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कई लोगो को व्यायाम इतर लोगो से कठिन क्यूँ लगता है

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    दृष्टि सबसे महत्वपूर्ण है
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    और हमारी प्राथमिक समझ का स्रोत है|
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    हम अपने आसपास की दुनिया में
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    लगातार देखते हैं,
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    और जल्द ही हम पहचान और समझ  लेते हैं
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    कि हमने क्या देखा|
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    चलिए इस तथ्य को एक
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    उदाहरण के साथ शुरू करते हैं ।
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    मैं आपको एक व्यक्ति की तस्वीर दिखाउँगी ,
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    सिर्फ एक या दो सेकंड के लिए,
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    और मैं चाहुंगी की आप पहचानें
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    कि उसके चहरे पर कौन सी भावना है?
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    तैयार ?
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    पेश है | अपनी सहज प्रवृत्ति का पालन करें।
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    ठीक है। आपने क्या देखा?
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    खैर, हमने वास्तव में 120 से अधिक
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    व्यक्तियों का सर्वेक्षण किया,
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    और परिणाम अनिर्णायात्मक रहे।
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    लोगो में सहमती नहीं थी कि कौन
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    सी भावनाऎं उनहोने  उसके चेहरे पर देखीं।
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    हो सकता है कि आपने बेचैनी देखी।
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    यही सबसे अधिकतम प्रतिक्रिया थी
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    जो हमें प्राप्त हुइ ।
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    लेकिन अगर आपने अपनी बाईं तरफ वाले व्यक्ति से पूछा, तो
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    हो सकता है कि उन्होंने 
    अफसोस या संदेह कहा हो,
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    और आपने, आपके दाईं तरफ किसी को अगर पूछा,
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    हो सकता है कि उन्होंने
    पूरी तरह से कुछ अलग कहा हो,
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    जैसे कि अाशा या सहानुभूति ।
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    तो हम सब देख रहे हैं
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    फिर से उसी चेहरे को ।
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    हो सकता है कि हम देखें
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    पूरी तरह से कुछ अलग,
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    क्यूंकि धारणा व्यक्तिपरक है।
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    जो हम सोचते हैं कि हमने देखा 
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    वास्तव में फ़िल्टर्ड है
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    हमारे अपने मन की आंखों के माध्यम से।
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    बेशक, कई अन्य उदाहरण हैं
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    कि कैसे हम दुनिया को देखते है,
    अपने मन की आंखों से।
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    मैं आपको बस कुछ ही उदाहरण देने जा रही हू।
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    मिताहारी  तो, उदाहरण के लिए,
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    सेब बड़ा देखते हैं
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    उन लोगों की तुलना में
    जो कैलोरी की गिनती नहीं कर रहे हैं |
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    सॉफ्टबॉल खिलाड़ी गेंद छोटे रूप में देखते हैं
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    यदि वे बस एक मंदी से बाहर आए हैं,
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    उन लोगों की तुलना में
    जो अच्छा कर रहे हैं ।
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    हमारी राजनीतिक धारणा पर भी यह
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    निर्भर करता है कि हम व्यकतियों को और
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    राजनेताओं को कैसे देखते हैं |
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    तोह मेरे अन्वेषण टीम और मैने
    यह प्रश्न की परीक्षा का निर्णय लिया
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    २००८में, बराक ओबामा
    पहली बार राष्ट्रपती
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    चुनाव केलीये लढ रहे थे,
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    और हमने कई अमिरिकियों का
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    एक महिना पहले सर्वेक्षण किया|
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    यह सर्वेक्षण में हमे पता चला की,
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    क्या कुछ लोग, क्या कुछ अमरीकी
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    फोटोग्राफ का ऐसा विचार कर सकते
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    ओबामासच में कैसे देखते है|
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    उसमे से ७५ % लोग
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    ओबमाजी केलिए असल में मत दिया|
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    बाकी लोग, फिरभी
    ऐसे फोटोग्राफ्स विचार किया
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    सच में ओबामा कैसे दीखते है|
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    उसमे से ८९ % लोगो ने
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    मैक्केनको मत दिया|
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    हमने ओबामा के बहुतसे फोटोग्राफ्स दिखाए
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    एक के बाद एक
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    तो लोगो को समजा नहीं की,
    हम फोटोग्राफ बदल रहे थे
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    एक से अगले वाले तक
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    या कृत्रिम किरणोंसे
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    या त्वचा ज्यादा काली बनाकर|
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    तो ये कैसे संभव है?
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    मैं जब किसी व्यक्ती,
    वस्तू, या घटना देखती हूँ, उस समय
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    दुसरे किसी को दीखता है, उससे
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    कुछ अलग ही मुझे दीखता है|
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    ये कैसे हो सकता है?
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    वैसे तो बहुतसारे कारण है
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    लेकिन उसमे से एक कारन के लिए
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    आँखों का कार्य अधिक समजना जरुरी है
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    तो दृष्टी वैज्ञानिक जानते है की
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    सच में एक क्षण में देखि हुई
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    हमे मिलने वाली
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    कोई माहिती
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    वैसे तोह बहुत कम होती है|
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    जो हम सूक्ष्म,
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    स्वच्छऔर अचूक देखते है,
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    वो केवल हमने दूर पकडे हुए
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    हात के अंगुठे के
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    सामान ही रहता है|
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    उसके आजूबाजु का सभी अंधुक होता है|
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    उसकी वजह से हमारे आँखों के सामे आई हुई
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    बहुतसे संदिग्ध होते है|
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    लेकिन हमने क्या देखा यह स्पष्टकर के
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    उसका अर्थ निकलना पड़ता है|
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    और ओना मन खाली जगह भरने को मदद करता है
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    उसकी वजह से धरना व्यक्तिसक्षेप होती है|
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    और उसी वजह से जो हम देखते है
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    वो अपने मन का चित्र होता है
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    तो मैं एक सामाजिक मानसशास्त्रज्ञ हूँ|
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    और ऐसे प्रश्न
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    मेरा ध्यान ले लेलते है|
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    व्यक्तिगत मतभेद
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    मुझे मुग्ध करते है
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    ये कैसे हुआ होगा?
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    किसीको ग्लासआधा भरा हुआ दिख सकता है
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    तो किसीको वह
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    आधा खाली दिखाई दे सकता है|
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    किसी व्यक्ति के विचार या भावनाए
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    क्या होगी?
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    की जिसकी वजह से उसको
    पूरी दुनिया अलग दिखती होगी?
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    और उससे सच में कोई फरक होता है क्या?
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    यह प्रश्न को हल निकलने केलिए
    हमने शुरुवात की
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    मैं और मेरे ग्रुपने एक विषय में
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    घर सोचने का निर्णय लिया
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    पूरी दुनिया का लक्ष्य खीचने वाला वह विषय
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    अपना आरोग्य और स्वास्थ्य|
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    दुनियाभार्के लोग
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    वजन नियत्रंण में रखने केलिए काम कर रहे है
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    और वजन न बढे इसीलिए
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    अनेक प्रकार के उपाय अपने मदद केलिए हाजिर है
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    उदाहरणार्थ, हम पक्का करते,
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    छुट्टियोंके बाद व्यायाम शुरू करेंगे,
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    लेकी असल में, बहुतसे अमेरिकन लोगो को
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    अपने नए साल की संकल्पना
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    वैलेंटाइनडे तक तोड़ दी होती है|
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    हम अपने आपको
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    उत्तेजन देते रहेते है
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    बताते रहते है
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    यह साल फिरसे आकार में आएँगे
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    लेकिन अपना वजन काबू में लाने केलिए
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    इतना काफी नहीं रहता
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    तो, ऐसा क्यूँ?
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    देखा जाए तो इसका कोई आसन उत्तर नहीं है|
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    लेकिन अपने विरोध में जानेवाली
    अपने मन की दृष्टी
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    ही इसके पीछे का एक कारण है|
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    ऐसा मेरा युक्तिवाद है|
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    कुछलोगो को व्यायाम
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    बहुत कठिन लगता है
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    तो कुछ लोगो को
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    बड़ा आसान|
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    तो यह प्रश्न की परीक्षा लेते हुए,
    पहली स्टेप
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    हमने लोगो की प्रकृति
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    वस्तुनिष्ठ मापन इकट्ठा किया|
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    हमने उनके कमर की साइज़ गिनी,
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    उनके नितम्ब के परिघ के तुलना में
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    कमर से नितम्ब गुणोत्तर
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    ज्यादा होना
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    बुरा आरोग्य का लक्षण है|
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    यह मापन इकठ्ठाकरने के बाद
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    हमने सहभागी लोगो को एक रेखा में
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    थोडा ज्यदा वजन उठा के
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    चलते जाने को कहा,
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    एक तरह की रेस ही|
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    लेकिन वैसा करने से पहले उनको
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    अंतिम रेखा तक कितना अंतर,
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    इसका अंदाज लेने को कहा|
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    हमे लगा की उनको, यह अंतर
    कितना मेह्सूस होता है
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    यह उनके शारीरिक स्वास्थ्यपर
    निर्भर होता है|
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    और हमे क्या मिला?
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    तोह, कमर से नितंब गुणोत्तर
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    इसका सच में अंतर का कारण था|
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    शारीरिकदृष्ट्या अक्षम लोगो को
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    अंतिम रेखातक अंतर सच में
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    बहुत ज्यादा दिख रहा,
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    सुदृढ़लोगो के तुलना में|
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    लोगो का स्वास्थ्य,
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    उनकी परिस्थिति की धरना बदल रही थी|
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    लेकिन वैसे ओना मन भी बदल सकता है|
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    हाला की अपना शारीर और मन
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    मिलके काम करते है
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    और उससे
    अपने परिस्थिति की धरना रखते है
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    इससे हमे ऐसा लगा की,
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    व्यायाम की प्रेरणा,
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    और ध्येय होने वाले लोगो में
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    अन्तिमे रेखा असल में पास दिखती होगी
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    कम प्रेरणा रखने वाले लीगी को
    उससे ज्यादा नजदीक दिखती होगी|
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    तो, प्रेरणाओ के धारणापर
    कुछ परिणाम होता है क्या?
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    यह देखने केलिए
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    हमने दूसरा एक निरिक्षण किया
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    फिरसे हमने लोगो के स्वास्थ्य की
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    जानकारी इकठ्ठा कियी|
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    उनके कमर का घेरा गिना
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    और उनके नितंब का घेरा गिना
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    और उनको कुछ स्वास्थ्य के
    परिक्षाए लेने को कहा|
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    यह चाच्नियो के बारे में हमारा मत सुनके
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    कुछ लोग बोले की
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    इसके पर हमे व्यायाम की
    प्रेरणा नहीं मिल रही|
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    अपने स्वास्थ्य का ध्येय पूरा हुआ
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    ऐसे उनको लग रहा था
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    और उससे ज्यादा
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    उनको कुछ करना नहीं था|
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    ये लोगो के पास प्रेरणा नहीं थी|
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    लेकी बकियोनेहमारा मत सुनके,
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    व्यायाम की प्रेरणा मिली बताया|
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    अंतिम रेखा तक पहुचना मुख्य उद्देश था|
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    लेकिन फिरसे, अंतिम रेखा तक
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    पहुचने से पहले उनको
    दुरी का अंदाज लगाने को कहा
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    अंतिम रेखा कितनी दूर होगी?
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    और फिर से पहले निरिक्षणके जैसे
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    देखा की , कमर से नितंब का गुणोत्तर ही
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    अंतर के धरना सच है|
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    अक्षम लोगो को ज्यादा लगा,
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    अंतिम रेखा ज्यादा दूर लगी,
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    स्वस्थ लोगो की तुलना में
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    फिर भी महत्वपूर्ण,
    जिन लोगो के पास
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    व्यायाम करने की प्रेरणा नहीं थी,
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    उसके साथ भी ऐसा ही हुआ|
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    दूसरी जगह,
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    व्यायाम के बारे में कठोर प्रेरणा
    रखनेवाले लोगो को
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    अंतर कम दिखा|
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    सबसे कम अक्षम कोगो को भी
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    अंतिम रेखा
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    उतनी ही नजदीक दिखी|
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    शायद स्वस्थ लोगो को
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    उससे ज्यादा पास.
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    तो अपना स्वास्थ्य,
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    अंतिम रेखा कितनी दूर दिखती है,
    बदल सकता है|
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    लेकिन जिन लोगोने ध्येय मुमकिन है
    ऐसा सोचा था
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    उनको वोह जल्दी पूरा करना शक्य हुआ
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    जिनको वोह पूरा करने में हम पात्र है
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    ऐसा लग रहा था,
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    उनको व्यायाम सच में आसन लग रहा था|
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    इससे हमे यह प्रश्न आया की,
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    ऐसी कोई युक्ति हम कर सकते
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    या लोगो को सिखा सकते क्या
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    जिसकी वजह से दुरी की धारणा बदलेगी?
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    और उनको व्यायाम आसन लगे?
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    तो हमने विज्ञान साहित्य के ओरदेखा
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    क्या करे धुंडने केलिए
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    और यह वाचन के सहाय्यसे
    हमे एक युक्ति सूझी
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    उसका नाम रखा "ध्येयपे ध्यान रखे"
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    यह एक प्रेरणादायी विज्ञापन
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    घोषणा नहीं है|
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    एक मार्गदर्शक तत्व है
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    अपने परिस्थितीके ओर कैसे देखे,
    इसके बारे में|
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    हमने युक्ति जो लोगो को सिखाई
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    उनको बताया अंतिम रेखा पर लक्ष्यकेन्द्रित करे|
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    यहा वहा न देखे|
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    ऐसा सोचे की
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    वः ध्येय पर एक प्रकाश है
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    और उसके बाजू का अंधुक है|
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    या दिखना कठिन है|
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    हमे लगा की,
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    यह युक्ति से व्यायाम आसन लगने लगेगा|
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    यह लोगों के समूह की तुलना
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    हमने एक संदर्भ गत से की
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    उनको हमने बताया
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    आपके आजू बाजु देखें
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    ऐसे ही, आसानी से
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    आपको अंतिम रेखा तो दिखेगी ही
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    लेकिन शायद आपको दाहिने बाजु का
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    कचरे का डिब्बा भी दिखेगा|
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    या बाए बाजू का लाइट का खम्बा और वो लोग
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    हमे लगा की यह युक्ति लगाने वालो को
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    अंतर ज्यादा ही लगेगा
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    तोह हमे क्या समझमें आया ?
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    उनको अंतरकितना होगा सोचने को कहा
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    लेकिन उनकी धारणा बदलने
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    यह युक्ती कामयाब हुई क्या?
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    हां|
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    जो लोगोने ध्येय पे लक्ष्य रखा,
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    उनको अंतिम रेखा ३०% नजदीक दिखी|
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    जो लोगो ने आजू बाजू देखा
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    उनके तुलना में|
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    यह हमे बहुत अच्छा लगा
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    बहुत आनंद हुआ,
  • 9:47 - 9:49
    इसका मतलब यह की
  • 9:49 - 9:51
    यह युक्ति से व्यायाम आसान लगने लगा
  • 9:51 - 9:52
    लेकिन मत्वपूर्ण प्रश्न यह की,
  • 9:52 - 9:54
    इससे व्यायाम सचमे
  • 9:54 - 9:56
    आसान होगा क्या?
  • 9:56 - 9:58
    इससे व्यायाम का दर्जा भी
  • 9:58 - 10:00
    सुधारेगा क्या?
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    इसके बाड़ी सहभागियो को बताया की अब
  • 10:02 - 10:04
    आपको ज्यादा वजन उठा के
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    अंतिम रेखा तक पहुचना है|
  • 10:07 - 10:09
    हमने दोनों पैरोपे वजन लगाया|
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    उनके वजन के १५%|
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    हमने उनको दोनों घुटने उठाके अंतिम रेखा तक
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    जलद गती से अंतिम एर्ख तक पहुचने को कहा
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    यह व्यायाम हमने कठिन बनाया था,
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    लेकिन सिर्फ थोडासा ही|
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    अशक्य तो था ही नहीं|
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    बाकी व्यायाम जैसे,
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    जो सचमे अपना स्वास्थ्य सुधारते है
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    तो महत्वपूर्ण प्रश्न यह की
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    ध्येय पे नजर रख के और
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    अंतिम रेखापर लक्ष्य केन्द्रित करके
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    उनका व्यायाम का अनुभव बदला क्या?
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    हां| बदला|
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    जो लोंगोने ध्येय पर नजर राखी थी,
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    उन्होंने हमे बाद में बताया,
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    व्यायाम करने केलिए
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    १७% मेहनत कम करनी लगी|
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    जो लोग ऐसे ही आजू बाजू देख रहे थे,
    उनकी तुलना में|
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    इससे उनके व्यायाम का
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    व्यक्ति निष्ठअनुभव् बदला|
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    वैसेही उनके व्यायाम का
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    स्वरुप भी बदला
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    जो लोगो ने दये पे नजर रखी थी,
  • 11:00 - 11:01
    वे असल में १५ प्रतिशक जल्दी चल रहे थे,
  • 11:01 - 11:03
    जो लोग ऐसे ही आजू बाजू देख रहे थे,
    उनकी तुलना में|
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    इसका अर्थ देखा जाए तो,
  • 11:07 - 11:12
    २३% बढ़ना मतलब,
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    १९८० साल के शेव्ही सायटेशन के बदले में
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    २०१५ साल की शेव्हरोले कॉरव्हेट मिलाना|
  • 11:16 - 11:18
    इससे हम बहुत आनंदी हुए|
  • 11:18 - 11:20
    क्यूंकि इसका अर्थ यह था की,
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    बिना खर्च के युक्ति से
  • 11:22 - 11:24
    बड़ा बदल लाया था|
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    इसके अलावा वह आचरण में लाना भी अआसा थी|
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    लोग सुदृढ़ हो या
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    उसके लिए प्रयत्न करने वाले|
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    ध्येय पर नजर रखें की वजह से
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    व्यायाम आसान लगने लगा|
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    वैसे वह समय भी, जब लोग
    ज्यादा तेज चलने केलिए
  • 11:37 - 11:39
    ज्यादा मेहनत ले रहे थे|
  • 11:39 - 11:41
    अब मुझे पता है की,
    अच्छा आरोग्य का मतलब सिर्फ
  • 11:41 - 11:43
    ज्यादा तेजी से चलना नहीं
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    तो ध्येय पर नजर रखने की
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    एक ज्यादा युक्ति
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    आप लगा सकते है
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    निरोगी जीवनशैली को बढ़ावा देने केलिए|
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    हम अपने मन के दृशी से दुनिया देखते है
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    इसके बारे में अभी भी आप भ्रमित होंगे,
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    तोह में एक आखिर का उदाहरन देती हूँ|
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    स्टॉकहोल्म का रस्ते का छाया चित्र है|
    वः दो कार है|
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    पीछे की कर आगे की कार से
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    बहुत बड़ी दिख रही है
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    असल में
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    दोनों एक ही आकर के है
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    लेकी अपने को वः वैसे दिख नहीं रही?
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    इसका अर्थ क्या?
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    अपने दृष्टी में कुछ बिघडा हुआ है
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    या अपने मस्तिष्क में गडबड है?
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    नहीं. इसका अर्थ बिलकुल ऐसा नहीं है|
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    अपनी दृस्थी ऐसे ही काम करती है, बस्स|
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    शायद हमे दुनिया अलग दिखती होगी
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    कधी उसके वस्तुस्थितिसे
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    मिलाप नहीं होगा|
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    इसक अर्थ ऐसा नहीं की, कोई एक बराबर
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    और कोई दूर गलत|
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    हम अपने मन की दृष्टीसे दुनिया देखते है
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    लेकिन हम उसको
    अलग तरीके से देखना सिखा सकते है
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    जैसे मेरे आयुष्य की
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    बुरे दिनों की यादें|
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    मैं थकी हुई, नाराज, परेशान थी
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    और बहुत से काम बाकी थे|
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    और मेरे सिरपर एक
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    बड़ा काला आसमान होता है|
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    और ऐसे बुरे दिनों में
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    मुझे मेरे आजू बाजू के लोग
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    नाराज दीखते है'
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    मैंने कोई काम को ज्यादा समय माँगा की
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    मेरे सहकारी चिडे हुए दीखते|
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    मेरी मीटिंग देर से होने से
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    मै लंच देरसे गयी की
    मेरी दोस्त परेशान दिखती
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    और दिन के आखिर में
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    मेरा पति निराश दिखता है|
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    क्यूँ की सिनेमा जाने के आलावा
    सोना होता है
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    और ऐसे जब मुझे सभी नाराज
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    अस्वस्थ और नाराज दीखते,
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    तब मई इसकी तरफ दूसरी नजर से
    देखने को याद दिलाती हूँ
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    शायद मेरा सहकारी परेशां होगा,
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    या मेरी दोस्त,
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    और पति को मेरी सहानुभूति लगती होगी|
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    इसका मतलब हम सभी
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    मन के द्र्सुती से दुनिया देखते है|
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    और यह कई बार, यह दुनिया
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    धोकादायक, कठिन या भयानक
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    दिखती भी होगी|
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    लेकिन हर बार ऐसे ही दिखेगी ऐसा नहीं
  • 13:41 - 13:43
    यह देखने केलिए नजर बदलना
    सिख सकते है
  • 13:43 - 13:46
    और जग बदलने का मार्ग
    मिला की यह हो भी सकता है
  • 13:46 - 13:47
    धन्यवाद
  • 13:47 - 13:49
    (तालियाँ)
Title:
कई लोगो को व्यायाम इतर लोगो से कठिन क्यूँ लगता है
Speaker:
एमिली बालसेटिस
Description:

कई लोगों को वजन कम करने केलिए बाकियों से ज्यादा मेहनत क्यूँ करनी पड़ती है|
सामाजिक मानसशास्त्रज्ञ एमिली बालसेटिस यह प्रश्न के अनेक हिस्सों से एक ही हिस्से का संशोधन बता रही है: दृष्टीविषयीक| यह माहितीपूर्ण भाषणमें, वे दिखा देती है, की आरोग्य के बारे में, कुछ लोगो को उनिय निराली दखती है इतर लोगो को उससे निराला|
यह बदलने केलिए वो एक आश्चर्य करने वाला उत्तर बताती है|

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
14:08

Hindi subtitles

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