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कैमरून हेराल्ड: आइये बच्चों को उद्यमी बनाएँ

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    मैं इस बात पर शर्त लगा सकता हूँ कि मैं इस कमरे में मौजूद सबसे मूर्ख व्यक्ति हूँ
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    क्योंकि मैं स्कूल में पास ही नहीं होता था ।
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    पर मुझे बहुत छोटी उम्र में ही ये पता लग गया था कि
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    मैं पैसे से प्यार करता था, और व्यापार से प्यार करता था
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    और मैं ये उद्यमिता वगैरह से भी प्यार करता था ।
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    और मुझे उद्यमी बनने के लिये ही पाला गया था ।
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    और तब से आज तक मुझे एक बात का जुनून सवार है --
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    और मैनें आज से पहले इसके बारे में कभी बात नहीं की --
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    और इसलिये आप सब ये सुनने वाले पहले हैं, मेरी पत्नी के अलावा, तीन दिन पहले,
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    क्योंकि उन्होनें मुझसे पूछा, "तुम किस बारे मे बात करने वाले हो?" और मैने उन्हें बताया --
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    कि मुझे लगता है कि हम सुनहरा अवसर खो देते हैं
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    ऐसे बच्चों को ढूँढने का
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    जिनमें उद्यमी बनने के लक्षण होते है,
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    और उन्हें तैयार करने का, और उन्हें ये दिखा पाने का कि
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    असल में उद्यमी बनना एक मज़ेदार और महान चीज़ है ।
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    इसमें कुछ खराब नहीं है, और इसे खराब कहा भी नहीं जाना चाहिये,
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    जैसा कि अक्सर समाज में होता है ।
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    जब हम बच्चे होते है, हमारे पास सपनों का भन्डार होता है ।
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    और हमारे अपने जुनून, और अपनी योजनाएँ होती हैं ।
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    और हम किसी न किसी तरह से उन सब का कत्ल कर देते हैं ।
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    हमें सिखाया जाता है कि हमें पढाई पर और ध्यान देना चाहिये
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    या हमें अपना ध्यान और केंद्रित करना चाहिये, या फ़िर ट्यूशन ले लेनी चाहिये ।
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    और मेरे माता-पिता ने मेरे लिये फ़्रेंच के ट्यूटर भी लगवाये थे,
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    और मेरी फ़्रेंच आज भी एकदम बदतर है ।
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    दो साल पहले, मुझे सबसे उम्दा लेक्चरर का खिताब मिला
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    एम.आई.टी. के उद्यमिता के स्नातकोत्तर कोर्स में ।
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    और इस कार्यक्रम में दुनिया भर के उद्यमियों के सामने भाषण देना था ।
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    जब मैं दूसरी में पढता था, मैनें अपने शहर के स्तर पर बोलने की प्रतियोगिता जीती थी,
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    पर किसी ने ये नहीं कहा,
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    "देखो, ये बच्चा अच्छा वक्ता है ।"
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    ये अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता है, मगर इसे आसपास घूमने और, लोगों को प्रोत्साहिते करनें में कितना मज़ा आता है ।"
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    किसी ने नहीं कहा, "इसे बोलना सिखाओ ।"
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    उन्होंने कहा, इसे वो चीज और सिखाओ जिसमें ये अच्छा नहीं है ।
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    तो बच्चे ये लक्षण प्रदर्शित करते हैं ।
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    और हमें इन्हें पकडने के लिये तैयार रहना चाहिये ।
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    मैं यह मानता हूँ कि हमें बच्चों को
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    उद्यमी बनाने के लिये तैयार करना चाहिये, न कि वकील-इन्जीनियर ।
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    बदकिस्मती ये है कि हमारी स्कूल - व्यवस्था
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    इस पूरे संसार को सिर्फ़ ये सिखा रही है
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    कि बोलो, " चलो, या तो वकील बन जाते हैं, या फ़िर डॉक्टर ।"
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    और हम सब यहाँ एक सुनहरा मौका खो रहे हैं क्योंकि
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    कोई कभी ये नहीं कहता, "चलो यार, उद्यमी बनते हैं ।"
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    उद्यमी वो लोग होते है --और ऐसे कई लोग हमारे साथ आज इस कमरे में है --
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    जिनके पास तमाम आयडिया और तमाम जुनून होते हैं, और जो दुनिया की ज़रूरतों को देख कर
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    उन्हें पूरा करने का बीडा उठाते है, और पूरा भी करते हैं ।
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    और जो सोचा वो करने के लिये अपना सारा कुछ दाँव पर लगाने को तैयार होते हैं ।
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    और हमारे पास ये काबलियत होती है कि हम अपने आसपास के लोगों को जोडे
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    जो हमारा सपना साकार करने के लिये साथ आना चाहते हैं ।
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    और मैं समझता हूँ कि अगर हम बच्चों को
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    छोटी उम्र में ही उद्यमशीलता को गले लगाने दें,
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    तो हम दुनिया में वो सब बदल सकते हैं जो कि समस्यापूर्ण है ।
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    हर एक समस्या जो कि विश्व में है, किसी न किसी के पास उसका हल है ।
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    और जब आप छोटे होते हैं, आप ये कही नहीं सकते कि 'होगा नहीं या असंभव'
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    क्योंकि आपमें ये सब कह पाने की
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    समझ ही नहीं होती है ।
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    मेरे ख्याल से, अभिभावक और समाज होने के नाते, ये हमारी जिम्मेदारी है कि
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    हम अपने बच्चों को मछ्ली पकडना सिखायें,
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    बजाय उन्हें मछली दे देने के ।
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    पुरानी कहावत है, " यदि किसी को मछली दोगे, तो उसका पेट एक दिन के लिये भरेगा ।
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    यदि किसी को मछली पकडना सिखा दोगे, तो जीवन भर वो पेर भर सकेगा ।"
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    अगर हम अपने बच्चों को उद्यमी होना सिखा सकें,
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    खासकर वो जो कि सही लक्षण प्रदर्शित करते हैं,
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    जैसे कि हम विज्ञान में तेज़ बच्चों को वैज्ञानिक बनने के लिये कहते है।
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    सोचिये यदि हम उद्यमी होने के लक्षण दिखाने वाले बच्चों को
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    उद्यमी बनना सिखा सकें ?
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    इतने सारे बच्चे व्यवसाय और उद्यमी गतिविधियों को आगे बढा रहे होंगे,
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    बजाय सरकारी मदद का इंतज़ार करने के ।
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    हम असल में क्या कर रहे हैं कि हम अपने बच्चों को सिखा रहे है कि वो क्या न करें ।
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    मारो मत; काटो मत; गाली मत दो ।
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    और हम अपने बच्चों को बडी से बडी नौकरी पाने की सलाह देते हैं,
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    और स्कूल-व्यवस्था उन्हे ऐसे लक्ष्य देती है जैसे कि
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    डॉक्टर बनो, या फ़िर वकील बनो
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    या फिर अकाउंटेण्ट बनो, या फ़िर डेन्टिस्ट
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    या फ़िर अध्यापक या फ़िर पायलट ।
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    और मीडिया कहता है कि अगर आप
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    मॉडल बन सकें या गायक बन सकें तो बहुत सही रहेगा,
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    या फ़िर कोई बडे खिलाडी जैसे कि सिड्नी क्रोसबी
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    हमारे एम.बी.ए. की पढाई तक बच्चों को उद्यमी बनना नहीं सिखाती है ।
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    मेरे एम.बी.ए. नहीं करने के पीछे यही कारण था --
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    वैसे मेरा कहीं हुआ भी नहीं था
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    क्योंकि मेरे स्कूल में सिर्फ़ ६१ प्रतिशत नंबर थे
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    और ६१ प्रतिशत पर उस समय
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    सिर्फ़ एक ही जगह मुझे स्वीकार किया गया था - कार्ल्टन --
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    मगर हमारे एम.बी.ए. पाठ्यक्रम भी बच्चों को उद्यमी बनना नहीं सिखाते ।
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    वो उन्हें सिखाते है बडे बडे निगमों में काम करना ।
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    लेकिन ये बडी कम्पनियाँ शुरु किसने कीं ? उन्ही लक्षण दिखाने वाले कुछ लोगों ने ।
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    यहाँ तक कि प्रसिद्ध साहित्य तक मे भी सिर्फ़ एक ही किताब मुझे मिला --
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    और आप सब को ये पढनी चाहिये --
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    एक ही किताब मुझे मिली जो कि
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    उद्यमी को नायक के रूप में पेश करती है - "एटलस श्रग्ड ।"
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    इसके अलावा संपूर्ण विश्व मानो उद्यमियों को
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    बुरे व्यक्तियों के रूप में देखता और दिखाता है ।
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    मैं अपने ही परिवार की बात करता हूँ ।
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    मेरे दादा और नाना, दोनो ही उद्यमी थे । मेरे पिता उद्यमी थे ।
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    मेरा भाई और मेरी बहन और मैं - हम तीनो की अपनी कम्पनियाँ हैं ।
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    और हमने ये सब शुरु करने का निर्णय इसलिये लिया
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    क्योंकि शायद हम केवल यही करने के लायक थे ।
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    हम सामान्य काम कर ही नहीं पाते थे । हम किसी और के लिये काम कर ही नहीं पाते थे
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    क्योंकि हम बहुत अकडू थे, और हम वो सारे लक्षण दिखाते थे ।
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    मगर हमारे बच्चे भी उद्यमी बन सकते हैं ।
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    मैं कुछ संगठनों से जुडा हुआ हूँ जो कि विश्व-स्तर पर
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    एन्टरप्रिन्योर्स ओर्गेनाइज़ेशन और यंग प्रेसिडेंट ओर्गेनाइज़ेशन के नाम से जाने जाते हैं ।
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    मैं अभी बार्सिलोना से लौटा हूँ
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    वाई.पी.ओ. की वैश्विक गोष्ठी में वक्तव्य दे कर,
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    और वहाँ मैं जितने भी ऐसे लोगों से मिला
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    जो कि उद्यमी हैं,
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    उन सब को स्कूली पढाई में दिक्कतें हुई थीं ।
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    मुझमें डाक्टरी तौर पर ध्यान नहीं लगा पाने की बीमारी (अटेंशन डेफ़िसिट डिसार्डर) के १९ लक्षणों में से १८ पाये गये हैं ।
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    और इसलिये ये तमाम ताम-झाम मुझे बहुत कष्ट दे रहा है ।
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    (हँसी)
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    शायद इसीलिये मैं इस वक्त थोडा सा घबराया हुआ भी हूँ --
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    शायद मैंने बहुत कॉफ़ी और शक्कर भी ले ली है --
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    मगर ये एक उद्यमी के लिये काफ़ी गडबड चीज़ है ।
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    अटेंशन डेफ़िसिट डिसार्डर, बाईपोलर डिसार्डर ।
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    क्या आपको पता है कि बाईपोलर डिसार्डर को सी.ई.ओ. बीमारी भी कहते हैं ?
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    टेड टर्नर को ये बीमारी है । स्टीव जॉब को भी यही है ।
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    नेटस्केप के तीनो प्रतिष्ठाताओं को भी यही है ।
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    मैं पूरी लिस्ट बना सकता हूँ ।
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    बच्चों को देखिये -- ये लक्षण आपको उनमें दिखेंगे ।
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    और हम क्या करते है - हम उठा के उन्हें रीटालीन खिला देते हैं, ये कहते हुए,
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    "उद्यमी मत बनो
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    ये दूसर सिस्टम में ढल जाओ, और बढिया विद्यार्थी बनो ।"
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    माफ़ कीजिये, मगर उद्यमी विद्यार्थी नहीं होते ।
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    हम फ़टाफ़ट चलना चाहते हैं । हम सारा खेल समझ सकते हैं ।
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    मैनें निबंधों की चोरी की है । परीक्षाओं में खूब नकल की है ।
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    मैनें दूसरे बच्चों को पैसा दे कर अपना काम करवाया विश्वविद्यालय के स्तर पर
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    लगातार तेरह बार ।
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    पर एक उद्यमी हिसाब-किताब नहीं करता है, वो अकाउंटेंट को नौकरी पर रखता है ।
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    और मैनें ये थोडा पहले ही सीख लिया ।
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    (हँसी)
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    (तालियों सहित अभिवादन)
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    कम से कम मैं यह बात स्वीकार कर सकता हूँ कि मैने नकल की; आपमें से ज्यादातर नहीं कर सकते ।
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    और अब तो मैं पाठ्य-पुस्तकों में उद्धृत किया जाने लगा हूँ --
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    मेरी कही पंक्ति उसी विश्वविद्यालय पाठ्य-पुस्तक में मौजूद है
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    हर कनीडियन विश्व-विद्यालय और कॉलेज में ।
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    प्रबंधनीय लेखाविधि में, मैं पाठ नं आठ हूँ ।
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    वो पाठ मेरे द्वार बजट पर दिये गये एक वक्तव्य से आरंभ होता है।
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    और मैने लेखक को अपने साक्षातकार के बाद बताया था, कि मै उस पाठ्य-क्रम में नकल से पास हुआ था ।
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    उसे लगा कि मैं मजाकिया हूँ, और इसीलिये इस बात को शामिल नहीं किया गया।
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    मगर बच्चों मे आप ये गुण देख सकते हैं ।
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    उद्यमी की परिभाषा है - "ऐस व्यक्ति जो कि संगठित करता है, चलाता है
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    और व्यवसाय आगे बढाने के लिये खतरा मोल लेता है ।"
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    इसका ये मतलब बिलकुल भी नहीं है कि आपको एम.बी.ए. करना पडेगा ।
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    इसमें ये भी नहीं लिखा है कि आपको मगज मार कर स्कूल में जाना ही पडेगा ।
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    इसका केवल इतना मतलब है कि कुछ बातें आपको अपने अंदर महसूस करनी होंगी ।
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    और हमने उन कुछ बातों के बारे में सुना है कि - क्या वो प्राकृतिक रूप से मौजूद होती हैं, या उन्हें सिखाया जा सकता है, सुना है ना?
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    तो ये, ये चीज है या फ़िर वो चीज है? क्या है ये?
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    देखिये, मुझे लगता है ये कोई भी एक चीज नहीं है । मेरे ख्याल से दोनों ही हो सकती है ।
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    मुझे उद्यमी बनने के लिये बाकयदा तैयार किया गया था ।
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    जब मैं बडा हो रहा था, मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था,
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    क्योंकि मुझे हर मोड पर, बचपन से यही सिखाया गया था --
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    जब मेरे पिता ने ये महसूस किया कि मैं
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    उस सब के लायक नहीं जो स्कूल में पढाया-सिखाया जा रहा था --
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    और ये कि वो मुझे छोटी उम्र में ही व्यवसाय सिखा सकते थे ।
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    उन्होंने हमें तराशना शुरु किया, हम तीनों बच्चों को,
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    हमें नौकरी के ख्याल से घृणा करना सिखा दिया गया
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    और इस बात से प्यार कि हम ऐसी कंपनियाँ खडी करेंगे जो और लोगों को नौकरी देंगी ।
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    व्यवसाय में मेरी पहली कोशिश, जब मैं सात साल का था, और विन्नीपेग में था,
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    और अपने बिस्तर पर पडा हुआ था एक लम्बे तार वाला फ़ोन ले कर ।
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    और मैं सारे ड्राई-क्लीनरओं को कॉल कर रहा था
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    ये पता करने के लिये कि वो लोग मुझे
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    कोट हेंगरों के कितने पैसे दे सकते थे ।
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    और मेरे माँ कमरे में आईं और उन्होनें पूछा,
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    "तुम इन्हें बेचने के लिये इतने सारे हेंगर कहाँ से लाओगे?"
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    और मैने कहा, "चलिये, तहखाने में देखते हैं ।"
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    और फ़िर हम तहखाने में गये और मैनें एक अलमारी खोली ।
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    और उसमें करीब करीब एक हज़ार कोट हेंगर थे जो मैनें इकट्ठे किये थे ।
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    क्योंकि जब मैं उन्हे ये बता कर निकलता था कि मैं खेलने जा रहा हूँ,
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    मै दरवाजे-दरवाजे जा कर पडोसियों से हेंगर इकट्ठा करता था
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    और तहखाने में, बेचने के लिये जमा करता था ।
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    क्योंकि मैने कुछ हफ़्तों पहले ये देखा था कि --
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    इस से पैसे बन सकते थे । वो लोग एक हेंगर के लगभग दो पैसे देते थे ।
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    तो मैने सोचा, कि चलो तमाम तरह के हेंगर होते है ।
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    मैं उन्हें ले लूंगा ।
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    और मुझे पता था कि माँ को ये पसंद नहीं आयेगा, तो मैने बिना बताये ही कर डाला ।
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    और मुझे पता लगा कि आप असल में लोगों के साथ मोल-भाव कर सकते थे ।
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    एक व्यक्ति ने मुझे तीन पैसे का प्रस्ताव दिया, और मै उसे साढे तीन तक ले गया ।
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    मुझे सात साल की उम्र में ही पता था कि
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    मुझे एक पैसे का केवल कुछ भाग ही मिलेगा,
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    और लोग ये पैसा देंगे, क्योंकि उन्हें आगे इस से फ़ायदा होगा ।
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    साता साल की उम्र में मैं ये सोच सका कि मुझे कोट हेंगर के लिये साढे तीन पैसे मिल सकते हैं ।
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    मैनें नंबर प्लेट का कवर भी दरवाजे-दरवाजे बेचा है ।
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    मेरे पिता ने मुझे ऐसे किसी व्यक्ति को ढूँढने भेजा जो कि
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    मुझे होलसेल रेट पर माल बेचे ।
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    और नौ वर्ष की उम्र में मैं सडबरी शहर में घूम रहा था
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    घर-घर नंबर प्लेट कवर बेचते हुए ।
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    और अपना एक ग्राहक तो मुझे पूरी तरह से याद है
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    क्योंकि मैने उसके लिये और भी काम किया था ।
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    मैने अखबार भी बेचे ।
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    और ये आदमी मुझसे कभी अखबार नहीं खरीदता था ।
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    पर मुझे विश्वास था कि उसे मैं नंबर प्लेट कवर तो बेच ही डालूँगा ।
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    और उसने कहा, ""देखो, मुझे इसकी ज़रूरत नहीं है ।"
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    तो मैने कहा, "पर आपके पास तो दो कारें है..." -- और मैं केवल नौं वर्ष का था ।
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    और मैनें ये भी कहा, "मगर आपके पास दो कारें है, और दोनो पे कवर नहीं हैं। "
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    तो उसने कहा, "मैं जानता हूँ ।"
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    तो मैने कहा, "ये देखिये, इस कार की नंबर प्लेट एकदम खराब हो चुकी है ।"
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    तो उसने कहा, "हाँ, ये मेरी पत्नी की कार है ।" तो मैने कहा, "एक बार लगा कर देखते है
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    आपकी पत्नी की कार पर, और देखते है कि क्या वो ज्यादा चलेगी ।"
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    मुझे पता था कि वहाँ दो कारें थी, और उन पर दो-दो प्लेटें लगी थीं ।
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    अगर मैं चार कवर नहीं बेच सका, तो कम से कम एक तो बेच सकूँगा ।
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    ये मैनें बहुत छोटी उम्र में सीख लिया था ।
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    मैनें कॉमिक्स की अदला-बदली भी की ।
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    जब मैं करीब दस साल का था, मैं कॉमिक्स बेचता था
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    जार्जियन खाडी की हमारी झोपडी से ।
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    और मैं साइकिल से समुद्र-तट के एक सिरे पर जाता था
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    और गरीब बच्चों से कॉमिक्स खरीद लेता था ।
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    और फिर मैं तट के दूसरे सिरे पर जा कर रईस बच्चों को वो बेच देता था ।
  • 8:05 - 8:07
    ये मुझे प्राकृतिक रूप से पता था - सस्ता खरीदो, महँगा बेचो ।
  • 8:07 - 8:09
    और यहाँ माँग भी थी, और पैसा भी था ।
  • 8:09 - 8:12
    गरीब बच्चों को बेचने की कोशिश मत करो; उनके पास पैसा नहीं है । रईसों के पास है - थोडा तुम ले लो ।
  • 8:12 - 8:14
    तो ये बहुत स्वाभाविक है न ।
  • 8:14 - 8:16
    ये कुछ मंदी जैसा है - मंदी में क्या है ?
  • 8:16 - 8:19
    अभी भी १३ बिलियन डॉलर अमरीकी बाज़ारों में घूम रहे हैं ।
  • 8:19 - 8:22
    उसमें से कुछ अपने लिये ले लो । ये मैनें बचपन में ही सीख लिया था ।
  • 8:22 - 8:24
    मैनें ये भी सीख लिया था कि अपने स्रोत के बारे में किसी को मत बताओ,
  • 8:24 - 8:26
    क्योंकि ये धँधा शुरु करने के चार हफ़्तों के भीतर ही मेरी पिटाई हो गयी
  • 8:26 - 8:29
    क्योंकि एक रईस बच्चे को ये पता लग गया था कि मैं कॉमिक्स कहाँ से खरीदता हूँ,
  • 8:29 - 8:31
    और उसे ये बात अच्छी नहीं लगी कि वो मुझे अतिरिक्त पैसे दे रहा था ।
  • 8:31 - 8:33
    दस साल की उम्र में मुझे जबरदस्ती अखबार बेचना भेज दिया गया ।
  • 8:33 - 8:35
    मेरा बिलकुल भी मन नहीं था,
  • 8:35 - 8:37
    पर दस साल की उम्र में, मेरे पिता ने कहा, "अखबार बेचना तुम्हारा अगला धँधा होगा ।"
  • 8:37 - 8:39
    न सिर्फ़ मुझे एक इलाका दिया गया, बल्कि मुझे दो और इलाके लेने पडे,
  • 8:39 - 8:42
    और फ़िर उन्होनें कहा कि मैं आधे अखबार बेचने के लिये किसी को नौकरी पर रखूँ,
  • 8:42 - 8:45
    जो कि मैने किया, और तब मुझे पता लगा कि सारा पैसा तो असल में टिप्स में था ।
  • 8:45 - 8:47
    तो मैं टिप्स और भुगतान लेने जाता था ।
  • 8:47 - 8:49
    और सारे अखबारों के लिये खुद ही पैसा लेने जाने लगा ।
  • 8:49 - 8:51
    मेरा कर्मचारी सिर्फ़ अखबार बाँटने जाता था ।
  • 8:51 - 8:53
    क्योंकि तब तक मुझे पता लग गया था कि मैं पैसे बना सकता था ।
  • 8:53 - 8:56
    अब तक मुझे ये बात साफ़ हो चुकी थी कि मैं किसी और के लिये काम नहीं करने वाला था ।
  • 8:56 - 8:58
    (हँसी)
  • 8:58 - 9:00
    मेरे पिता की एक गाडी सम्हालने और मशीन सम्हालने की दुकान थी ।
  • 9:00 - 9:02
    और उसमें बहुत सारे पुर्जे इधर-उधर पडे रहते थे ।
  • 9:02 - 9:04
    और उसमें पुराना पीतल और ताँबा भी पडा था ।
  • 9:04 - 9:07
    तो मैनें उनसे पूछा कि उसका क्या होगा । और उन्होनें बताया कि वो उसे फेंक देते थी ।
  • 9:07 - 9:09
    तो मैने कहा, "मगर इसके तो पैसे मिल सकते है ?" तो उन्होंने कहा, " हाँ, शायद ।"
  • 9:09 - 9:11
    ये याद रखिये कि मैं दस साल का - ३४ साल पहले की बात है
  • 9:11 - 9:13
    और मुझे उस कबाड में एक मौका दिख रहा था ।
  • 9:13 - 9:15
    उस कबाड से पैसा बनाया जा सकता था ।
  • 9:15 - 9:18
    तो मैनें अपनी साइकिल पर और भी दुकानों से ये कबाड इकट्ठा करना शुरु कर दिया ।
  • 9:18 - 9:20
    और शनिवाद को मेरे पिता मुझे ले कर जाते थे
  • 9:20 - 9:22
    एक कबाडी के दुकान पर, जहाँ मुझे पैसे मिल जाते थे ।
  • 9:22 - 9:24
    मुझे ये बडा ही महान काम लगता था ।
  • 9:24 - 9:27
    और क्या विडंबना है कि, तीस साल बाद आज हम 1-800-GOT-JUNK बना रहे हैं ?
  • 9:27 - 9:29
    और उस से पैसा भी बना रहे हैं ।
  • 9:29 - 9:32
    ११ साल की उम्र में मैने पिन रखने के लिये तकिया बनाया,
  • 9:32 - 9:34
    और उन्हें अपनी माँ के लिये मदर-डे के लिये बनाया ।
  • 9:34 - 9:37
    और ये छोटे छोटे लकडी के टुकडों से बनता था --
  • 9:37 - 9:39
    जब हम घर के बाहर कपडे सुखा रहे होते थे ।
  • 9:39 - 9:41
    और हम कुछ कुर्सियाँ बनाते थी ।
  • 9:41 - 9:43
    और छोटे तकिये जो मैं सिलता था ।
  • 9:43 - 9:45
    और आप उस में अपनी पिनों को खोंस सकते थे ।
  • 9:45 - 9:48
    क्योंकि लोग सिलाई किया करते थे, और उन्हें ऐसे तकियों की ज़रूरत थी ।
  • 9:48 - 9:51
    पर मुझे लगा कि आपके पास विकल्प होने चाहिये ।
  • 9:51 - 9:53
    तो मैने उनमें से कुछ को भूर पेंट कर दिय ।
  • 9:53 - 9:55
    और जब मैं किसी के दरवाजे जाता था, तो ये नहीं कहता था, "क्या आपको चाहिये ?"
  • 9:55 - 9:57
    मैं कहता था, "आपको कौन से रँग का चाहिये ?"
  • 9:57 - 9:59
    देखिये आप दस साल के बच्चे को मना नहीं कर सकते हैं,
  • 9:59 - 10:02
    खासकर, जब वो आपसे पूछता हो कि भूर वाल दूँ या सफ़ेद ।
  • 10:02 - 10:04
    तो पाठ भी मैने बचपन में ही सीख लिया था ।
  • 10:04 - 10:07
    और मैनें ये भी सीखा कि मजदूरी बहुत ही खराब काम है ।
  • 10:09 - 10:11
    जैसे कि लॉन की घास काटना घनघोर यातना है ।
  • 10:11 - 10:14
    पर क्योंकि मुझे गर्मियों में अपने सारे पडोसियों के लिये घास काटनी होती थी, और उसके लिये पैसे मिलते थे ।
  • 10:14 - 10:16
    मुझे लगा कि बार-बार आने वाली आमदनी
  • 10:16 - 10:19
    एक ही ग्राहक से, बहुत मज़ेदार होती है ।
  • 10:19 - 10:21
    तो मैनें सोचा कि अगर मैं किसी ग्राहक की एक बार मदद कर दूँ,
  • 10:21 - 10:23
    और हर हफ़्ते के लिये मुझे उससे पैसे मिले,
  • 10:23 - 10:25
    तो ये बहुत बेहतर होगा
  • 10:25 - 10:27
    बजाय पिनों के तकिये को एक व्यक्ति को बेचने के ।
  • 10:27 - 10:29
    क्योंकि वो बार बार नहीं बिक सकता है ।
  • 10:29 - 10:32
    तो मुझे ये बार-बार आमदनी वाली बात ही बचपन में ही सीखने को मिल गयी ।
  • 10:32 - 10:35
    देखिये, मुझे इन सब चीजों के लिये तैयार किया जा रहा था । मुझे कहीं भी नौकरी करना मना था ।
  • 10:35 - 10:38
    मैं लोगों के गोल्फ़-किट को ढोता था ।
  • 10:38 - 10:40
    मगर मुझे पता लगा कि गोल्फ़-कोर्स पर एक टीला है,
  • 10:40 - 10:42
    तेरहवें छेद के पास, एक बडा टीला था ।
  • 10:42 - 10:44
    और लोग कभी भी अपना बैग खुद वहाँ ढोना नहीं चाहते थे ।
  • 10:44 - 10:46
    तो मैं वहीं एक कुर्सी डाल कर बैठ जाता था
  • 10:46 - 10:49
    और सिर्फ़ उन लोगों का सामान ढोता था जिनके पास ढोने के लिये और कोई नहीं था ।
  • 10:49 - 10:52
    और मैं उनकी किटों को उस टीले के ऊपर तक ले जाता था, और एक डॉलर की कमाई करता था ।
  • 10:52 - 10:54
    जबकि मेरे दोस्त पाँच घण्टों तक काम करके
  • 10:54 - 10:56
    किसी का सामान ढोते थे, और पाँच डॉलर कमाते थे ।
  • 10:56 - 10:59
    और मैं कहता था, "ये मूर्खता है क्योंकि तुमने पाँच घण्टे काम किया है ।"
  • 10:59 - 11:02
    मुझे इसका कोई मतलब नहीं समझ आता था । "आपको पैसा बनाने की तेज तरकीब ढूँढनी चाहिये ।"
  • 11:02 - 11:05
    हर हफ़्ते मैं कोने की दुकान से कुछ सामान लेता था ।
  • 11:05 - 11:08
    और फ़िर ७० साल के लगभग उम्र की ब्रिज खेलने में मशगूल महिलाओं के पास जा कर बेच देता था ।
  • 11:08 - 11:10
    और वो मुझे अगले हफ़्ते का आर्डर दे देती थीं ।
  • 11:10 - 11:12
    और मैं सिर्फ़ सामन पहुँचाता और दोगुना पैसा बटोरता था ।
  • 11:12 - 11:15
    और मैने इस बाज़ार पर कब्जा जमा लिया था । इसमें किसी लिखा-पढी की ज़रूरत नहीं होती है ।
  • 11:15 - 11:17
    बस कहीं माँग होनी चाहिये, और कहीं से आपूर्ति होनी चाहिये
  • 11:17 - 11:19
    और कुछ लोग जो आपकी बात सुनने को तैयार हों ।
  • 11:19 - 11:21
    ये औरतें कभी किसी और से सामान नहीं लेती थीं
  • 11:21 - 11:23
    क्योंकि मैं उन्हें पसंद था, और मुझे ये पता था ।
  • 11:23 - 11:26
    मैं गोल्फ़-कोर्स से गोल्फ़-बॉल ले आता था ।
  • 11:26 - 11:28
    हर कोई झाडियों में बॉल ढूँढ रहा होता था
  • 11:28 - 11:30
    और गड्ढों में।
  • 11:30 - 11:32
    और मैं कहता था कि ये क्या बकवास है । सारी बॉलें तो तालाब में हैं
  • 11:32 - 11:34
    और कोई भी तालाब में जाने को तैयार नहीं था ।
  • 11:34 - 11:37
    तो मैं तालाब में घुस कर, इधर-उधर रेंग कर, अपने पैर से उन्हें उठाता था ।
  • 11:37 - 11:39
    उन्हें दोनो पैरों से उठाना पडता है ।
  • 11:39 - 11:41
    स्टेज पर नहीं किया जा सकता ।
  • 11:41 - 11:43
    और आप ये बॉल ले कर, बस उन्हें अपने बाथिंग-सूट के कच्छे में डाल लेते थे
  • 11:43 - 11:46
    और जब आप काम खत्म करते थी, आपके पास कुछ सौ बॉलें होती थीं ।
  • 11:46 - 11:49
    मगर दिक्कत ये थी कि लोगों को पुराने बॉल नहीं चाहिये थे ।
  • 11:49 - 11:51
    तो मैनें उन्हें पकैट-बंद करना शुरु किया । और मैं १२ साल का था ।
  • 11:51 - 11:53
    उन्हें मैंने तीन तरह के पैकेजों में बाँटा ।
  • 11:53 - 11:55
    मेरे पास पिनैकल्स और डी.डी.एच ब्रांड की बॉलें थी, और वो बहुत मशहूर थीं ।
  • 11:55 - 11:57
    हर बॉल दो डॉलर की बिकती थी ।
  • 11:57 - 12:00
    तो मैं उन सारी बॉलों को एक साथ रखता था जो गन्दी नहीं दिखती थीं, और ५० सेन्ट की बेचता था ।
  • 12:00 - 12:03
    और मैं खराब बॉलों को पचास के पैकेट में बेचता था ।
  • 12:03 - 12:05
    और उन्हें लोग प्रैक्टिस के लिये इस्तेमाल कर सकते थे ।
  • 12:05 - 12:07
    स्कूल में मैनें धूप के चश्में भी बेचे हैं,
  • 12:07 - 12:09
    उन सारे बच्चों को जो कि हाई-स्कूल में थे ।
  • 12:09 - 12:12
    और इस तरह की चीजों की वजह से लोग आपसे घृणा करने लगते है,
  • 12:12 - 12:15
    क्योंकि आप हमेशा दोस्तों से पैसा निकलवाने के चक्कर में रहते हो ।
  • 12:15 - 12:17
    लेकिन इस से पैसा बनता है ।
  • 12:17 - 12:19
    और मैनें बहुत ही सारे धूप के चश्में बेचे ।
  • 12:19 - 12:21
    और जब मेरे स्कूल ने मुझे ये करने से मना कर दिया --
  • 12:21 - 12:23
    असल में एक दिन मुझे ऑफ़िस में बुला कर कहा गया कि मुझे ये करना बंद होगा --
  • 12:23 - 12:25
    तो मैं पैट्रोल-पंप गया और
  • 12:25 - 12:27
    उन पंप वालों को कई कई चश्में बेचने लगा
  • 12:27 - 12:29
    और फ़िर वो लोग अपने ग्राहको को बेच देते थे ।
  • 12:29 - 12:31
    और ये भी मस्त था क्योको अब मेरे पास रिटेल दुकानें थीं ।
  • 12:31 - 12:33
    उस समय शायद मैं चौदह साल का रहा हूँगा ।
  • 12:33 - 12:36
    मैने अपनी कार्ल्टन यूनिवर्सिटी की पहले साल की पूरी फ़ीस खुद ही भरी,
  • 12:36 - 12:38
    वाइन का कवर बेच बेच कर ।
  • 12:38 - 12:40
    देखिये उसमें करीब ४० ओज़. की रम की बोतल आ जाती है
  • 12:40 - 12:42
    और साथ में कोक की दो बोतलें? तो बढिया है न?
  • 12:42 - 12:44
    और होता क्या था? लोग उसे अपने क्च्छों मे छुपा लेते थे,
  • 12:44 - 12:47
    और जब आप फ़ुट्बाल का मैच देखने जाते, आप फ़्री में शराब अंदर ले जा सकते थे,
  • 12:47 - 12:49
    और हर कोई उसे खरीदता था ।
  • 12:49 - 12:52
    माँग, आपूर्ति, मौका ।
  • 12:52 - 12:54
    मैनें उसकी ब्रांडिग भी की, और फ़िर उसे उसकी कीमत से पाँच गुना पर बेचा ।
  • 12:54 - 12:56
    उस पर मैनें अपनी यूनिवर्सिटी का चिन्ह बना दिया था ।
  • 12:56 - 12:58
    देखिए, हम अपने बच्चों को पढाते है, और उनके लिये खेल खरीदते हैं,
  • 12:58 - 13:01
    पर अगर वो उद्यमी बच्चे हैं, तो हम ऐसे खेल क्यों नहीं खरीदते,
  • 13:01 - 13:04
    जिससे कि उनकी उद्यमिता आगे बढे ?
  • 13:04 - 13:07
    उन्हें आप पैसा नहीं बरबाद करना क्यों नहीं सिखाते ?
  • 13:07 - 13:10
    मुझे याद है कि मुझे पैदल चलने के लिये छोड दिया गया था बान्फ़, अल्बर्टा में
  • 13:10 - 13:12
    क्योंकि मैने एक सिक्का ज़मीन पर फेंक दिया था,
  • 13:12 - 13:14
    और मेरे पिता ने कहा, "जा कर उसे उठाओ ।"
  • 13:14 - 13:16
    उन्होंने कहा, "मैं पैसे कमाने के लिये बहुत मेहनत करता हूँ । मैं तुम्हें कभी भी एक पैसा भी बरबाद नहीं करने दूँगा ।"
  • 13:16 - 13:18
    और मुझे उनका वो पाठ आज तक याद है ।
  • 13:18 - 13:21
    बँधा हुआ, घर से मिलने वाला पैसा बच्चों को खराब आदतें सिखाता है ।
  • 13:21 - 13:23
    पॉकिट-मनी, स्वाभाविक रूप से, बच्चों को
  • 13:23 - 13:25
    नौकरी-पेशा होना सिखाती है ।
  • 13:25 - 13:28
    एक उद्यमी कभी भी तनख्वाह की अपेक्षा नहीं रखता है ।
  • 13:28 - 13:30
    और बचपन में मिलने वाला बँधा-बँधाया पैसा
  • 13:30 - 13:32
    तनख्वाह की आदत डालता है ।
  • 13:32 - 13:34
    ये गलत है, मेरे हिसाब से, अगर आप उद्यमियों को पैदा करना चाहते हैं ।
  • 13:34 - 13:36
    मैं अपने बच्चों के साथ क्या करता हूँ -- मेरे दो बच्चे है, सात और नौ साल के --
  • 13:36 - 13:38
    कि मैं उन्हे ले कर घर भर में घूमता हूँ,
  • 13:38 - 13:40
    ऐसी चीजें ढूँढने के लिये, जिन्हे किया जाना है ।
  • 13:40 - 13:42
    वो आ कर मुझे बताते है कि क्या करना है ।
  • 13:42 - 13:44
    या फ़िर मैं जा कर उन्हें बताता हूँ , " देखो, ये करने की ज़्रूरत है ।"
  • 13:44 - 13:46
    और फ़िर हम क्या करते है? हम सौदा तय करते हैं ।
  • 13:46 - 13:48
    वो काम ढूँढ कर लाते हैं ।
  • 13:48 - 13:50
    और हम मोल-भाव करके ये तय करते हैं कि कितना पैसा दिया जाएगा ।
  • 13:50 - 13:53
    लेकिन उन्हें कोई भी बँधी-बँधायी पॉकिट-मनी नहीं मिलती, मगर उन्हें मौका मिलता है और ज्यादा काम ढूँढने का,
  • 13:53 - 13:55
    और वो मोल-भाव करना भी सीखते हैं,
  • 13:55 - 13:57
    और मौके ढूँढना भी ।
  • 13:57 - 14:00
    ऐसी चीजें सिखानी पडती हैं । मेरे हर बच्चे के पास एक गुल्लक है ।
  • 14:00 - 14:02
    उनकी कमाई का आधा हिस्सा
  • 14:02 - 14:04
    घर के खर्च में जाता है,
  • 14:04 - 14:06
    और आधा उनके खिलौनों के खाते में ।
  • 14:06 - 14:08
    और जो भी उनके खिलौनों के घाते में जाता है, उसे वो चाहे जैसे खर्च कर सकते हैं ।
  • 14:08 - 14:11
    और जो आधा भाग घर-खर्च में जाता है, हर छः महीने पर, उसे बैंक में जमा करते हैं ।
  • 14:11 - 14:14
    वो मेरे साथ चल कर जाते हैं । हर साल जितना पैसा इकट्ठा होता है, वो उनके ब्रोकर के पास जाताहै ।
  • 14:14 - 14:17
    जी हाँ, मेरे दोनो बच्चों के पास अपने स्टॉक-ब्रोकर भी हैं ।
  • 14:18 - 14:20
    पर मैं उन्हें पैसा बचाने की आदत जबरदस्ती डाल रहा हूँ ।
  • 14:20 - 14:23
    मुझे ये बात अजीब लगती है कि ३० साल उम्र के लोग कहते हैं,
  • 14:23 - 14:25
    "हाँ, शायद अब मैं रिटायरमेंट के लिये पैसा जोडना शुरु करूँ ।"
  • 14:25 - 14:27
    तुम पहले ही २५ साल बरबाद कर चुके हो ।
  • 14:27 - 14:29
    आप इन आदतों को बच्चों को सिखा सकते है
  • 14:29 - 14:31
    क्योंकि उन्हें इस से कुछ खास फ़र्क नहीं पडता है ।
  • 14:31 - 14:33
    उन्हें हर रात को कहानी मत सुनाइये ।
  • 14:33 - 14:35
    हफ़्ते में चार दिन उन्हें सोते समय कहानी सुनाइये
  • 14:35 - 14:37
    और बाकी तीन रात, उनसे कहानियाँ सुनिये ।
  • 14:37 - 14:40
    अपने बच्चों के साथ बैठ जायिये, और उन्हें चार चीजें दीजिये,
  • 14:40 - 14:43
    एक लाल कमीज़, एक नीली टाई, एक कँगारू, और एक लैपटॉप,
  • 14:43 - 14:45
    और उन्हें इन चारो के बारे में एक कहानी सुनाने के लिये कहिये ।
  • 14:45 - 14:47
    मेरे बच्चे खूब ऐसा करते हैं ।
  • 14:47 - 14:49
    इससे उन्हें अपनी योजनाओं को बेचना आयेगा; वो और रचनात्मक बनेंगे;
  • 14:49 - 14:51
    उन्हें इस से अपने पाँवों पर खडा होना आयेगा ।
  • 14:51 - 14:53
    इस तरह का कुछ कर के देखिये, और उसका आनंद लीजिये ।
  • 14:53 - 14:55
    बच्चों को लोगों के समूहों के सामने खडा कर दीजिये, और उन्हें बोलने को कहिये,
  • 14:55 - 14:57
    भले ही वो अपने परिवारजनों के सामने ही क्यों न हो
  • 14:57 - 14:59
    और छोटे-छोटे नाटक, और भाषण देने के लिये कहिये ।
  • 14:59 - 15:01
    ये उद्यमी के लिये आवश्यक ऐसे कुछ गुण हैं जो कि आप चाहेंगे कि आपके बच्चे सीखें ।
  • 15:01 - 15:04
    बच्चों को बताइये कि खराब ग्राहक, और खराब कर्मचारी कैसे होते हैं ।
  • 15:04 - 15:06
    उन्हें घटिया कर्मचारियों को दिखाइए ।
  • 15:06 - 15:08
    जब आप घटिया ग्राहक-सेवा देखें, तो उसे खुल कर बच्चों को समझाइये ।
  • 15:08 - 15:10
    कहिये, ""देखो, ये घटिया कर्मचारी है ।"
  • 15:10 - 15:13
    और कहिये, " देखो, ये वाल बढिया कर्मचारी है ।"
  • 15:13 - 15:15
    (हँसी)
  • 15:15 - 15:17
    अगर आप एक रेस्टोरेंट में जाते है, और आपको घटिया सेवा मिलती है,
  • 15:17 - 15:19
    तो बच्चो को दिखाइये कि घटिया सेवा कैसी लगती है ।
  • 15:19 - 15:21
    (हँसी)
  • 15:21 - 15:23
    हमारे सामने ये सब पाठ पडे हैं,
  • 15:23 - 15:26
    मगर हम कभी इन मौकों का इस्तेमाल नहीं करते है; हम बच्चों की ट्यूशन लगवा देते हैं ।
  • 15:26 - 15:28
    सोचिये यदि आप
  • 15:28 - 15:30
    बच्चों का सारा फालतू सामान और सारे
  • 15:30 - 15:32
    खिलौने जो कि वो इस्तेमाल नहीं करते है, ले और
  • 15:32 - 15:35
    कहें, "चलो इन्हें क्रेगलिस्ट और किजिजि पर बेच देते हैं ?"
  • 15:35 - 15:37
    और बच्चे सच में इन्हें बेचें
  • 15:37 - 15:39
    और सीखें कि कैसे तमाम ईमेलों में असल खरीदने वालों को कैसे ढूँढा जाये ।
  • 15:39 - 15:41
    ये ईमेल आपके अकाउंट में आ सकती है, या कुछ और इंतज़ाम हो सकता है ।
  • 15:41 - 15:44
    मगर उन्हें कीमत लगाना, कीमत का अंदाज़ा लगाना,
  • 15:44 - 15:46
    और फोटो निकालना वगैरह सीखने का मौका मिलेगा ।
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    उन्हें सिखाइये कि कैसे इस तरह से पैसे बनाये जा सकते हैं ।
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    फ़िर जो पैसा उन्होने कमाया, उसमें से आधा घर के खाते में,
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    और आधा उनके खिलौनों के खाते में ।
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    मेरे बच्चों के ये बहुत पसंद है ।
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    कुछ उद्यमिता के लक्षण जो कि आप बच्चों को सिखा सकते है:
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    दक्षता, लगन, नेतृत्व, आत्म-चिंतन, सहकार्यता, नैतिक मूल्य ।
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    ये सारे लक्षण आपको बच्चों में मिलेंगे, और आप उन्हें विकसित कर सकते है ।
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    इस तरह की बातों पर ध्यान दीजिये ।
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    और दो ऐसे लक्षण हैं जिन पर मैं चाहता हूँ कि आप गौर करें
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    कि उन्हें आप भुलवा न दें ।
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    पहले तो उन्हें ध्यान नहीं लगा पाने के लिये (अटेन्शन डेफ़िसिट डिसार्डर के लिये) दवाइयाँ मत खिलाइये
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    जब तक कि बहुत ही खराब स्थिति न हो ।
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    (तालियों सहित अभिवादन)
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    और यही बात धुनीपर, और तनाव, और उदासी पर भी लागू होती है,
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    जब तक कि स्थिति बिल्कुल ही खराब न हो ।
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    बाईपोलर डिसार्डर को सी.ई.ओ. बीमारी के नाम से भी जाना जता है ।
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    स्टीव जर्वेटसन और जिम क्लार्क
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    और जिम बार्क्स्डेल तीनों को ये है,
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    और उन्होंने नेट-स्केप बनाया था ।
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    सोचिये, अगर उन्हें बचपन से ही रीटालीन की खुराक दी जाने लगती ।
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    ये सब कुछ नहीं होता हमारे पार, है न?
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    अल गोर को इंटरनेट खुद ही बनाना पडता ।
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    (हँसी)
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    ये ऐसी योग्यताएँ हैं जिन्हें हमें क्लास-रूम में पढाना चाहिये
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    जैसे कि हम बाकी सब कुछ पढाते हैं ।
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    मैं ये बिलकुल नहीं कह रहा हूँ कि उन्हें वकील बनने से रोक दीजिये ।
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    मगर सिर्फ़ इतना चाहता हूँ कि उद्यमिता को भी उसी महत्व से देख जाये जैसे कि
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    हम बाकी सारे उत्तम पेशों को देखते हैं ।
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    क्योंकि उद्यमिता में बहुत बहुत ताकत है ।
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    अंत में, मैं एक छोटा सा विडियो दिखाना चाहता हूँ ।
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    ये विडियो एक ऐसी कंपनी ने बनाया जिन्हें मैं सलाह देता हूँ ।
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    इन्हें ग्रास-होपर कहते हैं ।
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    ये बच्चों के बारे में है । ये उद्यमिता के बारे में है ।
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    आशा है कि इस से आप जो कुछ आपने सुना, उस पर ध्यान देने के लिये प्रोत्साहित होंगे
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    और इस दुनिया को बेहतर बनाने के लिये कुछ करेंगे ।
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    [बच्चा..."और तुम्हें लगता था कि तुम जो चाहे कर सकते थे"?]
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    [तुम आज भी कर सकते हो ।]
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    [क्योंकि ऐसा बहुत कुछ जो हमें असंभव लगता है...]
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    [वास्तव में बहुत ही आसानी से किया जा सकता है]
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    [क्योंकि हम ऐसी जगह रहते हैं जहाँ]
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    [कोई एक अकेला व्यक्ति भी बहुत कुछ बदल सकता है]
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    [इसका सबूत चाहिये ?]
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    [ज़रा उन लोगों के बारे में सोचो जिन्होने हमारा देश बनाया;]
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    [हमारे माता-पिता, अंकल-आंटी, दादा-दादी...]
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    [वो सब प्रवासी थे, नये लोग जिन्हें अपने लिये एक जगह बनानी थी]
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    [वो अपने साथ बहुत थोडा कुछ ले कर आये थे]
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    [या शायद कुछ भी नहीं सिवाय]
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    [कुछ अच्छी योजनाओं के]
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    [ये लोग विचारक थे, कर्मयोगी थे,,,]
  • 17:40 - 17:42
    [...नया सोचने वाले लोग थे...]
  • 17:42 - 17:45
    [जब तक कि उनके लिये एक नाम नहीं सोचा गया...]
  • 17:46 - 17:49
    [...उद्यमी.. इंटर-प्रिन्योर ! ]
  • 17:49 - 17:52
    [उन्होंने संभव की परिभाषा ही बदल डाली ।]
  • 17:52 - 17:54
    [उन्हें साफ़ दिखता था कि कैसे वो जीवन को बेहतर बना सकते हैं]
  • 17:54 - 17:57
    [सबके लिये, तब भी जब कि कठिन समय चल रहा हो ।]
  • 17:57 - 17:59
    [आज, ये समझना मुश्किल है..]
  • 17:59 - 18:01
    [...जबकि हमारे सामने तमाम कठिनाइयाँ हैं ।]
  • 18:01 - 18:04
    [लेकिन कठिनाइयों से ही मौके निकलते हैं]
  • 18:04 - 18:07
    [सफ़लताओं के, उप्लब्धियों के, और कठिनाई ही हमें मजबूर करती है...]
  • 18:07 - 18:10
    [नये रास्ते खोजने के लिये]
  • 18:10 - 18:13
    [तो आप क्या करेंगे और क्यों?]
  • 18:13 - 18:16
    [यदि आप खुद को उद्यमी मानते हैं]
  • 18:16 - 18:19
    [आप जानते हैं कि सिर्फ़ खतरा मोल लेना ही पुरस्कार नहीं है ।]
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    [लेकिन पुरस्कार ही नवीनता को आगे बढा रहे हैं...]
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    [...लोगों का जीवन बदल रहे हैं । रोजगार के अवसर बना रहे हैं ।]
  • 18:24 - 18:26
    [तरक्की का ईंधन बन रहे हैं ।]
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    [और दुनिया को बेहतर बना रहे है ।]
  • 18:29 - 18:31
    [हमारे चारों तरफ़ उद्यमी हैं ।]
  • 18:31 - 18:33
    [वो छोटेछोटे व्यवसाय करके हमारी अर्थ-व्यवस्था को सहारा दे रहे हैं,]
  • 18:33 - 18:35
    [आपकी मदद के लिये नये औजार बना रहे हैं]
  • 18:35 - 18:37
    [..आपको परिवार, दोस्तों से दुनिया के आर-पार जोड रहे हैं]
  • 18:37 - 18:40
    [और समाज की पुरानी और कठिन समस्याओं के नये इलाज ढूँढ रहे हैं ।]
  • 18:40 - 18:42
    [क्या आप किसी उद्यमी को जानते हैं ?]
  • 18:42 - 18:43
    [कोई भी उद्यमी हो सकते हैं...]
  • 18:43 - 18:45
    [आप भी! ]
  • 18:45 - 18:48
    [इसलिये मौके को इस्तेमाल कर के रोजगार पैदा कीजिये,जो आपने हमेशा से सोचा था]
  • 18:48 - 18:50
    [अर्थ-व्यवस्था को सुधारने में मदद कीजिये]
  • 18:50 - 18:51
    [बदलाव लाने का ज़रिया बनिये ।]
  • 18:51 - 18:53
    [अपने व्यवसाय को नयी ऊँचाइयों तक पहुँचाइये ।]
  • 18:53 - 18:55
    [मगर सबसे ज़रूरी,]
  • 18:55 - 18:58
    [याद कीजिये जब आप छोटे थे...]
  • 18:58 - 19:01
    [और जब सब कुछ अपनी पहुँच के भीतर जान पडता था,]
  • 19:01 - 19:05
    [और फ़िर खुद से चुपचाप कहिये, मगर ठोस भरोसे के साथ:]
  • 19:07 - 19:09
    ["आज भी सब मेरी पहुँच के भीतर है ।"]
  • 19:11 - 19:13
    मुझे यहाँ बुलाने के लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद
Title:
कैमरून हेराल्ड: आइये बच्चों को उद्यमी बनाएँ
Speaker:
Cameron Herold
Description:

स्कूल से बोर हो चुका, बार बार क्लास में फ़ेल होने वाला, साथियों से असहमत रहने वाला: कैमरून हेराल्ड के अनुसार ऐसा बच्चा उद्यमी बन सकता है । टेडेक्स एड्मोन्टोन में वो ऐसे पालन-पोषण के समर्थन में बोले जो कि होने वाले उद्यमियों के लिये पोषक सिद्ध हो - उनके बालपन में, और व्यस्कपन में।

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
19:15
Swapnil Dixit added a translation

Hindi subtitles

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