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वैश्विक नागरिक का क्या अर्थ है?

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    मैं आपका परिचय
    एक महान महिला से करना चाहता हूँ|
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    उनका नाम है दविनिया|
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    दविनिया का जन्म जमैका में हुआ था,
    १८ वर्ष की उम्र में वे अमेरिका चली गईं
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    और अब वे वाशिंगटन डी.सी.के निकट हैं|
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    वे कोई उच्चस्तरीय
    राजनीतिक कर्मचारी नहीं हैं|
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    और न ही कोई लॉबीस्ट|
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    वे शायद आपको कहेंगी की बहुत साधारण हैं|
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    पर उनके कारण एक बहुत
    असाधारण परिवर्तन हो रहा है|
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    दविनिया की ख़ास बात यह है
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    की वे हर सप्ताह समय देती हैं
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    उन लोगों के लिए,
    जो उनके जैसे नहीं हैं:
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    जो उनके आस पास नहीं हैं,
    उनके प्रदेश या देश में भी नहीं।
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    लोग जिनसे वे शायद कभी न मिलें
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    दविनिया का प्रभाव
    कुछ वर्ष पूर्व शुरू हुआ
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    जब उन्होंने फेसबुक पे
    अपने मित्रों से संपर्क किया,
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    और उनसे छुट्टे पैसे दान करने को कहा
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    जिसे वे लड़कियों की
    शिक्षा पर खर्च कर सकें|
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    उनको बहुत बड़ी धन
    राशि की आशा नहीं थी|
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    परन्तु, ७०,००० पैसे मिलने पर
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    उन्होंने १२० लड़कियों को स्कूल भेजा
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    जब मैंने आखरी बार उनसे बात की
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    उन्होंने मुझे बताया की वे
    अपने पास के बैंक में बदनाम हैं|
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    क्योंकि वे हर बार सैंकड़ों
    सिक्के जमा करने आती हैं
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    आज, दविनिया अकेली नहीं हैं|
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    बिलकुल भी नहीं|
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    वे एक प्रगतिशील
    अभियान का हिस्सा हैं|
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    और दविनिया जैसे
    लोगों को कहते हैं:
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    वैश्विक नागरिक
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    एक वैश्विक नागरिक वह होता है
    जो सबसे पहले अपनी पहचान
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    एक राज्य, जनजाति या राष्ट्र
    के सदस्य के रूप में नहीं
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    बल्कि मानव जाति के
    सदस्य के रूप में बनते हैं|
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    वह, जो इस विश्वास के सहारे,
    दुनिया की परेशानियों के
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    हल खोजने के लिए तैयार है|
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    हमारा काम ऐसे वैश्विक
    नागरिकों का समर्थन
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    व उनको सक्रिय बनाने पर केंद्रित है|
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    ये हर देश में,
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    हर जगह हैं|
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    मैं आपको बताना चाहता हूँ
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    की इस विश्व का भविष्य इन
    वैश्विक नागरिकों पर निर्भर है|
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    मेरा मनना है की यदि ऐसे और
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    वैश्विक नागरिक इस दुनिया में हों,
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    तो गरीबी, जलवायु परिवर्तन, लिंग असमानता
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    जैसी प्रत्येक चुनौती का
    समाधान मिल सकता है|
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    ये वैश्विक मुद्दे हैं,
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    और अंततः, इनके वैश्विक समन्धान
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    वैश्विक नागरिकों द्वारा मांगने
    पर नेताओं पर मिल सकते हैं|
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    इस सोच पर कुछ लोगों की
    पहली प्रतिक्रिया ये होती है
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    की यह विचार काल्पनिक
    या बहुत आदर्शवादी है|
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    तो आज मैं अपनी एक
    छोटी सी कहानी सुनाता हूँ|
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    मैं यहाँ कैसे पहुंचा,
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    और इसका दविनिया
    से क्या सम्बन्ध है|
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    और शायद, आप सब से भी|
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    मैं मेलबोर्न, ऑस्ट्रेलिया मैं पला बड़ा
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    और मैं उन परेशान
    करने वाले बच्चों जैसा था
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    जो हमेशा पूछा करता था - "क्यों?"
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    शायद आप भी मेरे जैसे थे|
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    मैं अपनी माँ से बहुत से सवाल करता|
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    मैं उनसे पूछता कि "मैं सारे दिन
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    खिलौनों से क्यों नहीं खेल सकता?"
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    "आपको फ्रेंच फ्राइज क्यों चाहिए?
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    झींगा क्या होता है?
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    और मैं बन्दर पे मूंगफली
    क्यों नहीं फ़ेंक सकता?"
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    (हंसी)
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    "और मम्मी - यह कैसे हेयर कट है?
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    और क्यों?"
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    (हंसी)
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    और मेरे ख्याल से सबसे भद्दा हेयर कट
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    अब तक भद्दा है|
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    और इसलिए मुझे लगता था
    की मैं दुनिया बदल सकता हूँ,
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    मझे पूरा विश्वास था|
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    और जब मैं १२ वर्ष का था
    हाई स्कूल के पहले वर्ष में,
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    मैं पैसे जुटाने शुरू कर दिया
    विकासशील देशों में समुदायों के लिए|
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    हम बच्चे बहुत उत्साहित थे|
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    ऑस्ट्रेलिया के स्कूलों में सबसे
    ज़्यादा चन्दा हमने जमा किया|
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    और इस कारण हमें पुरस्कृत किया गया
    फीप्पीन्स भेज गया और जानने के लिए|
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    ये वर्ष था १९९८|
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    हमें मनिला शहर के निकट
    एक झुग्गी बस्ती में भेज गया|
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    वहां मेरी दोस्ती सन्नी बॉय से हुई|
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    वो कचरे के बड़े ढेर पर रहता था |
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    वे लोग उसे कचरे का पर्वत कहते थे|
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    और वो कोई सुन्दर पर्वत नहीं था,
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    वो एक गन्दा बदबूदार
    कचरे का ढेर था,
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    जिस पर सन्नी जैसे बच्चे
    घंटों कचरा छांटते थे,
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    ताकि शायद कुछ
    अच्छी वस्तु मिल जाये|
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    सन्नी बॉय और उसके परिवार के साथ
    बिताई उस रात ने मेरी ज़िन्दगी बदल दी
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    क्योंकि जब सोने का समय हुआ,
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    हम एक बहुत छोटे और
    सख्त फर्श पर लेटे
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    मैं, सन्नी और
    सन्नी का पूरा परिवार|
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    सात लोग एक लम्बी रेखा में,
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    और हमारे चारों तरफ, गन्दी बदबू
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    और हमारे चारों तरफ कॉकरोच रेंग रहे थे|
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    मैं बिलकुल नहीं सो सका
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    मैं लेते हुए सोचता रहा,
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    "जब मेरे पास इतना कुछ है,
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    लोगों को ऐसे क्यों रहना पड़ता है?
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    सन्नी बॉय के सपने इस
    बात पर क्यों निर्भर हों
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    की वह कहाँ पैदा हुआ है?
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    या जिसे वॉरेन बफे ने कहा
    है - जन्म की लाटरी
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    मैं समझ नहीं पा रहा था|
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    मैं जानना चाहता था - क्यों?
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    मुझे बहुत बाद में समझ आया
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    की जो गरीबी मैंने
    फिलीपींस में देखी थी
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    वो एक के बाद एक आयीं
    औपनिवेशिक शक्तियों और
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    भ्रष्ट सरकारों के निर्णयों का
    परिणाम था,
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    जिनको सन्नी बॉय के
    हितों से कुछ लेना देना नहीं था|
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    शायद वो कचरे का पहाड़
    उनके कारण ही बन था|
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    और हम सन्नी बॉय जैसे
    बच्चों की मदद
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    सिर्फ कुछ पैसे भेज
    के नहीं कर सकते,
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    या उस कचरे को साफ़
    करके नहीं कर सकते|
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    क्योंकि इसकी मूल
    समस्या कहीं और है|
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    और जैसे जैसे मैंने सामाजिक
    विकास का काम आगे बढ़ाया,
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    स्कूल बनवाए, शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया,
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    एच आई वी और एड्स की जानकारी दी
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    मुझे समझ आया कि
    सामाजिक विकास
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    कार्य समाज के द्वारा
    ही चलाये जाने चाहिए
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    और हालांकि दान आवशयक है,
    केवल दान पर्याप्त नहीं|
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    हमें इन चुनौतियों का
    सामना करना है -
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    एक वैश्विक स्तर पर और
    एक व्यवस्थित तरीके से|
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    मैं बस एक अच्छी
    चीज़ कर सकता था
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    वो है अपने देश के नागरिकों को
    प्रोत्साहित करना की वे देश
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    के नेताओं को इस व्यवस्थित
    बदलाव में संलग्न करें|
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    इसलिए, कुछ वर्ष बाद,
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    मैं कुछ कॉलेज के मित्रों के साथ,
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    गरीबी हटाओ अभियान
    को ऑस्ट्रेलिया लाया|
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    हमारा सपना था की हम
    एक छोटा सा कॉन्सर्ट
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    जी-२० के आस पास,
    आस्ट्रेलियाई कलाकारों के साथ करें|
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    और अचानक एक दिन हमें,
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    बोनो, दी एज, और पर्ल जैम
    से फ़ोन आया|
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    वे सब कॉन्सर्ट में
    गाने के लिए तैयार थे|
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    आप देख सकते हैं, उस
    दिन मैं कुछ ज़्याद ही उत्साहित था|
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    (हंसी)
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    और हम बहुत हैरान हुए
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    कि ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने
    हमारी सामूहिक आवाज़ सुनी
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    और वैश्विक स्वास्थ्य और विकास
    में अपना निवेश दुगना कर दिया-
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    अतिरिक्त ६२० करोड़ डॉलर!
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    और हमें लगा जैसे|
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    (तालियां)
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    जैसे हमें एक बहुत
    बड़ी मान्यता मिली हो|
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    नागरिकों का समर्थन जुटा
    कर हम सरकार को मन सके
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    एक अकल्पनीय पहल करने के लिए
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    हमारे देश से मीलों दूर की
    समस्या सुलझाने के लिए|
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    पर क्या आप जानते हैं?
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    ये पहल ज़्यादा दिन नहीं रही|
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    सरकार बदली,
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    और ६ वर्ष बाद, वो सारी रकम
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    ओझल हो गयी|
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    तो हमने क्या सीखा?
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    हमने सीखा कि एक-आद पहल काफी नहीं|
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    हमें एक स्थायी आंदोलन की ज़रुरत है,
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    जो किसी राजनेता की मनोदशा
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    या आर्थिक माहौल
    पर निर्भर नहीं हो|
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    और ये हर जगह होना है;
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    नहीं तो हर सरकार,
    इस वैश्विक ज़िम्मेदारी को
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    अकेले न कर पाने का
    कोई न कोई बहाना बना देगी|
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    और जैसे हमने इस चुनौती
    का सामना करना शुरू किया
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    हमने अपने आप से पूछा कि
    हम कैसे इतना दबाव बनाएं
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    और कैसे एक ऐसी
    व्यापक सेना खड़ी करें
  • 7:11 - 7:15
    कि हम इस लड़ाई को
    स्थाई रूप से जीत सकें?
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    और हमें एक ही रास्ता नज़र आया|
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    हमें इस गरीबी हटाओ अभियान
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    से जुड़े सभी लोगों के
    अल्पकालिक उत्साह को
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    दीर्घकालिक जूनून में
    बदलने की ज़रुरत थी|
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    इसे उनकी पहचान का
    हिस्सा बनाना था
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    इसलिए २०१२ में हमने एक
    संगठन की स्थापना की
  • 7:30 - 7:35
    और इसके लिए हमें एक ही नाम सूझा:
  • 7:36 - 7:38
    वैश्विक नागरिक|
  • 7:38 - 7:40
    पर ये किसी एक संस्था
    के बारे में नहीं|
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    ये नागरिकों कार्य करने के बारे में है
  • 7:43 - 7:46
    और शोध के आंकड़ों से पता चला
  • 7:46 - 7:48
    और शोध के आंकड़ों
    से पता चला की जो लोग
  • 7:48 - 7:52
    इन वैश्विक मुद्दों
    की परवाह करते हैं,
  • 7:52 - 7:55
    उनमे से सिर्फ १८% ने
    इसके बारे में कुछ किया है|
  • 7:55 - 7:59
    ऐसा नहीं की लोग इसके
    प्रति कुछ करना नहीं चाहते
  • 7:59 - 8:01
    प्रायः उन्हें नहीं पता होता
    की क्या करना चाहिए
  • 8:01 - 8:04
    या उन्हें लगता है उनके
    प्रयास निरर्थक होंगे|
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    तो हमें दर्जनों देशों में लाखों नागरिकों
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    को एकजुट करना पड़ा ताकि
    वे अपने नेताओं पर परोपकारी
  • 8:10 - 8:13
    दिशा में काम करने का दबाव डालें|
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    और जैसे जैसे हमने ये किया,
    हमे अचम्भा हुआ कि
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    जब आप वैश्विक नागरिकता को
    अपना लक्ष्य बनाते हैं,
  • 8:20 - 8:23
    तो अचानक आपको अद्भुत
    सहयोगी मिल जाते हैं|
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    और केवल अत्यन्त गरीबी ही
    वैश्विक समस्या नहीं है|
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    जलवायु परिवर्तन,
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    मानव अधिकार और लैंगिक समानता भी
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    वैश्विक मसले हैं|
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    हमने अपने साथ ऐसे लोगों को पाया
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    जो इन सभी परस्पर मुद्दों
    को सुलझाना चाहते थे|
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    पर हमने कैसे इन
    वैश्विक नागरिकों को
  • 8:41 - 8:43
    एकाग्रित किया?
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    हमने एक वैश्विक भाषा को प्रयोग किया:
  • 8:47 - 8:49
    संगीत|
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    हमने न्यू यॉर्क में,
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    वैश्विक नागरिक महोतस्तव को आयोजन किया|
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    और हमने विश्व प्रसिद्ध कलाकारों
    को आने के लिए राज़ी किया
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    हमने सुनिश्चित किया की महोत्सव
  • 9:00 - 9:03
    संयुक्त राष्ट्र महासभा की
    बैठक के दौरान हो|
  • 9:03 - 9:05
    ताकि जिन नेताओं तक आवाज़ पहुंचनी है,
  • 9:05 - 9:07
    वे हमे नज़रअंदाज़ न कर सकें|
  • 9:08 - 9:10
    पर इसमें एक खासियत थी
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    आप टिकट खरीद नहीं सकते थे,
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    आपको टिकट कामनी थी|
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    आपको वैश्विक लक्ष्य के प्रति
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    कार्य करना था, जिससे आप
    पर्याप्त अंक कम सकते थे|
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    सक्रियता ही मुद्रा है|
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    मेरी रूचि नागरिकता में
    स्वानंद के लिए नहीं थी
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    मेरे लिए, नागरिकता का अर्थ है
    सकारात्मक होना और इस की ही हमें ज़रुरत थी
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    और आश्चर्यजनक है, कि ये सफल हुआ
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    पिछले वर्ष, सिर्फ न्यू यॉर्क में १५५०००
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    नागरिकों ने अहर्ता प्राप्त करने
    के लिये पर्याप्त अंक अर्जित किये
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    हम विश्व स्तर पे,
    १५० देशों के लोगों को
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    साथ लाए हैं और पिछले वर्ष,
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    एक लाख नए सदस्य हमसे जुड़े
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    हमें वैश्विक नागरिकों को
    बनाने की ज़रूरत
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    नहीं| वे हर जगह हैं|
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    हमें बस संगठित व प्रेरित होकर
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    काम करने की ज़रूरत है|
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    हम दविनिया से काफी
    कुछ सीख सकते हैं
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    जिन्होंने २०१२ में यह
  • 10:05 - 10:08
    काम शुरू किया|
    उन्होंने जो किया
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    वो कोई बहुत मुश्किल काम नहीं था,
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    उन्होंने राजनेताओं के
    कार्यालयों को पत्र
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    लिखना शुरू किया|
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    उन्होंने अपने समाज में काम किया
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    और वहां से वे सामाजिक
    मीडिया में सक्रिय हुईं
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    और उन्होंने पैसे इकठ्ठा करना शुरू किया -
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    ढेर सारे पैसे!
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    शायद आपको ये कोई बड़ी बात न लगे
    शायद आप सोचें -
  • 10:31 - 10:32
    इस से क्या मिलेगा?
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    दरअसल इस से बहुत कुछ मिला
    पर वे अकेली नहीं थीं
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    उनके व उनके जैसे १४२,०००
    वैश्विक नागरिकों के प्रयास
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    के कारण अमरीका ने
    शिक्षा के लिए वैश्विक
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    भागीदारी में अपना निवेश दुगना कर दिया|
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    और ये हैं USAID के प्रमुख डॉ. राज शाह,
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    वो घोषणा करते हुए|
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    जब हज़ारों वैश्विक
    नागरिक एक दुसरे
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    से प्रेरित होते हैं,तो उनकी
    शक्ति चकित कर देती है|
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    दविनिया जैसे वैश्विक नागरिकों ने
    विश्व बैंक को जल व स्वछता में
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    निवेश बढ़ाने के लिए राज़ी किया|
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    ये देखिए विश्व बैंक के प्रमुख जिम किम
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    १५०० करोड़ डॉलर की घोषणा करते हुए|
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    भारत के प्रधान मंत्री मोदी जी भी
    २०१९ तक हर घर व स्कूल में शौचालय
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    बनाना चाहते हैं|
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    टीवी कलाकार स्टीफेन कोल्बर्ट से
    प्रोत्साहित होकर वैश्विक नागरिकों ने
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    नॉर्वे में ट्विटर की मुहीम छेड़ी
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    वहां की प्रधानमंत्री - अर्ना सोलबर्ग ने
    उनकी मुहीम को समझा और
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    लड़कियों की शिक्षा में
    निवेश दुगना कर दिया
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    वैश्विक नागरिकों ने रोटरी क्लब के
    साथ कनाडा, ब्रिटेन व
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    ऑस्ट्रेलियाई सरकारों को पोलियो
    मुक्ति अभियान में निवेश
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    बढ़ाने को राज़ी किया और मिलकर
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    ६६.५ करोड़ डॉलर प्रतिबद्ध कराये|
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    पर इस सब के बावजूद हमें
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    कई चुनौतियों का
    सामना करना पड़ता है|
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    शायद आप सब मन ही मन
    सोच रहे होंगे कि आप
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    कैसे इन बड़े नेताओं का ध्यान
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    वैश्विक मुद्दों पर ला सकते हैं|
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    शायद अमरीकी राजनीतिज्ञ टिप
    ओ'नील ने ठीक कहा था -
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    "सभी राजनीति स्थानीय है"
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    इस तरह स्थानीय या राज्यीय
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    हितों के लिए काम करके ही
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    राजनेता निर्वाचित होते हैं|
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    ये बात मैंने २१ वर्ष की
    उम्र में सीखी थी|
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    मेरी मुलाकात तब के
    ऑस्ट्रलिाई विदेश मंत्री
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    - जिनका में नाम नहीं लूंगा - से हुई थी|
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    [ एलेग्जेंडर डाउनर ]
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    (हंसी)
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    अकेले में मैंने उनको
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    अपने विचार बताये|
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    मैंने उंसी कहा -
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    "मंत्रीजी, ऑस्ट्रेलिया के
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    पास इस सदी के वैश्विक लक्ष्य
    को पाने अनोखा मौका है"
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    उन्होंने मुझे रोका,
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    और नकारात्मक रूप से देखा,
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    और कहा - "हुघ,
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    विदेशी सहायता की ऐसी की तैसी|"
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    बस उन्होंने "ऐसी की तैसी"
    की जगह कुछ और कहा|
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    आगे उन्होंने कहा -
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    हमें पहले अपने बारे में सोचना चाहिए
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    मेरे हिसाब से, ये पुरानी,
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    और खतरनाक सोच है|
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    या जैसे मेरे दादाजी कहा करते थे -
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    बिलकुल बकवास!
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    संकीर्णता इस गलत सोच की
    जड़ है,क्योंकि इस से दो देशों
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    के गरीब एक दूसरे
    प्रतिद्वंदी बनते हैं,
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    ये सोच के कि हम खुद को
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    दूसरे देशों से अलग कर सकते हैं
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    दरअसल, पूरा विश्व ही हमारा घर है
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    ज़रा देखिये क्या हुआ जब हमने
    रवांडा को, जब हमने
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    सीरिया को नज़रंदाज़ किया,
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    जब हमने जलवायु परिवर्तन
    को नज़रंदाज़ किया|
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    राजनेताओं को इन बातों पे
    ध्यान देना चाहिए
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    क्योंकि जलवायु परिवर्तन, गरीबी
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    हम सब को प्रभावित करते हैं|
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    वैश्विक नागरिक बात को समझते हैं|
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    आज का युग वैश्विक
    नागरिकों के पक्ष में है,
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    जहाँ हर आवाज़ सुनी जाती है|
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    क्या आपको याद है,
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    जब सन् २००० में सहस्राब्दि
    विकास लक्ष्य लिखे गए थे?
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    तब संचार साधनों की
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    पहुँच बहुत सीमित थी|
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    तब कोई सामाजिक मीडिया नहीं था|
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    आज, सैंकड़ों लोगों के पास
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    बहुत से साधन है,
    ढेर सारी सूचना है,
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    प्रभाव के लिए अधिक
    क्षमता है|
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    मर्ज़ और उनकी दवा,
    दोनों हमारे सामने हैं|
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    ये दुनिया बदल गयी है
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    और हम में से जो लोग सरहदों के
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    पार देखते हैं, वे सही हैं|
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    तो हम कहाँ पहुंचे हैं?
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    हमारी मुहिम बाहत अद्भुत है,
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    जिसमे दुनिया भर से लोग
    आ रहे हैं, हमें कुछ
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    बड़ी कामयाबियां भी मिली हैं
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    पर क्या हमने अपना लक्ष्य हासिल किया है?
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    नहीं!
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    अभी हमारा लक्ष्य बहुत दूर है|
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    वैश्विक नागरिकों के अभियान की संकल्पना
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    जो वैसे तो स्पष्ट है,
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    पर कुछ मायनों में अव्यवहारिक भी
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    संयोग से हमारे इस ही युग में है|
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    वैश्विक नागरिकों के रूप में
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    आज हमारे पास तेज़ी से
    एक सकरात्मक बदलाव
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    लाने का अवसर है|
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    आने वाले वर्षों में
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    वैश्विक नागरिक, वैश्विक लक्ष्यों को
  • 14:56 - 14:57
    हासिल करने के लिए दुनिया
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    के नेताओं को जवाबदेह बनाएँगे|
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    वैश्विक नागरिक, गैर सरकारी
    संस्थाओं के साथ मिल कर
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    पोलियो व मलेरिया जैसी
    बीमिरियों का अंत करेंगे|
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    वैश्विक नागरिक दुनिया के हर कोने
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    से आ कर सकारात्मक बदलाव
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    की गति और बढ़ाएंगे|
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    और ये सब हमरी पहुँच में है|
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    कल्पना कीजिये वैश्विक नागरिकों
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    की सूचित और एकजुट सेना
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    जो लाखों करोड़ों की संख्या
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    में बदलाव के प्रति काम करे|
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    मैंने सन्नी बॉय से संपर्क करने
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    की बहुत कोशिश की|
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    पर संपर्क नहीं हो पाया|
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    हम सामाजिक मीडिया के पहले मिले,
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    और उसका पता सरकार द्वारा बदला जा चुका है
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    जैसा अक्सर झुग्गियों में होता है|
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    एक दिन मैं उसके साथ बैठकर
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    उसे बताना चाहता हूँ कि
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    उसके साथ रह कर मैं कितना प्रेरित हुआ|
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    और उसके कारण ही मैं एक
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    जन आंदोलन का महत्व समझा -
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    जहाँ बच्चे स्क्रीन से बहार
    की दुनिया को देखते हैं -
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    वैश्विक नागरिक|
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    ऐसे वैश्विक नागरिक, जो एकजुट
    हो कर पूछते हैं - क्यों?
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    और जो नकारात्मक सोच को दूर करके,
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    इस दुनिया की अद्भुत
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    संभावनाओं को गले लगते हैं|
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    मैं एक वैश्विक नागरिक हूँ|
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    और आप?
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    धन्यवाद!
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    (तालियाँ)
Title:
वैश्विक नागरिक का क्या अर्थ है?
Speaker:
ह्यु इवंस
Description:

ह्यु इवंस ने एक अभियान चलाया है जिससे "वैश्विक नागरिक" - वे लोग जो किसी राष्ट्र,राज्य, जनजाति के नहीं, बल्कि संपूर्ण मानव जाति के होते हैं| इस व्यक्तिगत व उत्साहित करने वाले भाषण में आप जानेंगे कि कैसे इस विश्व में हमारे स्थान की बदलती परिभाषा से लोग एकाग्रित हो कर गरीबी, जलवायु परिवर्तन व लिंग असमानता से लड़ रहे हैं| एवंस कहते हैं कि ये वैश्विक समयाएं हैं जिन समाधान वैश्विक नागरिकों द्वारा नेताओं पर दबाव डालने से होगा|

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
16:56

Hindi subtitles

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