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कैसे नकली खबरों से होता है असली नुकसान

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    मैं आपको एक लड़की की
    कहानी सुनाना चाहती हूँ |
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    पर मैं आपको उसका असली नाम नही बता सकती |
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    तो चलो हम उसे हदीज़ा बुलाते है |
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    हदीज़ा 20 साल की है |
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    वह शर्मीली है,
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    पर उसकी मुस्कुराहट बहुत खूबसूरत है,
    जो उसके चेहरे पर नूर लाती है |
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    पर वह हर दम दर्द में है |
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    और संभावना है कि उसे अपनी बाकी ज़िंदगी
    दवाइयों के सहारे बितानी पड़ेगी |
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    जानते हैं क्यों ?
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    हदीज़ा चिबॉक की लड़की है,
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    और 14 अप्रैल, 2014 को,
    बोको हराम आतंकवादियों ने
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    उसका अपहरण किया था |
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    हालांकि वह वहाँ से बचकर निकल पाई,
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    लड़कियों से भरी उस ट्रक में से कूदकर |
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    पर जब वह ज़मीन पर उतरी,
    तब उसके दोनो पैर टूट गए
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    और उसे अपने पेट के बल रेंगना पड़ा
    झाड़ियों में छुपने के लिए |
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    उसने मुझे बताया कि उसे बहुत डर था
    कि बोको हराम उसे फिर से लेकर जाएँगे |
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    वह उन 57 लड़कियों में से एक थी, जो उस दिन
    ट्रक से कूदकर बच निकली थी |
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    ज़ाहिर सी बात है कि
    यह कहानी दुनिया भर में
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    हलचल मचा देती है |
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    मिशेल ओबामा, मलाला, आदि जैसे लोगों ने
    इसके विरोध में
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    अपनी आवाज़ उठाई हैं
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    और उस ही वक्त – मैं तब
    लंडन में रह रही थी –
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    मुझे लंडन से अबूजा भेज दिया गया था,
    विश्व र्थिक मंच के बारे में लिखने के लिये
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    जो पहली बार नाइजीरिया में आयोजित था |
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    पर जब हम वहाँ आए तब यह बात साफ थी
    कि शहर में सिर्फ़ एक ही कहानी थी
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    हमने सरकार पर दबाव डाला |
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    हमने उनसे बहुत कठिन सवाल पूछे,
    कि वे इन लड़कियों को
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    वापस लाने के लए क्या कर रहे थे
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    ज़ाहिर है,
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    कि वे हमारे सवालों से खुश नही थे
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    और बस इतना जान लीजिए कि हमे
    हमारे हिस्से के "अन्य तथ्य" मिले |
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    ( हँसी )
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    उस वक्त नाइजीरिया के प्रभावशाली वासी
    हमे बता रहे थे
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    कि हम भोले हैं,
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    हम नाइजीरिया की राजनीतिक स्थिती को
    नही समझते थे,
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    पर उन्होंने हमे यह भी बताया,
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    कि चिबॉक के लड़कियों की कहानी
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    एक फ़रेब था |
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    अफसोस की बात है,
    कि यह फ़रेब की कहानी ज़िंदा रही है ,
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    और आज भी नाइजीरिया में लोग हैं
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    जिनका मानना है कि चिबॉक की लड़कियाँ
    कभी अगवा ही नही हुई
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    फिर भी
    मैं इन जैसे लोगों से बात कर रही थी –
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    माँ-बाप जिनकी ज़िंदगी तबाह हो गई,
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    जिन्होंने हमे बताया कि जिस दिन बोको हराम
    ने उनकी बेटियों का अपहरण किया था,
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    वे अपनी लड़कियों से भारी उस ट्रक के पीछे
    भागते-भागते संबोसिया वन में जा पहुँचे
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    वे अपने साथ तलवार-चाकू लाए थे,
    पर उन्हें वापस मुड़ना पड़ा
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    क्योंकि बोको हराम के पास बंदूकें थी
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    अनिवार्य रूप से, अगले 2 सालों के लिए
    समाचारों की कार्यसूची आगे बढ़ती गई
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    और दो सालों में,
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    हमने चिबॉक की लड़कियों के बारे में
    ज़्यादा नही सुना |
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    सबने यही समझ लिया कि वे सब मर चुकी हैं
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    पर पिछले साल, अप्रैल में,
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    मैं एक वीडियो को पाने में कामयाब हुई |
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    यह तस्वीर उस वीडियो में से है
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    जिसे बोको हराम ने उनके जीवित रहने के
    सबूत के लिए बनाया
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    और मुझे यह वीडियो
    एक सूत्र से प्राप्त हुआ |
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    पर उसे प्रकाशित करने से पूर्व,
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    मुझे नाइजीरिया के पूर्वोत्तर भाग तक
    सफ़र करना पड़ा
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    उन माँ-बापों से बात करने के लिए,
    उसकी पुष्टि के लिए
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    मुझे उनका पुष्टिकरण पाने के लिए
    ज़्यादा इंतज़ार नही करना पड़ा |
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    उन में से एक माँ ने वीडियो देखकर
    मुझसे कहा
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    क़ि अगर वह उस लॅपटॉप के अंदर घुस सकती
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    और अपनी बच्ची को उससे निकाल सकती,
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    तो उसने ऐसा किया होता |
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    यहाँ मौजूद दर्शकों में से जो भी
    माता या पिता हैं,
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    आप सिर्फ़ उस तकलीफ़ की
    कल्पना कर सकते हैं,
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    जो उस माँ ने महसूस की |
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    इस वीडियो में आगे बोको हराम के साथ की गई
    समझौते की बातें दिखाई देती हैं
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    और नाइजीरिया के राज्यसभा के एक मंत्री ने
    मुझे बताया कि इस वीडियो के कारण
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    वे इन बातों में पड़े,
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    क्योंकि उन्होनें कब का मान लिया था
    कि वह चिबॉक की लड़कियाँ मर चुकी हैं
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    पिछले साल अक्टूबर में 21 लड़कियों को
    आज़ाद किया गया |
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    अफ़सोस की बात यह है, कि उन में से लगभग 200
    आज भी लापता हैं
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    मुझे यह मानना पड़ेगा कि मैं इस कहानी को
    लेकर सिर्फ़ एक भावनाहीन दर्शक
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    नही रही हूँ
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    मुझे बहुत गुस्सा आता है जब मैं उन
    लड़कियों को बचाने के गवाए हुए मौकों का
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    विचार करती हूँ
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    बहुत गुस्सा आता है मुझे उन बातों को सोचकर
    जो उन माँ-बापों ने मुझे बताई,
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    कि अगर यह अमीरों या ताकतवर लोगों की
    बेटियाँ होती,
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    तो वह बहुत पहले मिल जाती
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    और मैं बहुत गुस्सा हूँ
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    कि उस फ़रेब की कहानी ने,
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    मुझे पूरा यकीन है,
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    यह देरी लाई ;
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    यह उस वजह का हिस्सा थी जिससे
    उन लड़कियों की वापसी में देर हुई
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    यह बात मुझे दर्शाती है कि नकली खबरें
    कितनी ख़तरनाक हो सकती हैं
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    इसपर में हम क्या कर सकते हैं?
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    कुछ बहुत होशियार लोग हैं,
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    गूगल और फ़ेसबुक के चतुर इंजीनियर,
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    जो टेक्नोलॉजी के उपयोग से कोशिश कर रहे हैं
    नकली खबरों को फैलने से रोकने की
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    पर इसके अलावा, मुझे लगता यहाँ मौजूद
    हर कोई – आप और मैं –
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    हम सब इसमें शामिल हो सकते हैं
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    हम ही है जो बातों को बाँटते हैं
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    हम ही हैं जो कहानियों को
    ऑनलाइन बाँटते हैं
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    आज के ज़माने में, हम सब प्रकाशक हैं,
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    और हम पर ज़िम्मेदारी है
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    मेरी पत्रकार की नौकरी में,
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    मैं जाँचती हूँ, बातों की पुष्टि करती हूँ |
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    मैं अपने दिल की आवाज़ सुनती हूँ,
    पर मैं मुश्किल सवाल पूछती हूँ |
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    यह इंसान मुझे यह कहानी क्यों बता रहा है ?
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    यह जानकारी बाँटने से
    उनका क्या फायदा होगा ?
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    क्या उनकी कोई छुपी हुई योजना है ?
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    मुझे सच में ऐसा लगता है कि हम सब को
    और भी मुश्किल सवाल पूछना शुरू करना चाहिए
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    उस जानकारी के बारे में
    जो हमें ऑनलाइन पता चलती है
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    एक शोध के अनुसार, हम में से कुछ लोग
    कहानियाँ बाँटने से पहले
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    हेडलाइन्स के आगे भी नही पढ़ते
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    यहाँ किसने ऐसा किया है ?
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    मुझे पता है कि मैने किया है
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    लेकिन अगर हम
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    पाई हुई जानकारी को
    उसके प्रदर्शित रूप से न देखें, तो?
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    अगर हमने ज़रा रुककर हमारे द्वारा
    बाँटी गई जानकारी के परिणाम,
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    व उसके हिंसा और घृणा
    पैदा करने की
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    क्षमता के बारे में सोचा, तो ?
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    अगर हम ज़रा रुककर हमारे द्वारा बाँटी जा रही
    जानकारी के असली ज़िन्दगीयों पर होने वाले
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    परिणामों के बारे में सोचने लगे, तो ?
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    सुनने के लिए आपका बहुत शुक्रिया
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    ( तालियाँ )
Title:
कैसे नकली खबरों से होता है असली नुकसान
Speaker:
स्टेफ़नी बुसारी
Description:

14 अप्रैल , 2014 को बोको हराम नामक आतंकवादी संगठन ने नाइजीरिया के चिबॉक गाँव की 200 से भी ज़्यादा पाठशाला जाने वाली लड़कियों का अपहरण किया था | दुनिया भर में इस गुनाह का खुलासा #ब्रिंग-बाक-अवर-गर्ल्स ( हमारी-लड़कियों-को-वापस-ले-आओ ) से लिखा गया -- लेकिन नाइजीरिया में सरकारी अफ़्सरों ने इस गुनाह को फ़रेब का नाम दिया, जिससे उलझन और भी बढ़ी और उन लड़कियों को बचाने की हर कोशिश में देर हो गई | इस ज़बर्दस्त भाषण में पत्रकार स्टेफ़नी बुसारी चिब​ाॅक की दुखद घटना की ओर इशारा करते हुए हमें नकली खबरों के प्राणघातक खतरों के बारे में समझाती है, और बताती है कि हम उन्हें कैसे रोक सकते है |

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English
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closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
06:26
Omprakash Bisen approved Hindi subtitles for How fake news does real harm
Omprakash Bisen edited Hindi subtitles for How fake news does real harm
Arvind Patil accepted Hindi subtitles for How fake news does real harm
Arvind Patil edited Hindi subtitles for How fake news does real harm
Surabhi Athalye edited Hindi subtitles for How fake news does real harm
Surabhi Athalye edited Hindi subtitles for How fake news does real harm
Surabhi Athalye edited Hindi subtitles for How fake news does real harm
Surabhi Athalye edited Hindi subtitles for How fake news does real harm
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