आइये, भावनात्मक रूप से उचित हो कर देखें
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0:01 - 0:05ऐसा है कि जब मैं अपना काम करती हूँ, तो लोग चिढ जाते हैं।
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0:05 - 0:07बल्कि, जितना अच्छा काम मैं करती हूँ,
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0:07 - 0:09उतना ही लोग मुझसे और चिढ जाते हैं।
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0:09 - 0:11और मैं ट्रेफ़िक चालान काटने वाली नहीं हूँ,
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0:11 - 0:13और मैं कोई दादागिरी करने वाली भी नहीं हूँ।
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0:13 - 0:16मैं तो बस एक प्रगतिवादी लेस्बियन हूँ
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0:16 - 0:19और फ़ॉक्स न्यूज़ पर जब तब बक बक करती हूँ। (तालियाँ)
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0:19 - 0:21जी, सही सुना आपने! फिर से कह रही हूँ - सही सुना आपने!
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0:21 - 0:25मैं फ़ॉक्स न्यूज़ की समलैंगिक बातूनी हूँ।
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0:25 - 0:27और मैं आपको बताती हूँ कि मैं ये कैसे करती हूँ
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0:27 - 0:29और वो सबसे ज़रूरी बात जो मैने सीखी है।
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0:29 - 0:30तो मैं टेलीविज़न पर आती हूँ।
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0:30 - 0:33मैं उन लोगों से बहस करती हूँ जो हर उस बात को खत्म करना चाहते है
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0:33 - 0:35जिसमे मेरा विश्वास है, और कभी कभी तो,
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0:35 - 0:39जो ये तक नहीं चाहते कि मैं और मेरे जैसे लोग इस दुनिया में रहें।
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0:39 - 0:42ये त्योहार पर अपने उस दकियानूसी चचा से बतियाने जैसा है
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0:42 - 0:44जो राशन पानी ले कर लडने को तैयार बैठे हों,
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0:44 - 0:47बस ये दसियों लाख टीवी दर्शकों के सामने सीधे होता है।
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0:47 - 0:50ये एक्दम बिलकुल वैसा ही है।
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0:50 - 0:51बस ये टीवी पर होता है।
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0:51 - 0:53मुझे बेहद ज्यादा मात्रा में नफ़रत भरी चिट्ठियाँ आती हैं।
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0:53 - 0:59पिछले ही हफ़्ते, मुझे २३८ घृणा भरी ईमेल मिली हैं
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0:59 - 1:02और ट्वीट्स तो इतने कि मैं गिन भी नहीं सकती।
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1:02 - 1:05मुझे बेवकूफ़, गद्दार, अभिशापित,
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1:05 - 1:08कमीनी और बदसूरत आदमी कहा गया,
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1:08 - 1:09और ये सब बस एक ही ईमेल में था।
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1:09 - 1:12(हँसी)
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1:12 - 1:15तो मैने आखिरकार सीखा क्या,
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1:15 - 1:18इतनी गाली गलौच और ताने झेल कर?
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1:18 - 1:20देखिये, मेरा सब से बडी सीख ये है कि दसियों साल से,
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1:20 - 1:24हम लोग राजनैतिक नज़रिये से सही होने की कोशिश करते आये हैं,
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1:24 - 1:28मगर असल में जो चीज़ ज़रूरी है वो है भावनात्मक रूप से सही होना।
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1:28 - 1:30मै आपको एक छोटा सा उदाहरण देती हूँ।
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1:30 - 1:33मुझे रत्ती भर फ़र्क नहीं पडता यदि आप मुझे मर्दाना औरत पुकारें। सच में।
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1:33 - 1:34मैं सिर्फ़ दो बातों की फ़िक्र करती हूँ।
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1:34 - 1:37एक तो ये कि आप मर्दाना की स्पेलिंग ठीक लिखें।
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1:37 - 1:42(हँसी) (तालियाँ)
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1:42 - 1:45जानकारी के लिये, म र दा ना ।
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1:45 - 1:48आपको पता नहीं है लोगों को ये नहीं आता है।
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1:48 - 1:50और दूसरा, आप क्या शब्द इस्तेमाल करते हैं, इसके बजाय,
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1:50 - 1:51ये कि आप उसे कैसे इस्तेमाल कर रहे हैं।
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1:51 - 1:54क्या आप बस मज़ाक कर रहे हैं? या आपको पता नहीं है शब्द का मतलब?
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1:54 - 1:58या फ़िर आप सच में मुझे व्यक्तिगत रूप से दुःख पहुँचाना चाहते है?
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1:58 - 2:02भावनात्मक रूप से सही होना बोलने के ढँग, उस में निहित भावना पर है,
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2:02 - 2:04कि हम कैसे कहते हैं जो भी हम कहते हैं,
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2:04 - 2:08और एक दूसरे के प्रति स्नेह और आदर जो हम अभिव्यक्त करते हैं।
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2:08 - 2:10और मैने महसूस किया है कि राजनैतिक समझ बूझ भी
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2:10 - 2:14किसी आइडिया या तथ्य या संख्याओं की मोहताज़ नहीं होती।
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2:14 - 2:18बल्कि वो भावनात्मक रूप से सही होने से शुरु होती है।
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2:18 - 2:21तो जब मैं पहली बार फ़ॉक्स न्यूज़ में काम करने गयी,
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2:21 - 2:23एकदम सच बात,
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2:23 - 2:25तो मुझे लगा था कि वहाँ तो फ़र्श में निशान बने होंगे
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2:25 - 2:28इधर उधर घसीटे जाने से।
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2:28 - 2:32और यदि आप ध्यान दें, तो ऐसा कहना भावनात्मक रूप से सही नहीं हैं।
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2:32 - 2:35मगर उदारवादी लोग मेरी तरफ़ हैं,
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2:35 - 2:38तो हम खुद को न्याय संगत, प्रभु समान मान सकते हैं,
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2:38 - 2:41हम किसी भो ऐसे व्यक्ति को रद्द कर सकते हैं
जो हम से सहमत न हो। -
2:41 - 2:44दूसरे शब्दों मे, हम राजनैतिक रूप से सही हो सकते हैं
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2:44 - 2:47मगर भावनात्मक रूप से सरासर गलत।
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2:47 - 2:49और इसका एक परिणाम ये है कि
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2:49 - 2:53लोग हमें पसंद नहीं करेंगे। है न?
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2:53 - 2:55और सुनिये कान खडे करने वाली बात।
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2:55 - 2:57रूढिवादी लोग असल में बहुत अच्छे लोग होते हैं।
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2:57 - 2:59मतलब, सारे के सारे नहीं,
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2:59 - 3:01और वो तो बिल्कुल नहीं जो मुझे घृणा भरे ईमेल भेजते हैं,
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3:01 - 3:02पर आपको अचरच होगा कि कितने सारे लोग अच्छे होते हैं।
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3:02 - 3:05शॉन हैनिटी दुनिया के सबसे प्यारे व्यक्तियों में से हैं
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3:05 - 3:07जिन्हें मैं जानती हूँ।
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3:07 - 3:08वो अपना खाली समय
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3:08 - 3:11अपने स्टाफ़ के लोगों को ब्लाइंड डेट पर भेजने में व्यतीत करते है,
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3:11 - 3:13और मुझे पता है कि अगर कभी मैं किसी मुश्किल में हुई,
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3:13 - 3:16तो वो मेरी मदद करने का हर संभव प्रयास करेंगे।
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3:16 - 3:18और देखिये मुझे लगता है कि शॉन हैनिटी
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3:18 - 3:21निन्यान्वे प्रतिशत राजनैतिक रूप से सही नहीं हैं,
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3:21 - 3:24मगर वो कमाल के दर्ज़े तक भावनात्मक रूप से सही हैं।
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3:24 - 3:26और इसीलिये लोगो उनकी बात सुनते हैं?
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3:26 - 3:29क्योंकि आप किसी को मना तो सकते ही नहीं
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3:29 - 3:32अगर वो आपकी बात भी सुनने को राज़ी न हो।
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3:32 - 3:35हम एक दूसरे से कन्नी काट लेने में इतना मशगूल रहते हैं
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3:35 - 3:38कि हम अपनी असहमतियों पर तो कभी बात ही नहीं करते,
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3:38 - 3:41और अगर हम एक दूसरे के प्रति स्नेह का भाव रखना सीख लें,
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3:41 - 3:45तो कम से कम सहमति का संभावना तो दिखेगी।
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3:45 - 3:47और ये सुन कर बडा अजीब सा लगता है
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3:47 - 3:49यहाँ से खडे हो कर ये सब कहना,
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3:49 - 3:51मगर जब आप इसे जीवन में उतारेंगे तो देखेंगे,
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3:51 - 3:53कि इसमें गज़ब की शक्ति है।
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3:53 - 3:56मान लीजिये कोई कहता है कि उसे प्रवासियों से नफ़रत है,
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3:56 - 3:58मैं ये अनुमान लगाने का प्रयास करती हूँ कि वो कितने डरे हुये होंगे
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3:58 - 4:02कि उनका समाज कितनी तेज़ी से बदल रहा है।
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4:02 - 4:05या जब कोई कहता है कि उन्हें शिक्षकों की यूनियन पसंद नहीं,
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4:05 - 4:07तो मैं जानती हूँ कि उनका दिल बैठ जाता होगा
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4:07 - 4:09अपने बच्चों के स्कूलों को बरबाद होते देख कर,
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4:09 - 4:12और उन्हें कोई चाहिये जिसे पर वो आरोप मढ सकें।
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4:12 - 4:16हमारी चुनौती है कि हम दूसरों के लिये दिल में प्यार पैदा कर सकें,
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4:16 - 4:19जैसा हम उन के दिलों में अपने लिये चाहते हैं।
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4:19 - 4:22ये है भावनात्मक रूप से सही होना।
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4:22 - 4:23मै ये बिल्कुल नहीं कहती कि ये आसान है।
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4:23 - 4:26औसतन, मुझे दिन में पाँच दशम्लव छः बार
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4:26 - 4:28खुद को रोकना पडता है अपने जवाबों में
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4:28 - 4:33गंदी गंदी भद्दी गालियों को भरने से।
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4:33 - 4:36ये पूरा मसला कि प्यार ढूँढो
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4:36 - 4:38और अपने दुश्मनों से भी सहमति की संभावना खोजो,
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4:38 - 4:41ये एक तरीके का राजनैतिक आध्यात्म है मेरे लिये,
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4:41 - 4:44और मैं कोई दलाई लामा भी नहीं हूँ।
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4:44 - 4:50मै सर्वोत्त्म नहीं हूँ लेकिन मैं आशावादी तो हूँ ही,
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4:50 - 4:53क्योंकि मुझे सिर्फ़ नफ़रत भरे ख़त ही नहीं आते,
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4:53 - 4:56मुझे बहुत सारे प्यार भरे ख़त भी मिलते हैं।
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4:56 - 4:59और मेरा सबसे पसंदीदा ख़त ऐसे शुरु होता है,
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4:59 - 5:01"मै आपके राजनैतिक मूल्यों का कायल नहीं हूँ, न ही
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5:01 - 5:06आपके काफ़ी खराब से तर्कों का,
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5:06 - 5:10मगर मैं एक व्यक्ति के रूप में आपक बहुत बडा फ़ैन हूँ।"
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5:10 - 5:14ये व्यक्ति मुझसे ज़रा भी सहमति नहीं रखता, फ़िर भी!
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5:14 - 5:17(हँसी)
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5:17 - 5:21मगर वो सुनता है, जो मैने कहा उस की वजह से नहीं,
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5:21 - 5:23मगर मैने कैसे कहा, इस वजह से,
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5:23 - 5:24और न जाने कैसे, हम कभी मिले भी नहीं, मगर
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5:24 - 5:27हमने एक रिश्ता कायम कर लिया है।
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5:27 - 5:29ये है भावनात्मक रूप से सही होन,
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5:29 - 5:32और यही तरीका है बातचीत सुलह की शुरुवात करने का
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5:32 - 5:34जिस से कि बदलाव आ सकता है।
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5:34 - 5:36धन्यवाद।
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5:36 - 5:40(तालियाँ)
- Title:
- आइये, भावनात्मक रूप से उचित हो कर देखें
- Speaker:
- Sally Kohn
- Description:
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राजनीति पंडित सैली कोह्न कहती है कि समय आ गया है कि रूढिवादी और उदारवादी लोग अपने राजनैतिक फ़ासले भूलें और एक दूसरे की बात सुनें।
इस आशा से भरे भाषण में, कोह्न बताती हैं कि उन्होंने प्रगतिवादी लेस्बियन वक्ता के रूप में फ़ॉक्स न्यूज़ में काम करके क्या सीखा।
वो कहती हैं कि राजनैतिक रूप से उचित होने से ज्यादा ज़रूरी है भावनात्मक रूप से सही होना।
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 05:59
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Swapnil Dixit edited Hindi subtitles for Let’s try emotional correctness | ||
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