एक फोटो मे कैद, गुजरते लम्हे!
-
0:01 - 0:03मुझे ऐसे चित्र लेने का ज़ुनून है
-
0:03 - 0:06जो कहानियां बताते हों
-
0:07 - 0:11फ़ोटोग्राफ़ी करना समय के छोटे से हिस्से
-
0:11 - 0:13में थमे हुये एक पल को संजोने जैसा है।
-
0:14 - 0:18हर पल या फोटो समय के साथ गुजरती
-
0:18 - 0:21यादों के एक टुकडे का प्रतीक है।
-
0:22 - 0:25पर यदि आप एक फोटो मे एक से अधिक
पल संजो सकें तो! -
0:26 - 0:29समय को लांघ कर अगर एक ही फोटोग्राफ़
दिन और रात के -
0:29 - 0:32सर्वश्रेष्ठ पलॊं को संक्षिप्त करते हुये ,
-
0:32 - 0:35एक निरंतर चित्र बन जाये तो!
-
0:35 - 0:38मैने एक संकल्पना की है जिसे
"दिन और रात" कहते हैं -
0:38 - 0:40और मैं मानता हूं कि ये आपके दुनिया
-
0:40 - 0:41के प्रति नज़रिये को बदल देगा।
-
0:41 - 0:42मेरा नज़रिया तो बदला है.
-
0:43 - 0:48मेरा काम ऐसी प्रख्यात जगह की फोटो लेने से
शुरु होता है जो -
0:48 - 0:51हमारी सामूहिक स्मृति का हिस्सा हो।
-
0:52 - 0:55मैं एक निर्धारित स्थान से फ़ोटो लेता हूं और
और खुद वहीं रहता हूं। -
0:55 - 0:59मैं समय के साथ गुज़रते हुये मानवता और
प्रकाश के क्षणिक पलों को कैद करता हूं -
1:00 - 1:03१५ से ३० घन्टे तक फ़ोटो लेने
-
1:03 - 1:05और १५०० से अधिक चित्र खींचने के बाद
-
1:06 - 1:08मैं दिन और रात के सबसे उत्तम क्षण
चुनता हूं। -
1:10 - 1:11समय को मार्गदर्शक बनाकर
-
1:11 - 1:15मैं उन सारे सर्वोत्तम पलों को एक अकेले
फ़ोटो मे मिलाकर -
1:15 - 1:18समय के साथ हमारी सचेत यात्रा की
कल्पना करता हूँ। -
1:19 - 1:21मैं आपको टोर्नेल पूल से दृश्य दिखाने
-
1:21 - 1:23के लिये पॅरिस ले जा सकता हूँ।
-
1:24 - 1:26और आपको सैन नदी मे सुबह सुबह
-
1:26 - 1:28नाव खेते लोग दिखा सकता हूँ।
-
1:29 - 1:30और साथ ही आपको रात मे चमकता हुआ
-
1:30 - 1:33नोतरे बांध दिखा सकता हूँ।
-
1:34 - 1:38और उसी बीच, मैं आपको इस
रोशनी के शहर का अफ़सना भी दिखा सकता हूँ। -
1:40 - 1:43मैं मूलत: हवा में ५० फ़ीट ऊपर बैठा
एक सामान्य फोटोग्राफ़र हूँ, -
1:43 - 1:46और इस फोटो मे दिखने वाली हर एक चीज
-
1:46 - 1:47सच में आज ही हुई है
-
1:51 - 1:53दिन और रात एक वैश्विक परियोज़ना है,
-
1:53 - 1:55और मेरा काम हमेशा इतिहास के बारे मे रहा है
-
1:56 - 1:59मेरे लिये वेनिस जैसी जगह पर जाना और इसे
किसी खास घटना के समय देखना -
1:59 - 2:02बहुत आकर्षक विचार है
-
2:02 - 2:05और इसीलिये मैन्रे निर्णय लिया कि मैं
ऐतिहासिक रेगाटा देखूंगा, -
2:05 - 2:09एक समारोह जो सन १४९८ से हो रहा है!
-
2:10 - 2:14नावें और पहनावा आज भी बिल्कुल उस समय
जैसे ही दिखते हैं। -
2:15 - 2:18और मैं चाहता हूँ कि एक महत्त्वपूर्ण तत्व
आप सब अच्छे से समझ लें: -
2:18 - 2:20ये टाइम-लेप्स (अंतराल) नहीं है!
-
2:20 - 2:24ये सारे दिन और सारी रात फोटो लेता हुआ मैं।
-
2:25 - 2:28मैं जादुई पलों को अनवरत संग्राही हूँ।
-
2:29 - 2:33और ये इनमें से बस एक पल को भी खो देने
का डर है जो मुझे प्रेरित करता है। -
2:36 - 2:41ये पुरी संकल्पना लगभग १९९६ मे आयी।
-
2:41 - 2:45"लाइफ़" पत्रिका ने मुझे बज़ लरमन की फ़िल्म
"रोमिओ+ज्युलिअट" के अभिनेता और कर्मीदल -
2:45 - 2:50का परिचित्र लेने के लिये अधिकृत किया था।
-
2:51 - 2:54मंच पर जाकर मुझे पता चला के
ये तो वर्गाकार है। -
2:54 - 2:59तो परिचित्र बनाने का केवल एक ही तरीका था,
२५० अलग अलग फोटो लेकर -
2:59 - 3:01उनको मिलाकर एक संग्रह चित्र बनाना!
-
3:01 - 3:05तो मेरे सामने डि केप्रिओ और क्लेअर डेन्स
आलिंगन मुद्रा मे थे, -
3:05 - 3:08और जैसे ही मैने अपना केमरा
दायीं ओर घुमाया, -
3:08 - 3:10मेरा ध्यान दीवार पे टंगे शीशे पर गया
-
3:10 - 3:13और मैने देखा के उसमें उनका प्रतिबिम्ब था।
-
3:13 - 3:15और उस एक क्षण के लिये, उस एक फोटो में,
-
3:15 - 3:17मैने उनसे कहा "क्या आप इस एक चित्र.."
-
3:17 - 3:18"..के लिये चूम सकते हैं?"
-
3:18 - 3:21और फ़िर मैं न्यूयोर्क में अपने स्टूडिओ मे
वापस आ गया, -
3:21 - 3:25और मैने अपने हाथों से उन २५० चित्रों को
एकसाथ चिपकाया -
3:25 - 3:28और मैने उसे ढंग से देखा और कहा,
"वाह, ये तो एकदम मस्त है! -
3:28 - 3:30मैं फोटो मे समय को बदल रहा हूँ!"
-
3:30 - 3:35और ये विचार सच मे मेरे मन मे १३ साल तक रहा
-
3:35 - 3:39जब तक कि तकनीक अन्तत: मेरे सपनों की
सीमा तक पहुच पायी। -
3:39 - 3:43ये मैने एक सेन्ट मोनिका पायर का चित्र
बनाया है, दिन से रात तक! -
3:43 - 3:45और अब मैं आपको एक वीडिओ दिखाने जा रहा हूँ
-
3:45 - 3:47जिससे आपको अन्दाजा लगेगा कि इन
चित्रों को बनाते -
3:47 - 3:49समय मेरा अनुभव कैसा होता है।
-
3:49 - 3:53शुरुआत के लिये, आपको समझना होगा कि ऐसा
दृश्य पाने के लिये -
3:53 - 3:57मेरा ज्यादातर समय ऊंचाई पर किसी क्रेन में
-
3:57 - 3:58गुजरता है।
-
3:58 - 4:01तो ये मेरा एक सामान्य दिन है, १२-१८ घन्टे,
बिना रुके पूरे दिन के पसरने -
4:01 - 4:03को फ़ोटो मे समेटना।
-
4:04 - 4:07और कई मज़ेदार चीजों मे से एक है
लोगों को देखना! -
4:07 - 4:09और विश्वास कीजिये, ये देखने के
-
4:09 - 4:11के लिये मेरी सीट इस दरबार में
सबसे अच्छी है। -
4:12 - 4:15लेकिन वाकई बिलकुल ऐसे ही मैं इन
तस्वीरों को बनाता हूँ। -
4:16 - 4:19तो एक बार अपना दृश्य और जगह निर्धारित करने
के बाद, मुझे तय करना होता है कि -
4:20 - 4:23दिन कहां शुरु होता है और रात कहां खत्म।
-
4:23 - 4:25और इसी को मैं "टाइम व्हेक्टर" कहता हूँ।
-
4:25 - 4:29आइंन्स्टाइन ने बताया कि समय एक
कपड़े की तरह होता है। -
4:29 - 4:32एक ट्रेम्पोलिन के कपड़े की सतह के
बारे मे सोचिये जो -
4:32 - 4:34गुरुत्वाकर्षण के साथ सिकुड़ता और फ़ैलता है।
-
4:35 - 4:38मैं भी समय को कपड़े की तरह ही देखता हूँ,
-
4:38 - 4:43बस मैं उस चादर को एकदम समतल करके इसे
एक ही तल मे जमा देता हूँ। -
4:43 - 4:45इस काम के विलक्षण पहलुऒं मे से एक है,
-
4:45 - 4:47यदि आप मेरे सारे चित्र देखें,
-
4:47 - 4:48कि टाइम वेक्टर बदलता है:
-
4:48 - 4:50कभी मैं बायें से दायें जाता हूँ,
-
4:50 - 4:54तो कभी आगे से पीछे, ऊपर या नीचे,
यहां तक कि तिरछा भी! -
4:55 - 4:58मैं एक द्वि-आयामी स्थिर चित्र में,
दूरी-समय सांतत्यक -
4:58 - 5:00(स्पेस-टाइम कोन्टिनुअम) खोज रहा हूँ।
-
5:01 - 5:03जब मैं ये चित्र बनाता हूं, तो ऐसा लगता है
-
5:03 - 5:06जैसे एक तत्क्षणिक पहेली मेरे दिमाग मे
चल रही हो। -
5:07 - 5:09मैं समय पर आधारित एक चित्र बनाता हूं,
-
5:09 - 5:11और इसे मैं मास्टर प्लेट कहता हूं!
-
5:12 - 5:15इसे पूरा होने मे कई महीने लग सकते हैं।
-
5:15 - 5:17इस काम की मज़ेदार बात ये है
-
5:17 - 5:21जब किसी भी दिन वहां ऊपर जाता हूं और
फोटो लेता हूं तो -
5:21 - 5:23मेरा किसी चीज पर कोई नियंत्रण नहीं होता!
-
5:23 - 5:26इसलिये मुझे कभी नही पता होता कि
फोटो मे कौन होगा, -
5:26 - 5:29ये एक शानदार सूर्योदय या सूर्यास्त होगा
कि नहीं, कुछ नहीं पता! -
5:29 - 5:30ये इस प्रक्रिया के अन्त में होता है,
-
5:30 - 5:33वो भी जब मेरा दिन वाकई अच्छा रहा हो
और सब कुछ ठीक रहा हो, -
5:33 - 5:36तब मैं तय करता हूं कि कौन रहेगा और
कौन बाहर होगा, और -
5:36 - 5:38ये सब समय पर निर्भर करता है।
-
5:38 - 5:41मैं एक महीने ये ज्यादा सम्पादित
करके चुने गये सर्वोत्तम पलों को चुनूंगा -
5:41 - 5:45और वे सब निरंतर मिलकर मास्टर प्लेट
बन जाते हैं -
5:46 - 5:48मैं दिन और रात को सिकोड़ कर
-
5:48 - 5:50जैसे कि मैं देखता हूं,
-
5:50 - 5:54इन दो विपरीत संसारों के बीच
एक अद्वितीय सामंजस्य का निर्माण करता हूं। -
5:55 - 5:59चित्रकारी का मेरे सभी कार्यों में बहुत खास
प्रभाव रहा है और -
5:59 - 6:02मैं हडसन नदी पद्धति के महान चित्रकार
एल्बर्ट बीअरस्टेड, -
6:02 - 6:04का बहुत बड़ा प्रशंसक रहा हूं।
-
6:04 - 6:07उन्होंने एक नयी श्रृृखला प्रेरित की
जो मैंने राष्ट्रीय पार्क मे करी। -
6:07 - 6:09ये बीअरस्टेड की योसेमाइट घाटी है।
-
6:10 - 6:13और ये योसेमाइट की फोटो है जो मैने बनाई है।
-
6:13 - 6:17ये दरअसल नेशनल जिओग्रफ़िक के
जनवरी २०१६ अंक की -
6:17 - 6:19मुख्य कथा है।
-
6:20 - 6:22इस फोटो के लिये मैने ३० घन्टे से
ज्यादा फोटो खींची। -
6:22 - 6:24मैं वस्तुत: एक चोटी के किनारे बैठकर,
-
6:25 - 6:29तारों को,चाँदनी के परिवर्तन को और
चाँदनी से जगमगाते अल केपितान को -
6:29 - 6:31केमरे में कैद कर रहा था।
-
6:31 - 6:35और मैंने पूरे परिदॄश्य मे समय के परिवर्तन
को भी कैद किया! -
6:36 - 6:40जाहिर है सबसे अच्छा भाग दिन से रात मे
बदलते समय के साथ -
6:40 - 6:41मानवता के जादुई पलों
-
6:43 - 6:44को देखना है।
-
6:46 - 6:48और एक निज़ी बात,
-
6:48 - 6:52मेरे पास वाकई बीअरस्टेड के चित्र
की एक प्रतिलिपि मेरी जेब मे थी। -
6:52 - 6:54और जब सूरज घाटी मे उगने लगा,
-
6:54 - 6:56मैं वाकई जोश से काँपने लगा
-
6:56 - 6:59क्योंकि मैंने चित्र को देखा और कहा,
-
6:59 - 7:02"हे भगवान! इसमें तो १०० साल पहले वाला
एकदम बीअरस्टेड के -
7:02 - 7:04जैसा उजाला है।
-
7:06 - 7:09दिन से रात हर चीज के बारे में है,
-
7:09 - 7:11ये हर उस चीज के संकलन के जैसा है जो मुझे
-
7:11 - 7:13फोटोग्राफ़ी के माध्यम के बारे मे पसन्द है।
-
7:13 - 7:15ये प्राकृतिक दृश्यों के बारे मे है
-
7:15 - 7:16गली फोटोग्राफ़ी के बारे मे है,
-
7:16 - 7:19रंगों और वास्तुशिल्प के,
-
7:19 - 7:22दृष्टिकोण, माप और खासकर
इतिहास के बारे मे है. -
7:22 - 7:24ये सबसे एतिहासिक क्षणों मे से है
-
7:24 - 7:26जिनकी मैं फोटो ले पाया,
-
7:26 - 7:292013 में राष्ट्रपति के रूप मे बराक ओबामा
का अभिषेक -
7:30 - 7:32और यदि आप फोटो को ध्यान से देखेंगे
-
7:32 - 7:34तो आप उन बड़े टेलीविजन सेटों मे
-
7:34 - 7:36समय को वाकई बदलते हुये देख सकते हैं
-
7:36 - 7:39आप देख सकते हैं, बच्चों का इन्तेज़ार करतीं मिशेल,
-
7:39 - 7:40फ़िर लोगों का अभिवादन करते हुये ओबामा
-
7:40 - 7:42फ़िर शपथ-ग्रहण,
-
7:42 - 7:44और फ़िर वे लोगो से बात करते हुये.
-
7:45 - 7:49जब मैं ऐसे फोटो बनाता हूं तो
बहुत सारे चुनौतीपूर्ण पहलू होते हैं। -
7:49 - 7:51इस विशिष्ट फ़ोटो के लिये
-
7:51 - 7:55मैं 50 फ़ुट ऊंची कैंची लिफ़्ट मे था
-
7:55 - 7:56और वह बहुत स्थिर नहीं थी.
-
7:56 - 7:59तो जब भी मेरे सहायक और मैं इधर उधर होते,
-
7:59 - 8:01हमारा क्षितिज भी बदल जाता.
-
8:01 - 8:02तो हर उस चित्र के लिये जो आप देख रहे हैं,
-
8:02 - 8:05और ऐसे लगभग 1800 चित्र हैं इस फोटो मे
-
8:05 - 8:08जब भी मैं फोटो खींचता
-
8:08 - 8:10हमे अपने पैर एक स्थान पे चिपकाने पड़ते.
-
8:10 - 8:14(तालियां)
-
8:14 - 8:18मैने इस काम को करते हुये बहुत सारी
अद्भुत चीजें सीखी हैं -
8:19 - 8:22और मेरे खयाल से दो सबसे महत्त्वपूर्ण
हैं धैर्य -
8:22 - 8:24और अवलोकन क्षमता।
-
8:25 - 8:28जब आप न्यूयोर्क जैसे शहर के
ऊपर से फोटो लेते है -
8:28 - 8:30तो आप पायेंगे कि वो कारों मे घूमने वाले लोग
-
8:31 - 8:33जिनके साथ मेरे दिन-रात गुजरते है
-
8:33 - 8:35वो अब कार मे रहने वाले लोग जैसे नहीं लगते।
-
8:35 - 8:37बल्कि वो मछलियों के
एक बड़े झुन्ड जैसे लगते हैं, -
8:37 - 8:39ये एक तरह का उभरते हुए व्यवहार का रूप है।
-
8:40 - 8:43और जब लोग न्यू यॉर्क की ऊर्जा की
बात करते हैं -
8:43 - 8:46मेरे खयाल से यह चित्र इसे वाकई दर्शाता है।
-
8:46 - 8:48जब आप मेरे काम को करीब से देखेंगे तो
-
8:48 - 8:50पायेंगे कि इसमे कहानियां चल रही हैं।
-
8:50 - 8:53आपको लगेगा कि टाइम्स स्क्वायर एक घाटी है
-
8:53 - 8:55ये एक परछांई है, ये धूप है।
-
8:55 - 8:59तो मैने सोचा कि इस फोटो में, मैं समय को
शतरंज के खानों की तरह चिन्हित करूंगा -
8:59 - 9:01तो जहां भी छाया है, वहां रात है,
-
9:01 - 9:03और जहां धूप है वहां दिन है।
-
9:04 - 9:07समय एक ऐसी अद्भुत चीज है जो
-
9:07 - 9:09कभी हमें पूरी समझ मे नहीं आएगी।
-
9:10 - 9:12पर एक बहुत ही निराले और खास अन्दाज़ में
-
9:12 - 9:16ये चित्र समय को एक चेहरा देते हैं।
-
9:17 - 9:21ये एक पारभौतिक दृश्य वास्तविकता
को रूप प्रदान करते हैं -
9:23 - 9:26जब आप १५ घन्टे तक एक ही जगह को देखते हो
-
9:27 - 9:29तो आप चीजों को थोड़ा अलग तरीके से देखेंगे
-
9:29 - 9:31बजाये तब के जब आप या मैं बस
केमरा लेकर जाते हैं -
9:31 - 9:33फोटो खीचते हैं और चले जाते हैं।
-
9:33 - 9:35ये एक उत्कृष्ट उदाहरण है,
-
9:35 - 9:37मैं इसे "सेक्रे कोइउर सेल्फ़ी" कहता हूं।
-
9:38 - 9:39मैंने १५ घन्टे तक देखा कि
-
9:39 - 9:42इन लोगों ने "सेक्रे कोइउर" की
ओर देखा तक नहीं। -
9:42 - 9:45वो इसे एक पृष्टभूमि की तरह
इस्तेमाल करना चाहते थे। -
9:45 - 9:48वो आयेंगे, फोटो लेंगे
-
9:48 - 9:50और चले जायेंगे।
-
9:50 - 9:55और मेरे हिसाब से इस बात का एक
असाधारण उदाहरण है. -
9:55 - 9:59बहुतही अलग जो
हम जो मानवीय अनुभव के बारे मे सोचते हैं. -
10:00 - 10:03और मानवीय अनुभव जिस तरह बदल रहा है
-
10:04 - 10:09लोगों के साथ बांटना, अचानक
-
10:09 - 10:11खुद अनुभव करने से ज्यादा
महत्त्वपूर्ण हो गया है -
10:11 - 10:15(तालियां)
-
10:15 - 10:18और अन्त में मेरी सबसे नयी तस्वीर, जो निजी
-
10:18 - 10:21तौर पर मेरे लिये विशेष अर्थ रखती है,
-
10:21 - 10:25ये तंज़ानिया का सेरेंगती नेशनल पार्क है।
-
10:25 - 10:27और ये चित्र सेरोनेरा के
बीचोंबीच लिया गया है, -
10:28 - 10:29यह रिजर्व नहीं है।
-
10:30 - 10:32मैं विशेषकर पलायन के मौसम मे गया
-
10:32 - 10:36ताकि मैं सर्वाधिक प्रकार के
पशुओं कि फोटो ले सकूं। -
10:37 - 10:38दुर्भाग्यवश जब मैं वहां पहुचा
-
10:38 - 10:41तो उस समय सूखा पड़ा हुआ था,
-
10:41 - 10:42एक पांच हफ़्तों का सूखा।
-
10:42 - 10:44तो सारे पशु पानी की ओर जा रहे थे।
-
10:45 - 10:47मुझे ये एक पानी का गड्ढा मिला,
-
10:47 - 10:51और मुझे लगा यदि जब कुछ जैसा
चल रहा है, वैसा ही रहा तो -
10:51 - 10:54मेरे पास कुछ अनोखा संजोने का
असली मौका है -
10:54 - 10:56हमने इसका तीन दिन तक अध्ययन किया,
-
10:56 - 10:58पर कोई भी चीज मुझे उसके लिये तैयार
-
10:58 - 11:00नहीं कर सकती थी जो मैने उस दिन देखा।
-
11:00 - 11:03मैने 26 घन्टे तक एक बन्द मगरमच्छ अन्ध मे,
-
11:03 - 11:07हवा मे 18 फ़ुट ऊपर फोटो ली।
-
11:07 - 11:10मैने जो देखा वो अकल्पनीय था।
-
11:10 - 11:11सच कहूं तो वो बाइबल जैसा था।
-
11:11 - 11:14हमने देखा, २६ घंटो तक,
-
11:14 - 11:19ये सारी प्रतिस्पर्धिक प्रजातियां एक अकेला
संसाधन, पानी, साझा करती हैं। -
11:19 - 11:23वही संसाधन जिसके ऊपर अगले
५० सालों मे -
11:23 - 11:25मानवता में युद्ध होंगे।
-
11:25 - 11:29और ये जानवर एक दूसरे पर भड़के तक नहीं।
-
11:30 - 11:33वो कुछ ऐसा समझते हैं
जो हम इंन्सान नहीं समझते! -
11:34 - 11:36कि इस अनमोल संसाधन, जल, को हम
-
11:36 - 11:39सब को आपस मे बांटना ही पड़ेगा।
-
11:40 - 11:42जब मैने ये चित्र बनाया तो मुझे
-
11:43 - 11:47एहसास हुआ कि दिन से रात वाकई
देखने का एक नया तरीका है -
11:48 - 11:50समय को संकुचित करके,
स्पेस-टाइम कोन्टिनुअम -
11:50 - 11:54को एक फोटो के अन्दर खोज़ें।
-
11:55 - 11:59जैसे जैसे फोटोग्राफ़ी के साथ तकनीक
विकसित होगी, -
11:59 - 12:03फ़ोटो न केवल समय और यादों का
गहन अर्थ व्यकत करेंगे बल्कि वे -
12:04 - 12:10हमारी दुनिया की
एक समयोपरि खिड़की बनाते हुये, -
12:11 - 12:15अनकही कहानियों का एक नया वक्तव्य रचेंगे|
-
12:15 - 12:16धन्यवाद।
-
12:16 - 12:23(तालियां)
- Title:
- एक फोटो मे कैद, गुजरते लम्हे!
- Speaker:
- स्टीफ़ेन विल्कीस
- Description:
-
फ़ोटोग्राफ़र स्टीफ़ेन विल्कीस दिन से रात मे बदलते परिदॄश्य की, दूरी-समय सांतत्यक (स्पेस टाइम कोन्टिनुअम) को एक द्विआयामी स्थिर चित्र मे खोजते हुये, अद्भुत संरचनायें बनाते हैं। उनके इस कला और पद्धति के सफ़र मे उनके साथ पेरिस के टोरनेल सेतु, योसेमाइट नेशनल पार्क मे अल कापितन और सेरेंगति के हृदय मे स्थित एक जीवन्दायी जलस्रोत जैसी विलक्षण जगहों की यात्रा।
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 12:36
Abhinav Garule approved Hindi subtitles for The passing of time, caught in a single photo | ||
Abhinav Garule edited Hindi subtitles for The passing of time, caught in a single photo | ||
Arvind Patil accepted Hindi subtitles for The passing of time, caught in a single photo | ||
Arvind Patil edited Hindi subtitles for The passing of time, caught in a single photo | ||
Arvind Patil edited Hindi subtitles for The passing of time, caught in a single photo | ||
Pradeep Singh edited Hindi subtitles for The passing of time, caught in a single photo | ||
Pradeep Singh edited Hindi subtitles for The passing of time, caught in a single photo | ||
Pradeep Singh edited Hindi subtitles for The passing of time, caught in a single photo |