रोजमर्रा की चीजों में दफ़न दुःखद इतिहास Everyday objects, tragic histories
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0:01 - 0:02ये रोजमर्रा की जिंदगी की चीज़ें हैं:
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0:02 - 0:06घडियाँ, चाबियाँ, कंघे, चश्मे।
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0:06 - 0:09इन चीजों को बोस्निया जाति-संहार
के शिकार हुये लोग -
0:09 - 0:12अपनी आखिरी यात्रा पर निकले थे।
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0:12 - 0:14हम बखूबी वाकिफ़ हैं इन नीरस
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0:14 - 0:16आम चीज़ों से।
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0:16 - 0:18मार गये कुछ लोग अपने साथ
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0:18 - 0:21निज़ी चीज़ें जैसे मंज़न
और टूथब्रश ले कर चले थे -
0:21 - 0:23क्योंकि उन्हें अंदाज़ा ही नहीं था
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0:23 - 0:25कि उनके साथ क्या होने वाला था।
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0:25 - 0:28अक्सर उन्हें बताया जाता था कि वो
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0:28 - 0:30युद्ध-बंदियो की अदला-बदली
के लिये जा रहे हैं -
0:30 - 0:32ये चीजें निकाली गयी हैं
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0:32 - 0:35मेरे वतन मे बिखरी तमाम
सामूहिक कब्रग्राहों से, -
0:35 - 0:38और इस वक्त, फ़ोरेंसिक टीमें
और मृतको को निकाल रही हैं -
0:38 - 0:40जैसे जैसे और कब्रो का पता लग रहा है।
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0:40 - 0:41युद्ध के बीस साल बाद।
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0:41 - 0:45और ये शायद अब तक सामने आया
सबसे बडा जनसंहार है। -
0:45 - 0:48लडाई के चार सालों में,
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0:48 - 0:5090 के दशक के पहले हिस्से मे,
बोस्निया को बर्बाद कर दिया -
0:50 - 0:54लगभग तीस हज़ार नागरिक, ज्यादातर सिविलियन,
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0:54 - 0:56लापता हो गये, मरे मान लिये गये,
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0:56 - 0:58और करीब एक लाख को मार डाला गया
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0:58 - 1:00लडाई के दौरान।
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1:00 - 1:01इन में से ज्यादातर मौतें
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1:01 - 1:03लडाई की शुरुवाती दिनों में हुईं
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1:03 - 1:04या फ़िर लडाई के आखिरी कग़ार पर,
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1:04 - 1:07जब यू. एन. संरक्षित
क्षेत्र जैसे स्रेब्रेनिका -
1:07 - 1:11सर्बियन सेना के हत्थे लग गये।
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1:11 - 1:13अंतर्राष्ट्रीय क्रिमिनल ट्रिब्यूनल ने
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1:13 - 1:14तमाम सजायें मुकर्रर कीं
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1:14 - 1:17मानवता-विरोधी अपराधों और
जाति-संहार के लिये। -
1:17 - 1:21जाति-संहार होता है विधिवत और जाना-बूझा
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1:21 - 1:24संहार किसी जाति, राजनैतिक, धार्मिक
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1:24 - 1:26या प्रजातीय समूह का।
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1:26 - 1:29जाति-संहार लोगों को तो मारता ही है,
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1:29 - 1:32वो विनाश चाहता है उनकी ज़रूरी संपत्ति का
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1:32 - 1:33उनकी सांस्कृतिक संपदा का,
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1:33 - 1:37और उनके होने के किसी भी सबूत का।
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1:37 - 1:39जाति-संहार सिर्फ़ कत्ल नहीं होता है;
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1:39 - 1:42ये किसी की पहचान छीन
लेने की कोशिश होती है। -
1:42 - 1:44लेकिन कुछ न कुछ बच ही जाता है ---
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1:44 - 1:46कोई अपराध अचूक नहीं होता।
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1:46 - 1:48शिकार हुए लोगों का कुछ हिस्सा बचता ही है
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1:48 - 1:51जो उनके शरीर के खपने के बाद भी रहता है
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1:51 - 1:55और हमारी याद-दाश्त में उनकी जगह
खोने के बाद भी रहता है -
1:55 - 1:57ये चीजें मिलती हैं
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1:57 - 1:58तमाम सामूहिक कब्रों से,
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1:58 - 2:02और इन वस्तुओं को इकट्ठा
करने का मूल उद्देश्य है -
2:02 - 2:03एक ख़ास प्रक्रिया जिससे
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2:03 - 2:07कत्लेआम के शिकार लोगों को पहचाना जाता है,
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2:07 - 2:09पहला जाति-संहार जो यूरोप की धरती पर हुआ
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2:09 - 2:11होलोकास्ट के बाद।
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2:11 - 2:13एक भी मृतक नहीं होना चाहिये जिसे
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2:13 - 2:15पहचाना ना जा सके।
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2:15 - 2:17इन चीजों के मिलने पर,
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2:17 - 2:20जिन्हें शिकार हुये लोग साथ रखते थे
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2:20 - 2:21मौत के मुँह में जाते समय,
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2:21 - 2:23इन्हें साफ़ कर के बारीकी से जाँचा जाता है
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2:23 - 2:26रिकार्ड दर्ज़ कर के सुरक्षित रखा जाता है।
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2:26 - 2:29हज़ारों ऐसी वस्तुओं को सफ़ेद
प्लास्टिक की थैलियों में पैक करते हैं -
2:29 - 2:31जैसा के आप सी.एस.आई में देखते हैं।
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2:31 - 2:34इन वस्तुओं का इस्तेमाल पडताल में
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2:34 - 2:36मृतकों की पहचान के लिये होता है,
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2:36 - 2:40और इनका ज़रूरी इस्तेमाल सबूत के तौर पर
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2:40 - 2:42आगे होने वाले युद्ध-अपराधों
के मुकदमों में होता है -
2:42 - 2:45हमलों में बच गये लोगो को कभी-कभी बुला कर
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2:45 - 2:47इन चीजों की पहचान करवाई जाती है
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2:47 - 2:50मगर पूरी की पूरी चीज़ को दिखा पाना कठिन होता है,
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2:50 - 2:54बहुत धीमी रफ़्तार पर और
बहुत दुःखद यादों भरा भी। -
2:54 - 2:57जाँचकर्ता, वकील और डॉक्टरों के
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2:57 - 2:58इस्तेमाल के बाद
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2:58 - 3:01ये वस्तुएँ दुख-भरी दास्तान की अनाथ
औलादों सरीकी हो जाती हैं -
3:01 - 3:04आपको विश्वास नहीं होगा कि
ये नष्ट हो जाती हैं -
3:04 - 3:06या बस रखी रह जाती है,
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3:06 - 3:08आँख की ओट, पहाड की ओट.
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3:08 - 3:11कुछ बरस पहले, मैने फ़ैसला किया कि
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3:11 - 3:13मै हर एक ऐसी वस्तु की तस्वीर लूँगा
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3:13 - 3:15जिस से एक अभिलेख,
एक रिकार्ड तैयार हो -
3:15 - 3:19जिसे हमलों में बचे लोग देख सकें।
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3:19 - 3:23एक कहानीकार होने के नाते,
मै समाज को कुछ देना चाहता था -
3:23 - 3:25और सिर्फ़ जागरुकता फ़ैलाने
के आगे जाना चाहता था -
3:25 - 3:28हो सकता है कि कोई
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3:28 - 3:29इन्हें पहचान ले या
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3:29 - 3:32कम से कम इन की तस्वीर
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3:32 - 3:36स्थाई, निष्पक्ष और सटीक याद दिलायेगी
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3:36 - 3:38जो हुआ था, उसकी।
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3:38 - 3:40फ़ोटोग्राफ़ी हमदर्दी का माध्यम है,
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3:40 - 3:43और इन चीजों से हमारा परिचय
निश्चित रूप से हमदर्दी को जन्म देगा। -
3:43 - 3:45इस सब में, मै एक माध्यम की तरह हूँ,
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3:45 - 3:47आप मुझे एक पडताल-कर्ता कह सकते हैं,
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3:47 - 3:50और परिणाम स्वरूप ये फ़ोटोग्राफ़ी
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3:50 - 3:52ठोस दस्तावेज होने के बहुत करीब है।
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3:52 - 3:56जब सारे गुमशुदाओं का पता लग जायेगा,
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3:56 - 3:57तब या तो कब्र में गलते उनके शरीर बचेंगे
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3:57 - 4:00या फ़िर ये रोजमर्रा की चीज़ें।
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4:00 - 4:02साधारणतम होते हुए भी,
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4:02 - 4:04ये चीजें साक्षी हैं
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4:04 - 4:05मारे गये लोगों की पहचानों की,
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4:05 - 4:07आखिरी स्थाई याद-दाश्त कि
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4:07 - 4:09ये लोग कभी सच में थे।
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4:09 - 4:12बहुत धन्यवाद।
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4:12 - 4:15(आभिवादन)
- Title:
- रोजमर्रा की चीजों में दफ़न दुःखद इतिहास Everyday objects, tragic histories
- Speaker:
- ज़िया ग़फ़ीक़
- Description:
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ज़िया ग़फ़ीक तस्वीर उतारते हैं आम चीजों की - घडी, जूता, चश्मा। मगर ये चीज़ें सिर्फ़ दिखने भर को साधारण हैं; क्योंकि ये बोसनिया-युद्ध में हुए जाति-संहार के शिकार लोगों की सामूहिक कब्रों से मिली हैं। टेड फ़ेलो और साराज़ेवो नागरिक ग़फ़ीक़ इन चीज़ों की तस्वीरों के ज़रिये उन पहचानों को दर्ज़ कर ज़िंदा रखने का प्रयास कर रहे हैं जिन्हें नेस्तनाबूत करने की भरसक कोशिश की गयी थी।
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 04:32
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Omprakash Bisen accepted Hindi subtitles for Everyday objects, tragic histories | ||
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Swapnil Dixit edited Hindi subtitles for Everyday objects, tragic histories | ||
Swapnil Dixit edited Hindi subtitles for Everyday objects, tragic histories |