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हम कैसे फसलों को पानी के बिना जीवित कर सकते हैं

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    ऐसे राजपर मै विश्वास करती हू जो बडे
    सुखेमेभी ज्यादा फसलों का उत्पादन करत है .
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    जो दुनिया में खाद्य सुरक्षा प्रदान करने
    के लिए किसी तरह जाना चाहिए,
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    जिसमे मृतवत वनस्पती को जीवनदान मिले ,
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    एक अत्यंत सूखे राज्य में,
    यहाँ चित्र किया गया|
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    आप सोचते होंगे कि
    ये पौधे मरे हुये दिखते हैँ,
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    लेकिन वे नहीँ हैँ|
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    उनको पानी दीजिये,
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    और वे 12 से 48 घंटोँ मेँ जी उठेंगे,
    हरे हो जायेंगे, बढना शुरू करेंगे|
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    अब, मैँ ने क्योँ
    सुझाव दिया
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    कि सूखा सहिष्णु फसलों के उत्पादन खाद्य
    सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में जायेगा?
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    खैर, अभी दुनिया की
    जनसंख्या लगभग 7 अरब हैँ|
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    और ये अंदाजा लगाया जाता है कि 2050 तक,
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    अफ्रीका में हो रहा इस
    वृद्धि का थोक के साथ,
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    हम 9 और 10 अरब लोगोँ के बीच मेँ होंगे|
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    खाद्य और कृषि
    दुनिया के संगठनों ने
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    सुझाव दिया कि उस
    मांग को पूरा करने के लिये
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    हमेँ वर्तमान क्रुषि
    अभ्यास मेँ 70 प्रतिशत
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    की व्रुद्धी चाहिये|
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    यह देखते हुए पौधों कि खाद्य
    श्रृंखला के आधार पर कर
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    रहे हैं, उसमेँ अधिक पौधोँ से आना चाहिये|
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    उस 70 प्रतिशत
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    जलवायु परिवर्तन के संभावित
    प्रभावको ध्यान में नहीं लेता है।
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    ये सब डाय से किया गया एक अध्ययन
    जो 2011 मेँ प्रकाशित हुआ से लिया गया है,
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    जहाँ उसने ध्यान मेँ लिया
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    जलवायु परिवर्तन के सभी संभावित प्रभाव
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    और अन्य बात के बीच- उन्हें व्यक्त किया -
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    बारिश की कमी या अभाव
    के कारण शुष्कता की व्रुद्धी हुई है|
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    यहाँ जो जगह लाल मेँ दिखाये गये,
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    वो जगह थोडे दिन पहले तक
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    खेती-बाडी केलिये सफलतापूर्वक
    इस्तेमाल किये जारहे थे,
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    लेकिन बारिश की कमी के
    कारण अभी इस्तेमाल नही होते|
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    यह स्थिति 2050 में होने
    की भविष्यवाणी की है|
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    अफ्रीका के ज्यादातर, वास्तव में, दुनिया की
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    अधिक भाग, मुसीबत में होने जा रहा है।
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    हम खाद्य उत्पादन के कुछ बहुत चालाक
    तरीके के बारे में सोचने जा रहे हैं।
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    और बेहतर होगा, उनके बीच
    कुछ सूखा सहिष्णु फसल होंगे|
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    दूसरे बात आफ्रिका के
    बारे मेँ याद रखने की है
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    कि उनकी कृषि के
    अधिक भाग वर्षा आधारित है।
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    अब, सूखा सहिष्णु फसलों को बनाना
    दुनिया में सबसे आसान बात नहीं है।
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    और इसका कारण है पानी|
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    पानी इस ग्रह पर के
    जीवन के लिये बहुत जरूरी है|
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    सब जीवित, सक्रिय रूप
    से चयापचय करीयोवले जीव
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    जीवाणू से लेकर आप और मैँ,
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    मुख्य रूप से पानी से बने हैँ|
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    सभी जीवन प्रतिक्रियाओं पानी में होती हैं।
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    और छोटी सी पानी की कमी भी
    मौत की परिणाम हो सकता है|
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    आप और मैँ 65 प्रतिशत पानी है-- हम उसमेँ
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    एक प्रतिशत खो दिये, हम मर जायेंगे|
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    लेकिन हम उससे बचने के लिये
    व्यवहार मेँ बदलाव ला सकते हैँ|
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    पौधे नही कर सकते|
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    वे जमीन में फंस गये।
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    और इसलिये पहले उदाहरण मेँ
    उनके पास हम से थोडा ज्यादा पानी है,
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    लग भग 95 .प्रतिशत पानी,
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    और वे हम से थोडा ज्यादा खो सकते हैँ,
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    जैसे 10 से लग भग70 प्रतिशत तक
    प्रजातियोँ पर निर्भर करता है,
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    लेकिन सिर्फ कम समय तक|
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    उनमेँ से ज्यादा या तो विरोध या पानी
    के नुकसान से बचने की कोशिश करेंगे।
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    तो प्रतिरोधों के चरम उदाहरण
    सरस में पाया जा सकता है।
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    वे बहुत ही आकर्षक, छोटे हो जाते हैं,
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    लेकिन वे ऐसे महान कीमत पर
    अपने पानी पर पकड़ रखते हैँ
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    कि वे बहुत ही धीरे से बडः जाते हैँ|
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    पानी की कमी से बचाव के उदाहरण
    पेड़ों और झाड़ियों में पाए जाते हैं।
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    बहुत गहरायी तक उनकी जडे जाती है
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    भूमिगत पानी की आपूर्ति हर समय
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    पानीको उनमे प्रवाहित करती है
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    लिए,अपने आप
    को हैड्रेटेड रखने के लिये|
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    जो दाय ओर है वो एक बावोबाब कहलाता है|
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    ओ ऊपर से नीचे के पेड़ भी कहलाता है,
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    सिर्फ इसलिये कि उसकी जडोँ से
    शाखाओँ का अनुपात इतना महान है कि
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    वे पेड को ऊपर से नीचे
    लगाया जैसा लगता है|
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    और बेशक पेड की हैड्रेशन के लिये
    जडोँ की जरूरत है|
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    और शायद परिहार का सबसे आम
    रणनीति वार्षिक में पाया जाता है।
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    वार्षिक से हमारे संयंत्र खाद्य
    आपूर्ति के थोक बनता है।
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    मेरे देश के पश्चिमी तट तक,
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    साल की ज्यादातर भाग मेँ आप ज्यादा
    वनस्पति विकास नही देख सकते।
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    लेकिन वसंत बारिश आयेगा ,
    तो आपको ये मिलेगा:
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    रेगिस्तान के फूल|
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    वार्षिक मेँ रणनीति,
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    केवल बरसात के मौसम
    में विकसित करने के लिए है।
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    उस मौसम की अंत् मेँ वे
    एक बीज उत्पादन करते हैँ,
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    जो सूखा हो, 8 से10 प्रतिशत पानी हो,
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    लेकिन एकदम जिंदा हो|
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    और जो भी हो जो सूखा
    और फिर भी सजीव हो, उसे
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    हम सुखाना- सहिष्णु कहते हैँ|
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    सूखा स्थिति मेँ,
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    बीज क्या कर सकते हैं कि
    समय की लंबी अवधि के लिए
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    पर्यावरण के चरम में लेटे रहते है|
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    अगले बार बारिष का मौसम आयेगा,
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    वे अंकुरित होके और बढेंगे,
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    औरपुरा चक्र बस फिर से शुरू होगा।
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    विस्तार रूप से येमाना जाता है कि
    सुखाना सहिष्णु बीजों का विकास
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    भूमि परफूल वाले पौधों की या वनस्पतियों
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    उपनिवेशवाद और विकिरण की अनुमति दी।
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    लेकिन वार्षिक को वापस हमारा
    खाद्य आपूर्ति के प्रमुख हिस्सा बनाया|
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    घेहूँ, चावल और मक्का हमारा आहार
    अपूर्ती मेँ 95 प्रतिशत हिस्सा लेते हैँ|
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    और ये एक बहुत ही महान रणनीति है
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    क्योँकि कम समय की अवधि मेँ आप बहुत सारा
    बीज का उत्पादन कर सकते हैँ|
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    बीज शक्ती से भरपूर इसीलिये वहा
    आहार का कालरीस बहुत हैँ,
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    आप उन्हे अकाल के समय के लिये जब
    ज्यादा आते हैँ तब बचाके रख सकते हैँ,
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    लेकिन एक असुविधा भी है|
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    वनस्पति ऊतकों,
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    वार्ष्कोँ के झडोँ और पत्तोँ मेँ,
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    निहित प्रतिरोध, परिहार
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    या सहिष्णुता विशेषताओं के
    माध्यम से ज्यादा नही हैँ|
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    उनको उसकी जरूरत नही हैँ|
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    वे बारिष के मौसम मेँ बढ जाते
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    और साल भर जीवित रहने मेँ
    उनकी मदद करने के लिये एक बीज होता है|
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    और कृषि के क्षेत्र में
    ठोस प्रयास के बावजूद
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    बेहतर गुण प्रतिरोध,
    परिहार और सहिष्णुता
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    के साथ फसल बनाने के लिये
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    विशेष रूप से प्रतिरोध और परिहार
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    क्योँ कि हमारे पास अच्छी नमूने हैँ
    उनकी काम करने की तरीका
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    समझने के लिये-- हमारे
    पास फिर भी ऐसे छवियाँ हैँ|
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    आफ्रिका मेँ मक्का की फसल,
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    दो हफ्ते बिना बारिष के
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    और वह मर गया|
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    एक समाधान है:
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    जी उठने की पौधे|
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    ये पौधे 95 प्रतिशत उनकी
    सेल्युलर पानी खो सकते हैँ,
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    एक सूखे, मरे- जैसे स्थिति मेँ
    महीने से सालोँ तक रह सकते हैँ,
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    और आप उन्हे पानी दीजिये, वे हरे
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    हो जायेंगे और
    फिर से बढना शुरू करेंगे|
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    बीज जैसे, ये भी सुखाना सहिष्णु हैँ।
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    बीज जैसे ये भी पर्यावरण की चरम
    स्थिति का सामना कर सकते हैँ।
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    और ये एक बहुत ही दुर्लभ घटना है।
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    वहाँ केवल 135 फूल पौधों की
    प्रजातियाँ ही यह कर सकते हैं।
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    मैँ आप को एक वीडियो
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    दिखाने वाली हूँ इन तीन
    प्रजातियों में से जी उठने की
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    प्रक्रिया उस क्रम मेँ|
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    और सब से नीचे,
    समय एक की
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    अक्सिस है इसलिये आप देख सकते हैँ
    वह कितनी जल्दी होजाता है|
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    (तालियाँ)
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    बहुत अद्भुत है, है ना?
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    इसलिये मैँ ने पिछले पंद्रह साल वे यह
    कैसे करते हैँ समझने की कोशिश मेँ बिताया|
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    ये पौधे बिना मरे सूखे कैसे हो जाते हैँ?
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    और मैँ तरह तरह के जी
    उठने के पौधे पर काम किया,
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    यहाँ दिखाया हैड्रेटेड और सूखे स्थिति मेँ,
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    कई वजह से।
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    उन मेँ से एक है कि हर पौधा
    एक फसल के लिये एक नमूना
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    जैसा काम करती जिसे मैँ
    सूखा-सहनीय बनाना चाहती हूँ|
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    इसलिये ऊपर बाय तरफ किनारे पर,
    उदाहरण के लिये, है एक घास्,
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    उसे एराग्रोस्टिस निंडेंसिस
    बुलाते हैँ, उसको एक
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    नजदीकी रिस्तेदार उसे
    एराग्रोस्टिस टेफ बुलाते हैँ--
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    आप मेँ से बहुत लोग
    उसे "टेफ्" की नाम से
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    जानते--ओ इथ्योपिया मेँ एक मूल
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    भोजन है, यह लस- मुक्त है,
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    और वे कुछ हम सूखा सहिष्णु
    बनाना चाहते हैं।
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    दूसरे पौधौँ के तरफ देखने
    की कोई और वजह ये है कि,
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    कम से कम पहले, मैँ ये
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    जानना चाहती थी:
    वे वही काम करते हैँ क्या?
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    वे सब सभी पानी खोकर और
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    जीवित रहसकने के लिये
    वही तंत्र इस्तेमाल करते हैँ?
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    इसलिये मैँ ने सुखाना सहिष्णुता की,
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    एक व्यापक समझ पाने के लिए
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    सिस्टम जीव विज्ञान
    दृष्टिकोण का शुरू किया
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    जिस मेँ हम सब कुछ देखते हैँ
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    आण्विक पूरे संयंत्र,
    इकोफिजियोलाजिकल के स्तर पर।
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    उदाहरण के लिये
    जैसे पौधे सूखते है
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    उनके शरीर रचना तथा
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    अतिसूक्ष्म अंगके बदलाव
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    हम ट्रांस्क्रिप्टोम के तरफ देखते,
    जो प्रौद्योगिकी के लिये बस एकशब्द
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    जिस मे हम जींस को देखते हैँ
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    जो सुखाने के जवाब में
    चालू या बंद होते रह्ते हैँ|
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    अधिकतर जींस प्रोटीन के कोड होनेपर
    प्रोटीओमके बारेमे सोचेंगे .
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    सूखने के जवाब मेँ
    प्रोटींस ने क्या किया हैँ?
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    कुछ प्रोटींस विकर के लिये
    कोड करेंगे जो चयापचयक बनाते हैँ,
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    इसलिये हमउनका विचार करेंगे |
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    अब, ये बहुत जरूरी है क्योँ कि
    पौधे जमीन मेँ फसे हुये रहते हैँ|
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    वे एक बेहद खतरनाक रसायन जिसे मैँ
    अर्सिनल बुलाती हूँ इस्तेमाल करते हैँ
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    उनके वतावरण के तनाव
    से खुद को बचाने के लिये|
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    तो जरूरी है कि हम ये देखेँ कि
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    सूखने की क्रिया मेँ क्या
    रसायनिक परिवर्तन शामिल हैँ|
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    और सब से पीछे सूक्ष्म
    स्तर पर हम ने जो अध्ययन किया,
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    हम लिपिडोम पर देखा--
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    सूखने की जवाब मेँ लिपिड परिवर्तन|
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    और वो भी जरूरी है क्योँ कि
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    सब जैविक झिल्लियों
    लिपिड्स से बनाये गये हैँ|
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    वे झिल्ली के रूप में लगे रहे
    क्योँ कि वे पानी मेँ हैँ|
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    पानी को निकालिये, वे झिल्ली गिर जायेंगे|
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    लिपिड्स जींस को आन करने के लिये
    संकेत के रूप मेँ भी काम करते हैँ
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    फिर हम ने शारीरिक और
    रसायनिक अध्ययन इस्तेमाल किया
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    ख्यात प्रोटेक्टेंट्स का काम
    कोषिश और समझने के लिये
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    जो हम ने दूसरे
    अध्ययन मेँ आविष्कार किया|
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    और फिर सभी का उपयोग किया ये समझने के लिये
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    पौधे अपने प्रक्रुतिक
    वातावरण मेँ कैसे बचती है|
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    मेरा हमेशा ये मानना है कि
    मुझे एक ओयापक समझ की जरूरत है
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    सुखाना सहिष्णुता के तंत्र का एक
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    जैविक आवेदन के लिए
    सार्थक सुझाव देने के लिये।
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    मुझे यकीन है आप
    मेँ से कुछ
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    सोचते होंगे,
    "जैविक आवेदन
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    से उनकी मतलब आनुवंशिक रूप से
    संशोधित फसलेँ बनाने जारहे हैँ?"
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    और ये प्रश्न का उत्तर है: ये आप के
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    अनुवंशिक संशोधन की
    परिभाषा पर निर्भर करती है|
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    हम जो आज खाते हँ गेहूँ, चावल,
    और मक्का, सभी फसल उनके
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    पूर्वजों से अधिक आनुवंशिक
    रूप से संशोधित किये गये, लेकिन हम उन्हे
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    अनुवंशिक रूप से
    संशोधित नही मानते क्योँकि
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    वे पारंपरिक प्रजनन द्वारा
    उत्पादित किये जा रहे हैं।
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    अगर आप का मतलब, क्या मैँ फसलों
    में जी उठने संयंत्र जीन डालने वाली हूँ,
  • 9:43 - 9:44
    आप की जवाब है हाँ|
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    समय का संक्षेप में, हम उस
    दृष्टिकोण से कोशिश की है।
  • 9:47 - 9:50
    उचित रूप से, UCT में मेरे
    सहयोगियों में से कुछ,
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    जेन्निफर थाम्सन, सुहैल रफुदीन,
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    उस दृष्टिकोण में जुट गया और मैँ
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    बहुत जल्द आप्को वो
    डाटा दिखाने वाली हूँ|
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    लेकिन हम एक अत्यंत महत्वाकांक्षी
    दृष्टिकोण पर लगने वाले हैँ,
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    जिसमेँ हम पूरी जीन की सुइट्स
    को बदलने की उद्देश्य मेँ हैँ
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    जो पहले से हर एक फसल मेँ मौजूद हैँ|
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    वे कभी चरम सूखे स्थिती मेँ भी नही बदले|
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    उनको GM बोलना है या नही
  • 10:12 - 10:14
    इसका फैसला मैँ आप के ऊपर छोड्ती हूँ|
  • 10:16 - 10:19
    मैँ अभी आपको पहले द्रुष्टिकोण
    से कुछ डाटा देनेवाली हूँ|
  • 10:19 - 10:20
    और ऐसे करने के लिये
  • 10:20 - 10:23
    मुझे जींस कैसे काम करते हैँ ये
    थोडा सा बताना पडेगा|
  • 10:23 - 10:24
    तो आप सभी शायद जानते होंगे
  • 10:24 - 10:26
    कि जींस डबल-स्ट्रांडेड DNA से बने हैँ|
  • 10:26 - 10:28
    वे क्रोमोसोम्स के अंदर कस के घुमाये गये
  • 10:28 - 10:31
    जो आपके शरीर या पौधे के
    शरीर के हर सेल मेँ मौजूद हैँ|
  • 10:32 - 10:35
    अगर आप उस DNA को पीछे
    घुमाओ तो, आप्को जींस मिलेंगे|
  • 10:36 - 10:38
    और हर एक जीन के पास प्रमोटर होगा,
  • 10:38 - 10:41
    जो सिर्फ एक आन-आफ स्विच है,
  • 10:41 - 10:42
    जीन कोडिंगक्षेत्र होगा,
  • 10:42 - 10:43
    और फिर एक टर्मिनेटर,
  • 10:43 - 10:47
    जो ये बताता है कि ये इस जीन का
    अंत है, दूसरा जीन शुरू होगा|
  • 10:48 - 10:51
    अब, प्रमोटर्स सिर्फ आन- आफ
    स्विचेस नही हैँ|
  • 10:51 - 10:53
    उस जीन स्विच चालू होने से
    पहले उनके लिये सही ट्युनिंग,
  • 10:53 - 10:57
    और बहुत सारी सही चीज रहना है|
  • 10:58 - 11:01
    तो बैयो टेक अध्ययन मेँ आम तौर पर
    क्या होता कि हम एक इंड्युकिबल
  • 11:01 - 11:03
    प्रमोटर का इस्तेमाल करते हैँ जिसका
  • 11:03 - 11:05
    स्विच आँन करना हम जानते हैँ|
  • 11:05 - 11:07
    हम उसको लाभ वाली जींस
    मेँ जोडते हैँ और उसको
  • 11:07 - 11:09
    एक पौधे मेँ लगाके ओ पौधा कैसे
    प्रतिक्रिया देती देखते हैँ|
  • 11:10 - 11:13
    एक अध्ययन बारे मेँ मैँ
    बात करनेवाली हूँ,
  • 11:13 - 11:15
    मेरे सहयोगियों ने एक
    सूखे प्रेरित इस्तेमाल की
  • 11:15 - 11:18
    की, जिसको हम ने एक पुनरूत्थान
    संयंत्र में खोज की।
  • 11:18 - 11:21
    इस प्रमोटर की एक अच्छी बात
    ये है कि हम कुछ नही करते|
  • 11:21 - 11:23
    पौधा अपने आप अनावृष्टी
    का अनुभव करती है|
  • 11:24 - 11:29
    और हम जी उठने के पौधों से एंटीऑक्सीडेंट
    जीन ड्राइव करने के लिए यह प्रयोग किया है|
  • 11:29 - 11:31
    एंटिआँक्सिडेंट जींस क्योँ?
  • 11:31 - 11:34
    सभी तनावों,
    विशेष रूप से सूखे तनाव,
  • 11:34 - 11:36
    मुक्त कण के गठन में परिणाम है,
  • 11:36 - 11:38
    या प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन प्रजातियों,
  • 11:38 - 11:41
    जो बहुतही हाँइकारक हैँ और
    फसल को मार मार सकते हैँ|
  • 11:42 - 11:44
    एटाक्सिडेंट्स उस नुकसान को रोकते हैँ|
  • 11:45 - 11:49
    तो यहाँ एक मक्का के तनाव से कुछ डेटा है
    जो अफ्रीका में बहुत लोकप्रिय है|
  • 11:49 - 11:53
    तीर के बायाँ तरफ हैँ पौधे बिना जींस के,
  • 11:53 - 11:54
    दायँ तरफ हैँ--
  • 11:54 - 11:56
    पौधे एंटिआक्सीडेंट जींस के साथ|
  • 11:56 - 11:58
    तीन हफ्ते बिना पानी के बाद,
  • 11:58 - 12:00
    जो जींस के साथ हैँ वे बहुत अच्छा करेंगे|
  • 12:02 - 12:03
    अब आखरी द्रुष्टिकोण|
  • 12:03 - 12:07
    मेरे शोध से पता चला है काफी समानता है
  • 12:07 - 12:11
    बीज और जी उठने के पौधों में
    सुखाना सहिष्णुता के तंत्र में।
  • 12:11 - 12:12
    तो मैँ एक सवाल पूछती हूँ,
  • 12:13 - 12:14
    वे वही जींस
    इस्तेमाल करते हैँ?
  • 12:14 - 12:17
    या थोडा अलग फ्रेसड,
  • 12:17 - 12:21
    जी उठने पौधों उनके पत्ते और जडोँ मेँ
    बीज सुखाना सहिष्णुता में विकसित
  • 12:21 - 12:23
    जीन का उपयोग कर रहे हैं?
  • 12:23 - 12:25
    वे जी उठने की पौधोँ के झडोँ और पत्तोँ को
  • 12:25 - 12:27
    इन बीज के जींस को रीटास्क किया है क्या?
  • 12:28 - 12:30
    और मैँ उस सवाल का जवाब देती हूँ,
  • 12:30 - 12:32
    मेरे ग्रूप के बहुत अध्ययन के परिणाम से
  • 12:32 - 12:36
    और हाल ही में नेथेर्लांड्स की
    हेंक हिल्हार्स्टसे किया गया सहयोग से
  • 12:36 - 12:37
    युनैटेड स्टेट्स की मेल आलिवर
  • 12:37 - 12:40
    और फ्रांस मेँ जुलिया ब्युटिंक से|
  • 12:40 - 12:41
    जवाब है हाँ,
  • 12:41 - 12:44
    कि वहाँ एक कोर सेट जींस के हैँ
    जो दोनो मेँ शामिल किया गया|
  • 12:44 - 12:48
    मैँ मक्का के लिए बहुत ही कुदरती
    तौर उदाहरण देकर स्पष्ट करने वाली हूँ,
  • 12:48 - 12:50
    जहाँ आफ् स्विच के नीचे की क्रोमोसोम्स
  • 12:50 - 12:54
    सुखाना सहिष्णुता के लिए सभी जीनों जो
    आवश्यक हैं उनकी प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • 12:54 - 12:58
    इसलिये विकास के अपने अवधि के
    अंत में, जब मक्के की बीज सूखते हैँ, वे इन
  • 12:58 - 12:59
    जींस के स्विच आन करते हैँ
  • 13:01 - 13:04
    जी उठने के पौधे ये ही जीन
    स्विच आन करते हैँ
  • 13:04 - 13:05
    जब वे सूखते हैँ|
  • 13:05 - 13:07
    सभी आधुनिक फसल, इसलिये
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    अपने झडोँ और पत्तोँ मेँ ये जींस रखते हैँ,
  • 13:09 - 13:11
    उन्हे कभी स्विच आन नही करते|
  • 13:11 - 13:13
    वे सिर्फ बीज कणोँ मेँ
    स्विच आँन करते हैँ|
  • 13:13 - 13:15
    इसलिये अब हम कोशिश करते
  • 13:15 - 13:18
    वातावरण और पेशीय संकेतोँको
    समझने की
  • 13:18 - 13:20
    पौधोँमेँ जींस कैसे स्विच
    आँन करते हैँ, उनको उठाने
  • 13:21 - 13:23
    इस प्रक्रिया को नकल करने के लिए।
  • 13:24 - 13:25
    और फिर एक आखरी विचार|
  • 13:25 - 13:28
    हम तेजी से क्या करने की
    कोशिश कर रहे हैँ कि
  • 13:28 - 13:31
    जो प्रक्रिति ने कुछ 10 से 40 मिलियन सालोँ
    पहले जी उठने की पौधोँ मेँ
  • 13:32 - 13:33
    जो किया था उसको फिर से दोहरा रहे हैँ|
  • 13:34 - 13:37
    मेरे पौधों और मैं आपका
    ध्यान के लिए धन्यवाद करते हैँ।
  • 13:37 - 13:43
    (तालियाँ)
Title:
हम कैसे फसलों को पानी के बिना जीवित कर सकते हैं
Speaker:
जिल फ्रर्रांट
Description:

दुनिया की आबादी बढ़ती है और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को तेज राहत में आने के रूप में, हम कम कृषि योग्य भूमि का उपयोग कर अधिक लोगों को खिलाने के लिए होगा। आण्विक जीवविज्ञानी जिल फर्रांट ने एक दुर्लभ घटना के ऊपर अध्ययन की जो हमें मदद मिल सकती है: "जी उठने पौधों" - सुपर लचीला पौधों प्रतीत होता है कि मृतकों में से वापस ले आते हैं। क्या वे हमारे आने वाले अधिक गर्म, सुखानेवाले दुनिया में खाद्य बढाने के लिए वादा कर सकते है?

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
13:56

Hindi subtitles

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