कैसे नकली खबरों से होता है असली नुकसान
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0:01 - 0:04मैं आपको एक लड़की की
कहानी सुनाना चाहती हूँ | -
0:05 - 0:07पर मैं आपको उसका असली नाम नही बता सकती |
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0:07 - 0:09तो चलो हम उसे हदीज़ा बुलाते है |
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0:10 - 0:11हदीज़ा 20 साल की है |
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0:12 - 0:13वह शर्मीली है,
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0:13 - 0:16पर उसकी मुस्कुराहट बहुत खूबसूरत है,
जो उसके चेहरे पर नूर लाती है | -
0:17 - 0:19पर वह हर दम दर्द में है |
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0:21 - 0:24और संभावना है कि उसे अपनी बाकी ज़िंदगी
दवाइयों के सहारे बितानी पड़ेगी | -
0:25 - 0:27जानते हैं क्यों ?
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0:28 - 0:31हदीज़ा चिबॉक की लड़की है,
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0:31 - 0:34और 14 अप्रैल, 2014 को,
बोको हराम आतंकवादियों ने -
0:34 - 0:36उसका अपहरण किया था |
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0:36 - 0:39हालांकि वह वहाँ से बचकर निकल पाई,
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0:39 - 0:42लड़कियों से भरी उस ट्रक में से कूदकर |
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0:42 - 0:46पर जब वह ज़मीन पर उतरी,
तब उसके दोनो पैर टूट गए -
0:46 - 0:49और उसे अपने पेट के बल रेंगना पड़ा
झाड़ियों में छुपने के लिए | -
0:49 - 0:53उसने मुझे बताया कि उसे बहुत डर था
कि बोको हराम उसे फिर से लेकर जाएँगे | -
0:54 - 0:58वह उन 57 लड़कियों में से एक थी, जो उस दिन
ट्रक से कूदकर बच निकली थी | -
0:58 - 1:01ज़ाहिर सी बात है कि
यह कहानी दुनिया भर में -
1:01 - 1:02हलचल मचा देती है |
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1:02 - 1:06मिशेल ओबामा, मलाला, आदि जैसे लोगों ने
इसके विरोध में -
1:06 - 1:08अपनी आवाज़ उठाई हैं
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1:08 - 1:11और उस ही वक्त – मैं तब
लंडन में रह रही थी – -
1:11 - 1:16मुझे लंडन से अबूजा भेज दिया गया था,
विश्व र्थिक मंच के बारे में लिखने के लिये -
1:16 - 1:18जो पहली बार नाइजीरिया में आयोजित था |
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1:19 - 1:23पर जब हम वहाँ आए तब यह बात साफ थी
कि शहर में सिर्फ़ एक ही कहानी थी -
1:24 - 1:26हमने सरकार पर दबाव डाला |
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1:26 - 1:28हमने उनसे बहुत कठिन सवाल पूछे,
कि वे इन लड़कियों को -
1:28 - 1:30वापस लाने के लए क्या कर रहे थे
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1:30 - 1:32ज़ाहिर है,
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1:32 - 1:35कि वे हमारे सवालों से खुश नही थे
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1:35 - 1:39और बस इतना जान लीजिए कि हमे
हमारे हिस्से के "अन्य तथ्य" मिले | -
1:39 - 1:41( हँसी )
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1:41 - 1:45उस वक्त नाइजीरिया के प्रभावशाली वासी
हमे बता रहे थे -
1:45 - 1:47कि हम भोले हैं,
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1:47 - 1:50हम नाइजीरिया की राजनीतिक स्थिती को
नही समझते थे, -
1:51 - 1:53पर उन्होंने हमे यह भी बताया,
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1:53 - 1:56कि चिबॉक के लड़कियों की कहानी
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1:56 - 1:57एक फ़रेब था |
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1:58 - 2:01अफसोस की बात है,
कि यह फ़रेब की कहानी ज़िंदा रही है , -
2:01 - 2:03और आज भी नाइजीरिया में लोग हैं
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2:03 - 2:06जिनका मानना है कि चिबॉक की लड़कियाँ
कभी अगवा ही नही हुई -
2:07 - 2:09फिर भी
मैं इन जैसे लोगों से बात कर रही थी – -
2:10 - 2:12माँ-बाप जिनकी ज़िंदगी तबाह हो गई,
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2:12 - 2:16जिन्होंने हमे बताया कि जिस दिन बोको हराम
ने उनकी बेटियों का अपहरण किया था, -
2:16 - 2:21वे अपनी लड़कियों से भारी उस ट्रक के पीछे
भागते-भागते संबोसिया वन में जा पहुँचे -
2:21 - 2:25वे अपने साथ तलवार-चाकू लाए थे,
पर उन्हें वापस मुड़ना पड़ा -
2:25 - 2:26क्योंकि बोको हराम के पास बंदूकें थी
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2:27 - 2:31अनिवार्य रूप से, अगले 2 सालों के लिए
समाचारों की कार्यसूची आगे बढ़ती गई -
2:31 - 2:33और दो सालों में,
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2:33 - 2:36हमने चिबॉक की लड़कियों के बारे में
ज़्यादा नही सुना | -
2:36 - 2:38सबने यही समझ लिया कि वे सब मर चुकी हैं
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2:38 - 2:40पर पिछले साल, अप्रैल में,
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2:40 - 2:42मैं एक वीडियो को पाने में कामयाब हुई |
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2:43 - 2:45यह तस्वीर उस वीडियो में से है
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2:45 - 2:48जिसे बोको हराम ने उनके जीवित रहने के
सबूत के लिए बनाया -
2:49 - 2:51और मुझे यह वीडियो
एक सूत्र से प्राप्त हुआ | -
2:52 - 2:54पर उसे प्रकाशित करने से पूर्व,
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2:54 - 2:57मुझे नाइजीरिया के पूर्वोत्तर भाग तक
सफ़र करना पड़ा -
2:57 - 2:59उन माँ-बापों से बात करने के लिए,
उसकी पुष्टि के लिए -
2:59 - 3:03मुझे उनका पुष्टिकरण पाने के लिए
ज़्यादा इंतज़ार नही करना पड़ा | -
3:04 - 3:07उन में से एक माँ ने वीडियो देखकर
मुझसे कहा -
3:07 - 3:10क़ि अगर वह उस लॅपटॉप के अंदर घुस सकती
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3:10 - 3:14और अपनी बच्ची को उससे निकाल सकती,
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3:14 - 3:15तो उसने ऐसा किया होता |
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3:16 - 3:19यहाँ मौजूद दर्शकों में से जो भी
माता या पिता हैं, -
3:19 - 3:22आप सिर्फ़ उस तकलीफ़ की
कल्पना कर सकते हैं, -
3:22 - 3:24जो उस माँ ने महसूस की |
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3:26 - 3:32इस वीडियो में आगे बोको हराम के साथ की गई
समझौते की बातें दिखाई देती हैं -
3:32 - 3:36और नाइजीरिया के राज्यसभा के एक मंत्री ने
मुझे बताया कि इस वीडियो के कारण -
3:36 - 3:38वे इन बातों में पड़े,
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3:38 - 3:42क्योंकि उन्होनें कब का मान लिया था
कि वह चिबॉक की लड़कियाँ मर चुकी हैं -
3:43 - 3:47पिछले साल अक्टूबर में 21 लड़कियों को
आज़ाद किया गया | -
3:47 - 3:51अफ़सोस की बात यह है, कि उन में से लगभग 200
आज भी लापता हैं -
3:52 - 3:56मुझे यह मानना पड़ेगा कि मैं इस कहानी को
लेकर सिर्फ़ एक भावनाहीन दर्शक -
3:56 - 3:57नही रही हूँ
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3:57 - 4:01मुझे बहुत गुस्सा आता है जब मैं उन
लड़कियों को बचाने के गवाए हुए मौकों का -
4:02 - 4:03विचार करती हूँ
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4:03 - 4:07बहुत गुस्सा आता है मुझे उन बातों को सोचकर
जो उन माँ-बापों ने मुझे बताई, -
4:07 - 4:10कि अगर यह अमीरों या ताकतवर लोगों की
बेटियाँ होती, -
4:10 - 4:12तो वह बहुत पहले मिल जाती
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4:14 - 4:16और मैं बहुत गुस्सा हूँ
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4:16 - 4:18कि उस फ़रेब की कहानी ने,
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4:18 - 4:20मुझे पूरा यकीन है,
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4:20 - 4:22यह देरी लाई ;
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4:22 - 4:25यह उस वजह का हिस्सा थी जिससे
उन लड़कियों की वापसी में देर हुई -
4:27 - 4:31यह बात मुझे दर्शाती है कि नकली खबरें
कितनी ख़तरनाक हो सकती हैं -
4:31 - 4:33इसपर में हम क्या कर सकते हैं?
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4:34 - 4:36कुछ बहुत होशियार लोग हैं,
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4:36 - 4:38गूगल और फ़ेसबुक के चतुर इंजीनियर,
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4:38 - 4:43जो टेक्नोलॉजी के उपयोग से कोशिश कर रहे हैं
नकली खबरों को फैलने से रोकने की -
4:43 - 4:48पर इसके अलावा, मुझे लगता यहाँ मौजूद
हर कोई – आप और मैं – -
4:48 - 4:50हम सब इसमें शामिल हो सकते हैं
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4:50 - 4:53हम ही है जो बातों को बाँटते हैं
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4:53 - 4:55हम ही हैं जो कहानियों को
ऑनलाइन बाँटते हैं -
4:55 - 4:57आज के ज़माने में, हम सब प्रकाशक हैं,
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4:59 - 5:01और हम पर ज़िम्मेदारी है
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5:01 - 5:03मेरी पत्रकार की नौकरी में,
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5:03 - 5:05मैं जाँचती हूँ, बातों की पुष्टि करती हूँ |
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5:05 - 5:09मैं अपने दिल की आवाज़ सुनती हूँ,
पर मैं मुश्किल सवाल पूछती हूँ | -
5:10 - 5:12यह इंसान मुझे यह कहानी क्यों बता रहा है ?
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5:13 - 5:16यह जानकारी बाँटने से
उनका क्या फायदा होगा ? -
5:16 - 5:18क्या उनकी कोई छुपी हुई योजना है ?
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5:19 - 5:24मुझे सच में ऐसा लगता है कि हम सब को
और भी मुश्किल सवाल पूछना शुरू करना चाहिए -
5:24 - 5:27उस जानकारी के बारे में
जो हमें ऑनलाइन पता चलती है -
5:30 - 5:35एक शोध के अनुसार, हम में से कुछ लोग
कहानियाँ बाँटने से पहले -
5:35 - 5:38हेडलाइन्स के आगे भी नही पढ़ते
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5:38 - 5:39यहाँ किसने ऐसा किया है ?
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5:40 - 5:41मुझे पता है कि मैने किया है
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5:42 - 5:44लेकिन अगर हम
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5:45 - 5:50पाई हुई जानकारी को
उसके प्रदर्शित रूप से न देखें, तो? -
5:50 - 5:54अगर हमने ज़रा रुककर हमारे द्वारा
बाँटी गई जानकारी के परिणाम, -
5:54 - 5:56व उसके हिंसा और घृणा
पैदा करने की -
5:56 - 6:00क्षमता के बारे में सोचा, तो ?
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6:01 - 6:05अगर हम ज़रा रुककर हमारे द्वारा बाँटी जा रही
जानकारी के असली ज़िन्दगीयों पर होने वाले -
6:05 - 6:07परिणामों के बारे में सोचने लगे, तो ?
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6:08 - 6:10सुनने के लिए आपका बहुत शुक्रिया
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6:10 - 6:13( तालियाँ )
- Title:
- कैसे नकली खबरों से होता है असली नुकसान
- Speaker:
- स्टेफ़नी बुसारी
- Description:
-
14 अप्रैल , 2014 को बोको हराम नामक आतंकवादी संगठन ने नाइजीरिया के चिबॉक गाँव की 200 से भी ज़्यादा पाठशाला जाने वाली लड़कियों का अपहरण किया था | दुनिया भर में इस गुनाह का खुलासा #ब्रिंग-बाक-अवर-गर्ल्स ( हमारी-लड़कियों-को-वापस-ले-आओ ) से लिखा गया -- लेकिन नाइजीरिया में सरकारी अफ़्सरों ने इस गुनाह को फ़रेब का नाम दिया, जिससे उलझन और भी बढ़ी और उन लड़कियों को बचाने की हर कोशिश में देर हो गई | इस ज़बर्दस्त भाषण में पत्रकार स्टेफ़नी बुसारी चिबाॅक की दुखद घटना की ओर इशारा करते हुए हमें नकली खबरों के प्राणघातक खतरों के बारे में समझाती है, और बताती है कि हम उन्हें कैसे रोक सकते है |
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 06:26
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