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बच्चे के इंजीनियरों के लिए आसान ड. आय. वाय. परियोजनाओं

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    मैं अक्सर इंजिनीरिंग प्राजेक्ट्स
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    माध्यमिक और उच्च विद्यालय
    के छात्रोके लिये
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    अप्रत्याशित वस्तुवोँ से बनाती हूँ|
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    मुझे अपने दैनिक जीवन के
    समस्याओँ से प्रेरणा मिलती है|
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    उदाहरण के लिये,
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    एक बार मुझे एक हास्य सम्मेलन के लिए
    जाने के लिये एक पोशाक चाहिये था
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    लेकिन मै ज्यादा पैसा खर्च
    करना नही चाहती थी,
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    इस लिये मै ने एक प्रकाश
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    मुकुट और स्कर्ट के साथ खुद बनाया|
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    (हसी)
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    अगली बार,
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    मै हताश हुई क्योँ कि मेरी
    पसंदीदा मोबाईल खेल फ्लॅप्पी बर्ड को,
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    आप स्टोर मे से
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    निकाला गया|
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    (हसी)
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    इसलिये मै दुविधा मे पड गयी कि
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    या तो मै कभी भी अपनी फोन को अपडेट नही करू
    या कभी भी फ्लॅपी बर्ड नही खेलू|
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    (हसी)
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    दोनो विकल्प से दुखी,
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    मै ने वोही किया जो मुझे अच्छा लगा |
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    मैं ने फ्लॅप्पी बर्ड का एक
    भौतिक रूपांतर बनाया
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    जिस को आप स्टोर मे से
    कभी भी निकाला नही सकता|
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    (हसी)
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    (संगीत)
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    (बीपिंग)
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    (संगीत)
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    (हसी)
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    मेरे कुछ दोस्त भी इस
    खेल के आदी हो गये, और मै ने
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    उन को भी खेल ने के लिये आमंत्रित किया|
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    (व्हीडिओ) दोस्त: आह!
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    (हसी)
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    (व्हीडिओ) दोस्त: क्या है?
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    (हसी)
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    और उन्होने मुझे बताया कि ये भी पहले खेल
    जितना ही चिड्चिडानेवाला है|
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    (हसी)
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    इसलिये मै ने इस परियोजना का
    एक डेमो आंलैन अपलोड किया,
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    और मुझे आश्चर्य करते हुये
    ये वायरल हो गया |
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    उसे कुछ ही दिनो मे दो मिलियन
    लोगोने देखा|
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    (हसी)
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    और ज्यादा दिलचस्प बात
    लोगो ने की हुई व्याख्या थी|
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    बहुत सारे लोग इसे अपनाना चाहते थे,
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    या ये कैसे बनाये जानना चाहते थे|
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    इसलिये इससे मुझे मेरे योजना
    रचनात्मक परियोजना के द्वारा
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    इंजिनीरिंग पढा सकते हैँ
    को पुष्टि मिली है|
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    वैरल वीडियो से बनाया पैसोँ से ,
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    हम अपने सारे विद्यार्थियोँ
    को अपने खेल बनाकर
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    खुदका गेम बोक्स में तैयार ने
    क र सकते हैँ |
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    हालाकि ये बहुत ही चुनौतीभरा है,
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    वे इंजिनीरिंग और प्रोग्रामिंग मे
    बहुत सारे नये सिद्धांत सीख गये|
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    और वे सारे सीखने के लिये उत्सुक थे
    ता कि वे अपने खेल को भी पूरे कर सके|
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    (हसी)
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    तो फ्लप्पी बिर्ड बक्सा के पहले,
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    मुझे रचनात्मक इंजिनीरिंग प्राजेक्ट्स से
    छात्रो को पढाने की योजना थी|
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    जब मै माध्यमिक पाठशाला मे पडाती थी,
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    हम ने अपने छात्रोँ से एक मानक प्रौद्योगिकी
    किट द्वारा एक रोबो को बनाने के लिये कहा|
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    और मै ने देखा उनमेसे से
    बहुत सारे उदास लग रहे थे|
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    फिर उनमे से कुछ लोग कागज
    के टुकडे लेना शुरू कर दिये
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    और रोबोटस को सजा दिये|
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    और फिर उनमे से अधिक इसमे आ गये,
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    और वे इस प्राजेक्ट मे
    दिलचस्पी दिखाने लगे|
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    इसलिये मै ने छात्रोँ को टेक्नालजी
    परिचय कराने के लिये
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    ज्यादा रचनात्मक तरीके
    ढूँढना शुरू किया|
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    मै ने देखा कि ज्यादातर प्रौद्योगिकी किट्स
    जो पाठशाला मे उपलब्ध हैँ
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    वे थोडा डरा देते हैँ|
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    वे पूरे प्लास्टिक भागोँ से बने हैँ जिन को
    आप कस्टमाइज़ नही कर सकते|
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    उसके ऊपर वे बहुत ही मेहंगे हैँ,
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    हर किट सैकड़ों डॉलर की खरीद होती।
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    इसलिये ये ज्यादातर क्लास बजट
    के लिये महेंगे साबित होते थे|
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    क्योँ कि मुझे कुछ न मिलनेपर ,
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    मैँ अपने आप कुछ बनाने के लिये सोचा|
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    मै ने कागज और कपडे से कुछ बनाना शुरू किया|
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    आखिरकार जब से हम बच्चे थे तब से
    हम सब ने उससे खेला था,
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    और वे बहुत सस्ते भी हैँ
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    और घर मे किसी कोने मे भी
    पाया जा सकते हैँ|
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    और मै ने एक प्राजेक्ट का एक
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    मूल रूप बनाया जहा छात्रा कपडा
    और गुगली ऐस
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    इस्तेमाल करके एक लैट-अप
    क्रीचर बना सकते हैँ|
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    वे सब क्लस्रूम मे
    एक दूसरे के मदद कर रहे थे,
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    और हस रहे थे और
    प्राजेक्ट का चर्चा कर रहे थे|
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    और सब से महत्वपूर्ण बात,
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    वे प्राजेक्ट मे अपनी
    रचनात्मकता डाल सकते थे|
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    इसलिये इस प्राजेक्ट की सफलता के वजह से,
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    मै ने मेरे छात्रा को चुनौती
    देने के लिये और इंजिनीरिंग
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    प्राजेक्ट्स का आविष्कार
    करना शुरू किया|
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    और मै ने इन वर्कशॉप को
    पाठशाला के बाहर
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    समाज के अंदर शुरू कर दिये|
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    और कुछ बहुत ही दिल्चस्प बाते हुई |
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    मै ने देखा कि विविध भूमिका
    से बहुत सारे लोग
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    हमारे वर्कशॉप मे आने लगे|
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    और विशेष रूप से,
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    मेरे उम्मेद से कही ज्यादा
    औरत और अल्पसंख्यक थे,
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    और ये आप आम तौर पर एक परंपरागत
    इंजिनीरिंग वर्क षाप मे नही देखते|
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    अब एक बार ये एक प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनी
    की २०१६ कर्मचारी रिपोर्ट पर एक नज़र डालिये|
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    प्रौद्योगिकी कार्यबल मे औरत
    सिर्फ १९ प्रतिशत हैँ|
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    और कम प्रतिनिधित्व की अल्पसंख्याक
    सिर्फ चार प्रतिशत हैँ|
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    ये आंकडा अगर आप एक हैस्कूल रोबोटिक्स क्लब,
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    या एक कालेज इंजिनीरिंग
    क्लास मे जायेंगे तो
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    शायद परिचित लग सकता है|
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    अब, यहाँ प्रौद्योगिकी बल में
    विविधता की कमी के योगदान मे
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    कयी तरीके की समस्यावोँ के हाथ होती हैँ।
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    शायद एक समाधन
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    छात्रावोँ को प्रद्योगी का
    परिचय कराना हो सकता है|
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    मै ये नही कह रही हू कि ये
    सब कुछ हल हो सकता है,लेकिन ये इसके पहले
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    जिन को प्रद्योगी का परिचय मे
    मूलतः रुचि नही है
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    उनको परिचय करवाएगा
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    क्योँ कि इसको पाठशाला मे
    चित्रित और पढाया जाता है|
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    तो हम कैसे प्राद्योगी का
    धारणा को बदलेंगे?
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    ज्यादतर छात्रा इसे उबाऊ या
    अनवेलकमिंग सोचते हैँ|
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    इसलिये मै ने हमेशा तीन सिद्धान्तोँ के
    अनुसार परियोजनाओँ को डिजैन किया|
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    पहला है एक निचला फ्लोर होना,
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    और इसका मतलब प्राजेक्ट को
    आरम्भ करना आसान है|
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    तो इस ट्युटोरियल को एक बार देखिये|
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    पहला प्राजेक्ट हम छात्रोँ को सीखने को बोला
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    सार्क्यूट कागज पर बनाना|
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    जैसे आप देख सकते हैँ,
    ये सीखना ज्यादा देर नही लेता,
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    और ये शुरुवाती के लिये भी बहुत आसान है|
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    और लो फ्लोर का मतलब कि हम
    वर्तीय बाधा भी निकाल रहे हैँ
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    जो लोगोँ को एक प्राजेक्ट
    खतम करने से रोकता है|
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    इसलिये कागज, ताम्बे की टेप,
    लाईट बल्ब और एक बाटरी के साथ
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    लोग एक डालर के अंदर
    अपना प्राजेक्ट खतम कर सकते हैँ|
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    तो दूसरी सिद्धांत एक है सीलिंग होना है|
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    इसका मतलब है इसमे विकसित
    होने के लिये बहुत क्षेत्र होगा,
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    और चात्राओँ को लगातार चुनौती मिलेगी|
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    पहले ये शायद एक सिर्फ प्रकाशित प्राणी है,
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    लेकिन फिर आप सेंसर्स और
    मैक्रोकंट्रोलर्स जोड सकते हैँ,
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    और उस प्राणी को अपने पर्यावरण के साथ
    बातचीत करने के लिये योजना बना सकते हैँ|
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    (हसी)
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    और आखरी मे,
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    तीसरा सिद्धान्त है अनुकूलन|
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    इसका मतलब है हम इस प्राजेक्ट को
    किसी के लिये भी अनुरूप कर सकते हैँ|
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    रोजमर्रा सामग्री का उपयोग
    करने का यही खूबसूरती है;
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    कागज और कपडा इस्तेमाल करके
    अनुकूलित करना आसान है|
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    इसलिये अगर आप फ्लापी बर्ड
    पसंद नही करते फिर भी,
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    आप अपना खुद का गेम बना सकते हैँ|
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    (वीडियो) छात्रा: तो
    हमारा खेल जस्टिन बीबर
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    के बारे मे है, क्योँ कि
    वह तेज हो रहा है,
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    और यहा लक्ष्य है उसको LAPD
    द्वारा पकडा जाने से रोकना-
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    (हसी)
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    (व्हीडिओ) छात्रा: जी हाँँ,
    पर वह बदल रहा है--
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    इसलिये हम इसके दल के हिस्सा है|
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    (हसी)
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    शुक्रिया|
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    ( तालिया)
Title:
बच्चे के इंजीनियरों के लिए आसान ड. आय. वाय. परियोजनाओं
Speaker:
फौन किउ
Description:

TED निवासी फौन किउ मजेदार, कम दाम वाली परियोजनाओँ का डिजाइन इंजिनीरिंग छात्रोँ को परिचित करने के लिये कपडे और कागज जैसे परिचित सामग्री का इस्तेमाल करके करती है|इस जल्दी और चतुर बात मे, वह बताती है कैसे नान ट्रडिषनल कार्यशाला जैसी उसकी तरह बदल सकते हैं प्रौद्योगिकी की धारणा और छात्रोँ को इसे बनाने में भाग लेने के लिए प्रेरित कर सकते हैँ।

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
07:03

Hindi subtitles

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