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अर्थशास्त्र की दुनिया की यात्रा शुरू करने से पहले
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मैं एक विख्यात अर्थशास्त्री ,स्कॉटिश दार्शनिक एडम स्मिथ ,
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की उक्ति बताना चाहूँगा |
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जो उन मायनों में प्रथम अर्थशास्त्री हैं |
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जिन मायनों में हम इसे अब देख रहे हैं |
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यह उनके पुस्तक "वेल्थ ऑफ नेशन्स " से है |
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जो 1776 में प्रकाशित हुई थी , संयोगवश, इसी वर्ष
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अमेरिकियों ने स्वतन्त्रता वर्ष की घोषणा की तथा यह उनकी सबसे विख्यात उद्धरण में से एक है |
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एक आर्थिक अभिनेता होने के कारण वह वास्तव में , न तो वह जनता के हित को बढावा देना चाहते हैं
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न ही यह जानते हैं कि वह इसे कितना बढ़ावा दे रहे हैं |
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उद्योग को इस तरह निर्देशित करके कि, उद्योग का नियंत्रण एक व्यक्ति विशेष के हाथो में इस तरह हों,
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कि इसके उत्पाद अधिकतम कीमत के रहें |
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वह केवल अपने लाभ का ही इरादा रखता है |
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"वह केवल अपने लाभ का ही इरादा रखता है |"
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`इस मामले में भी ,अन्य कई मामलों की तरह एक अदृश्य शक्ति की तरह संचालित होते हुए
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एक ऐसे छोर को बढ़ावा देता है जो उसने नहीं सोचा था |
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तथा यह शब्द "अदृश्य हाथ " प्रसिद्ध है|
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एक ऐसे छोर को बढ़ावा देता है जो उसने नहीं सोचा था |
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वह कह रहा है कि ,देखो, जब व्यक्ति विशेष अपने स्वयं के हित के लिए कार्य करता है ,
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तब यह सब अक्सर ऐसी स्थितियों की और ले जाता है जिसकी अपेक्षा किसी भी अभिनेता ने व्यक्तिगत तौर पर न सोची हो|
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फिर वह कहता हैं कि न ही यह सदैव समाज के लिए खराब होता है
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जैसे वह इसका हिस्सा ही नहीं था |
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इसलिए यह आवश्यक नहीं कि यह एक खराब चीज़ हों |
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अपने हितों के लिए कार्य करते हुए वह बार-बार ऐसी चीजों को प्रोत्साहित करता है
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जो कि समाज को ज्यादा प्रभावित करती हैं तब जब कि वह वास्तव में इसे प्रोत्साहित करने का लक्ष्य रखता है
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इसलिये यह वास्तव में एक मजबूत कथन है |
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वास्तव में यही पूंजीवाद की मूल भावना है|
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और इसीलिए मैं यह बताना चाहता हूँ कि यह उसी वर्ष प्रकाशित हुआ था
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जिस वर्ष में अमेरिकियों ने स्वतंत्रता की घोषणा की ,
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क्योंकि प्रत्यक्ष रूप से अमेरिका ,जो वित्त पोषण के जन्मदाता
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उन्होंने स्वतंत्रता के घोषणापत्र , संविधान , को लिखा
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जो इस बारे में बात करता है कि एक प्रजातान्त्रिक देश होने का क्या आशय है
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ओर इसके नागरिकों के अधिकार क्या हैं
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परन्तु संयुक्त राज्य ,एक अमेरिकी के सम्पूर्ण अनुभवों के साथ
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कम से कम एडम स्मिथ के कार्य से इतना तो प्रभावित हैं
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कि इसके पूँजीवाद के मूलभूत विचार इस प्रकार के हैं |
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और वे दोनों लगभग एक ही समय में घटित हुए हैं |
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परन्तु यह विचार सदैव ही सहज न्ही होता |व्यक्ति विशेष अनिवार्य रूप से अपने हित
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के लिए कार्य करते हुए भी समाज के लिए ज्यादा अच्छा कर सकता है
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बनिस्बत तब जब उनमे से कोई वास्तव में समाज के भले की कोशिश कर रहा हों |
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और मैं ऐसा नहीं सोचता कि एडम स्मिथ कहेंगे कि स्वयं के हित के लिए
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कार्य करना सदैव ही अच्छा है ,या लोगों द्वारा यह सोचना कभी अच्छा नहीं है कि
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उनके द्वारा किये हुए कार्यों के सामूहिक रूप से क्या परिणाम होते हैं |
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परन्तु वह बार-बार कहते हैं कि...स्वहित के कार्य
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अधिक फायदेमंद हों सकते है ,नये उपायों की तरफ ले जा सकते है
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बेहतर निवेश करा सकते है| अधिक उत्पादकता दे सकते है| अधिक सम्पन्नता की और ले जा सकते हैं|
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और इन सबसे अधिक हर किसी के लिए अधिक हिस्सेदारी |
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और अब अर्थशास्त्र सामान्यतः...और जब वह ऐसा कहता है ,वास्तव में वह
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सूक्ष्म आर्थिक (micro economics/माइक्रो इकोनॉमिक्स) एवं व्यापक आर्थिक (macro economics/मैक्रो इकोनॉमिक्स) बयान का मिश्रण बनाता है |
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सूक्ष्म वह है जब लोग या व्यक्ति विशेष, अपने स्वयं के हित के लिए कार्य करते हैं|
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और व्यापक वह हैं जो अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे हो सकते हैं,और सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए भी
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और इसीलिए ,अब,आधुनिक अर्थशास्त्री स्वयं को इन दो विद्यालयों में या इन दो विषयों में विभाजित करते हैं|
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सूक्ष्म अर्थशास्त्र ,जो व्यक्ति विशेष का अध्ययन है |
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सूक्ष्म अर्थशास्त्र ...और ये कोई फर्म हो सकती है, लोग हो सकते हैं, या घर हों सकते हैं |
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और व्यापक अर्थशास्त्र ,जिसमे पूरी अर्थव्यवस्था का सामूहिक रूप से अध्ययन किया जाता है |
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व्यापक- अर्थशास्त्र और आप इसका शब्दों से अनुमान लगा सकते हैं
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सूक्ष्म --से तात्पर्य बहुत छोटी बातों से है| व्यापक से तात्पर्य बड़े से है
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बड़े परिदृश्य से
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और इसीलिए सूक्ष्म अर्थशास्त्र बताता है कि वास्तव में व्यक्ति विशेष कैसे निर्णय लेता है
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या आप वास्तव में कह सकते हैं 'आवंटन', आवंटन या निर्णय |
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दुर्लभ संसाधनों का आवंटन ...
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और आप दुर्लभ संसाधन शब्द अक्सर सुनते हैं
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जब लोग अर्थशास्त्र के विषय में बात करते हैं
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और दुर्लभ संसाधन वह है जो आप अनंत मात्रा में नहीं रखते हैं |
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उदाहरण के लिए, प्यार एक दुर्लभ संसाधन नहीं हो सकता है| हों सकता है कि आपके पास प्यार अनंत मात्रा में हों
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परन्तु एक दुर्लभ संसाधन ऐसा हों सकता है जैसे कि खाना, पानी, पैसा, समय, ओर मजदूरी |
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ये सभी दुर्लभ संसाधन हैं| और इसीलिए यही सूक्ष्म अर्थशास्त्र है| कि लोग कैसे यह निर्णय लेते हैं कि
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उन दुर्लभ संसाधनों को कहाँ रखना है , वे कैसे निर्धारित करते हैं कि उन्हें कहाँ प्रयोग करना है
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और यह कैसे ... कैसे यह कीमत ,बाजार व अन्य चीजों को प्रभावित करता है
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व्यापक अर्थशास्त्र पूरी अर्थव्यवस्था में हो रहे सामूहिक बदलाव का अध्ययन है |
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इसलिए 'समस्त ', एक अर्थव्यवस्था में लाखों लोगों के द्वारा समस्त रूप से क्या किया गया यही समग्र अर्थव्यवस्था है |
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अब हमारे पास लाखों लोग/ कर्ता हैं |
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और अक्सर नीति - संबंधित प्रश्नों पर केंद्रित रहती हैं |
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इसीलिए क्या आप करों को बढायेगे या घटाएंगे| या तब क्या होगा जब आप करों को बढायेगे या घटाएंगे
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क्या आप नियंत्रित करेंगे या मुक्त करेंगे ? यह सम्पूर्ण उत्पादन को कैसे प्रभावित करेगा
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जब आप यह करेंगे| इसीलिए यही नीति है .....,ऊपर - नीचे ...
'ऊपर - नीचे ' के प्रश्न
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और सूक्ष्म तथा व्यापक अर्थशास्त्र दोनों में ही ,विशेष रूप से इसके आधुनिक अर्थों में ,
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उन्हें और अधिक व्यवस्थित ओर गणितीय बनाने के लिए, प्रयास किया गया है |
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इसीलिए दोनों ही विषयों में आप कुछ विचारों के साथ,कुछ दार्शनिक विचारों के साथ शुरू कर सकते हैं |
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इस तरह के तार्किक विचार, एडम स्मिथ के विचारो जैसे|
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इसलिए आपके पास ये आधारभूत विचार हैं कि लोग कैसे सोचते हैं ,लोग कैसे निर्णय लेते हैं |
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इसलिए दर्शन ,लोगों का दर्शन ,निर्णय -निर्माण का |
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सूक्ष्म अर्थशास्त्र के विषय में --'निर्णय-निर्माण '
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और तब आप कुछ मान्यताएं निधारित करते हैं |
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तथा आप इसे सरल बनाते हैं ... मुझे लिखने दीजिए ...आप इसे सरल बनाये|
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और वास्तव में आप सरल बना रहे हैं| आप कहते हैं " ओह सभी लोग विवेकशील हैं ",
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"सभी लोग अपने स्वयं के हित के लिए कार्य कर रहे हैं ,तथा सभी लोग अपने फायदों को अधिकतम करने जा रहे हैं "|
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जो सत्य नहीं है -मनुष्य कई चीजों से प्रेरित होते है |
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हम चीजों को सरल बनाते हैं ,इसलिए हम इससे एक प्रकार के गणितीय रूप से शुरू कर सकते हैं |
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इसलिए आप इसे सरल बनाते हैं, आप इसे गणितीय समझ के साथ प्रारंभ कर सकते हैं
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इसलिए ,अपनी सोच को स्पष्ट करना महत्वपूर्ण है|
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यह आपको अपनी मान्यताओं के आधार पर नए नतीजो पर पहुचने में मदद करता हूँ|
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और इसीलिए ,आप चार्ट और रेखांकन के साथ चीजों की गणितीय कल्पना प्रारंभ कर सकते हैं
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तथा इस विषय में सोच सकते हैं कि वास्तव में बाज़ार के साथ क्या हो सकता है
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इसीलिए यह व्यवस्थित ,गणितीय ,सोच बहुत महत्वपूर्ण है |
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परन्तु साथ साथ ,यह थोडा खतरनाक भी हो सकती है ,क्यूंकि आप
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बड़े सरलीकरण कर रहे हैं ,और कभी -कभी गणित कुछ बहुत मजबूत निष्कर्षों के लिए ले जा सकता है|
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निष्कर्ष ,जो आप बहुत द्रढता के साथ महसूस कर सकते हैं ,क्योंकि ऐसा लगता है कि आपने उन्हें सिद्ध कर दिया है
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जैसे कि आप सापेक्षता सिद्ध कर सकते हैं ,परन्तु वे कुछ मान्यताओं आधारित थे
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जो गलत भी हो सकती हैं ,और आवश्यकता से अधिक सरलीकृत भी हो सकती हैं ,
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या जिस संदर्भ में आप निर्णय लेना चाहते हो, हो सकता है कि यह उसके लिए उपयोगी न हो |
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इसीलिए यह बहुत- बहुत महत्वपूर्ण है कि हम इसे एक संदेह के साथ सीखें
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और यह याद रखें कि यह कुछ सरलीकृत मान्यताओं पर आधारित हैं |
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और व्यापक -अर्थशास्त्र संभवतः इसके लिए अधिक दोषी है|
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सूक्ष्म - अर्थशास्त्र में आप मानव मस्तिष्क से जुडी जटिल चीजों को लेते हैं ,
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लोग आपस में कैसे काम करते हैं और कैसे प्रतिक्रिया देते हैं , और जब
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आप इसे लाखों लोगों के ऊपर संग्रहित कर रहे हैं , तो यह अति-जटिल बन जाता है |
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आपके पास लाखों जटिल लोग हैं और सभी एक दूसरे के साथ परस्पर सम्बंधित होते हैं |
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इसीलिए,यह बहुत जटिल है | लाखों लोंगो का आपस में संबंध तथा
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मूलरूप से अप्रत्याशित संवाद ,और तब उन पर मान्यताएं बनाने की कोशिश की जाती है,
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उन पर मान्यताओं को बनाने की कोशिश की जाती है और फिर उन पर गणितीय नियम लागू करते हैं ---
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जिससे आप कुछ निष्कर्ष निकाल सकते हैं या या आप कुछ संभावनाए ढूँढ सकते हैं
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और एक बार फिर,यह बहुत महत्वपूर्ण है | यह मूल्यवान है ,इन गणितीय प्रतिरूपों का निर्माण मूल्यवान है |
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इन गणितीय निष्कर्षों के लिए यह गणितीय मान्यताएं ,
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परन्तु इसे सदैव एक संदेह के साथ सीखना चाहिए |
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इसीलिए,अब आपके पास एक सही शक है है | ताकि आप हमेशा सही लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रखें |
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और वास्तव में अर्थशास्त्र के एक पाठ्यक्रम से सीखने के लिए यही सबसे महत्वपूर्ण बात है |
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इसलिए आप इसका विश्लेष्ण सकते हैं कि क्या होने की संभावना है
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यहाँ तक कि गणित के बिना भी |
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मैं आपको दो कथनों के साथ छोडूंगा |और ये दो कथन कुछ मजाकिया हैं ....थोड़े मजाकिया ,
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परन्तु मैं सोचता हूँ वे वास्तव में चीजों को दिमाग में रखने में मदद्गार हो सकते हैं |
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खास तौर पर जब आप अर्थशास्त्र के गणितीय पक्ष की गहराई में जाते हैं |
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तो,यहाँ पर यह अफ्लरेड क्नोप्फ़ का सही उद्धरण है,जो 1900 में प्रकाशित हुआ था |
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"एक अर्थशास्त्री वह व्यक्ति है जो स्पष्ट चीज़ को इस तरह बताता है कि वह समझ से बाहर रहे "|
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और मैं मानता हूँ जब वह समझ में ना आने के विषय में बात कर रहे हैं, तब वह उन गणितीय चीजों की बात कर रहे हैं जो
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आप अर्थशास्त्र में देखते हैं ,और हम उम्मीद करते है कि हम इसे
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अधिकतम सुगम बनाने जा रहे है |
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आप देखेंगे यह मूल्यवान है |
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परन्तु यह एक बहुत महत्वपूर्ण कथन है जो वह कह रहे हैं|
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कई बार , यह एक सामान्य रूप में समझने वाली चीज़ है |
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यह कुछ ऐसा है जो स्पष्ट है ...जो स्पष्ट है |
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और यह हमेशा ध्यान में रखा जाना बहुत महत्वपूर्ण है , हमेशा यह सुनिश्चित करे कि
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आपको इसका आभास होना चाहिए कि गणित में क्या हो रहा है |
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या यह जानना कि कब गणित उस दिशा में जा रहा है जो अजीब लग सकता है
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क्योंकि वह अधिक सरलीकरण या गलत मान्यताओं पर आधारित है |
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और आपके पास लावरेंस जे. पीटर का यह कथन भी है,
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यू एस सी में एक प्रोफेसर, जो "पीटर के नियम" की वजह से प्रसिद्ध हैं |
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"एक अर्थशास्त्री वह विशेषज्ञ है जो कल जान जायेगा कि जिन चीजों की भविष्यवाणी कल उसने की थी
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वह आज क्यों नहीं हुई "
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और एक बार फिर ---अपने मस्तिष्क के एक कोने में यह रखना महत्वपूर्ण है,
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क्योंकि खासतौर पर व्यापक अर्थशास्त्र के प्रसंग में ,क्योंकि व्यापक अर्थशास्त्र में
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अर्थव्यवस्था के विषय में हमेशा सभी प्रकार की भविष्यवाणी होती हैं :
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कि क्या करने की आवश्यकता है के विषय में ,मंदी का दौर कब तक चलेगा, आने वाले वर्ष में आर्थिक वृद्धि क्या होगी,
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मुद्रा स्फीति क्या करेगी , .... और वे अक्सर गलत साबित होते हैं |
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वास्तव में, सिर्फ कुछ अर्थशास्त्री इनमें से अधिकतर बातों पर सहमत होते हैं |
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और यह महसूस करना बहुत महत्वपूर्ण है ,क्योंकि अक्सर जब आप गणित की गहराई में जाते हैं ,
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अर्थशास्त्र , एक विज्ञान की तरह लग सकता है जैसे भौतिक शिक्षा |
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परन्तु यह भौतिक शिक्षा की तरह विज्ञान नहीं है | यह बहुत विस्तृत है...... यह मनोवाद के लिए खुला है|
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और यह मनोवाद उन मान्यताओं के चारों तरफ भी है जो आपने चुने हैं |