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एक फोटो मे कैद, गुजरते लम्हे!

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    मुझे ऐसे चित्र लेने का ज़ुनून है
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    जो कहानियां बताते हों
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    फ़ोटोग्राफ़ी करना समय के छोटे से हिस्से
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    में थमे हुये एक पल को संजोने जैसा है।
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    हर पल या फोटो समय के साथ गुजरती
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    यादों के एक टुकडे का प्रतीक है।
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    पर यदि आप एक फोटो मे एक से अधिक
    पल संजो सकें तो!
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    समय को लांघ कर अगर एक ही फोटोग्राफ़
    दिन और रात के
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    सर्वश्रेष्ठ पलॊं को संक्षिप्त करते हुये ,
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    एक निरंतर चित्र बन जाये तो!
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    मैने एक संकल्पना की है जिसे
    "दिन और रात" कहते हैं
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    और मैं मानता हूं कि ये आपके दुनिया
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    के प्रति नज़रिये को बदल देगा।
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    मेरा नज़रिया तो बदला है.
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    मेरा काम ऐसी प्रख्यात जगह की फोटो लेने से
    शुरु होता है जो
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    हमारी सामूहिक स्मृति का हिस्सा हो।
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    मैं एक निर्धारित स्थान से फ़ोटो लेता हूं और
    और खुद वहीं रहता हूं।
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    मैं समय के साथ गुज़रते हुये मानवता और
    प्रकाश के क्षणिक पलों को कैद करता हूं
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    १५ से ३० घन्टे तक फ़ोटो लेने
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    और १५०० से अधिक चित्र खींचने के बाद
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    मैं दिन और रात के सबसे उत्तम क्षण
    चुनता हूं।
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    समय को मार्गदर्शक बनाकर
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    मैं उन सारे सर्वोत्तम पलों को एक अकेले
    फ़ोटो मे मिलाकर
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    समय के साथ हमारी सचेत यात्रा की
    कल्पना करता हूँ।
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    मैं आपको टोर्नेल पूल से दृश्य दिखाने
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    के लिये पॅरिस ले जा सकता हूँ।
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    और आपको सैन नदी मे सुबह सुबह
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    नाव खेते लोग दिखा सकता हूँ।
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    और साथ ही आपको रात मे चमकता हुआ
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    नोतरे बांध दिखा सकता हूँ।
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    और उसी बीच, मैं आपको इस
    रोशनी के शहर का अफ़सना भी दिखा सकता हूँ।
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    मैं मूलत: हवा में ५० फ़ीट ऊपर बैठा
    एक सामान्य फोटोग्राफ़र हूँ,
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    और इस फोटो मे दिखने वाली हर एक चीज
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    सच में आज ही हुई है
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    दिन और रात एक वैश्विक परियोज़ना है,
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    और मेरा काम हमेशा इतिहास के बारे मे रहा है
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    मेरे लिये वेनिस जैसी जगह पर जाना और इसे
    किसी खास घटना के समय देखना
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    बहुत आकर्षक विचार है
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    और इसीलिये मैन्रे निर्णय लिया कि मैं
    ऐतिहासिक रेगाटा देखूंगा,
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    एक समारोह जो सन १४९८ से हो रहा है!
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    नावें और पहनावा आज भी बिल्कुल उस समय
    जैसे ही दिखते हैं।
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    और मैं चाहता हूँ कि एक महत्त्वपूर्ण तत्व
    आप सब अच्छे से समझ लें:
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    ये टाइम-लेप्स (अंतराल) नहीं है!
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    ये सारे दिन और सारी रात फोटो लेता हुआ मैं।
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    मैं जादुई पलों को अनवरत संग्राही हूँ।
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    और ये इनमें से बस एक पल को भी खो देने
    का डर है जो मुझे प्रेरित करता है।
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    ये पुरी संकल्पना लगभग १९९६ मे आयी।
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    "लाइफ़" पत्रिका ने मुझे बज़ लरमन की फ़िल्म
    "रोमिओ+ज्युलिअट" के अभिनेता और कर्मीदल
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    का परिचित्र लेने के लिये अधिकृत किया था।
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    मंच पर जाकर मुझे पता चला के
    ये तो वर्गाकार है।
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    तो परिचित्र बनाने का केवल एक ही तरीका था,
    २५० अलग अलग फोटो लेकर
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    उनको मिलाकर एक संग्रह चित्र बनाना!
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    तो मेरे सामने डि केप्रिओ और क्लेअर डेन्स
    आलिंगन मुद्रा मे थे,
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    और जैसे ही मैने अपना केमरा
    दायीं ओर घुमाया,
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    मेरा ध्यान दीवार पे टंगे शीशे पर गया
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    और मैने देखा के उसमें उनका प्रतिबिम्ब था।
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    और उस एक क्षण के लिये, उस एक फोटो में,
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    मैने उनसे कहा "क्या आप इस एक चित्र.."
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    "..के लिये चूम सकते हैं?"
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    और फ़िर मैं न्यूयोर्क में अपने स्टूडिओ मे
    वापस आ गया,
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    और मैने अपने हाथों से उन २५० चित्रों को
    एकसाथ चिपकाया
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    और मैने उसे ढंग से देखा और कहा,
    "वाह, ये तो एकदम मस्त है!
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    मैं फोटो मे समय को बदल रहा हूँ!"
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    और ये विचार सच मे मेरे मन मे १३ साल तक रहा
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    जब तक कि तकनीक अन्तत: मेरे सपनों की
    सीमा तक पहुच पायी।
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    ये मैने एक सेन्ट मोनिका पायर का चित्र
    बनाया है, दिन से रात तक!
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    और अब मैं आपको एक वीडिओ दिखाने जा रहा हूँ
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    जिससे आपको अन्दाजा लगेगा कि इन
    चित्रों को बनाते
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    समय मेरा अनुभव कैसा होता है।
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    शुरुआत के लिये, आपको समझना होगा कि ऐसा
    दृश्य पाने के लिये
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    मेरा ज्यादातर समय ऊंचाई पर किसी क्रेन में
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    गुजरता है।
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    तो ये मेरा एक सामान्य दिन है, १२-१८ घन्टे,
    बिना रुके पूरे दिन के पसरने
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    को फ़ोटो मे समेटना।
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    और कई मज़ेदार चीजों मे से एक है
    लोगों को देखना!
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    और विश्वास कीजिये, ये देखने के
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    के लिये मेरी सीट इस दरबार में
    सबसे अच्छी है।
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    लेकिन वाकई बिलकुल ऐसे ही मैं इन
    तस्वीरों को बनाता हूँ।
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    तो एक बार अपना दृश्य और जगह निर्धारित करने
    के बाद, मुझे तय करना होता है कि
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    दिन कहां शुरु होता है और रात कहां खत्म।
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    और इसी को मैं "टाइम व्हेक्टर" कहता हूँ।
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    आइंन्स्टाइन ने बताया कि समय एक
    कपड़े की तरह होता है।
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    एक ट्रेम्पोलिन के कपड़े की सतह के
    बारे मे सोचिये जो
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    गुरुत्वाकर्षण के साथ सिकुड़ता और फ़ैलता है।
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    मैं भी समय को कपड़े की तरह ही देखता हूँ,
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    बस मैं उस चादर को एकदम समतल करके इसे
    एक ही तल मे जमा देता हूँ।
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    इस काम के विलक्षण पहलुऒं मे से एक है,
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    यदि आप मेरे सारे चित्र देखें,
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    कि टाइम वेक्टर बदलता है:
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    कभी मैं बायें से दायें जाता हूँ,
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    तो कभी आगे से पीछे, ऊपर या नीचे,
    यहां तक कि तिरछा भी!
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    मैं एक द्वि-आयामी स्थिर चित्र में,
    दूरी-समय सांतत्यक
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    (स्पेस-टाइम कोन्टिनुअम) खोज रहा हूँ।
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    जब मैं ये चित्र बनाता हूं, तो ऐसा लगता है
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    जैसे एक तत्क्षणिक पहेली मेरे दिमाग मे
    चल रही हो।
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    मैं समय पर आधारित एक चित्र बनाता हूं,
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    और इसे मैं मास्टर प्लेट कहता हूं!
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    इसे पूरा होने मे कई महीने लग सकते हैं।
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    इस काम की मज़ेदार बात ये है
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    जब किसी भी दिन वहां ऊपर जाता हूं और
    फोटो लेता हूं तो
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    मेरा किसी चीज पर कोई नियंत्रण नहीं होता!
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    इसलिये मुझे कभी नही पता होता कि
    फोटो मे कौन होगा,
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    ये एक शानदार सूर्योदय या सूर्यास्त होगा
    कि नहीं, कुछ नहीं पता!
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    ये इस प्रक्रिया के अन्त में होता है,
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    वो भी जब मेरा दिन वाकई अच्छा रहा हो
    और सब कुछ ठीक रहा हो,
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    तब मैं तय करता हूं कि कौन रहेगा और
    कौन बाहर होगा, और
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    ये सब समय पर निर्भर करता है।
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    मैं एक महीने ये ज्यादा सम्पादित
    करके चुने गये सर्वोत्तम पलों को चुनूंगा
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    और वे सब निरंतर मिलकर मास्टर प्लेट
    बन जाते हैं
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    मैं दिन और रात को सिकोड़ कर
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    जैसे कि मैं देखता हूं,
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    इन दो विपरीत संसारों के बीच
    एक अद्वितीय सामंजस्य का निर्माण करता हूं।
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    चित्रकारी का मेरे सभी कार्यों में बहुत खास
    प्रभाव रहा है और
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    मैं हडसन नदी पद्धति के महान चित्रकार
    एल्बर्ट बीअरस्टेड,
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    का बहुत बड़ा प्रशंसक रहा हूं।
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    उन्होंने एक नयी श्रृृखला प्रेरित की
    जो मैंने राष्ट्रीय पार्क मे करी।
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    ये बीअरस्टेड की योसेमाइट घाटी है।
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    और ये योसेमाइट की फोटो है जो मैने बनाई है।
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    ये दरअसल नेशनल जिओग्रफ़िक के
    जनवरी २०१६ अंक की
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    मुख्य कथा है।
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    इस फोटो के लिये मैने ३० घन्टे से
    ज्यादा फोटो खींची।
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    मैं वस्तुत: एक चोटी के किनारे बैठकर,
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    तारों को,चाँदनी के परिवर्तन को और
    चाँदनी से जगमगाते अल केपितान को
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    केमरे में कैद कर रहा था।
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    और मैंने पूरे परिदॄश्य मे समय के परिवर्तन
    को भी कैद किया!
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    जाहिर है सबसे अच्छा भाग दिन से रात मे
    बदलते समय के साथ
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    मानवता के जादुई पलों
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    को देखना है।
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    और एक निज़ी बात,
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    मेरे पास वाकई बीअरस्टेड के चित्र
    की एक प्रतिलिपि मेरी जेब मे थी।
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    और जब सूरज घाटी मे उगने लगा,
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    मैं वाकई जोश से काँपने लगा
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    क्योंकि मैंने चित्र को देखा और कहा,
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    "हे भगवान! इसमें तो १०० साल पहले वाला
    एकदम बीअरस्टेड के
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    जैसा उजाला है।
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    दिन से रात हर चीज के बारे में है,
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    ये हर उस चीज के संकलन के जैसा है जो मुझे
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    फोटोग्राफ़ी के माध्यम के बारे मे पसन्द है।
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    ये प्राकृतिक दृश्यों के बारे मे है
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    गली फोटोग्राफ़ी के बारे मे है,
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    रंगों और वास्तुशिल्प के,
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    दृष्टिकोण, माप और खासकर
    इतिहास के बारे मे है.
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    ये सबसे एतिहासिक क्षणों मे से है
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    जिनकी मैं फोटो ले पाया,
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    2013 में राष्ट्रपति के रूप मे बराक ओबामा
    का अभिषेक
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    और यदि आप फोटो को ध्यान से देखेंगे
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    तो आप उन बड़े टेलीविजन सेटों मे
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    समय को वाकई बदलते हुये देख सकते हैं
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    आप देख सकते हैं, बच्चों का इन्तेज़ार करतीं मिशेल,
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    फ़िर लोगों का अभिवादन करते हुये ओबामा
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    फ़िर शपथ-ग्रहण,
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    और फ़िर वे लोगो से बात करते हुये.
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    जब मैं ऐसे फोटो बनाता हूं तो
    बहुत सारे चुनौतीपूर्ण पहलू होते हैं।
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    इस विशिष्ट फ़ोटो के लिये
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    मैं 50 फ़ुट ऊंची कैंची लिफ़्ट मे था
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    और वह बहुत स्थिर नहीं थी.
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    तो जब भी मेरे सहायक और मैं इधर उधर होते,
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    हमारा क्षितिज भी बदल जाता.
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    तो हर उस चित्र के लिये जो आप देख रहे हैं,
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    और ऐसे लगभग 1800 चित्र हैं इस फोटो मे
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    जब भी मैं फोटो खींचता
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    हमे अपने पैर एक स्थान पे चिपकाने पड़ते.
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    (तालियां)
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    मैने इस काम को करते हुये बहुत सारी
    अद्भुत चीजें सीखी हैं
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    और मेरे खयाल से दो सबसे महत्त्वपूर्ण
    हैं धैर्य
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    और अवलोकन क्षमता।
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    जब आप न्यूयोर्क जैसे शहर के
    ऊपर से फोटो लेते है
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    तो आप पायेंगे कि वो कारों मे घूमने वाले लोग
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    जिनके साथ मेरे दिन-रात गुजरते है
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    वो अब कार मे रहने वाले लोग जैसे नहीं लगते।
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    बल्कि वो मछलियों के
    एक बड़े झुन्ड जैसे लगते हैं,
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    ये एक तरह का उभरते हुए व्यवहार का रूप है।
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    और जब लोग न्यू यॉर्क की ऊर्जा की
    बात करते हैं
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    मेरे खयाल से यह चित्र इसे वाकई दर्शाता है।
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    जब आप मेरे काम को करीब से देखेंगे तो
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    पायेंगे कि इसमे कहानियां चल रही हैं।
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    आपको लगेगा कि टाइम्स स्क्वायर एक घाटी है
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    ये एक परछांई है, ये धूप है।
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    तो मैने सोचा कि इस फोटो में, मैं समय को
    शतरंज के खानों की तरह चिन्हित करूंगा
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    तो जहां भी छाया है, वहां रात है,
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    और जहां धूप है वहां दिन है।
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    समय एक ऐसी अद्भुत चीज है जो
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    कभी हमें पूरी समझ मे नहीं आएगी।
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    पर एक बहुत ही निराले और खास अन्दाज़ में
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    ये चित्र समय को एक चेहरा देते हैं।
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    ये एक पारभौतिक दृश्य वास्तविकता
    को रूप प्रदान करते हैं
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    जब आप १५ घन्टे तक एक ही जगह को देखते हो
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    तो आप चीजों को थोड़ा अलग तरीके से देखेंगे
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    बजाये तब के जब आप या मैं बस
    केमरा लेकर जाते हैं
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    फोटो खीचते हैं और चले जाते हैं।
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    ये एक उत्कृष्ट उदाहरण है,
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    मैं इसे "सेक्रे कोइउर सेल्फ़ी" कहता हूं।
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    मैंने १५ घन्टे तक देखा कि
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    इन लोगों ने "सेक्रे कोइउर" की
    ओर देखा तक नहीं।
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    वो इसे एक पृष्टभूमि की तरह
    इस्तेमाल करना चाहते थे।
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    वो आयेंगे, फोटो लेंगे
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    और चले जायेंगे।
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    और मेरे हिसाब से इस बात का एक
    असाधारण उदाहरण है.
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    बहुतही अलग जो
    हम जो मानवीय अनुभव के बारे मे सोचते हैं.
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    और मानवीय अनुभव जिस तरह बदल रहा है
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    लोगों के साथ बांटना, अचानक
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    खुद अनुभव करने से ज्यादा
    महत्त्वपूर्ण हो गया है
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    (तालियां)
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    और अन्त में मेरी सबसे नयी तस्वीर, जो निजी
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    तौर पर मेरे लिये विशेष अर्थ रखती है,
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    ये तंज़ानिया का सेरेंगती नेशनल पार्क है।
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    और ये चित्र सेरोनेरा के
    बीचोंबीच लिया गया है,
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    यह रिजर्व नहीं है।
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    मैं विशेषकर पलायन के मौसम मे गया
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    ताकि मैं सर्वाधिक प्रकार के
    पशुओं कि फोटो ले सकूं।
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    दुर्भाग्यवश जब मैं वहां पहुचा
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    तो उस समय सूखा पड़ा हुआ था,
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    एक पांच हफ़्तों का सूखा।
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    तो सारे पशु पानी की ओर जा रहे थे।
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    मुझे ये एक पानी का गड्ढा मिला,
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    और मुझे लगा यदि जब कुछ जैसा
    चल रहा है, वैसा ही रहा तो
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    मेरे पास कुछ अनोखा संजोने का
    असली मौका है
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    हमने इसका तीन दिन तक अध्ययन किया,
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    पर कोई भी चीज मुझे उसके लिये तैयार
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    नहीं कर सकती थी जो मैने उस दिन देखा।
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    मैने 26 घन्टे तक एक बन्द मगरमच्छ अन्ध मे,
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    हवा मे 18 फ़ुट ऊपर फोटो ली।
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    मैने जो देखा वो अकल्पनीय था।
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    सच कहूं तो वो बाइबल जैसा था।
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    हमने देखा, २६ घंटो तक,
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    ये सारी प्रतिस्पर्धिक प्रजातियां एक अकेला
    संसाधन, पानी, साझा करती हैं।
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    वही संसाधन जिसके ऊपर अगले
    ५० सालों मे
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    मानवता में युद्ध होंगे।
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    और ये जानवर एक दूसरे पर भड़के तक नहीं।
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    वो कुछ ऐसा समझते हैं
    जो हम इंन्सान नहीं समझते!
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    कि इस अनमोल संसाधन, जल, को हम
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    सब को आपस मे बांटना ही पड़ेगा।
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    जब मैने ये चित्र बनाया तो मुझे
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    एहसास हुआ कि दिन से रात वाकई
    देखने का एक नया तरीका है
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    समय को संकुचित करके,
    स्पेस-टाइम कोन्टिनुअम
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    को एक फोटो के अन्दर खोज़ें।
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    जैसे जैसे फोटोग्राफ़ी के साथ तकनीक
    विकसित होगी,
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    फ़ोटो न केवल समय और यादों का
    गहन अर्थ व्यकत करेंगे बल्कि वे
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    हमारी दुनिया की
    एक समयोपरि खिड़की बनाते हुये,
  • 12:11 - 12:15
    अनकही कहानियों का एक नया वक्तव्य रचेंगे|
  • 12:15 - 12:16
    धन्यवाद।
  • 12:16 - 12:23
    (तालियां)
Title:
एक फोटो मे कैद, गुजरते लम्हे!
Speaker:
स्टीफ़ेन विल्कीस
Description:

फ़ोटोग्राफ़र स्टीफ़ेन विल्कीस दिन से रात मे बदलते परिदॄश्य की, दूरी-समय सांतत्यक (स्पेस टाइम कोन्टिनुअम) को एक द्विआयामी स्थिर चित्र मे खोजते हुये, अद्भुत संरचनायें बनाते हैं। उनके इस कला और पद्धति के सफ़र मे उनके साथ पेरिस के टोरनेल सेतु, योसेमाइट नेशनल पार्क मे अल कापितन और सेरेंगति के हृदय मे स्थित एक जीवन्दायी जलस्रोत जैसी विलक्षण जगहों की यात्रा।

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
12:36

Hindi subtitles

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