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बाबा शिव :कभी कभी ड्राईवर सीट छोड़ना सबसे बेहतर है

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    मैं एक थोड़े से गंभीर नोट पर शुरू करना चाहूँगा
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    दो हज़ार सात, पांच साल पहले,
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    मेरी पत्नी को स्तन कैंसर के साथ निदान किया गया
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    स्टेज टू बी|
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    अब मैं उस अनुभव के बारे में सोचता हूँ
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    उसका सबसे दुःख भरा हिस्सा
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    अस्पताल की यात्राएं नहीं थी--
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    स्पष्ट है, वो मेरी पत्नी के लिए बहुत कठिन थे
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    वो शुरुआत का झटका भी नहीं था
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    की उसे स्तन कैंसर है, केवल 39 वर्ष की उम्र में
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    परिवार में कैंसर का कोई इतिहास नहीं|
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    उस अनुभव का
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    सबसे भयानक और पीड़ादायक हिस्सा था
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    कि हम निर्णय पर निर्णय कर रहे थे
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    जो हमारे ऊपर डाले जा रहे थे|
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    क्या मासेक्टोमी करना चाहिए? या लम्पेक्टोमी?
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    क्या एक आक्रामक इलाज करना चाहिए,
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    स्टेज बी जो था?
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    पूरे साइड एफ्फेक्ट्स के साथ?
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    या फिर कम आक्रामक इलाज सही रहेगा?
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    और यह निर्णय
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    डॉक्टर्स हमारे ऊपर छोड़ रहे थे
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    अब आप ये सवाल पूछ सकते हैं
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    डॉक्टर ऐसा क्यूँ कर रहे थे?
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    इसका आसान उत्तर तो यह है
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    कि डॉक्टर अपने आप को कानूनी तौर पर बचाना चाहते हैं|
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    मेरे ख्याल से यह ज्यादा सरलीकृत है|
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    डॉक्टर शुभचिंतक होते हैं,
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    कुछ तो अब काफी अछे मित्र भी बन चुके हैं
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    वे तो सदियों पुराने ज्ञान का पालन कर रहे हैं
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    यह कहावत कि जब निर्णय किये जाते हैं,
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    खास तौर पर महत्वपूर्ण निर्णय
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    सबसे अच्छा नियंत्रण में होना है
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    ड्राईवर सीट में होना
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    और हम सच मुच ड्राईवर सीट में थे
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    सभी निर्णय कर रहे थे, और मैं आपको बताता हूँ
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    अगर आप वहां होते
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    वह सबसे भयानक अनुभव था
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    फिर मैं सोचने लगा
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    क्या इस कहावत में कोई सच्चाई है,
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    कि निर्णय लेते हुए
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    ड्राईवर सीट में होना
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    सबसे बेहतर है?
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    या ऐसा भी कभी होता है,
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    जब यात्री की जगह लेकर किसी और को ड्राइव करने देना बेहतर है?
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    जैसे एक भरोसेमंद वित्तीय सलाहकार,
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    या एक भरोसेमंद डॉक्टर, आदि|
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    क्यूंकि मैं मानव के निर्णयों पर अध्ययन करता हूँ
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    मैंने कहा, मैं कुछ अध्ययन करूँगा
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    और कुछ उत्तर पाने के लिए|
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    आज मैं आपके साथ इनमे से एक अध्ययन बांटूंगा|
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    मान लो कि आप सब अध्यन के सहभागी हो
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    अब आप ऐसा करेंगे
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    एक कप चाय पीयेंगे
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    अगर आप सोच रहे हो क्यूँ, मैं कुछ ही सेकंड में बताता हूँ|
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    आपको कुछ पहेलियों को सुलझाना होगा|
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    मैं जल्द ही आपको इन पहेलियों के कुछ उदाहरण दूंगा|
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    और आप जितनी पहेलियाँ सुलझाएंगे,
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    आपके इनाम मिलने के मौके बढ़ेंगे|
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    अब, चाय पीने की क्या जरूरत है?
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    क्यूँ? क्यूंकि इसी में समझ है|
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    इन पहेलियों को अच्छी तरह से सुलझाने के लिए,
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    आपके दिमाग को एक ही वक्त दो स्थिति में होना पड़ेगा
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    हैं ना? उसे सावधान होना पड़ेगा
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    जिसके लिए कैफीन बहुत अच्छा है
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    और साथ ही साथ बहुत शांत होना होगा
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    उत्तेजित नहीं, शांत| जिसके लिए कामोमाईल बहुत अच्छा है|
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    अब, दो सब्जेक्ट के बीच का डिज़ाइन
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    ऐ बी डिज़ाइन, ऐ बी टेस्टिंग|
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    अब मैं आप सब को यादृच्छिक तरीके से
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    दो हिस्सों में बाटूंगा|
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    कल्पना कीजिये आपके बीच में एक रेखा है|
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    इस तरफ सब ग्रूप ऐ है,
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    और इधर ग्रूप बी|
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    अब मैं आप लोगों के लिए ऐसा करूंगा,
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    यह दो चाय दिखाऊंगा
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    और आपको
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    अपनी पसंद की चाय लेने दूंगा|
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    आप निर्णय करेंगे, आपकी मानसिक स्थिति कैसी है:
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    अच्छा मैं कैफीन वाली पिऊँगा,
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    या मैं कामोमाईल वाली लूँगा|
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    आप नियंत्रण में होंगे
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    ड्राईवर की सीट में होंगे|
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    आप लोगों को मैं ये दो चाय दिखाऊंगा,
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    मगर आप चुन नहीं पाएंगे|
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    मैं आपको कोई एक चाय दूंगा,
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    और ध्यान रखें, मैं यह चाय
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    यादृच्छिक तरीके से आपको दूंगा|
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    आप यह जानते हैं|
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    सोचिये तो यह एक चरम परिदृश्य है,
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    क्यूंकि दुनिया में
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    जब भी आप यात्री का स्थान लेंगे,
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    ज्यादातर ड्राईवर आपका कोई भरोसेमंद होगा
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    विशेषज्ञ आदि होगा| तो यह एक चरम परिदृश्य है|
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    अब आप सब चाय पीयेंगे
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    सोचिये कि आप चाय पी रहे हो
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    आपके चाय पीने की प्रतीक्षा करेंगे|
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    चाय का पूरा असर होने के लिए पांच मिनट रुकते हैं|
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    अब आपके पास 15 पहेलियाँ सुलझाने के लिए आधा घंटा है|
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    यह एक उदाहरण है|
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    दर्शकों में से कोई सुलझाना चाहेगा?
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    (दर्शक: पलपिट) बाबा शिव: वाह!
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    बहुत अच्छा है|
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    अब हम क्या करेंगे अगर आप,
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    सहयोगी के तौर पर जवाब देंगे, हम पहेलियों की कठिनाई को
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    आपसे मैच करते|
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    हम चाहते हैं कि यह पहेलियाँ कठिन हों|
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    ये पहेलियाँ मुश्किल हैं क्यूंकि आपकी पहली वृत्ति
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    है "टूलिप ", फिर आपको अपने आप को उससे अलग करना होता है|
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    हैं ना? तो इनको आपकी बुद्धि से मैच किया गया है|
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    क्यूंकि हम चाहते हैं ये कठिन हं, और मैं बताता हूँ क्यूँ|
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    अब एक और उदाहरण|
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    कोई है? यह थोडा ज्यादा कठिन है|
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    (दर्शक:एम्बार्क) बाबा शिव: हाँ, वाह| अच्छा|
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    तो यह एक और मुश्किल वाला है|
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    आप पहले कहेंगे "कंबर", फिर आप कहेंगे "मेकर"
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    और ये सब, फिर आप खुद को उससे जुदा करेंगे|
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    अच्छा तो आपके पास 30 मिनट हैं, 15 पहेलियों के लिए|
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    अब हम सवाल यह पूछ रहे हैं,
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    नतीजे के तौर पर,
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    सुलझे हुए पहेलियों की संख्या के तौर पर,
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    क्या आप, जो ड्राईवर सीट में थे,
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    ज्यादा पहेलियाँ सुलझाएंगे,
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    क्यूंकि आप नियन्त्रन में थे, अपनी पसंद की चाय चुन सकते थे,
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    या आप ज्यादा पहेलियाँ
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    सुलझाएंगे?
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    अब लगातार, हमें यह पता चलता है
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    काफी अध्ययन के बाद,
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    कि आप, यात्री,
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    अपनी चाय न चुनने के बावजूद,
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    आप ड्राईवरओं से ज्यादा पहेलियाँ सुलझाएंगे|
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    हमे एक और बात भी पता चलती है,
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    न ही आप लोग कम पहेलियाँ सुलझा रहे हैं,
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    मगर आप कार्य में कम मेहनत भी कर रहे हैं|
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    चेष्टा कम है, लगाव कम है, आदि|
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    कैसे पता?
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    हमारे पास मापने के दो तरीके हैं|
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    एक है, कि आप पहेलियाँ सुलझाने में,
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    कितना समय लगा रहे हैं?
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    आप कम समय लगायंगे, आपसे|
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    दूसरा, आपके पास ३० मिनट हैं|
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    क्या आप पूरा समय इस्तेमाल कर रहे हैं,
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    या खत्म होने से पहले ही छोड़ देते हैं?
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    आप लोगों के छोड़ने की सम्भावना, आप लोगों से ज्यादा है|
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    आप कम मेहनत कर रहे हैं, इसलिए नतीजा:
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    कम पहेलियाँ|
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    ऐसा क्यूँ होता है?
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    ऐसी क्या स्थिति है, जिसमे हम ऐसा नतीजा देखेंगे
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    जिसमे यात्री, ड्राईवर से ज्यादा अच्छे
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    नतीजे लायेगा?
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    यह सब INCA का प्रभाव है|
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    यह उस फैसले के बाद की प्रतिक्रिया के लिए,
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    एक्रोनिम है|
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    अब सोचिये, यह पहेली कार्य
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    शेयर बाजार में निवेश से जुड़ा हो सकता है
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    वहां बहुत अस्थिर है, या एक चिकित्सा स्तिथि में हो सकता है
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    यहाँ तुरंत नतीजा मिलता है|
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    आपको नतीजा मिल जाता है, चाहे आप पहेली सुलझाये या नहीं|
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    दूसरा, यह निगेटिव है|
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    याद कीजिये, संभावनाएं आपके खिलाफ थीं|
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    ये पहेलियाँ कठिन हैं|
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    और ये चिकित्सा स्तिथि में हो सकता है|
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    जैसे की इलाज के शुरुआत में,
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    सब निगेटिव होता है, नतीजा, इससे पहले की पोस्टिव हो|
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    हैं ना? ये शेयर बाज़ार में हो सकता है|
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    अस्थिर शेयर बाज़ार, तुरंत ही निगेटिव नतीजा मिलता है|
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    इन सभी स्तिथि में नतीजा पक्का है|
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    अस्पष्ट नहीं है, आपको पता चलेगा कि आपने पहेली सुलझाई है या नहीं|
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    अब इस तुरंत
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    नकारात्मकता, स्थूलता के अलावा,
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    एक एजेंसी की भावना होती है|
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    आप अपने निर्णय के लिए जिम्मेदार थे|
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    तो आप क्या करते हैं?
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    आप बीते हुए फैसले पर ध्यान करते हैं|
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    आप सोचते हैं, मुझे दूसरी चाय चुननी चाहिए थी|
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    (हंसी)
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    आप अपने निर्णय पर शक करने लगते हो
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    आपके निर्णय में आपका विश्वास कम कर देता है
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    आपके परफॉरमांस पर विश्वास कम कर देता है
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    परफॉरमांस मतलब सुलझायी गयी पहेलियाँ|
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    तो कार्य में कम मेहनत,
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    कम पहेलियाँ, तो आपके मुकाबले बुरा नतीजा|
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    और यह चिकित्सा स्थिति में भी हो सकता है, सोचो तो|
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    हैं ना? जैसे की एक मरीज़, ड्राईवर की सीट में|
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    कम मेहनत, मतलब अपने आप को
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    शारीरिक रूप से कम फिट रहना, कम शारीरिक रूप से फिट होना-
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    जो बेहतर होने के लिए करना चाहिए| आप ऐसा नहीं करेंगे|
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    इसलिए, ऐसे वक्त में आप INCA का सामना कर रहे हैं,
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    जब नतीजा तुरंत, नकारात्मक,
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    और पक्का होगा, और आपके पास एजेंसी की भावना है,
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    जब आप यात्री की सीट में बेहतर हैं
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    और कोई और ड्राईवर सीट में
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    अब मैंने गंभीर नोट
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    पर शुरुआत की थी|
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    मैं एक उत्साहित नोट पर समाप्त करूँगा|
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    अब पांच साल हो चुके हैं, पांच से थोडा ज्यादा
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    और ख़ुशी की बात ये है, भगवान की दुआ है
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    कि कैंसर अभी तक रेमिशन में है|
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    सब ख़ुशी से ख़त्म होता है
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    लेकिन एक चीज़ मैंने नहीं कही
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    कि इलाज के बहुत पहले,
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    मेरी पत्नी और मैंने यात्री की सीट लेने का फासला किया
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    और उससे बहुत फर्क पड़ा
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    हमारे मन को शांति मिली
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    और हम उसके स्वास्थ्य लाभ पर ध्यान दे पाए|
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    हमने डॉक्टर को निर्णय लेने दिए
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    ड्राईवर सीट में बैठने दिया|
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    शुक्रिया|
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    (तालियाँ)
Title:
बाबा शिव :कभी कभी ड्राईवर सीट छोड़ना सबसे बेहतर है
Speaker:
Baba Shiv
Description:

सालों का अनुसंधान, मानव स्वभाव के बारे में एक काउंटर इनटुइटिव तथ्य सामने लाता है: कि कभी कभी अधिक विकल्प होना हमें दुखी कर सकता है| यह चिकित्सा स्थिति से भी जुड़ा हो सकता है| बाबा शिव एक आकर्षक अध्यायन दिखाते हैं जिससे पता चलता है कि चुनाव से शक कैसे पैदा हो सकता है, और कैसे चुनने का हक़ छोड़ देना - खास तौर पर ज़िन्दगी और मौत के मामले में- हमारे लिए सबसे अच्छा हो सकता है|

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
09:47

Hindi subtitles

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