कॉलेज डिग्री जो आपके पहुँच मे हो
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0:01 - 0:02मैं आप को बताना चाहता हूँ
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0:02 - 0:03उच्च शिक्षा का एक नया मॉडल,
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0:05 - 0:08ऐसा मॉडल जिसे बढावा मिले
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0:08 - 0:11तो वो उन तमाम लोगों की समझ को बढा सकता है
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0:11 - 0:15उन लाखों रचनात्मक और धुनी लोगों की समझ को
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0:17 - 0:18जो इस मॉडल के बिना पीछे छूट जायेंगे।
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0:18 - 0:19एक नज़र दुनिया पर डालिये।
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0:19 - 0:22कोई भी जगह चुन कर उसे ध्यान से देखिये।
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0:22 - 0:27आपको उच्च शिक्षा के लिये बेताब लोग मिलेंगे।
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0:27 - 0:29आइये उन में से कुछ से मुलाकात करें।
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0:29 - 0:30पैट्रिक।
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0:30 - 0:33पैट्रिक का जन्म लाईबेरिया में हुआ
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0:33 - 0:36२० बच्चों के परिवार में।
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0:36 - 0:40गृह युद्ध के दौरान, उन्हें और उनके परिवार को
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0:40 - 0:42भाग कर नाइजीरिया जाना पडा।
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0:42 - 0:45वहाँ, अपने हालातों के बावज़ूद,
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0:45 - 0:49उन्होंने हाई-स्कूल लगभग पूरे अंकों से पास किया।
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0:49 - 0:52वो अपनी शिक्षा जारी रख कर उच्च शिक्षा ग्रहण करना चाहते थे,
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0:52 - 0:54मगर अपने परिवार के चलते,
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0:54 - 0:56जो कि गरीबी में डूबा था,
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0:56 - 0:58उन्हें जल्द ही दक्षिणी अफ़्रीका भेज दिया गया
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0:58 - 1:00कि जाओ, कमाओं, और पैसे भेजो
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1:00 - 1:03जिस से घर परिवार की रोटी चले।
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1:03 - 1:07पैट्रिक ने उच्च शिक्षा के अपने सपने को कभी नहीं छोडा।
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1:07 - 1:09काम के बाद, देर रात
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1:09 - 1:14उन्होंने इंटरनेट पर पढाई करने के तरीकों को ढूँढा।
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1:14 - 1:15डेबी से मिलिये।
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1:15 - 1:17डेबी फ़्लोरिडा की हैं।
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1:17 - 1:20उनके माता-पिता कभी कॉलेज नहीं गये,
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1:20 - 1:23और न ही उन के भाई-बहन।
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1:23 - 1:26डेबी ने सारी ज़िंदगी काम किया,
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1:26 - 1:30टैक्स भरे, और महीने दर महीने अपना खर्च चलाया,
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1:30 - 1:32अपने अमेरिकन ड्रीम के साथ जीते हुए,
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1:32 - 1:35ऐसा सपना जो कभी भी साकार नही होता
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1:35 - 1:37बिना उच्च शिक्षा के।
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1:37 - 1:39मगर डेबी कभी इतनी बचत नहीं कर सकीं
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1:39 - 1:40कि उच्च शिक्षा की कीमत चुका सकें।
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1:40 - 1:43वो फ़ीस देने में सक्षम नहीं थीं।
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1:43 - 1:46न ही वो अपनी महीने दर महीने की कमाई छोड सकती थीं।
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1:46 - 1:48वाएल से मिलिये।
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1:48 - 1:50वायल सीरिया से हैं।
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1:50 - 1:53उन्होंने करीबी से महसूस किया है
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1:53 - 1:56उस बेचारगी, डर और नाकामयाबी को,
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1:56 - 1:59जो उन के देश पर लाद दी गयी।
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1:59 - 2:01वो शिक्षा में गहरा विश्वास रखते हैं।
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2:01 - 2:04उन्हें पता था कि अगर उन्हें मौका मिले
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2:04 - 2:05उच्च शिक्षा ग्रहण करने का,
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2:05 - 2:08जीवन में आगे बढने का,
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2:08 - 2:10तो वो ज्यादा सक्षम होंगे
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2:10 - 2:14इस दुनिया के उतार-चढाव झेलने में।
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2:14 - 2:17उच्च शिक्षा के मौजूदा मॉडल ने
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2:17 - 2:20पैट्रिक, डेबी और वाएल को केवल निराश ही किया
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2:20 - 2:23ठीक वैसे ही जैसे कि
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2:23 - 2:25वो और लाखों होनहार छात्रों को निराश करता है।
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2:25 - 2:28लाखों लोग जो हाई स्कूल पास कर लेते है,
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2:28 - 2:32वो लाखों जिन्हें उच्च शिक्षा पाने का हक़ है,
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2:32 - 2:34वो लाखों जो आगे पढना चाहते हैं
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2:34 - 2:37मगर तमाम कारणों से नहीं कर सकते।
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2:37 - 2:40पहला कारण, पैसे की कमी।
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2:40 - 2:43हम सब जानते हैं कि यूनिवर्सिटी जाना किस कदर महँगा है।
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2:43 - 2:45दुनिया के ज्यादातर भागों में,
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2:45 - 2:48उच्च शिक्षा लगभग नामुमकिन ही है
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2:48 - 2:50एक आम आदमी के लिये।
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2:50 - 2:52ये शायद सबसे बडी समस्या है
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2:52 - 2:55हमारे समाज और दुनिया की।
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2:55 - 2:58उच्च शिक्षा सबका मौलिक अधिकार होने के बजाय
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2:58 - 3:02सिर्फ़ कुछ ही लोगों का विषेशाधिकार या बपौती बन चुकी है।
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3:02 - 3:06दूसरा कारण, सामजिक रूढियाँ
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3:06 - 3:09वो छात्र जो कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने लायक हैं,
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3:09 - 3:13खर्चा उठा सकते हैं, पढना चाहते है, वो भी नहीं कर सकते
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3:13 - 3:16क्योंकि ये उन के समाज की रीति नहीं हैं,
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3:16 - 3:19औरतों के लिये "उचित" नहीं है।
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3:19 - 3:21अनगिनत औरतों की यही कहानी है
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3:21 - 3:23अफ़्रीका में, मिसाल के तौर पर,
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3:23 - 3:25कि उन्हें उच्च शिक्षा से दूर रखा जाता है
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3:25 - 3:28क्योंकि सामाजिक तौर पर इसका रिवाज़ नहीं हैं।
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3:28 - 3:30और तीसरा कारण सुनिये:
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3:30 - 3:34यूनेस्को के अनुसार, सन 2025 में,
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3:34 - 3:37दस करोड छात्र
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3:37 - 3:39उच्च शिक्षा पाने से वंचित रह जायेंगे
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3:39 - 3:43सिर्फ़ इस लिये कि कॉलेजों में इतनी सीटें ही नहीं होंगी कि
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3:43 - 3:46उन सबको मौका दिया जाये।
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3:46 - 3:48वो प्रवेश परीक्षा देंगे,
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3:48 - 3:49वो प्रवेश परीक्षा पास भी कर लेंगे,
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3:49 - 3:52मगर फिर भी उन्हें मौका नहीं मिलेगा
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3:52 - 3:55क्योंकि इतनी जगह ही नहीं होगी।
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3:55 - 3:57यही वो कारण हैं कि
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3:57 - 4:00मैने यूनिवर्सिटी ऑफ़ पीपल की स्थापना की।
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4:00 - 4:03ये एक एनजीओ है - बिना कोई फ़ीस लिये
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4:03 - 4:05बाकायदा डिग्री देने वाली यूनिवर्सिटी,
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4:05 - 4:07जो एक रास्ता देती है
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4:07 - 4:10उन लोगों को जिनके पास कोई रास्ता नहीं बचा है,
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4:10 - 4:14ऐसा रास्ता जो उनकी जेब के हिसाब से है
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4:14 - 4:16और जिसका विस्तार हो सकता है।
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4:16 - 4:19ऐसा हल जो कि हिला देगा
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4:19 - 4:22आज की शिक्षा व्यवस्था को,
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4:22 - 4:24और उच्च शिक्षा के दरवाज़े खोल देगा
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4:24 - 4:26हर सुयोग्य विद्यार्थी के लिये,
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4:26 - 4:31चाहे वो कितना भी कम कमाते हों , या दूर-दराज़ में रहते हों,
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4:31 - 4:33या फ़िर उनके समाज की रूढियाँ उन्हें रोकती हों।
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4:33 - 4:35पैट्रिक, डेबी और वाएल
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4:35 - 4:37ऐसे तीन उदाहरण हैं
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4:37 - 4:39उन 1700 चुने हुये विद्यार्थियों में से,
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4:39 - 4:43जो 143 विभिन्न देशों से आये हैं
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4:43 - 4:48हम --- (तालियाँ) ---धन्यवाद
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4:48 - 4:50हमें शुरुवात से कुछ नया बनाने की ज़रूरत नहीं पडी।
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4:50 - 4:53हमने देखा कि क्या चीज़ें काम नहीं कर रही हैं
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4:53 - 4:56और हम इंटरनेट की खूबियों का इस्तेमाल करके
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4:56 - 4:57कैसे उन्हें ठीक कर सकते हैं।
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4:57 - 5:00हम एक ऐसा मॉडल बनाने निकले
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5:00 - 5:03जो कि पैसे की ज़रूरत को खत्म कर देगा
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5:03 - 5:06उच्च शिक्षा पाने के लिये,
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5:06 - 5:08और वही हमने किया।
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5:08 - 5:11पहली बात ये कि बडी आलीशान बिल्डिंगों में बहुत धन लगता है।
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5:11 - 5:13ऐसे विश्व-विद्यालयों के बडे ऐसे खर्चे होते हैं
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5:13 - 5:16जो इंटरनेट-यूनिवर्सिटी में नहीं होते।
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5:16 - 5:18इसलिये हमें इन खर्चों के इंतज़ाम के लिये
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5:18 - 5:20विद्यार्थियों पर बोझ नहीं डालना पडता है।
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5:20 - 5:21क्योंकि वो खर्चे होते ही नहीं हैं।
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5:21 - 5:24हमें सीमित सीटों की संख्या से नहीं जूझना पडा
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5:24 - 5:27क्योंकि सीटों की कोई सीमा ही नहीं है
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5:27 - 5:29इंटरनेट-यूनिवर्सिटी में।
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5:29 - 5:31और तो और, किसी को भी
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5:31 - 5:33लेक्चर हॉल के पीछे वाली सीट पर नहीं बैठना पडता है,
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5:33 - 5:35पाठ्य-पुस्तकों को खरीदने की भी ज़रूरत
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5:35 - 5:38हमारे छात्रों को नहीं होती।
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5:38 - 5:41मुक्त रूप से उपलब्ध शिक्षा-साधनों के इस्तेमाल से,
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5:41 - 5:43और उन प्रोफ़ेसरों की दरिया-दिली से,
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5:43 - 5:45जो अपने ज्ञान और शिक्षा-सामग्री को
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5:45 - 5:48मुफ़्त में बाँटने को तैयार है,
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5:48 - 5:51हमे अपने विद्यार्थियों को पुस्तकें खरीदने के लिये बाध्य नहीं करना होता।
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5:51 - 5:54हमारी सारी पाठ्य-सामग्री मुफ़्त में मिलती है।
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5:54 - 5:55यहाँ तक कि प्रोफ़ेसर भी,
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5:55 - 5:59जो कि किसी भी यूनिवर्सिटी के खर्चे का सबसे बडा हिस्सा होते है,
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5:59 - 6:01हमारे छात्रो को मुफ़्त पढाने को राज़ी हैं,
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6:01 - 6:03अब तक करीब 3000 प्रोफ़ेसर जुड चुके हैं।
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6:03 - 6:07प्रेसीडेंट, वाइस-चांसलर,
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6:07 - 6:10प्रोफ़ेसर और अकादमिक सलाहकार
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6:10 - 6:13विश्व-स्तर यूनिवर्सिटियों से जैसे एन.वाई.यू (न्यू यार्क वि.वि.)
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6:13 - 6:15येल, बर्कली और ऑक्सफ़ोर्ड
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6:15 - 6:18से आ कर हमारे छात्रो की मदद के लिये तैयार हैं।
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6:18 - 6:22और सबसे बडी बात कि हम एक-दूसरे से सीखने में विश्वास रखते हैं।
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6:22 - 6:26हमे इस दुरुस्त भरपूर शैक्षणिक मॉडल का प्रयोग करते है
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6:26 - 6:28दुनिया भर के छात्रों को बढावा देने के लिये
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6:28 - 6:31कि वो साथ पढे और एक दूसरे से सीखें
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6:31 - 6:34और उस अवधि को कम करें
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6:34 - 6:38जो कि हमारे प्रोफ़ेसरों को गॄह-कार्य जाँचनें में लगानी पडती है।
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6:41 - 6:46जहाँ इंटरनेट ने दुनिया को एक गाँव बना दिया है,
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6:46 - 6:50वहीं ये मॉडल से भविष्य के कर्णधारों का विकास करेगा।
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6:50 - 6:52आइये देखें हम क्या करते हैं।
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6:52 - 6:55हम केवल दो ही डिग्री करवाते हैं:
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6:55 - 6:58बिजेनेस की और कमप्यूट्रर विज्ञान की।
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6:58 - 6:59ये वो दो डिग्रियाँ
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6:59 - 7:02जिनकी दुनिया में सबसे ज्यादा माँग है।
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7:02 - 7:04इन दो डिग्रियाँ को पाने पर
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7:04 - 7:07छात्रो की रोज़गार संभावना अधिकतम हो जाती है
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7:07 - 7:10एड्मिशन के बाद हमारे छात्रो को
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7:10 - 7:14एक छोटे क्लास में डाला जाता है
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7:14 - 7:17करीब 20 से 30 छात्रों का, जिस से कि
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7:17 - 7:21सब पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान दिया जा सके।
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7:21 - 7:25साथ ही, हर नौं हफ़्तों के कोर्स के बाद,
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7:25 - 7:27उन्हें एक नया साथी मिलता है,
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7:27 - 7:29छात्रो का एक बिलकुल नया ग्रुप
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7:29 - 7:30जो सारी दुनिया से आता है।
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7:30 - 7:33हर हफ़्ते, जब वे क्लास जाते हैं,
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7:33 - 7:36उन्हें उस हफ़्ते के लेक्चर की सामग्री मिल जाती है,
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7:36 - 7:38उनके गृह-कार्य और पाठ्य-सामग्री समेत,
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7:38 - 7:40विमर्श हेतु प्रश्न भी,
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7:40 - 7:42जो कि हमारी पढाई का मुख्य भाग होता है।
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7:42 - 7:44हर हफ़्ते, हर छात्र को
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7:44 - 7:47क्लास के इस विचार-विमर्श में भाग लेना ही पडता है,
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7:47 - 7:49और अपनी विचार बताने होते है,
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7:49 - 7:51साथ ही दूसरों के विचारों पर प्रतिक्रिया भी।
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7:51 - 7:55इस तरह, छात्रों की सोच का विस्तार होता है,
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7:55 - 7:57उनके मिजाज़ में सकारत्मकता आती है
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7:57 - 8:00अलग अलग विचारधाराओं के प्रति।
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8:00 - 8:02हफ़्ते के अंत तक,
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8:02 - 8:04छात्रों को एक छोटी परीक्षा देनी होती है,
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8:04 - 8:05अपना गृह-कार्य जमा करना होता है,
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8:05 - 8:07जो कि उनके साथियों द्वारा जाँचा जाता है
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8:07 - 8:10नियुक्त शिक्षकों के मार्ग-दर्शन में,
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8:10 - 8:13उन्हें ग्रेड मिलते है, और अगला हफ़्ता शुरु होता है।
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8:13 - 8:15कोर्स के अंत में वो एक फ़ाइनल परीक्षा देते हैं,
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8:15 - 8:21उन्हें ग्रेड मिलते है, और फिर अगला कोर्स शुरु होता है।
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8:21 - 8:23हमने उच्च शिक्षा के दरवाज़े खोल दिये हैं
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8:23 - 8:27हर विद्यार्थी के लिये जो उस के लायक है।
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8:27 - 8:30हर वो विद्यार्थी जो स्कूल उत्तीर्ण कर चुका है,
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8:30 - 8:33जिसे ज़रूरी अँग्रेज़ी आती है, और जिसके पास इंटरनेट है,
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8:33 - 8:34हमारे साथ पढ सकता है।
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8:34 - 8:37हम ऑडियो इस्तेमाल नहीं करते, वीडियो भी नहीं।
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8:37 - 8:40ब्रॉड-बैड भी ज़रूरी नहीं है।
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8:40 - 8:42दुनिया मे कहीं से भी, कोई भी छात्र
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8:42 - 8:44किसी भी तरह के इंटरनेट कनेक्श्न से
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8:44 - 8:47हमारे साथ पढ सकता है।
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8:47 - 8:49हम फ़ीस नहीं लेते।
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8:49 - 8:51हम अपने छात्रों से बस इतना चाहते हैं
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8:51 - 8:53कि वो परीक्षा का खर्चा वहन करें,
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8:53 - 8:55जो कि प्रति परीक्षा 100 डालर है।
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8:55 - 8:58फ़ुल टाइम बैचलर-डिग्री के छात्र
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8:58 - 9:00को 40 कोर्स लेने होगें,
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9:00 - 9:03और करीब प्रति वर्ष 1000 डॉलर खर्च करने होंगे,
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9:03 - 9:06पूरी डिग्री की कीमत करीब 4000 डॉलर होगी।
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9:06 - 9:09और जो इसका वहन भी नहीं कर सकते,
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9:09 - 9:12उन्हें हम कई प्रकार की छात्र-वृत्ति (स्कालरशिप)भी देते हैं।
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9:12 - 9:15ये हमारा लक्ष्य है कि कोई भी वंचित न रह जाये
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9:15 - 9:17सिर्फ़ पैसे की कमी के कारण।
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9:17 - 9:212016 तक हम करीब 5000 छात्रों तक पहुँच चुके होंगे,
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9:21 - 9:25और ये मॉडल वाणिज्यिक रूप से भी सक्षम(फ़ायनेंशियली कामयाब) हो जायेगा
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9:25 - 9:30पाँच साल पहले, ये सिर्फ़ एक ख्वाब था।
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9:30 - 9:33आज ये एक सच्चाई है।
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9:33 - 9:35पिछले हफ़्ते, हमें अपने काम
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9:35 - 9:38का सबसे बडा इनाम मिला।
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9:38 - 9:42यूनिवर्सिटी ऑफ़ पीपल अब पूरी तरह से मान्यता-प्राप्त है।
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9:42 - 9:43(तालियाँ)
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9:43 - 9:49धन्यवाद
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9:49 - 9:51इस मान्यता-प्राप्ति के साथ ही
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9:51 - 9:54तेज़ी से विस्तार का समय आ गया है।
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9:54 - 9:58हमने ये दिखा दिया है कि ये मॉडल काम करता है।
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9:58 - 10:01मैं आमंत्रण देता हूँ यूनिवर्सिटियों को, और उस से भी ज्यादा,
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10:01 - 10:03विकासशील देशों की सरकारों को,
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10:03 - 10:05कि इस मॉडल को अपने यहाँ अपनायें
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10:05 - 10:08जिस से कि उच्च शिक्षा के द्वार
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10:08 - 10:10सभी के लिये खुलें।
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10:10 - 10:12एक नया ज़माना आ रहा है।
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10:12 - 10:15ऐसा ज़माना जो गवाह होगा
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10:15 - 10:18भारी बदलाव का, उच्च शिक्षा के मॉडल में
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10:18 - 10:19जैसा कि वो आज है।
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10:19 - 10:24केवल कुछ ही लोगों के लिये उपलब्ध अधिकार की जगह
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10:24 - 10:26उस के एक मौलिक अधिकार में बदलने का समय,
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10:26 - 10:30सबके लिये उपलब्ध और सब के बजट में उप्लब्ध होने का।
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10:30 - 10:32धन्यवाद।
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10:32 - 10:35(तालियाँ)
- Title:
- कॉलेज डिग्री जो आपके पहुँच मे हो
- Speaker:
- शाई रेशेफ़
- Description:
-
इंटरनेट आधारित "यूनिवर्सिटी ऑफ़ पीपल" हर उस व्यक्ति को, जो कि स्कूल से उत्तीर्ण हो चुका है, बिज़नेस या कम्प्यूटर साइंस की डिग्री अर्जित करने के लिये क्लासे करने का मौका देती है -- बिना किसी ट्यूशन फ़ीस के, (परीक्षा शुल्क लगता है)। इस के संस्थापक, शाई रेशेफ़, उम्मीद रखते है कि उच्च शिक्षा केवल कुछ लोगों का विशेषाधिकार होने के बजाय सबका मौलिक अधिकार बनेगी - सब को उपलब्ध और सबके बजट के भीतर।
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 10:52
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Omprakash Bisen accepted Hindi subtitles for An ultra-low-cost college degree | ||
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