कैमरून हेराल्ड: आइये बच्चों को उद्यमी बनाएँ
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0:01 - 0:04मैं इस बात पर शर्त लगा सकता हूँ कि मैं इस कमरे में मौजूद सबसे मूर्ख व्यक्ति हूँ
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0:04 - 0:06क्योंकि मैं स्कूल में पास ही नहीं होता था ।
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0:06 - 0:08पर मुझे बहुत छोटी उम्र में ही ये पता लग गया था कि
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0:08 - 0:10मैं पैसे से प्यार करता था, और व्यापार से प्यार करता था
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0:10 - 0:12और मैं ये उद्यमिता वगैरह से भी प्यार करता था ।
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0:12 - 0:14और मुझे उद्यमी बनने के लिये ही पाला गया था ।
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0:14 - 0:16और तब से आज तक मुझे एक बात का जुनून सवार है --
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0:16 - 0:19और मैनें आज से पहले इसके बारे में कभी बात नहीं की --
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0:19 - 0:22और इसलिये आप सब ये सुनने वाले पहले हैं, मेरी पत्नी के अलावा, तीन दिन पहले,
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0:22 - 0:25क्योंकि उन्होनें मुझसे पूछा, "तुम किस बारे मे बात करने वाले हो?" और मैने उन्हें बताया --
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0:25 - 0:27कि मुझे लगता है कि हम सुनहरा अवसर खो देते हैं
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0:27 - 0:29ऐसे बच्चों को ढूँढने का
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0:29 - 0:31जिनमें उद्यमी बनने के लक्षण होते है,
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0:31 - 0:33और उन्हें तैयार करने का, और उन्हें ये दिखा पाने का कि
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0:33 - 0:35असल में उद्यमी बनना एक मज़ेदार और महान चीज़ है ।
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0:35 - 0:38इसमें कुछ खराब नहीं है, और इसे खराब कहा भी नहीं जाना चाहिये,
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0:38 - 0:41जैसा कि अक्सर समाज में होता है ।
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0:41 - 0:44जब हम बच्चे होते है, हमारे पास सपनों का भन्डार होता है ।
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0:44 - 0:46और हमारे अपने जुनून, और अपनी योजनाएँ होती हैं ।
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0:46 - 0:48और हम किसी न किसी तरह से उन सब का कत्ल कर देते हैं ।
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0:48 - 0:51हमें सिखाया जाता है कि हमें पढाई पर और ध्यान देना चाहिये
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0:51 - 0:53या हमें अपना ध्यान और केंद्रित करना चाहिये, या फ़िर ट्यूशन ले लेनी चाहिये ।
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0:53 - 0:55और मेरे माता-पिता ने मेरे लिये फ़्रेंच के ट्यूटर भी लगवाये थे,
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0:55 - 0:58और मेरी फ़्रेंच आज भी एकदम बदतर है ।
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0:58 - 1:00दो साल पहले, मुझे सबसे उम्दा लेक्चरर का खिताब मिला
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1:00 - 1:03एम.आई.टी. के उद्यमिता के स्नातकोत्तर कोर्स में ।
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1:03 - 1:06और इस कार्यक्रम में दुनिया भर के उद्यमियों के सामने भाषण देना था ।
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1:06 - 1:09जब मैं दूसरी में पढता था, मैनें अपने शहर के स्तर पर बोलने की प्रतियोगिता जीती थी,
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1:09 - 1:11पर किसी ने ये नहीं कहा,
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1:11 - 1:13"देखो, ये बच्चा अच्छा वक्ता है ।"
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1:13 - 1:16ये अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता है, मगर इसे आसपास घूमने और, लोगों को प्रोत्साहिते करनें में कितना मज़ा आता है ।"
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1:16 - 1:18किसी ने नहीं कहा, "इसे बोलना सिखाओ ।"
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1:18 - 1:20उन्होंने कहा, इसे वो चीज और सिखाओ जिसमें ये अच्छा नहीं है ।
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1:20 - 1:22तो बच्चे ये लक्षण प्रदर्शित करते हैं ।
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1:22 - 1:24और हमें इन्हें पकडने के लिये तैयार रहना चाहिये ।
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1:24 - 1:26मैं यह मानता हूँ कि हमें बच्चों को
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1:26 - 1:28उद्यमी बनाने के लिये तैयार करना चाहिये, न कि वकील-इन्जीनियर ।
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1:28 - 1:30बदकिस्मती ये है कि हमारी स्कूल - व्यवस्था
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1:30 - 1:32इस पूरे संसार को सिर्फ़ ये सिखा रही है
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1:32 - 1:34कि बोलो, " चलो, या तो वकील बन जाते हैं, या फ़िर डॉक्टर ।"
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1:34 - 1:36और हम सब यहाँ एक सुनहरा मौका खो रहे हैं क्योंकि
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1:36 - 1:39कोई कभी ये नहीं कहता, "चलो यार, उद्यमी बनते हैं ।"
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1:39 - 1:41उद्यमी वो लोग होते है --और ऐसे कई लोग हमारे साथ आज इस कमरे में है --
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1:41 - 1:44जिनके पास तमाम आयडिया और तमाम जुनून होते हैं, और जो दुनिया की ज़रूरतों को देख कर
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1:44 - 1:46उन्हें पूरा करने का बीडा उठाते है, और पूरा भी करते हैं ।
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1:46 - 1:49और जो सोचा वो करने के लिये अपना सारा कुछ दाँव पर लगाने को तैयार होते हैं ।
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1:49 - 1:51और हमारे पास ये काबलियत होती है कि हम अपने आसपास के लोगों को जोडे
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1:51 - 1:53जो हमारा सपना साकार करने के लिये साथ आना चाहते हैं ।
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1:53 - 1:55और मैं समझता हूँ कि अगर हम बच्चों को
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1:55 - 1:58छोटी उम्र में ही उद्यमशीलता को गले लगाने दें,
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1:58 - 2:01तो हम दुनिया में वो सब बदल सकते हैं जो कि समस्यापूर्ण है ।
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2:01 - 2:04हर एक समस्या जो कि विश्व में है, किसी न किसी के पास उसका हल है ।
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2:04 - 2:06और जब आप छोटे होते हैं, आप ये कही नहीं सकते कि 'होगा नहीं या असंभव'
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2:06 - 2:08क्योंकि आपमें ये सब कह पाने की
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2:08 - 2:10समझ ही नहीं होती है ।
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2:10 - 2:13मेरे ख्याल से, अभिभावक और समाज होने के नाते, ये हमारी जिम्मेदारी है कि
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2:13 - 2:15हम अपने बच्चों को मछ्ली पकडना सिखायें,
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2:15 - 2:17बजाय उन्हें मछली दे देने के ।
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2:17 - 2:19पुरानी कहावत है, " यदि किसी को मछली दोगे, तो उसका पेट एक दिन के लिये भरेगा ।
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2:19 - 2:22यदि किसी को मछली पकडना सिखा दोगे, तो जीवन भर वो पेर भर सकेगा ।"
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2:22 - 2:24अगर हम अपने बच्चों को उद्यमी होना सिखा सकें,
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2:24 - 2:26खासकर वो जो कि सही लक्षण प्रदर्शित करते हैं,
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2:26 - 2:29जैसे कि हम विज्ञान में तेज़ बच्चों को वैज्ञानिक बनने के लिये कहते है।
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2:29 - 2:31सोचिये यदि हम उद्यमी होने के लक्षण दिखाने वाले बच्चों को
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2:31 - 2:33उद्यमी बनना सिखा सकें ?
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2:33 - 2:35इतने सारे बच्चे व्यवसाय और उद्यमी गतिविधियों को आगे बढा रहे होंगे,
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2:35 - 2:37बजाय सरकारी मदद का इंतज़ार करने के ।
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2:37 - 2:40हम असल में क्या कर रहे हैं कि हम अपने बच्चों को सिखा रहे है कि वो क्या न करें ।
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2:40 - 2:42मारो मत; काटो मत; गाली मत दो ।
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2:42 - 2:45और हम अपने बच्चों को बडी से बडी नौकरी पाने की सलाह देते हैं,
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2:45 - 2:47और स्कूल-व्यवस्था उन्हे ऐसे लक्ष्य देती है जैसे कि
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2:47 - 2:49डॉक्टर बनो, या फ़िर वकील बनो
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2:49 - 2:51या फिर अकाउंटेण्ट बनो, या फ़िर डेन्टिस्ट
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2:51 - 2:53या फ़िर अध्यापक या फ़िर पायलट ।
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2:53 - 2:55और मीडिया कहता है कि अगर आप
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2:55 - 2:57मॉडल बन सकें या गायक बन सकें तो बहुत सही रहेगा,
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2:57 - 3:00या फ़िर कोई बडे खिलाडी जैसे कि सिड्नी क्रोसबी
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3:00 - 3:03हमारे एम.बी.ए. की पढाई तक बच्चों को उद्यमी बनना नहीं सिखाती है ।
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3:03 - 3:05मेरे एम.बी.ए. नहीं करने के पीछे यही कारण था --
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3:05 - 3:07वैसे मेरा कहीं हुआ भी नहीं था
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3:07 - 3:09क्योंकि मेरे स्कूल में सिर्फ़ ६१ प्रतिशत नंबर थे
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3:09 - 3:11और ६१ प्रतिशत पर उस समय
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3:11 - 3:13सिर्फ़ एक ही जगह मुझे स्वीकार किया गया था - कार्ल्टन --
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3:13 - 3:16मगर हमारे एम.बी.ए. पाठ्यक्रम भी बच्चों को उद्यमी बनना नहीं सिखाते ।
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3:16 - 3:18वो उन्हें सिखाते है बडे बडे निगमों में काम करना ।
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3:18 - 3:21लेकिन ये बडी कम्पनियाँ शुरु किसने कीं ? उन्ही लक्षण दिखाने वाले कुछ लोगों ने ।
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3:21 - 3:24यहाँ तक कि प्रसिद्ध साहित्य तक मे भी सिर्फ़ एक ही किताब मुझे मिला --
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3:24 - 3:26और आप सब को ये पढनी चाहिये --
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3:26 - 3:28एक ही किताब मुझे मिली जो कि
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3:28 - 3:30उद्यमी को नायक के रूप में पेश करती है - "एटलस श्रग्ड ।"
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3:30 - 3:32इसके अलावा संपूर्ण विश्व मानो उद्यमियों को
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3:32 - 3:34बुरे व्यक्तियों के रूप में देखता और दिखाता है ।
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3:34 - 3:36मैं अपने ही परिवार की बात करता हूँ ।
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3:36 - 3:38मेरे दादा और नाना, दोनो ही उद्यमी थे । मेरे पिता उद्यमी थे ।
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3:38 - 3:41मेरा भाई और मेरी बहन और मैं - हम तीनो की अपनी कम्पनियाँ हैं ।
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3:41 - 3:43और हमने ये सब शुरु करने का निर्णय इसलिये लिया
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3:43 - 3:45क्योंकि शायद हम केवल यही करने के लायक थे ।
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3:45 - 3:47हम सामान्य काम कर ही नहीं पाते थे । हम किसी और के लिये काम कर ही नहीं पाते थे
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3:47 - 3:50क्योंकि हम बहुत अकडू थे, और हम वो सारे लक्षण दिखाते थे ।
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3:50 - 3:52मगर हमारे बच्चे भी उद्यमी बन सकते हैं ।
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3:52 - 3:54मैं कुछ संगठनों से जुडा हुआ हूँ जो कि विश्व-स्तर पर
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3:54 - 3:56एन्टरप्रिन्योर्स ओर्गेनाइज़ेशन और यंग प्रेसिडेंट ओर्गेनाइज़ेशन के नाम से जाने जाते हैं ।
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3:56 - 3:58मैं अभी बार्सिलोना से लौटा हूँ
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3:58 - 4:01वाई.पी.ओ. की वैश्विक गोष्ठी में वक्तव्य दे कर,
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4:01 - 4:03और वहाँ मैं जितने भी ऐसे लोगों से मिला
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4:03 - 4:05जो कि उद्यमी हैं,
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4:05 - 4:07उन सब को स्कूली पढाई में दिक्कतें हुई थीं ।
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4:07 - 4:10मुझमें डाक्टरी तौर पर ध्यान नहीं लगा पाने की बीमारी (अटेंशन डेफ़िसिट डिसार्डर) के १९ लक्षणों में से १८ पाये गये हैं ।
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4:10 - 4:13और इसलिये ये तमाम ताम-झाम मुझे बहुत कष्ट दे रहा है ।
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4:13 - 4:15(हँसी)
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4:15 - 4:17शायद इसीलिये मैं इस वक्त थोडा सा घबराया हुआ भी हूँ --
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4:17 - 4:19शायद मैंने बहुत कॉफ़ी और शक्कर भी ले ली है --
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4:19 - 4:22मगर ये एक उद्यमी के लिये काफ़ी गडबड चीज़ है ।
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4:22 - 4:24अटेंशन डेफ़िसिट डिसार्डर, बाईपोलर डिसार्डर ।
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4:24 - 4:27क्या आपको पता है कि बाईपोलर डिसार्डर को सी.ई.ओ. बीमारी भी कहते हैं ?
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4:27 - 4:30टेड टर्नर को ये बीमारी है । स्टीव जॉब को भी यही है ।
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4:30 - 4:33नेटस्केप के तीनो प्रतिष्ठाताओं को भी यही है ।
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4:33 - 4:35मैं पूरी लिस्ट बना सकता हूँ ।
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4:35 - 4:37बच्चों को देखिये -- ये लक्षण आपको उनमें दिखेंगे ।
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4:37 - 4:39और हम क्या करते है - हम उठा के उन्हें रीटालीन खिला देते हैं, ये कहते हुए,
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4:39 - 4:41"उद्यमी मत बनो
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4:41 - 4:43ये दूसर सिस्टम में ढल जाओ, और बढिया विद्यार्थी बनो ।"
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4:43 - 4:45माफ़ कीजिये, मगर उद्यमी विद्यार्थी नहीं होते ।
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4:45 - 4:47हम फ़टाफ़ट चलना चाहते हैं । हम सारा खेल समझ सकते हैं ।
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4:47 - 4:49मैनें निबंधों की चोरी की है । परीक्षाओं में खूब नकल की है ।
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4:49 - 4:52मैनें दूसरे बच्चों को पैसा दे कर अपना काम करवाया विश्वविद्यालय के स्तर पर
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4:52 - 4:54लगातार तेरह बार ।
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4:54 - 4:57पर एक उद्यमी हिसाब-किताब नहीं करता है, वो अकाउंटेंट को नौकरी पर रखता है ।
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4:57 - 4:59और मैनें ये थोडा पहले ही सीख लिया ।
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4:59 - 5:01(हँसी)
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5:01 - 5:03(तालियों सहित अभिवादन)
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5:03 - 5:06कम से कम मैं यह बात स्वीकार कर सकता हूँ कि मैने नकल की; आपमें से ज्यादातर नहीं कर सकते ।
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5:06 - 5:09और अब तो मैं पाठ्य-पुस्तकों में उद्धृत किया जाने लगा हूँ --
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5:09 - 5:11मेरी कही पंक्ति उसी विश्वविद्यालय पाठ्य-पुस्तक में मौजूद है
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5:11 - 5:14हर कनीडियन विश्व-विद्यालय और कॉलेज में ।
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5:14 - 5:17प्रबंधनीय लेखाविधि में, मैं पाठ नं आठ हूँ ।
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5:17 - 5:19वो पाठ मेरे द्वार बजट पर दिये गये एक वक्तव्य से आरंभ होता है।
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5:19 - 5:22और मैने लेखक को अपने साक्षातकार के बाद बताया था, कि मै उस पाठ्य-क्रम में नकल से पास हुआ था ।
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5:22 - 5:25उसे लगा कि मैं मजाकिया हूँ, और इसीलिये इस बात को शामिल नहीं किया गया।
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5:25 - 5:28मगर बच्चों मे आप ये गुण देख सकते हैं ।
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5:28 - 5:30उद्यमी की परिभाषा है - "ऐस व्यक्ति जो कि संगठित करता है, चलाता है
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5:30 - 5:33और व्यवसाय आगे बढाने के लिये खतरा मोल लेता है ।"
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5:33 - 5:35इसका ये मतलब बिलकुल भी नहीं है कि आपको एम.बी.ए. करना पडेगा ।
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5:35 - 5:37इसमें ये भी नहीं लिखा है कि आपको मगज मार कर स्कूल में जाना ही पडेगा ।
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5:37 - 5:40इसका केवल इतना मतलब है कि कुछ बातें आपको अपने अंदर महसूस करनी होंगी ।
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5:40 - 5:43और हमने उन कुछ बातों के बारे में सुना है कि - क्या वो प्राकृतिक रूप से मौजूद होती हैं, या उन्हें सिखाया जा सकता है, सुना है ना?
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5:43 - 5:45तो ये, ये चीज है या फ़िर वो चीज है? क्या है ये?
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5:45 - 5:48देखिये, मुझे लगता है ये कोई भी एक चीज नहीं है । मेरे ख्याल से दोनों ही हो सकती है ।
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5:48 - 5:50मुझे उद्यमी बनने के लिये बाकयदा तैयार किया गया था ।
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5:50 - 5:52जब मैं बडा हो रहा था, मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था,
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5:52 - 5:54क्योंकि मुझे हर मोड पर, बचपन से यही सिखाया गया था --
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5:54 - 5:56जब मेरे पिता ने ये महसूस किया कि मैं
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5:56 - 5:58उस सब के लायक नहीं जो स्कूल में पढाया-सिखाया जा रहा था --
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5:58 - 6:01और ये कि वो मुझे छोटी उम्र में ही व्यवसाय सिखा सकते थे ।
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6:01 - 6:03उन्होंने हमें तराशना शुरु किया, हम तीनों बच्चों को,
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6:03 - 6:05हमें नौकरी के ख्याल से घृणा करना सिखा दिया गया
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6:05 - 6:08और इस बात से प्यार कि हम ऐसी कंपनियाँ खडी करेंगे जो और लोगों को नौकरी देंगी ।
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6:08 - 6:11व्यवसाय में मेरी पहली कोशिश, जब मैं सात साल का था, और विन्नीपेग में था,
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6:11 - 6:13और अपने बिस्तर पर पडा हुआ था एक लम्बे तार वाला फ़ोन ले कर ।
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6:13 - 6:15और मैं सारे ड्राई-क्लीनरओं को कॉल कर रहा था
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6:15 - 6:17ये पता करने के लिये कि वो लोग मुझे
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6:17 - 6:19कोट हेंगरों के कितने पैसे दे सकते थे ।
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6:19 - 6:21और मेरे माँ कमरे में आईं और उन्होनें पूछा,
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6:21 - 6:24"तुम इन्हें बेचने के लिये इतने सारे हेंगर कहाँ से लाओगे?"
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6:24 - 6:26और मैने कहा, "चलिये, तहखाने में देखते हैं ।"
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6:26 - 6:29और फ़िर हम तहखाने में गये और मैनें एक अलमारी खोली ।
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6:29 - 6:31और उसमें करीब करीब एक हज़ार कोट हेंगर थे जो मैनें इकट्ठे किये थे ।
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6:31 - 6:34क्योंकि जब मैं उन्हे ये बता कर निकलता था कि मैं खेलने जा रहा हूँ,
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6:34 - 6:36मै दरवाजे-दरवाजे जा कर पडोसियों से हेंगर इकट्ठा करता था
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6:36 - 6:38और तहखाने में, बेचने के लिये जमा करता था ।
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6:38 - 6:40क्योंकि मैने कुछ हफ़्तों पहले ये देखा था कि --
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6:40 - 6:43इस से पैसे बन सकते थे । वो लोग एक हेंगर के लगभग दो पैसे देते थे ।
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6:43 - 6:45तो मैने सोचा, कि चलो तमाम तरह के हेंगर होते है ।
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6:45 - 6:47मैं उन्हें ले लूंगा ।
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6:47 - 6:50और मुझे पता था कि माँ को ये पसंद नहीं आयेगा, तो मैने बिना बताये ही कर डाला ।
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6:51 - 6:53और मुझे पता लगा कि आप असल में लोगों के साथ मोल-भाव कर सकते थे ।
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6:53 - 6:56एक व्यक्ति ने मुझे तीन पैसे का प्रस्ताव दिया, और मै उसे साढे तीन तक ले गया ।
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6:56 - 6:58मुझे सात साल की उम्र में ही पता था कि
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6:58 - 7:01मुझे एक पैसे का केवल कुछ भाग ही मिलेगा,
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7:01 - 7:03और लोग ये पैसा देंगे, क्योंकि उन्हें आगे इस से फ़ायदा होगा ।
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7:03 - 7:06साता साल की उम्र में मैं ये सोच सका कि मुझे कोट हेंगर के लिये साढे तीन पैसे मिल सकते हैं ।
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7:06 - 7:08मैनें नंबर प्लेट का कवर भी दरवाजे-दरवाजे बेचा है ।
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7:08 - 7:10मेरे पिता ने मुझे ऐसे किसी व्यक्ति को ढूँढने भेजा जो कि
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7:10 - 7:12मुझे होलसेल रेट पर माल बेचे ।
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7:12 - 7:14और नौ वर्ष की उम्र में मैं सडबरी शहर में घूम रहा था
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7:14 - 7:17घर-घर नंबर प्लेट कवर बेचते हुए ।
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7:17 - 7:20और अपना एक ग्राहक तो मुझे पूरी तरह से याद है
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7:20 - 7:22क्योंकि मैने उसके लिये और भी काम किया था ।
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7:22 - 7:24मैने अखबार भी बेचे ।
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7:24 - 7:26और ये आदमी मुझसे कभी अखबार नहीं खरीदता था ।
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7:26 - 7:29पर मुझे विश्वास था कि उसे मैं नंबर प्लेट कवर तो बेच ही डालूँगा ।
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7:29 - 7:30और उसने कहा, ""देखो, मुझे इसकी ज़रूरत नहीं है ।"
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7:30 - 7:33तो मैने कहा, "पर आपके पास तो दो कारें है..." -- और मैं केवल नौं वर्ष का था ।
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7:33 - 7:36और मैनें ये भी कहा, "मगर आपके पास दो कारें है, और दोनो पे कवर नहीं हैं। "
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7:36 - 7:38तो उसने कहा, "मैं जानता हूँ ।"
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7:38 - 7:40तो मैने कहा, "ये देखिये, इस कार की नंबर प्लेट एकदम खराब हो चुकी है ।"
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7:40 - 7:43तो उसने कहा, "हाँ, ये मेरी पत्नी की कार है ।" तो मैने कहा, "एक बार लगा कर देखते है
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7:43 - 7:45आपकी पत्नी की कार पर, और देखते है कि क्या वो ज्यादा चलेगी ।"
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7:45 - 7:48मुझे पता था कि वहाँ दो कारें थी, और उन पर दो-दो प्लेटें लगी थीं ।
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7:48 - 7:50अगर मैं चार कवर नहीं बेच सका, तो कम से कम एक तो बेच सकूँगा ।
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7:50 - 7:52ये मैनें बहुत छोटी उम्र में सीख लिया था ।
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7:52 - 7:54मैनें कॉमिक्स की अदला-बदली भी की ।
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7:54 - 7:56जब मैं करीब दस साल का था, मैं कॉमिक्स बेचता था
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7:56 - 7:58जार्जियन खाडी की हमारी झोपडी से ।
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7:58 - 8:00और मैं साइकिल से समुद्र-तट के एक सिरे पर जाता था
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8:00 - 8:02और गरीब बच्चों से कॉमिक्स खरीद लेता था ।
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8:02 - 8:05और फिर मैं तट के दूसरे सिरे पर जा कर रईस बच्चों को वो बेच देता था ।
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8:05 - 8:07ये मुझे प्राकृतिक रूप से पता था - सस्ता खरीदो, महँगा बेचो ।
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8:07 - 8:09और यहाँ माँग भी थी, और पैसा भी था ।
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8:09 - 8:12गरीब बच्चों को बेचने की कोशिश मत करो; उनके पास पैसा नहीं है । रईसों के पास है - थोडा तुम ले लो ।
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8:12 - 8:14तो ये बहुत स्वाभाविक है न ।
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8:14 - 8:16ये कुछ मंदी जैसा है - मंदी में क्या है ?
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8:16 - 8:19अभी भी १३ बिलियन डॉलर अमरीकी बाज़ारों में घूम रहे हैं ।
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8:19 - 8:22उसमें से कुछ अपने लिये ले लो । ये मैनें बचपन में ही सीख लिया था ।
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8:22 - 8:24मैनें ये भी सीख लिया था कि अपने स्रोत के बारे में किसी को मत बताओ,
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8:24 - 8:26क्योंकि ये धँधा शुरु करने के चार हफ़्तों के भीतर ही मेरी पिटाई हो गयी
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8:26 - 8:29क्योंकि एक रईस बच्चे को ये पता लग गया था कि मैं कॉमिक्स कहाँ से खरीदता हूँ,
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8:29 - 8:31और उसे ये बात अच्छी नहीं लगी कि वो मुझे अतिरिक्त पैसे दे रहा था ।
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8:31 - 8:33दस साल की उम्र में मुझे जबरदस्ती अखबार बेचना भेज दिया गया ।
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8:33 - 8:35मेरा बिलकुल भी मन नहीं था,
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8:35 - 8:37पर दस साल की उम्र में, मेरे पिता ने कहा, "अखबार बेचना तुम्हारा अगला धँधा होगा ।"
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8:37 - 8:39न सिर्फ़ मुझे एक इलाका दिया गया, बल्कि मुझे दो और इलाके लेने पडे,
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8:39 - 8:42और फ़िर उन्होनें कहा कि मैं आधे अखबार बेचने के लिये किसी को नौकरी पर रखूँ,
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8:42 - 8:45जो कि मैने किया, और तब मुझे पता लगा कि सारा पैसा तो असल में टिप्स में था ।
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8:45 - 8:47तो मैं टिप्स और भुगतान लेने जाता था ।
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8:47 - 8:49और सारे अखबारों के लिये खुद ही पैसा लेने जाने लगा ।
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8:49 - 8:51मेरा कर्मचारी सिर्फ़ अखबार बाँटने जाता था ।
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8:51 - 8:53क्योंकि तब तक मुझे पता लग गया था कि मैं पैसे बना सकता था ।
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8:53 - 8:56अब तक मुझे ये बात साफ़ हो चुकी थी कि मैं किसी और के लिये काम नहीं करने वाला था ।
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8:56 - 8:58(हँसी)
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8:58 - 9:00मेरे पिता की एक गाडी सम्हालने और मशीन सम्हालने की दुकान थी ।
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9:00 - 9:02और उसमें बहुत सारे पुर्जे इधर-उधर पडे रहते थे ।
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9:02 - 9:04और उसमें पुराना पीतल और ताँबा भी पडा था ।
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9:04 - 9:07तो मैनें उनसे पूछा कि उसका क्या होगा । और उन्होनें बताया कि वो उसे फेंक देते थी ।
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9:07 - 9:09तो मैने कहा, "मगर इसके तो पैसे मिल सकते है ?" तो उन्होंने कहा, " हाँ, शायद ।"
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9:09 - 9:11ये याद रखिये कि मैं दस साल का - ३४ साल पहले की बात है
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9:11 - 9:13और मुझे उस कबाड में एक मौका दिख रहा था ।
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9:13 - 9:15उस कबाड से पैसा बनाया जा सकता था ।
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9:15 - 9:18तो मैनें अपनी साइकिल पर और भी दुकानों से ये कबाड इकट्ठा करना शुरु कर दिया ।
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9:18 - 9:20और शनिवाद को मेरे पिता मुझे ले कर जाते थे
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9:20 - 9:22एक कबाडी के दुकान पर, जहाँ मुझे पैसे मिल जाते थे ।
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9:22 - 9:24मुझे ये बडा ही महान काम लगता था ।
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9:24 - 9:27और क्या विडंबना है कि, तीस साल बाद आज हम 1-800-GOT-JUNK बना रहे हैं ?
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9:27 - 9:29और उस से पैसा भी बना रहे हैं ।
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9:29 - 9:32११ साल की उम्र में मैने पिन रखने के लिये तकिया बनाया,
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9:32 - 9:34और उन्हें अपनी माँ के लिये मदर-डे के लिये बनाया ।
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9:34 - 9:37और ये छोटे छोटे लकडी के टुकडों से बनता था --
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9:37 - 9:39जब हम घर के बाहर कपडे सुखा रहे होते थे ।
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9:39 - 9:41और हम कुछ कुर्सियाँ बनाते थी ।
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9:41 - 9:43और छोटे तकिये जो मैं सिलता था ।
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9:43 - 9:45और आप उस में अपनी पिनों को खोंस सकते थे ।
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9:45 - 9:48क्योंकि लोग सिलाई किया करते थे, और उन्हें ऐसे तकियों की ज़रूरत थी ।
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9:48 - 9:51पर मुझे लगा कि आपके पास विकल्प होने चाहिये ।
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9:51 - 9:53तो मैने उनमें से कुछ को भूर पेंट कर दिय ।
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9:53 - 9:55और जब मैं किसी के दरवाजे जाता था, तो ये नहीं कहता था, "क्या आपको चाहिये ?"
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9:55 - 9:57मैं कहता था, "आपको कौन से रँग का चाहिये ?"
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9:57 - 9:59देखिये आप दस साल के बच्चे को मना नहीं कर सकते हैं,
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9:59 - 10:02खासकर, जब वो आपसे पूछता हो कि भूर वाल दूँ या सफ़ेद ।
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10:02 - 10:04तो पाठ भी मैने बचपन में ही सीख लिया था ।
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10:04 - 10:07और मैनें ये भी सीखा कि मजदूरी बहुत ही खराब काम है ।
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10:09 - 10:11जैसे कि लॉन की घास काटना घनघोर यातना है ।
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10:11 - 10:14पर क्योंकि मुझे गर्मियों में अपने सारे पडोसियों के लिये घास काटनी होती थी, और उसके लिये पैसे मिलते थे ।
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10:14 - 10:16मुझे लगा कि बार-बार आने वाली आमदनी
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10:16 - 10:19एक ही ग्राहक से, बहुत मज़ेदार होती है ।
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10:19 - 10:21तो मैनें सोचा कि अगर मैं किसी ग्राहक की एक बार मदद कर दूँ,
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10:21 - 10:23और हर हफ़्ते के लिये मुझे उससे पैसे मिले,
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10:23 - 10:25तो ये बहुत बेहतर होगा
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10:25 - 10:27बजाय पिनों के तकिये को एक व्यक्ति को बेचने के ।
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10:27 - 10:29क्योंकि वो बार बार नहीं बिक सकता है ।
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10:29 - 10:32तो मुझे ये बार-बार आमदनी वाली बात ही बचपन में ही सीखने को मिल गयी ।
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10:32 - 10:35देखिये, मुझे इन सब चीजों के लिये तैयार किया जा रहा था । मुझे कहीं भी नौकरी करना मना था ।
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10:35 - 10:38मैं लोगों के गोल्फ़-किट को ढोता था ।
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10:38 - 10:40मगर मुझे पता लगा कि गोल्फ़-कोर्स पर एक टीला है,
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10:40 - 10:42तेरहवें छेद के पास, एक बडा टीला था ।
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10:42 - 10:44और लोग कभी भी अपना बैग खुद वहाँ ढोना नहीं चाहते थे ।
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10:44 - 10:46तो मैं वहीं एक कुर्सी डाल कर बैठ जाता था
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10:46 - 10:49और सिर्फ़ उन लोगों का सामान ढोता था जिनके पास ढोने के लिये और कोई नहीं था ।
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10:49 - 10:52और मैं उनकी किटों को उस टीले के ऊपर तक ले जाता था, और एक डॉलर की कमाई करता था ।
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10:52 - 10:54जबकि मेरे दोस्त पाँच घण्टों तक काम करके
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10:54 - 10:56किसी का सामान ढोते थे, और पाँच डॉलर कमाते थे ।
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10:56 - 10:59और मैं कहता था, "ये मूर्खता है क्योंकि तुमने पाँच घण्टे काम किया है ।"
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10:59 - 11:02मुझे इसका कोई मतलब नहीं समझ आता था । "आपको पैसा बनाने की तेज तरकीब ढूँढनी चाहिये ।"
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11:02 - 11:05हर हफ़्ते मैं कोने की दुकान से कुछ सामान लेता था ।
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11:05 - 11:08और फ़िर ७० साल के लगभग उम्र की ब्रिज खेलने में मशगूल महिलाओं के पास जा कर बेच देता था ।
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11:08 - 11:10और वो मुझे अगले हफ़्ते का आर्डर दे देती थीं ।
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11:10 - 11:12और मैं सिर्फ़ सामन पहुँचाता और दोगुना पैसा बटोरता था ।
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11:12 - 11:15और मैने इस बाज़ार पर कब्जा जमा लिया था । इसमें किसी लिखा-पढी की ज़रूरत नहीं होती है ।
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11:15 - 11:17बस कहीं माँग होनी चाहिये, और कहीं से आपूर्ति होनी चाहिये
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11:17 - 11:19और कुछ लोग जो आपकी बात सुनने को तैयार हों ।
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11:19 - 11:21ये औरतें कभी किसी और से सामान नहीं लेती थीं
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11:21 - 11:23क्योंकि मैं उन्हें पसंद था, और मुझे ये पता था ।
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11:23 - 11:26मैं गोल्फ़-कोर्स से गोल्फ़-बॉल ले आता था ।
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11:26 - 11:28हर कोई झाडियों में बॉल ढूँढ रहा होता था
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11:28 - 11:30और गड्ढों में।
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11:30 - 11:32और मैं कहता था कि ये क्या बकवास है । सारी बॉलें तो तालाब में हैं
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11:32 - 11:34और कोई भी तालाब में जाने को तैयार नहीं था ।
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11:34 - 11:37तो मैं तालाब में घुस कर, इधर-उधर रेंग कर, अपने पैर से उन्हें उठाता था ।
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11:37 - 11:39उन्हें दोनो पैरों से उठाना पडता है ।
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11:39 - 11:41स्टेज पर नहीं किया जा सकता ।
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11:41 - 11:43और आप ये बॉल ले कर, बस उन्हें अपने बाथिंग-सूट के कच्छे में डाल लेते थे
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11:43 - 11:46और जब आप काम खत्म करते थी, आपके पास कुछ सौ बॉलें होती थीं ।
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11:46 - 11:49मगर दिक्कत ये थी कि लोगों को पुराने बॉल नहीं चाहिये थे ।
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11:49 - 11:51तो मैनें उन्हें पकैट-बंद करना शुरु किया । और मैं १२ साल का था ।
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11:51 - 11:53उन्हें मैंने तीन तरह के पैकेजों में बाँटा ।
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11:53 - 11:55मेरे पास पिनैकल्स और डी.डी.एच ब्रांड की बॉलें थी, और वो बहुत मशहूर थीं ।
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11:55 - 11:57हर बॉल दो डॉलर की बिकती थी ।
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11:57 - 12:00तो मैं उन सारी बॉलों को एक साथ रखता था जो गन्दी नहीं दिखती थीं, और ५० सेन्ट की बेचता था ।
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12:00 - 12:03और मैं खराब बॉलों को पचास के पैकेट में बेचता था ।
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12:03 - 12:05और उन्हें लोग प्रैक्टिस के लिये इस्तेमाल कर सकते थे ।
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12:05 - 12:07स्कूल में मैनें धूप के चश्में भी बेचे हैं,
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12:07 - 12:09उन सारे बच्चों को जो कि हाई-स्कूल में थे ।
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12:09 - 12:12और इस तरह की चीजों की वजह से लोग आपसे घृणा करने लगते है,
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12:12 - 12:15क्योंकि आप हमेशा दोस्तों से पैसा निकलवाने के चक्कर में रहते हो ।
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12:15 - 12:17लेकिन इस से पैसा बनता है ।
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12:17 - 12:19और मैनें बहुत ही सारे धूप के चश्में बेचे ।
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12:19 - 12:21और जब मेरे स्कूल ने मुझे ये करने से मना कर दिया --
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12:21 - 12:23असल में एक दिन मुझे ऑफ़िस में बुला कर कहा गया कि मुझे ये करना बंद होगा --
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12:23 - 12:25तो मैं पैट्रोल-पंप गया और
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12:25 - 12:27उन पंप वालों को कई कई चश्में बेचने लगा
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12:27 - 12:29और फ़िर वो लोग अपने ग्राहको को बेच देते थे ।
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12:29 - 12:31और ये भी मस्त था क्योको अब मेरे पास रिटेल दुकानें थीं ।
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12:31 - 12:33उस समय शायद मैं चौदह साल का रहा हूँगा ।
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12:33 - 12:36मैने अपनी कार्ल्टन यूनिवर्सिटी की पहले साल की पूरी फ़ीस खुद ही भरी,
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12:36 - 12:38वाइन का कवर बेच बेच कर ।
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12:38 - 12:40देखिये उसमें करीब ४० ओज़. की रम की बोतल आ जाती है
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12:40 - 12:42और साथ में कोक की दो बोतलें? तो बढिया है न?
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12:42 - 12:44और होता क्या था? लोग उसे अपने क्च्छों मे छुपा लेते थे,
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12:44 - 12:47और जब आप फ़ुट्बाल का मैच देखने जाते, आप फ़्री में शराब अंदर ले जा सकते थे,
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12:47 - 12:49और हर कोई उसे खरीदता था ।
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12:49 - 12:52माँग, आपूर्ति, मौका ।
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12:52 - 12:54मैनें उसकी ब्रांडिग भी की, और फ़िर उसे उसकी कीमत से पाँच गुना पर बेचा ।
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12:54 - 12:56उस पर मैनें अपनी यूनिवर्सिटी का चिन्ह बना दिया था ।
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12:56 - 12:58देखिए, हम अपने बच्चों को पढाते है, और उनके लिये खेल खरीदते हैं,
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12:58 - 13:01पर अगर वो उद्यमी बच्चे हैं, तो हम ऐसे खेल क्यों नहीं खरीदते,
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13:01 - 13:04जिससे कि उनकी उद्यमिता आगे बढे ?
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13:04 - 13:07उन्हें आप पैसा नहीं बरबाद करना क्यों नहीं सिखाते ?
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13:07 - 13:10मुझे याद है कि मुझे पैदल चलने के लिये छोड दिया गया था बान्फ़, अल्बर्टा में
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13:10 - 13:12क्योंकि मैने एक सिक्का ज़मीन पर फेंक दिया था,
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13:12 - 13:14और मेरे पिता ने कहा, "जा कर उसे उठाओ ।"
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13:14 - 13:16उन्होंने कहा, "मैं पैसे कमाने के लिये बहुत मेहनत करता हूँ । मैं तुम्हें कभी भी एक पैसा भी बरबाद नहीं करने दूँगा ।"
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13:16 - 13:18और मुझे उनका वो पाठ आज तक याद है ।
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13:18 - 13:21बँधा हुआ, घर से मिलने वाला पैसा बच्चों को खराब आदतें सिखाता है ।
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13:21 - 13:23पॉकिट-मनी, स्वाभाविक रूप से, बच्चों को
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13:23 - 13:25नौकरी-पेशा होना सिखाती है ।
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13:25 - 13:28एक उद्यमी कभी भी तनख्वाह की अपेक्षा नहीं रखता है ।
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13:28 - 13:30और बचपन में मिलने वाला बँधा-बँधाया पैसा
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13:30 - 13:32तनख्वाह की आदत डालता है ।
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13:32 - 13:34ये गलत है, मेरे हिसाब से, अगर आप उद्यमियों को पैदा करना चाहते हैं ।
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13:34 - 13:36मैं अपने बच्चों के साथ क्या करता हूँ -- मेरे दो बच्चे है, सात और नौ साल के --
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13:36 - 13:38कि मैं उन्हे ले कर घर भर में घूमता हूँ,
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13:38 - 13:40ऐसी चीजें ढूँढने के लिये, जिन्हे किया जाना है ।
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13:40 - 13:42वो आ कर मुझे बताते है कि क्या करना है ।
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13:42 - 13:44या फ़िर मैं जा कर उन्हें बताता हूँ , " देखो, ये करने की ज़्रूरत है ।"
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13:44 - 13:46और फ़िर हम क्या करते है? हम सौदा तय करते हैं ।
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13:46 - 13:48वो काम ढूँढ कर लाते हैं ।
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13:48 - 13:50और हम मोल-भाव करके ये तय करते हैं कि कितना पैसा दिया जाएगा ।
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13:50 - 13:53लेकिन उन्हें कोई भी बँधी-बँधायी पॉकिट-मनी नहीं मिलती, मगर उन्हें मौका मिलता है और ज्यादा काम ढूँढने का,
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13:53 - 13:55और वो मोल-भाव करना भी सीखते हैं,
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13:55 - 13:57और मौके ढूँढना भी ।
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13:57 - 14:00ऐसी चीजें सिखानी पडती हैं । मेरे हर बच्चे के पास एक गुल्लक है ।
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14:00 - 14:02उनकी कमाई का आधा हिस्सा
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14:02 - 14:04घर के खर्च में जाता है,
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14:04 - 14:06और आधा उनके खिलौनों के खाते में ।
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14:06 - 14:08और जो भी उनके खिलौनों के घाते में जाता है, उसे वो चाहे जैसे खर्च कर सकते हैं ।
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14:08 - 14:11और जो आधा भाग घर-खर्च में जाता है, हर छः महीने पर, उसे बैंक में जमा करते हैं ।
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14:11 - 14:14वो मेरे साथ चल कर जाते हैं । हर साल जितना पैसा इकट्ठा होता है, वो उनके ब्रोकर के पास जाताहै ।
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14:14 - 14:17जी हाँ, मेरे दोनो बच्चों के पास अपने स्टॉक-ब्रोकर भी हैं ।
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14:18 - 14:20पर मैं उन्हें पैसा बचाने की आदत जबरदस्ती डाल रहा हूँ ।
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14:20 - 14:23मुझे ये बात अजीब लगती है कि ३० साल उम्र के लोग कहते हैं,
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14:23 - 14:25"हाँ, शायद अब मैं रिटायरमेंट के लिये पैसा जोडना शुरु करूँ ।"
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14:25 - 14:27तुम पहले ही २५ साल बरबाद कर चुके हो ।
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14:27 - 14:29आप इन आदतों को बच्चों को सिखा सकते है
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14:29 - 14:31क्योंकि उन्हें इस से कुछ खास फ़र्क नहीं पडता है ।
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14:31 - 14:33उन्हें हर रात को कहानी मत सुनाइये ।
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14:33 - 14:35हफ़्ते में चार दिन उन्हें सोते समय कहानी सुनाइये
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14:35 - 14:37और बाकी तीन रात, उनसे कहानियाँ सुनिये ।
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14:37 - 14:40अपने बच्चों के साथ बैठ जायिये, और उन्हें चार चीजें दीजिये,
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14:40 - 14:43एक लाल कमीज़, एक नीली टाई, एक कँगारू, और एक लैपटॉप,
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14:43 - 14:45और उन्हें इन चारो के बारे में एक कहानी सुनाने के लिये कहिये ।
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14:45 - 14:47मेरे बच्चे खूब ऐसा करते हैं ।
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14:47 - 14:49इससे उन्हें अपनी योजनाओं को बेचना आयेगा; वो और रचनात्मक बनेंगे;
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14:49 - 14:51उन्हें इस से अपने पाँवों पर खडा होना आयेगा ।
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14:51 - 14:53इस तरह का कुछ कर के देखिये, और उसका आनंद लीजिये ।
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14:53 - 14:55बच्चों को लोगों के समूहों के सामने खडा कर दीजिये, और उन्हें बोलने को कहिये,
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14:55 - 14:57भले ही वो अपने परिवारजनों के सामने ही क्यों न हो
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14:57 - 14:59और छोटे-छोटे नाटक, और भाषण देने के लिये कहिये ।
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14:59 - 15:01ये उद्यमी के लिये आवश्यक ऐसे कुछ गुण हैं जो कि आप चाहेंगे कि आपके बच्चे सीखें ।
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15:01 - 15:04बच्चों को बताइये कि खराब ग्राहक, और खराब कर्मचारी कैसे होते हैं ।
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15:04 - 15:06उन्हें घटिया कर्मचारियों को दिखाइए ।
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15:06 - 15:08जब आप घटिया ग्राहक-सेवा देखें, तो उसे खुल कर बच्चों को समझाइये ।
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15:08 - 15:10कहिये, ""देखो, ये घटिया कर्मचारी है ।"
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15:10 - 15:13और कहिये, " देखो, ये वाल बढिया कर्मचारी है ।"
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15:13 - 15:15(हँसी)
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15:15 - 15:17अगर आप एक रेस्टोरेंट में जाते है, और आपको घटिया सेवा मिलती है,
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15:17 - 15:19तो बच्चो को दिखाइये कि घटिया सेवा कैसी लगती है ।
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15:19 - 15:21(हँसी)
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15:21 - 15:23हमारे सामने ये सब पाठ पडे हैं,
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15:23 - 15:26मगर हम कभी इन मौकों का इस्तेमाल नहीं करते है; हम बच्चों की ट्यूशन लगवा देते हैं ।
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15:26 - 15:28सोचिये यदि आप
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15:28 - 15:30बच्चों का सारा फालतू सामान और सारे
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15:30 - 15:32खिलौने जो कि वो इस्तेमाल नहीं करते है, ले और
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15:32 - 15:35कहें, "चलो इन्हें क्रेगलिस्ट और किजिजि पर बेच देते हैं ?"
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15:35 - 15:37और बच्चे सच में इन्हें बेचें
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15:37 - 15:39और सीखें कि कैसे तमाम ईमेलों में असल खरीदने वालों को कैसे ढूँढा जाये ।
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15:39 - 15:41ये ईमेल आपके अकाउंट में आ सकती है, या कुछ और इंतज़ाम हो सकता है ।
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15:41 - 15:44मगर उन्हें कीमत लगाना, कीमत का अंदाज़ा लगाना,
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15:44 - 15:46और फोटो निकालना वगैरह सीखने का मौका मिलेगा ।
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15:46 - 15:48उन्हें सिखाइये कि कैसे इस तरह से पैसे बनाये जा सकते हैं ।
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15:48 - 15:50फ़िर जो पैसा उन्होने कमाया, उसमें से आधा घर के खाते में,
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15:50 - 15:52और आधा उनके खिलौनों के खाते में ।
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15:52 - 15:54मेरे बच्चों के ये बहुत पसंद है ।
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15:54 - 15:57कुछ उद्यमिता के लक्षण जो कि आप बच्चों को सिखा सकते है:
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15:57 - 16:00दक्षता, लगन, नेतृत्व, आत्म-चिंतन, सहकार्यता, नैतिक मूल्य ।
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16:00 - 16:03ये सारे लक्षण आपको बच्चों में मिलेंगे, और आप उन्हें विकसित कर सकते है ।
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16:03 - 16:05इस तरह की बातों पर ध्यान दीजिये ।
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16:05 - 16:07और दो ऐसे लक्षण हैं जिन पर मैं चाहता हूँ कि आप गौर करें
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16:07 - 16:10कि उन्हें आप भुलवा न दें ।
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16:10 - 16:12पहले तो उन्हें ध्यान नहीं लगा पाने के लिये (अटेन्शन डेफ़िसिट डिसार्डर के लिये) दवाइयाँ मत खिलाइये
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16:12 - 16:14जब तक कि बहुत ही खराब स्थिति न हो ।
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16:14 - 16:16(तालियों सहित अभिवादन)
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16:16 - 16:19और यही बात धुनीपर, और तनाव, और उदासी पर भी लागू होती है,
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16:19 - 16:21जब तक कि स्थिति बिल्कुल ही खराब न हो ।
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16:21 - 16:23बाईपोलर डिसार्डर को सी.ई.ओ. बीमारी के नाम से भी जाना जता है ।
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16:23 - 16:25स्टीव जर्वेटसन और जिम क्लार्क
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16:25 - 16:27और जिम बार्क्स्डेल तीनों को ये है,
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16:27 - 16:29और उन्होंने नेट-स्केप बनाया था ।
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16:29 - 16:31सोचिये, अगर उन्हें बचपन से ही रीटालीन की खुराक दी जाने लगती ।
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16:31 - 16:33ये सब कुछ नहीं होता हमारे पार, है न?
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16:33 - 16:36अल गोर को इंटरनेट खुद ही बनाना पडता ।
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16:36 - 16:38(हँसी)
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16:38 - 16:40ये ऐसी योग्यताएँ हैं जिन्हें हमें क्लास-रूम में पढाना चाहिये
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16:40 - 16:42जैसे कि हम बाकी सब कुछ पढाते हैं ।
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16:42 - 16:44मैं ये बिलकुल नहीं कह रहा हूँ कि उन्हें वकील बनने से रोक दीजिये ।
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16:44 - 16:46मगर सिर्फ़ इतना चाहता हूँ कि उद्यमिता को भी उसी महत्व से देख जाये जैसे कि
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16:46 - 16:48हम बाकी सारे उत्तम पेशों को देखते हैं ।
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16:48 - 16:50क्योंकि उद्यमिता में बहुत बहुत ताकत है ।
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16:50 - 16:52अंत में, मैं एक छोटा सा विडियो दिखाना चाहता हूँ ।
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16:52 - 16:55ये विडियो एक ऐसी कंपनी ने बनाया जिन्हें मैं सलाह देता हूँ ।
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16:55 - 16:57इन्हें ग्रास-होपर कहते हैं ।
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16:57 - 16:59ये बच्चों के बारे में है । ये उद्यमिता के बारे में है ।
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16:59 - 17:02आशा है कि इस से आप जो कुछ आपने सुना, उस पर ध्यान देने के लिये प्रोत्साहित होंगे
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17:02 - 17:04और इस दुनिया को बेहतर बनाने के लिये कुछ करेंगे ।
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17:04 - 17:07[बच्चा..."और तुम्हें लगता था कि तुम जो चाहे कर सकते थे"?]
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17:07 - 17:09[तुम आज भी कर सकते हो ।]
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17:09 - 17:11[क्योंकि ऐसा बहुत कुछ जो हमें असंभव लगता है...]
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17:11 - 17:14[वास्तव में बहुत ही आसानी से किया जा सकता है]
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17:14 - 17:17[क्योंकि हम ऐसी जगह रहते हैं जहाँ]
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17:17 - 17:20[कोई एक अकेला व्यक्ति भी बहुत कुछ बदल सकता है]
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17:20 - 17:21[इसका सबूत चाहिये ?]
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17:21 - 17:22[ज़रा उन लोगों के बारे में सोचो जिन्होने हमारा देश बनाया;]
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17:22 - 17:25[हमारे माता-पिता, अंकल-आंटी, दादा-दादी...]
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17:25 - 17:28[वो सब प्रवासी थे, नये लोग जिन्हें अपने लिये एक जगह बनानी थी]
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17:28 - 17:31[वो अपने साथ बहुत थोडा कुछ ले कर आये थे]
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17:31 - 17:34[या शायद कुछ भी नहीं सिवाय]
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17:34 - 17:37[कुछ अच्छी योजनाओं के]
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17:37 - 17:40[ये लोग विचारक थे, कर्मयोगी थे,,,]
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17:40 - 17:42[...नया सोचने वाले लोग थे...]
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17:42 - 17:45[जब तक कि उनके लिये एक नाम नहीं सोचा गया...]
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17:46 - 17:49[...उद्यमी.. इंटर-प्रिन्योर ! ]
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17:49 - 17:52[उन्होंने संभव की परिभाषा ही बदल डाली ।]
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17:52 - 17:54[उन्हें साफ़ दिखता था कि कैसे वो जीवन को बेहतर बना सकते हैं]
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17:54 - 17:57[सबके लिये, तब भी जब कि कठिन समय चल रहा हो ।]
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17:57 - 17:59[आज, ये समझना मुश्किल है..]
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17:59 - 18:01[...जबकि हमारे सामने तमाम कठिनाइयाँ हैं ।]
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18:01 - 18:04[लेकिन कठिनाइयों से ही मौके निकलते हैं]
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18:04 - 18:07[सफ़लताओं के, उप्लब्धियों के, और कठिनाई ही हमें मजबूर करती है...]
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18:07 - 18:10[नये रास्ते खोजने के लिये]
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18:10 - 18:13[तो आप क्या करेंगे और क्यों?]
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18:13 - 18:16[यदि आप खुद को उद्यमी मानते हैं]
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18:16 - 18:19[आप जानते हैं कि सिर्फ़ खतरा मोल लेना ही पुरस्कार नहीं है ।]
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18:19 - 18:21[लेकिन पुरस्कार ही नवीनता को आगे बढा रहे हैं...]
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18:21 - 18:24[...लोगों का जीवन बदल रहे हैं । रोजगार के अवसर बना रहे हैं ।]
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18:24 - 18:26[तरक्की का ईंधन बन रहे हैं ।]
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18:26 - 18:29[और दुनिया को बेहतर बना रहे है ।]
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18:29 - 18:31[हमारे चारों तरफ़ उद्यमी हैं ।]
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18:31 - 18:33[वो छोटेछोटे व्यवसाय करके हमारी अर्थ-व्यवस्था को सहारा दे रहे हैं,]
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18:33 - 18:35[आपकी मदद के लिये नये औजार बना रहे हैं]
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18:35 - 18:37[..आपको परिवार, दोस्तों से दुनिया के आर-पार जोड रहे हैं]
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18:37 - 18:40[और समाज की पुरानी और कठिन समस्याओं के नये इलाज ढूँढ रहे हैं ।]
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18:40 - 18:42[क्या आप किसी उद्यमी को जानते हैं ?]
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18:42 - 18:43[कोई भी उद्यमी हो सकते हैं...]
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18:43 - 18:45[आप भी! ]
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18:45 - 18:48[इसलिये मौके को इस्तेमाल कर के रोजगार पैदा कीजिये,जो आपने हमेशा से सोचा था]
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18:48 - 18:50[अर्थ-व्यवस्था को सुधारने में मदद कीजिये]
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18:50 - 18:51[बदलाव लाने का ज़रिया बनिये ।]
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18:51 - 18:53[अपने व्यवसाय को नयी ऊँचाइयों तक पहुँचाइये ।]
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18:53 - 18:55[मगर सबसे ज़रूरी,]
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18:55 - 18:58[याद कीजिये जब आप छोटे थे...]
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18:58 - 19:01[और जब सब कुछ अपनी पहुँच के भीतर जान पडता था,]
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19:01 - 19:05[और फ़िर खुद से चुपचाप कहिये, मगर ठोस भरोसे के साथ:]
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19:07 - 19:09["आज भी सब मेरी पहुँच के भीतर है ।"]
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19:11 - 19:13मुझे यहाँ बुलाने के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद
- Title:
- कैमरून हेराल्ड: आइये बच्चों को उद्यमी बनाएँ
- Speaker:
- Cameron Herold
- Description:
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स्कूल से बोर हो चुका, बार बार क्लास में फ़ेल होने वाला, साथियों से असहमत रहने वाला: कैमरून हेराल्ड के अनुसार ऐसा बच्चा उद्यमी बन सकता है । टेडेक्स एड्मोन्टोन में वो ऐसे पालन-पोषण के समर्थन में बोले जो कि होने वाले उद्यमियों के लिये पोषक सिद्ध हो - उनके बालपन में, और व्यस्कपन में।
- Video Language:
- English
- Team:
- closed TED
- Project:
- TEDTalks
- Duration:
- 19:15