप से जानना जरूरी है| 51 00:02:59,049 --> 00:03:00,819 किस तरह के चिम्पांजी हो तुम? 52 00:03:00,843 --> 00:03:02,256 तुम एक अच्छा चिम्पांजी हो? 53 00:03:02,280 --> 00:03:03,933 क्या तुम एक दुष्ट चिम्पांजी हो? 54 00:03:03,957 --> 00:03:05,401 क्या तुम भरोसा के लायक हो? 55 00:03:05,425 --> 00:03:08,478 अगर मै तुम्हे नही जानता मै तुम्हारे साथ कैसे दे सकता हूँ ? 56 00:03:09,676 --> 00:03:13,427 ऐसे एक हीं जानवर है जो इन दोनो क्षमतावो को मिला सकता है 57 00:03:13,451 --> 00:03:18,747 और लचीले ढंग से भी और ज्यादा संख्या मे भी साथ दे सकते है 58 00:03:18,771 --> 00:03:20,401 वो है हम मानव जाती| 59 00:03:20,973 --> 00:03:25,104 एक का एक ,या दस का दस, 60 00:03:25,128 --> 00:03:27,697 चिंपांजी हम से बेहतर हो सकते है| 61 00:03:28,112 --> 00:03:33,291 पर ,अगर तुम १००० लोग को १००० चिंपांजियों के सामने रखोगे तो, 62 00:03:33,315 --> 00:03:36,933 मानव आसानी से जीत जायेंगे, इसका कारण सरल है 63 00:03:36,957 --> 00:03:40,690 कि १००० चिंपांजियों एक दूसरे के साथ नहीं दे सकते| 64 00:03:41,337 --> 00:03:45,388 और अगर तुम १००,००० चिंपांजियों को एक साथ 65 00:03:45,412 --> 00:03:49,028 ऑक्सफ़ोर्ड स्ट्र्रीट या वेम्ब्ले स्टेडियम 66 00:03:49,052 --> 00:03:51,584 या टियनानमें स्क्वेअर या व्हेटिकन मे ठूसना 67 00:03:51,608 --> 00:03:54,225 तुम को पूरा अस्थ्व्यस्थता मिलेगि 68 00:03:54,249 --> 00:03:58,108 कल्पना करो १,००,००० चिंपांजियों से भरा वेम्ब्ले स्टेडियम को 69 00:03:58,616 --> 00:03:59,806 पूरा पागलपन मिलेगा 70 00:04:00,219 --> 00:04:06,161 इसके उलते मे लोग वहाँ हजारोँ मे इकट्टा होते हैँ, 71 00:04:06,185 --> 00:04:09,249 और हमे आम तौर पर अस्वस्थता नहीँ मिलेगी| 72 00:04:09,273 --> 00:04:15,360 हमे अत्यन्त सुविग्न और प्रभावी सहयोगी को नेटवर्क मिलेगा| 73 00:04:16,554 --> 00:04:21,144 मनुष्य चरित्रमे सभी बडे उपलब्धियँ 74 00:04:21,168 --> 00:04:24,451 यदी पिरमिड की निर्माण हो या चांद की यात्रा हो 75 00:04:24,475 --> 00:04:27,050 व्यक्तिगत सामर्थ्य पर आधार नहीँ हैं, 76 00:04:27,074 --> 00:04:30,899 पर एक दूसरे की लचीले ढंग से मदद कर ने की ऊपर आधारित है| 77 00:04:31,465 --> 00:04:35,122 अब मै जो सम्भाषण दे रहा हूँ उसके बारे मे सोचिये: 78 00:04:35,146 --> 00:04:41,130 मै यहाँ लगबग ३०० या ४०० श्रोताओँ के सामने खडा हूँ, 79 00:04:41,154 --> 00:04:44,278 तुम मे से ज्यादा लोग मेरे लिये बिलकुल अजनबी हो| 80 00:04:44,928 --> 00:04:49,912 ऐसे ही मै उन लोगोँ को नहीँ जानता जो इसका इंतेजाम् किया 81 00:04:49,936 --> 00:04:51,563 और इस कार्यक्रम के ऊपर काम किया| 82 00:04:51,994 --> 00:04:55,787 मै पैलट और हवाइ जहाज की सभ्ययोँ को नहीं जानता 83 00:04:55,811 --> 00:04:58,722 जो मुझे यहाँ लेके आये और कल लँडन को लेके गये| 84 00:04:59,286 --> 00:05:03,009 मै उन लोगोँ को नहीं जानता जो इस मैक्रोफोन और केमेरा का आविष्कार किये, 85 00:05:03,033 --> 00:05:07,543 और् बना दिये जो इस वक्त मेरे बातोँ को रिकॉर्ड कर रहे है| 86 00:05:08,123 --> 00:05:11,660 मै उन लोगोँ को नहीँ जानता जो सब किताबेँ और लेख लिखे 87 00:05:11,684 --> 00:05:14,077 जो मै इस सँ भाषण के लिये तैयार होते हुये पढा था| 88 00:05:14,495 --> 00:05:17,305 और मै उन सभी लोगोँ को बिलकुल भी नहीँ जानता 89 00:05:17,329 --> 00:05:20,548 जो नयी दिल्ली या ब्युनोस ऐरस् से 90 00:05:20,572 --> 00:05:23,599 इन्टरनेट पर ये संभाषण देख रहें होंगे| 91 00:05:24,162 --> 00:05:27,671 फिर भी हम एक दूसरे को ना जानते हुये भी 92 00:05:27,695 --> 00:05:33,548 हम इस विचारों का अदला बदली वैश्विक स्तर पे कर सकते है| 93 00:05:34,081 --> 00:05:37,132 ये सब कुच चिंपांजियों नहीँ कर सकते| 94 00:05:37,156 --> 00:05:38,970 वो बेशक संसूचित करते हैँ, 95 00:05:38,994 --> 00:05:44,793 पर तुम एक चिंपांजी को कोई दूर की बैंड के लिये हाथियोँ या कोई और चीज 96 00:05:44,817 --> 00:05:48,937 जो चिंपांजियों को दिलचस्प लगे, 97 00:05:48,961 --> 00:05:51,969 उसके बारे मे भाषण देने के लिये जाते हुये नहीँ देख सकते. 98 00:05:53,389 --> 00:05:56,879 अब साथ देना हमेशा अच्छी बात नहीं होती; 99 00:05:56,903 --> 00:06:00,928 सभी दारूण चीज पूरी चरित्र मे मनुष्य जो कर रहे है -- 100 00:06:00,952 --> 00:06:03,691 और हम जो बहुत हीं गलत चीज जो हम कर रहे हैँ -- 101 00:06:03,715 --> 00:06:08,864 वो सभी चीज भी बड़े पैमाने पर सहयोग पर आधारित है| 102 00:06:08,888 --> 00:06:11,484 जैल एक तरफ के सहयोग है; 103 00:06:11,508 --> 00:06:14,498 बूचड़खाने भी एक सहयोग की प्रणाली है; 104 00:06:14,522 --> 00:06:17,526 कारा शिविर एक सहयोग की प्रणाली है| 105 00:06:17,907 --> 00:06:23,087 चिंपांजियों के पास बूचड़खाने, जैल और ,कारा शिविर नहीँ होते| 106 00:06:24,183 --> 00:06:28,013 अब अगर मैने शायद आपको यकीन दिलाया कि हाँ,हम इस दुनिया को काबू मे कर सकते 107 00:06:28,037 --> 00:06:33,095 क्योँकि हम एक दूसरे का समर्थन लचीले ढंग से बडी सँख्या मे करते हैँ| 108 00:06:33,516 --> 00:06:36,464 अगला प्रश्न जो तुरंत उठता है 109 00:06:36,488 --> 00:06:39,371 एक कुतूहली श्रोता के मन मे कि 110 00:06:39,395 --> 00:06:41,679 हम ये कैसे करते हैँ? 111 00:06:42,083 --> 00:06:47,865 पूरी जानवरोँ मे क्या है जो सिर्फ हमे योग्य बनाता है कि हम एक दूसरे की समर्थन कर सकते? 112 00:06:49,714 --> 00:06:52,260 इसकी उत्तर है हमारी कल्पना शक्ती| 113 00:06:52,998 --> 00:06:58,430 हम अनगिनत सँख्या मे अजनबियोँ की मदद कर सकते हैँ, 114 00:06:58,454 --> 00:07:02,150 क्योँकि इस ग्रह के सारी जानवरोँ मे सिर्फ हम हैँ, 115 00:07:02,174 --> 00:07:06,797 कुछ बना सकते हैँ, कल्पनावोँ, और कल्पनात्मक रचनावोँ को मानते हैँ| 116 00:07:07,326 --> 00:07:11,914 और जब तक सभी लोग उस कल्पना को मानते हैँ, 117 00:07:11,938 --> 00:07:15,480 सब लोग एक ही नियम,एक ही मानद्न्डोँ, और एक ही मूल्योँ 118 00:07:15,504 --> 00:07:17,793 का अनुसरण करते है| 119 00:07:18,639 --> 00:07:22,538 बाकी सब जानवर सिर्फ वास्तविकता का वर्णन करने के लिये अपनी संचार व्यवस्था 120 00:07:22,562 --> 00:07:25,058 इस्तेमाल करते हैँ| 121 00:07:25,590 --> 00:07:29,807 एक चिंपांजी कह सकता है "देखो! वहाँ एक शेर है ,चलो हम भागते हैँ!" 122 00:07:29,831 --> 00:07:33,937 या,"देखो! वहाँ एक केले की पेढ है ! आओ हम चले और केले लाये" 123 00:07:33,961 --> 00:07:40,238 मनुष्य उसके विपरीत ,अपने भाषा सिर्फ सच का विवरण देने के लिये ही नहीं 124 00:07:40,262 --> 00:07:44,786 बल्कि नया सच ,सच की कल्पना करने के लिये भी इस्तेमाल करते है| 125 00:07:45,278 --> 00:07:49,232 एक मनुष्य ये बोल सकता "देखो, बादल के ऊपर वहाँ एक भगवान है" 126 00:07:49,256 --> 00:07:51,336 और मै ने जो बोला अगर तुम वो नहीं करोगे, 127 00:07:51,360 --> 00:07:54,565 जब तुम मरोगे,भगवान तुम्हे दँड देगा और नरक मे भेजेगा| 128 00:07:54,986 --> 00:07:58,758 और अगर तुम सब मेरे इस कहाँनी, जो मै ने बनाया,पर यकीन करोगे 129 00:07:58,782 --> 00:08:02,597 तब तुम मानदंडों और कानूनों और मूल्यों का पालन करोगे, 130 00:08:02,621 --> 00:08:03,913 और तुम अपना सहयोग दे सकते| 131 00:08:04,278 --> 00:08:06,628 ये सिर्फ मनुष्य ही कर सकता है| 132 00:08:07,207 --> 00:08:11,048 तुम एक चिंपांजी को कभी तुम्हे एक केला देने के लिए नहीँ मना सकते 133 00:08:11,072 --> 00:08:14,865 ये वादा कर्ते हुए कि "तुम जब मरोगे तो तुम चिँपाँजियोँ का स्वर्ग जाओगे..." 134 00:08:14,889 --> 00:08:15,912 (हँसी) 135 00:08:15,936 --> 00:08:19,198 "... और तुम्हे बहुत सारे केले मिलेँगे तुम्हारी अच्छे कामोँ के लिए| 136 00:08:19,222 --> 00:08:20,644 इसलिए मुझे अब ये केला दे दो|" 137 00:08:20,668 --> 00:08:23,426 कोई चिंपांजी कभी भी ये कहानी पर यकीन नहीँ करेग| 138 00:08:23,776 --> 00:08:26,466 सिर्फ़ मनुष्य ही ऐसे कहानियों पर यकीन करते हैँ| 139 00:08:26,490 --> 00:08:28,573 इसीलिए हम इस दुनिया पर काबू पा लिए 140 00:08:28,597 --> 00:08:33,442 लेकिन चिंपांजी चिडियघरोँ और अनुसंधान प्रयोगशालाओं मेँ ताले के पीछे है| 141 00:08:34,904 --> 00:08:37,844 अब तुम ये मानलोगे कि हाँ, 142 00:08:37,868 --> 00:08:44,008 आध्यात्मिक क्षेत्र मेँ मनुष्य एक ही कल्पना मे यकीन कर एक दूसरे की समर्थन करते हैँ| 143 00:08:44,032 --> 00:08:48,984 लाखोँ मे लोग इकट्टे होते है एक बडा गिरजा या मस्जीद का निर्माण करने के लिए 144 00:08:49,008 --> 00:08:54,750 या जिहाद या धर्मयुद्ध मे लडने के लिए क्योँ कि वे सबलोग एक ही कहानी मे यकीन करते हैँ| 145 00:08:54,774 --> 00:08:57,487 जो भगवान, स्वर्ग और नरक के बारे मे हैँ| 146 00:08:57,979 --> 00:09:03,218 पर मै जिस पर जोर देना चाह्ता हूँ वह ये है कि मनुष्य की दूसरे भडी समर्थन मे भी 147 00:09:03,242 --> 00:09:09,106 ये ही काम करता है 148 00:09:09,130 --> 00:09:11,650 ना कि सिर्फ आध्यात्मिक क्षेत्र| 149 00:09:11,674 --> 00:09:13,952 उदाहरणार्थ, न्याय व्यवस्था मेँ देखिए, 150 00:09:14,531 --> 00:09:20,508 ज्यादातर न्याय व्यवस्थाएँ आज दुनिया मेँ मानव हक मेँ यकीन रखने पर आधारित हैँ| 151 00:09:21,247 --> 00:09:23,024 लेकिन मानव हक क्या हैँ? 152 00:09:23,596 --> 00:09:28,298 मानव हक, सिर्फ एक कहानी है, जो हमने कल्पना की जैसे कि भगवान और स्वर्ग को. 153 00:09:28,322 --> 00:09:30,640 वह तो वस्तुगत सच्चाई नहीँ हैँ| 154 00:09:30,664 --> 00:09:34,330 ये कुछ होमो सेपियन्स के बारे मेँ जैविक प्रभाव नहीँ हैँ| 155 00:09:34,719 --> 00:09:38,518 एक मनुष्य को काटो, खोलो, अंदर देखो, 156 00:09:38,542 --> 00:09:43,669 तुमको दिल, किड्नी, न्यूराँन्स, हारमोन, डी एन ए, 157 00:09:43,693 --> 00:09:45,581 लेकिन तुम्हेँ कोई हक नहीँ दिखेगा| 158 00:09:46,200 --> 00:09:50,121 ये हक कहानियोँ मेँ ही खोज कर सकते है 159 00:09:50,145 --> 00:09:54,278 जो हमलोगोँ ने, अविष्कार किया और पिछले कुछ शताब्दोँ मेँ विस्तार किया| 160 00:09:54,607 --> 00:09:59,537 ओ बहुत सकारात्मक कहानियाँ, बहुत अच्छे कहानियाँ, 161 00:09:59,561 --> 00:10:03,124 पर ओ भी कल्पनात्मक रचनाएँ जो हमने आविष्कार किया है| 162 00:10:03,664 --> 00:10:06,184 ये बात राजकीय क्षेत्र मेँ भी लागू होती है, 163 00:10:06,565 --> 00:10:12,935 आधुनिक राजकीय मेँ राष्ट्र और देश दो बहुत ही खास कारक है| 164 00:10:13,333 --> 00:10:15,133 पर राष्ट्र और देश क्या हैँ? 165 00:10:15,593 --> 00:10:17,718 ओ वस्तुगत सच्चाई नहीँ है| 166 00:10:17,742 --> 00:10:20,455 ये पर्वत वस्तुगत सच्चाई है| 167 00:10:20,479 --> 00:10:23,763 आप उसको देख सकते, आप उसको छू सकते, आप उसको कभी सूँघ सकते| 168 00:10:24,223 --> 00:10:25,995 लेकिन एक देश या एक राष्ट्र 169 00:10:26,019 --> 00:10:29,799 जैसे इज्राइल,या इरान,या फ्रांस या जर्मनी, 170 00:10:29,823 --> 00:10:32,563 ये एक कहानी है जो हम ने आविश्कार किया 171 00:10:32,587 --> 00:10:34,561 और उसके साथ हम अत्यंत जुड गए 172 00:10:34,949 --> 00:10:37,453 आर्थिक क्षेत्र मे भी समान सूत्र चलता है| 173 00:10:37,892 --> 00:10:41,598 विश्व अर्थव्यवस्था मे महत्व पूर्ण आज हैँ 174 00:10:41,622 --> 00:10:43,884 कंपनियों और निगमों 175 00:10:44,407 --> 00:10:48,138 आज तुम मे से ज्यादा लोग शायद कोई निगमोँ के लिये काम करते होंगे 176 00:10:48,162 --> 00:10:51,212 जैसे गूगल,या टोयोटा या मैक डोनाल्ड्स 177 00:10:51,577 --> 00:10:53,395 असल मे ये सब चीज क्या हैँ? 178 00:10:53,982 --> 00:10:57,929 ओ जिन्हे वकील न्याय कल्पना बुलाते हैँ| 179 00:10:58,359 --> 00:11:01,835 ओ कथायेँ शक्तिशाली मेधावी जिसको हम वकील कहते हैँ 180 00:11:01,859 --> 00:11:05,192 से आविष्कार किया गया और बनाए रखा| 181 00:11:05,216 --> 00:11:06,661 (हँसी) 182 00:11:06,685 --> 00:11:10,104 और निगम क्या करते है ? 183 00:11:10,128 --> 00:11:12,981 ज्यादातर ओ पैसे बनाने की सोचते हैँ| 184 00:11:13,411 --> 00:11:14,744 मगर येपैसे क्या है ? 185 00:11:14,768 --> 00:11:19,934 फिर से,पैसे एक वस्तुगत सच्चाई नही है ,उस्को कोई वस्तुगत मूल्य नही है 186 00:11:19,958 --> 00:11:23,275 एक हरा कागज का तुकडा ,डॉलर बिल लेलो 187 00:11:23,299 --> 00:11:25,676 उस्की तरफ देखो,उसका कोई मूल्य नही है 188 00:11:25,700 --> 00:11:27,934 तुम उसको नही खा सकते तुम उसको नही पी सकते, 189 00:11:27,958 --> 00:11:29,250 तुम उसको नही पहन सकते 190 00:11:29,633 --> 00:11:33,674 पर तब आये उसके साथ ये उस्ताद कहानीकारों 191 00:11:33,698 --> 00:11:35,182 बड़े बैंकरों, 192 00:11:35,206 --> 00:11:36,646 वित्त मंत्रियों, 193 00:11:36,670 --> 00:11:38,024 प्रधान मंत्रियों -- 194 00:11:38,048 --> 00:11:40,526 और ओ बहुत ही कायल कहानियाँ बता ते हैँ 195 00:11:40,550 --> 00:11:42,508 "देखो तुम ये कागज़ का टुकडा देखते हो? 196 00:11:42,532 --> 00:11:45,115 ये असल मे 10 केले के लायक है" 197 00:11:45,591 --> 00:11:47,700 और अगर मै उसको मानता हूँ, तुम मानते हो, 198 00:11:47,724 --> 00:11:49,240 और सबलोग इसको मानते हैँ 199 00:11:49,264 --> 00:11:51,128 ये सचमुच काम करेगा 200 00:11:51,152 --> 00:11:54,065 मै इस कागज के बेकार टुकड़ा ले सकता हूँ 201 00:11:54,089 --> 00:11:55,726 सूपर मार्केट जा सकता हूँ, 202 00:11:55,750 --> 00:11:59,757 एक पूरा अजनबी ,जिसे मै इस के पहले कभी मिला नही को दे सकता हू 203 00:11:59,781 --> 00:12:04,466 और उसके बदले मे मिलेगा असली केले जिसको मै खा सकता हूँ| 204 00:12:04,870 --> 00:12:06,591 ये कुछ अद्भुत है| 205 00:12:06,615 --> 00:12:08,693 तुम चिन्म्पांजीस के साथ ये कभी नही कर सकते 206 00:12:08,717 --> 00:12:10,662 चिन्म्पांजीस बेशक लेनदेन करते हैँ 207 00:12:10,686 --> 00:12:13,436 "हाँ,तुम मुझे एक नारियल देदो ,मै तुम्हे एक केला दूंगा" 208 00:12:13,460 --> 00:12:14,698 ओ काम कर सकता है 209 00:12:14,722 --> 00:12:17,714 पर तुम मुझे एक् कागज के बेकार टुकड़ा दो 210 00:12:17,738 --> 00:12:19,752 और तुम मुझे एक केला देने की आशा करते हो 211 00:12:19,776 --> 00:12:20,928 बिलकुल नहीं! 212 00:12:20,952 --> 00:12:22,533 तुम क्या सोचते हो मै एक मानव हूँ? 213 00:12:22,557 --> 00:12:24,930 (हँसी) 214 00:12:24,954 --> 00:12:29,073 पैसे असल में अत्यन्त सफल कहानी है 215 00:12:29,097 --> 00:12:31,753 जो कभी मनुष्य द्वारा आविष्कार और कहा गया 216 00:12:31,777 --> 00:12:36,120 क्योंकी ये ही एक कहानी है जिसमे हर कोई विश्वास रखता है| 217 00:12:36,692 --> 00:12:39,482 हर कोई भगवान मे विश्वास नही रखता, 218 00:12:39,506 --> 00:12:42,531 हर कोई मानव अधिकार मे विश्वास नही रखता 219 00:12:42,555 --> 00:12:45,340 हर कोई राष्ट्रवाद मे विश्वास नही रखता 220 00:12:45,364 --> 00:12:49,107 पर सबलोग पैसोँ मे, डालर बिल् मे विश्वास रखते हैँ| 221 00:12:49,514 --> 00:12:51,495 ओसामा बिन लदेन को भी लीजिए, 222 00:12:51,519 --> 00:12:55,206 वे अमेरिकी राजनीति, अमेरिकी धर्म और अमेरिकी संस्कृति 223 00:12:55,230 --> 00:12:56,679 से नफ़रत करते थे, 224 00:12:56,703 --> 00:12:59,509 पर उनको अमेरिकी डाँलर से कोई एतराज नहीँ था| 225 00:12:59,533 --> 00:13:01,628 वे उसे सही मे बहुत पसंद कर्ते थे| 226 00:13:01,652 --> 00:13:03,555 (हँसी) 227 00:13:04,166 --> 00:13:05,866 अब बात समाप्त करने के लिए; 228 00:13:05,890 --> 00:13:11,658 हम मनुष्य दुनिया को काबू पाने के लिए हम दोहरी वास्तविकता मेँ जीते है| 229 00:13:12,531 --> 00:13:16,444 बाकी सब जानवर वस्तुगत सच्चाई मेँ जीते है| 230 00:13:16,992 --> 00:13:21,544 उनकी सच्चाई मेँ वस्तुगत संस्थाओं, 231 00:13:21,568 --> 00:13:25,511 जैसे कि नदियाँ और वृक्षों और शेर और हाथियाँ हैँ| 232 00:13:26,067 --> 00:13:29,750 हम मनुष्य, हम भी वस्तुगत सच्चाई मेँ जीते हैँ| 233 00:13:29,774 --> 00:13:34,842 हमारी दुनिया मेँ भी नदियाँ और वृक्षों और शेर और हाथियाँ हैँ| 234 00:13:35,421 --> 00:13:37,266 पर शताब्दों बीतने पर, 235 00:13:37,290 --> 00:13:42,017 इस वस्तुगत सच्चाई के ऊपर कल्पनिक जगत की दूसरी परत 236 00:13:42,041 --> 00:13:45,534 निर्मण कर ली हैँ जो कि 237 00:13:45,558 --> 00:13:49,122 कल्पनिक संस्थाओं, 238 00:13:49,146 --> 00:13:53,679 जैसे कि दीशों, जैसे भगवान, जैसे पैसे, जैसे निगमों| 239 00:13:54,481 --> 00:13:59,115 और अद्भुत बात ये है कि जैसे चरित्र सामने आया, 240 00:13:59,139 --> 00:14:04,535 इस कल्प्निक सच्चाई और भी शक्तिशाली बनगयी 241 00:14:04,559 --> 00:14:09,060 इसलिए आज इस दुनिया में सबसे ज्यादा शक्तिशाली बल 242 00:14:09,084 --> 00:14:11,049 ये कल्पनिक वस्तु हैँ| 243 00:14:11,715 --> 00:14:18,509 आज नदियाँ और वृक्षों और शेर और हाथियाँ जीवित रहना काल्पनिक संस्थाओं 244 00:14:18,533 --> 00:14:23,638 की निर्ण्यों और इच्छाओं पर निर्भर हैं, 245 00:14:23,662 --> 00:14:28,199 जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, जैसे गूगल, जैसे वर्ल्ड बैंक -- 246 00:14:28,223 --> 00:14:32,262 जो संस्थाओं स्वयं की कल्पना में ही मौजूद हैं| 247 00:14:32,929 --> 00:14:34,081 धन्यवाद| 248 00:14:34,105 --> 00:14:38,676 (तालियाँ) 249 00:14:44,299 --> 00:14:46,509 ब्रूनो गियुस्सानि: युवल, आपकी नई किताब बाहर आई| 250 00:14:46,533 --> 00:14:48,336 सपियन्स के बाद, आपने एक और किताब लिखा, 251 00:14:48,360 --> 00:14:50,947 और वो हेब्रू में प्रकाशन हुई पर अभीतक अनुवादित नहीं हुई 252 00:14:50,971 --> 00:14:53,900 युवल नो हरारी: मैं अनुवाद कर रहा हूँ जैसे हम बात कर रहे हैं| 253 00:14:53,924 --> 00:14:56,092 बी जी: उस किताब मे,अगर मैँ सही समझा 254 00:14:56,116 --> 00:15:01,579 आप तर्क कर रहे थे कि अद्भुत सफलताओं हम अनुभव कर रहे हैँ 255 00:15:01,579 --> 00:15:04,208 और संभावित हमारे जिंदगियोँ को और बेह्तर बनाने के साथ साथ 256 00:15:04,208 --> 00:15:06,288 उत्पन्न कर सकते हैँ और मैं आप को दुहराता हूँ 257 00:15:06,312 --> 00:15:10,930 "नया वर्ग और नया वर्ग संघर्ष ,जैसे औद्योगिक क्रांति ने किया" 258 00:15:10,954 --> 00:15:12,177 आप इसका विवरण दे सकते? 259 00:15:12,670 --> 00:15:14,594 Y.N.H: हाँ औद्योगिक क्रांति में 260 00:15:14,618 --> 00:15:19,520 हम ने एक नई शहरी सर्वहारा का खोज देखा| 261 00:15:19,544 --> 00:15:24,654 और ज्यादतर रजकीय और पिछ्ले दो सौ साल की सामाजिक चरित्र में 262 00:15:24,678 --> 00:15:28,304 इस वर्ग के साथ क्या करना है और नये सवाल और सुनहरे अवसर| 263 00:15:28,328 --> 00:15:32,960 अब हम एक नये विशाल वर्ग के बेकार लोगों को देख सकते है| 264 00:15:32,984 --> 00:15:33,985 (हँसी) 265 00:15:34,009 --> 00:15:39,370 जैसे कंप्यूटर्स कई क्षेत्रों मे ज्यादा बेहतर और ज्यादा बेहतर होते है, 266 00:15:39,394 --> 00:15:44,286 कंप्यूटर मनुष्य को मात करके उसको ज्यादातर कार्यों मे 267 00:15:44,310 --> 00:15:47,913 अनावश्यक बनाने की संभावना है| 268 00:15:47,937 --> 00:15:50,674 और इक्कीस्वीं शताब्द की बडा रजनीतिक और आर्थिक 269 00:15:50,698 --> 00:15:53,061 प्रश्न ये है कि, 270 00:15:53,085 --> 00:15:55,247 "हमें इंसानों की जरूरत क्या हैं?", 271 00:15:55,271 --> 00:15:58,638 या तो कम से कम " हमें इतने सारे मनुष्यों की जरूरतें क्या हैं?" 272 00:15:58,662 --> 00:16:01,120 BG: आपके पुस्तक में इसका जवाब है? 273 00:16:01,144 --> 00:16:05,164 YNH: अभी, ड्र्ग्स और कंप्यूटर खेलों के माद्यम से उनको खुशी रखना ही 274 00:16:05,188 --> 00:16:06,985 सबसे अच्छा अनुमान है... 275 00:16:07,009 --> 00:16:08,010 (हँसी) 276 00:16:08,034 --> 00:16:11,305 लेकिन ये आकर्षक भविष्य जैसा नहीं दिखता है| 277 00:16:11,329 --> 00:16:14,138 BG: ठीक है, महत्वपूर्ण आर्थिक असमानता प्रक्रिया की बढ़ती 278 00:16:14,162 --> 00:16:16,948 सबूत के बारे मे मूल रूप से 279 00:16:16,972 --> 00:16:20,735 आपने पुस्तक मे और अभी जो चर्चा की वो 280 00:16:20,759 --> 00:16:21,916 एक शुरुआत ही है| 281 00:16:22,225 --> 00:16:23,751 YNH: फिर, ये भविष्यवाणी नहीं है; 282 00:16:23,775 --> 00:16:27,718 अपने आगे सभी प्रकार की संभावनाओं को देखना है| 283 00:16:27,742 --> 00:16:32,724 बेकार लोगों का नए वर्ग का सृजन भी एक संभावना है| 284 00:16:32,748 --> 00:16:35,888 मानव जाति को जैविक जातियों विभाजन, जैसे कि धनिक 285 00:16:35,912 --> 00:16:38,903 को उन्नत बनाकर आभासी देवताओं के रूप मे और गरीबों को 286 00:16:38,927 --> 00:16:43,218 अधोगति कड़ाके बेकार लोगों जैसा 287 00:16:43,242 --> 00:16:47,550 दिखाने की भी दूसरी संभावना है| 288 00:16:47,574 --> 00:16:50,596 BG: मुझे लगता है कि और एक टेड टाक अगले एक दो सालों मे हो सकत है| 289 00:16:50,620 --> 00:16:52,442 धन्यवाद युवल, यात्रा करने के लिए| 290 00:16:52,466 --> 00:16:53,622 वै एन हेच: धन्यवाद! 291 00:16:53,646 --> 00:16:55,311 (तालियाँ)