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हिटलर सत्ता में कैसे आया? - एलेक्स गेंड्लर और अंथोनी हैज़र्ड

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    अडोल्फ़ हिटलर नामक यह व्यक्ति,
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    एक तानाशाह जिसने मानव इतिहास का
    सबसे बड़े जातिसंहार आयोजित किया था,
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    कैसे एक प्रजातांत्रिक देश का
    शासक बन बैठा?
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    इस कहानी की शुरुआत होती है
    पहले विश्वयुद्ध के अंत पर |
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    १९१८ में
    एलाइड देशों की सफलता के चलते
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    जर्मनी को यह एहसास हो गया था
    कि अब युद्ध में उसकी विजय नामुमकिन है
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    और उसने संधि समझौते पर दस्तख़त करना
    स्वीकार कर लिया|
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    उसकी साम्राज्यवादी सरकार के गिरते ही
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    देश में राजनैतिक अशांति
    और कर्मचारी हड़तालों का बोलबाला हो गया |
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    देश में साम्यवादी विद्रोह
    फैलने के डर से
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    प्रमुख राजनैतिक पार्टियों ने
    बगावतों को दबाने के लिए हाथ मिला लिए
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    और लोकतांत्रिक वाइमार रिपब्लिक
    की स्थापना की |
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    इस नई सरकार के सर्वप्रथम कार्यों
    में से एक था
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    एलाइड राष्ट्रों द्वारा लागू
    शांति संधि को अमल में लाना |
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    अपने क्षेत्र के दसवें हिस्से
    से भी अधिक को त्यागने
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    व अपनी सेना को विघटित करने के अलावा
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    जर्मनी को युद्ध की पूरी जिम्मेदारी
    स्वीकार करने
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    और उसका हर्जाना भरने के लिए
    बाध्य होना पड़ा,
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    जिससे उसकी पहले से ही कमज़ोर
    हो चुकी अर्थव्यवस्था और भी दुर्बल हो गई |
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    कई राष्ट्रवादियों और सेवानिवृत्त सैनिकों
    के लिए यह अपमान की बात बन गई |
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    उन्हें यह गहरा भ्रम था कि जर्मनी
    युद्ध जीत सकता था
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    यदि नेताओं और विरोधियों ने
    उसकी सेना को धोखा न दिया होता |
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    हिटलर के लिए यह ख़याल एक जूनून बन गया,
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    और अपने कट्टरपन और
    मन में पागलपन की हद तक समाए भ्रम के चलते
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    उसने सारा दोष यहूदियों के सर मढ़ दिया |
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    एक समाज, जिसमें कई यहूदी-विरोधी मौजूद थे,
    हिटलर के शब्दों को एकमतता मिली |
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    इस समय तक हज़ारों-लाखों
    की तादाद में यहूदी
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    जर्मन समाज का हिस्सा बन चुके थे,
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    लेकिन कई जर्मन लोग अभी भी उन्हें
    परदेसी और पराया मानते थे |
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    पहले विश्वयुद्ध के बाद, यहूदियों की सफलता
    ने उनके खिलाफ
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    राज्य-च्युति और युद्ध मुनाफाखोरी जैसे
    बेबुनियाद आरोपों को जन्म दिया |
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    इस बात पर जितना ज़ोर दिया जाए उतना कम है
    कि षडयंत्र के इन आरोपों
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    का आधार था भय,
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    क्रोध,
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    और कट्टरपन,
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    तथ्य नहीं |
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    इसके बावजूद, हिटलर को सफलता मिली |
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    जब वह एक छोटी राष्ट्रवादी राजनैतिक पार्टी
    में शामिल हुआ,
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    तो अपने चालाक और हेर-फेर से भरे भाषणों
    के बल पर वह पार्टी की अगुवाई करने लगा
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    और बढ़ती संख्या में लोग उसकी बातों की ओर
    आकर्षित होने लगे |
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    यहूदी-विरोधी विचारों को लोगों के आक्रोश
    के साथ जोड़ कर
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    नाज़ी पार्टी ने साम्यवाद और पूंजीवाद
    दोनों की भर्त्सना की
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    और उन्हें जर्मनी को तबाह करने की
    अंतर्राष्ट्रीय यहूदी साजिश बताया |
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    शुरुआत में नाज़ी पार्टी लोकप्रिय नहीं थी |
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    सरकार गिराने के एक असफल प्रयास के बाद
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    पार्टी को अवैध घोषित कर दिया गया,
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    और हिटलर को राजद्रोह के जुर्म में
    जेल भेज दिया गया |
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    लेकिन एक साल बाद जेल से रिहा होने पर,
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    उसने तुरंत नए सिरे से
    आंदोलन शुरू कर दिया |
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    और फिर, १९२९ में, विश्वव्यापी मंदी
    (द ग्रेट डिप्रेशन) का दौर आरंभ हुआ |
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    इसके चलते अमरीकी बैंकों ने जर्मनी को दी गई
    ऋण-राशि वापस मांगनी शुरू कर दी,
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    और पहले से ही जूझ रही जर्मनी की
    अर्थव्यवस्था रातों-रात ढह गई |
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    हिटलर ने लोगों के आक्रोश का फायदा उठाया,
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    उन्हें एक आसान बलि का बकरा दे दिया
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    और जर्मनी को उसका भूतपूर्व गौरव
    और प्रतिष्ठा लौटाने का वायदा किया |
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    मुख्य पार्टियां इस संकट-स्तिथि का सामना
    करने में नाकामयाब सिद्ध हुईं,
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    जबकि वामपंथी विरोधी पक्ष
    आपसी मतभेदों और झगड़ों में उलझे रहे |
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    और इस कारण इस असंतुष्ट जनता का कुछ हिस्सा
    नाज़ी पार्टी के साथ जुड़ गया,
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    जिससे केवल दो सालों में उसका संसदीय वोट
    ३% से भी कम से बढ़ कर १८% हो गया |
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    १९३२ में हिटलर ने राष्ट्रपति पद
    के लिए चुनाव लड़ा,
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    लेकिन कई पदकों से सम्मानित युद्धकालीन
    सूरमा जनरल फॉन हिंडनबर्ग से हार गया |
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    लेकिन ३६% वोट प्राप्त कर हिटलर ने यह दिखा
    दिया कि जनता किस हद तक उसके पक्ष में थी |
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    अगले साल, सलाहकारों
    और प्रमुख उद्योगपतियों ने
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    हिंडनबर्ग को हिटलर को
    चांसलर नियुक्त करने के लिए मना लिया,
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    इस उम्मीद पर कि उसकी लोकप्रियता
    का प्रयोग वे अपने फायदे के लिए कर पाएंगे |
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    हालांकि एक चांसलर केवल संसद का
    प्रशासनिक अध्यक्ष मात्र था,
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    हिटलर में अपने अधिकारों और सत्ता को
    धीरे-धीरे बढ़ाना शुरू कर दिया |
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    जहां उसके समर्थक
    संसदीय गुट बना कर
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    सडकों पर विरोधकर्ताओं से भिड़ने लगे,
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    वहीं हिटलर ने लोगों के मन में साम्यवादी
    विद्रोह का डर पैदा करना शुरू कर दिया
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    और यह तर्क किया कि केवल वही समाज में
    कानून और सुव्यवस्था ला सकता था |
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    फिर १९३३ में,
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    एक नौजवान कार्यकर्ता को संसद भवन में आग
    लगाने के आरोप में जेल में डाल दिया गया |
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    हिटलर ने इस घटना को बहाना बना कर
    सरकार को
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    उसे असाधारण अधिकार
    देने के लिए राज़ी कर लिया |
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    कुछ महीनों के भीतर ही, प्रेस की स्वतंत्रता
    को समाप्त कर दिया गया,
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    अन्य पार्टियों को भंग कर दिया गया,
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    और यहूदी-विरोधी कानून लागू कर दिए गए |
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    हिटलर के कई पूर्वी कट्टरपंथी समर्थकों
    को गिरफ़्तार कर प्राणदंड दे दिया गया;
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    इनमें संभावित प्रतिद्वंदी भी शामिल थे |
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    और अगस्त १९३४ में जब
    राष्ट्रपति हिंडनबर्ग की मृत्यु हुई,
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    तब यह साफ़ था कि अब कोई
    नए चुनाव नहीं होंगे |
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    दुःखद बात यह है कि हिटलर के
    शुरूआती लक्ष्यों की पूर्ती के लिए
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    इस बड़े पैमाने पर
    दमन ज़रूरी नहीं था |
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    उसके भाषण लोगों के भयों और आक्रोश
    का लाभ उठाते थे
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    ताकि वह अपने और नाज़ी पार्टी के लिए
    उनका समर्थन प्राप्त कर सके |
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    इस दौरान, उद्योगपति और बुद्धिजीवी,
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    जो खुद को जनता की राय के पक्ष में
    दिखाना चाहते थे,
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    हिटलर का समर्थन करने लगे |
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    वे खुद को और एक-दूसरे को आश्वासन देने लगे
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    कि हिटलर का अत्यधिक शब्दाडम्बर
    केवल दिखावे के लिए था |
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    कई दशकों के बाद भी, हिटलर का अभ्युदय
    एक चेतावनी है इस बात की
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    कि एक अप्रसन्न और क्रोधित जनता के आगे
    और एक ऐसे नेता के आगे,
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    जो उनके इस क्रोध और भय
    का लाभ उठाना चाहता है,
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    लोकतांत्रिक संस्थाएं
    कितनी दुर्बल हो सकती हैं |
Title:
हिटलर सत्ता में कैसे आया? - एलेक्स गेंड्लर और अंथोनी हैज़र्ड
Description:

पूरा पाठ देखने के लिए यहां जाएं: http://ed.ted.com/lessons/how-did-hitler-rise-to-power-alex-gendler-and-anthony-hazard

तीसरे जर्मन राज्य (द थर्ड राइश) के पतन के इतने दशकों बाद, आज यह समझना नामुमकिन लगता है कि अडोल्फ़ हिटलर नामक यह व्यक्ति, जिसने मानव इतिहास के सबसे बड़े जातिसंहारों में से एक का आयोजन किया था, कैसे एक प्रजातंत्र का शासक बन बैठा | यह कैसे हुआ, और क्या यह फिर हो सकता है? एलेक्स गेंड्लर और अंथोनी हैज़र्ड इतिहास के पन्नों में गोता लगाते हैं और उन परिस्थितियों पर नज़र डालते हैं जिनके चलते हिटलर जर्मनी का शासक (फ्युरर) बन गया |

पाठ के निर्माता: एलेक्स गेंड्लर और अंथोनी हैज़र्ड; एनीमेशन: अंकल जिंजर

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English
Team:
closed TED
Project:
TED-Ed
Duration:
05:37

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