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अमेरिका को अपने महाशक्तिशाली होने के पद का प्रयोग कैसे करना चाहिए

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    TEDx पर आकर आप हमेशा
    प्रौद्योगिकी के बारे में सोचते हैं,
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    बदलते हुए विश्व के बारे में,
    परिवर्तन के बारे में।
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    आप चालकहीन
    गाड़ी के बारे में सोचते हैं
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    हर कोई आज-कल चालकहीन
    गाड़ी के बारे में बात कर रहा है,
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    और मुझे चालकहीन
    गाड़ी का सिद्धान्त बहुत पसंद है,
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    पर मैं जब उसमें बैठता हूँ,
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    मैं चाहता हूँ कि वो बहुत धीरे-धीरे चले,
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    मैं उसके चालनचक्र और ब्रेक तक पहुँच
    रखना चाहता हूँ, कहीं अगर ज़रूरत पड जाए तो।
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    मुझे आपके बारे में तो नहीं पता, लेकिन
    मैं तो चालकहीन बस के लिए तैयार नहीं हूँ।
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    मैं चालकहीन विमान के लिए भी तैयार नहीं हूँ।
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    चालकहीन दुनिया के बारे में आप क्या कहेंगे?
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    और यह मैं इसलिए पूछ रहा हूँ
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    क्योंकि हम उसी की ओर प्रगतिशील हैं।
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    ऐसा होना नहीं चाहिए।
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    हम सबसे आगे हैं,
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    अमेरिका बड़ा है, और कार्यभारी है।
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    अमेरिकीकरण और वैश्वीकरण
    पिछली कुछ पीढ़ियों से
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    एक सामान हो गए हैं।
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    सही? चाहे वह विश्व व्यापार संगठन हो,
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    या अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष हो,
    विश्व बैंक हो,
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    मुद्रा पर हुआ ब्रेटन वुड्स समझौता हो,
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    यह सब अमेरिका की संस्थाएँ थीं,
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    हमारे मूल्य, हमारे मित्र, हमारे
    मित्र-राष्ट्र, हमारा धन, हमारे मानक।
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    विश्व इस तरीके से काम करता था।
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    तो यह थोड़ा रोचक है, अगर आप यह देखना
    चाहते हैं कि अमेरिका कैसे सोचता है,
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    तो वो ये रहा।
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    यह हमारी सोच है, कि दुनिया कैसे चलती है।
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    राष्ट्रपति ओबामा लाल गलीचे पर चलते हुए
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    एयर फाॅर्स वन से उतरते हैं,
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    और ये बहुत अच्छा लगता है,
    बहुत आरामदेह लगता है।
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    मुझे नहीं पता आपमें से कितने लोगों ने
    पिछले सप्ताह की चीन यात्रा देखी थी,
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    और जी२०।
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    हे भगवान! सच में! है ना?
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    चीन में विश्व के नेताओं की
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    सबसे आवश्यक सभा के लिए
    हम इस तरह पहुँचे।
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    राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नीचे खड़ा
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    दुर्वचन बोल रहा था,
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    लाल गलीचे के बिना,
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    विमान के नीचे
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    पूरा जनसंचार और बाकी सब थे।
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    जी२० में बाद में,
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    ये रहे ओबामा।
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    (खिलखिलाहट)
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    प्रणाम जॉर्ज,
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    प्रणाम नॉरमन।
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    ये ऐसे लग रहे हैं जैसे
    ये कोई मुकाबला करने वाले हैं, है ना?
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    और किया भी। उन्होंने ९० मिनट के लिए
    सीरिया के बारे में बात की।
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    पुतिन इसके बारे में बात करना चाहता था।
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    वह अधिकारी बनता चला जा रहा है।
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    वही है जो वहाँ कुछ करने की इच्छा रखता है।
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    बहुत ज़्यादा आपसी मेल
    या विश्वास तो नहीं है,
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    पर ऐसा भी नहीं है कि अमेरिकी
    उसे बता रहे हों कि करना क्या है।
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    और जब पूरे २० नेता एक साथ
    मिल रहे हों, तब क्या?
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    और जब ये सारे नेता मंच पर हों,
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    तब अमेरिकन अपने हिस्से का काम करते हैं।
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    ओ-हो!
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    (खिलखिलाहट)
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    शी जिनपिंग ठीक लग रहे हैं।
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    ओंगेला मर्केल, वो हमेशा यही करती हैं,
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    देखिये, वो हमेशा यही करती हैं।
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    पर पुतिन तुर्की राष्ट्रपति एर्डोगन को
    बता रहा है कि क्या करना है
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    और ओबामा सोच रहे हैं
    कि वहाँ चल क्या रहा है?
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    देखा आपने? और समस्या यह है,
    कि जिस दुनिया में हम रहते हैं,
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    वह जी२० नहीं,
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    जी० है,
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    एक ऐसी दुनिया जहाँ
    कोई भी एक देश या सन्धि
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    वैश्विक नेतृत्व की चुनौतियों
    का सामना नहीं कर सकते।
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    जी२० से काम नहीं चलता,
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    जी७, हमारे सारे मित्र,
    वो इतिहास बन चुका है।
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    और वैश्विकिकरण चल रहा है।
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    वस्तुएँ और सेवाएँ और लोग और पूँजी,
    देशों की सीमाएँ पहले से
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    और भी तेज़ी से पार कर रहे हैं,
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    लेकिन अमेरिकीकरण नहीं कर रहा।
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    तो अगर मैंने आपको यह समझा दिया,
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    तो मैं बाकी समय में
    दो काम करना चाहता हूँ।
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    मैं पूरे संसार पर
    इसके असर के बारे में
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    बात करना चाहता हूँ।
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    मैं वो करूँगा।
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    और फ़िर मैं बताना चाहता हूँ
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    कि हम यहाँ अमेरिका और न्यू यॉर्क में
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    इस विषय में क्या सोचते हैं।
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    तो यह असर है क्या?
    हम यहाँ हैं क्यों?
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    हम यहाँ हैं
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    अमेरिका की वजह से,
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    हमने इराक और अफ़ग़ानिस्तान से ऐसे युद्ध
    करने में दो लाख करोड़ डॉलर खर्च किये
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    जो असफल रहे।
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    हम ऐसा दोबारा नहीं करना चाहते।
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    हमारे पास बड़ी तादाद में
    माध्यम और श्रमिक वर्गीय लोग हैं,
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    जिन्हें लगता है कि वैश्वीकरण के वादों से
    उन्हें कोई फ़ायदा नहीं मिला,
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    तो वो उसका विशेषतः
    प्रयोग नहीं करना चाहते।
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    और फिर हमारे पास ऊर्जा क्रान्ति है,
    जिसके लिए हमें
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    पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन
    या मध्यपूर्व की अब ज़रूरत नही है।
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    हम वो सब यहाँ अमेरिका में बनाते हैं।
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    तो अमेरिका के लोग
    संसार की सुरक्षा के रक्षक
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    या वैश्विक व्यापार के निर्माता
    नहीं बनना चाहते।
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    अमेरिका के लोग वैश्विक मूल्यों की
    जयकार करने वाले भी नहीं बनना चाहते।
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    और फिर आप यूरोप को देखें,
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    जो संसार की सबसे महत्वपूर्ण सन्धि है,
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    वो है ट्रान्सअटलांटिक सम्बन्ध।
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    पर दूसरे विश्व युद्ध से अब तक में
    इस समय वह सबसे कमज़ोर है,
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    यह सारा संकट
    और ब्रेक्ज़िट की बातें,
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    फ़्रांसिसी और रूसियों के बीच
    की जा रही प्रतिरक्षा,
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    या जर्मन और तुर्कियों के बीच,
    या अंग्रेज़ों और चीनियों के बीच।
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    चीन और नेतृत्व नहीं करना चाहता।
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    चाहता है, लेकिन केवल आर्थिक क्षेत्र में,
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    और वो अपने खुद के मूल्य, मानक
    और मुद्रा चाहते हैं,
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    अमेरिका के मुकाबले।
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    रूसी और नेतृत्व करना चाहते हैं।
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    जो आप देख सकते हैं यूक्रेन में,
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    बाल्टिक देशों में, मध्यपूर्व में,
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    लेकिन अमेरिका के लोगों के साथ नहीं।
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    वह अपनी खुद की पसन्द
    और व्यवस्था चाहते हैं।
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    इसीलिए हम वहाँ हैं, जहाँ हैं।
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    तो आगे चल कर होगा क्या?
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    आसान जगह पर शुरुआत करते हैं,
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    मध्यपूर्व में।
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    (खिलखिलाहट)
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    मैंने थोड़ा कम दिखाया है,
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    लेकिन आपको समझ तो
    आ ही रहा होगा।
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    देखिये, मध्यपूर्व की
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    ऐसी स्थिरता के
    तीन कारण हैं। है ना?
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    एक तो इसलिए क्योंकि
    अमेरिका और मित्र-राष्ट्रों में
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    कुछ हद तक सैन्य सुरक्षा
    प्रदान करने की चाह थी।
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    दूसरा क्योंकि ज़मीन से बहुत सारा
    पैसा सस्ते में निकालना आसान था,
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    क्योंकि तेल महँगा था।
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    और तिसरा
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    क्योंकि नेता कितने भी बुरे क्यों ना हों,
    जनता अपेक्षाकृत मौन थी।
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    ना तो उनके पास योग्यता थी
    और न चाह,
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    उनके विरुद्ध खड़े हो पाने की।
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    पर मैं आपको यह बता सकता हूँ
    कि एक जी० विश्व में,
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    ये तीनों ही कारण
    बहुत ज़्यादा दिन सच नहीं रहेंगे,
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    और इसी तरह असफल देश,
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    आतंकवाद, शरणार्थी
    और बाकी सब भी।
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    तो क्या पूरा मध्यपूर्व बिखर जायेगा?
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    नहीं, समय के साथ कुर्दों का हाल
    अच्छा होगा, और इराक, इजराइल, ईरान का।
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    पर आम तौर पर बात करें तो
    यह एक अच्छा नज़ारा नहीं है।
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    अच्छा इस आदमी का क्या होगा?
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    यह एक बुरी पारी को
    बहुत अच्छे से खेल रहा है।
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    इसमें कोई दो राय नहीं, कि ये
    उच्च स्तर का प्रदर्शन कर रहा है।
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    लेकिन लम्बे समय में --
    मेरा मतलब वो नहीं था।
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    लेकिन लम्बे समय में, लम्बे समय में,
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    अगर आपको लगता है कि रूसी
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    उनकी सीमा तक अमेरिका और यूरोप के द्वारा
    नाटो बढ़ाने के कारण विरोधी बने,
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    ये कहने के बाद
    कि वो नहीं करेंगे,
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    और यूरोप के अतिक्रमण के कारण,
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    तो आप तब तक इंतज़ार कीजिये
    जब तक चीनी सैंकडों करोड़ डॉलर
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    रूस के आस-पास हर उस देश में नहीं डाल देते
    जिनमें उनकी पहुँच है।
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    चीनी इसमें सबसे आगे होंगे।
    रूसी टुकड़े समेट रहे होंगे।
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    एक जी० विश्व में, यह श्री पुतिन के लिए
    बहुत तनाव भरे १० वर्ष होंगे।
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    यह उतना भी बुरा नहीं है। है ना?
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    एशिया असल में बेहतर दिखता है।
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    एशिया में असली नेता हैं,
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    उनके पास काफी राजनीतिक स्थिरता है।
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    वो अभी वहाँ और रहेंगे।
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    भारत में श्री मोदी,
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    श्री आबे, जिनको सम्भवतः जापान की
    लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी में
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    तीसरी अवधि मिलने वाली है,
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    बेशक शी जिनपिंग, जो अत्यधिक
    ताकत संगठित कर रहे हैं,
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    माओ के बाद चीन के
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    सबसे शक्तिशाली नेता।
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    यह एशिया की तीन
    सबसे महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाएँ हैं।
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    अब देखिये, एशिया में समस्याएँ है।
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    हम दक्षिण चीन सागर पर विवाद देखते हैं।
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    हम देखते हैं की किम जोंग उन
    ने पिछले कुछ दिनों में ही
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    एक और परमाणु अस्त्र का परिक्षण किया है।
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    लेकिन एशिया के नेताओं को
    झंडा लहराने की
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    ज़रूरत नहीं महसूस होती,
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    विदेशी लोगों को नापसन्द करने की,
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    आंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक
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    और सीमा पर, तनाव
    की वृद्धि करने की।
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    वो लम्बे समय में आर्थिक स्थिरता और
    विकास पर ध्यान केन्द्रित करना चाहते हैं।
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    और वो कर भी वही रहे हैं।
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    अब यूरोप की ओर देखते हैं।
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    यूरोप ऐसे वातावरण में
    थोड़ा डरा सा दिखता है।
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    मध्यपूर्व में जो हो रहा है
    वो बहुत कुछ
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    वस्तुतः यूरोप पर असर कर रहा है।
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    चाहे वो ब्रेग्जिट हो
    या यूरोप के सभी देशों में चल रहा
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    लोकलुभावनवाद पर विवाद।
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    मैं आपको बता देना चाहता हूँ
    कि लम्बे समय में,
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    एक जी० विश्व में,
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    यूरोप का विस्तार कुछ ज़्यादा ही लगेगा।
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    यूरोप ऊपर रूस तक चला गया,
    और नीचे मध्यपूर्व तक,
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    और अगर संसार सच में ज़्यादा समतल
    और ज़्यादा अमेरिकी बन रहा होता
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    तो यह छोटी समस्या होती,
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    लेकिन एक जी० विश्व में,
    रूस के और मध्यपूर्व के
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    सबसे पास वाले देशों की
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    आर्थिक सक्षमता असल में भिन्न होंगी,
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    भिन्न सामाजिक स्थिरता होगी
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    और भिन्न राजनितिक पसन्द
    और व्यवस्था होगी, मूल यूरोप के मुकाबले।
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    तो यूरोप सच में जी७ के अन्दर
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    विस्तार कर पाया,
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    लेकिन जी० के अन्दर
    यूरोप छोटा होता जायेगा।
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    जर्मनी और फ्रांस और बाकियों के
    आसपास का मूल यूरोप
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    तब भी काम करेगा, क्रियाशील होगा,
    स्थिर, धनवान, एकीकृत।
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    लेकिन उसकी परिधि,
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    ग्रीस, तुर्की जैसे बाकी देश,
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    उतने अच्छे बिलकुल नहीं दिखेंगे।
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    लैटिन अमेरिका, जहाँ
    बहुत लोकलुभावनवाद ने
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    अर्थव्यवस्थाओं को
    अच्छी तरह चलने नहीं दिया।
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    वो दशकों तक अमेरिका के विरुद्ध थे।
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    लेकिन अब वो बदल रहे हैं।
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    हमने ऐसा अर्जेंटाइन में देखा।
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    हमने ऐसा क्यूबा के खुलेपन में देखा।
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    हम इसे वेनेजुएला में तब देखेंगे
    जब मादुरो का पतन होगा।
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    हम इसे ब्राज़ील में देखेंगे,
    दोषारोपण के बाद
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    और जब हम वहाँ अन्ततः एक नया
    वैध राष्ट्रपति चुने हुए देखेंगे।
  • 10:05 - 10:08
    वह एकमात्र जगह जहाँ आप
    इसे दूसरी दिशा में चलते हुए देखते हैं,
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    वो मेक्सिकौ के राष्ट्रपति पेना नियतो की
    अलोकप्रियता में है।
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    उसे शायद आप आने वाले वर्षों में
    सच में अमेरिका से
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    दूर जाता हुआ देख पाएँ।
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    अमेरिका में हो रहा चुनाव
    उसके लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।
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    (खिलखिलाहट)
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    अफ्रीका?
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    बहुत लोगों का कहना है कि
    अन्ततः अफ्रीका का दशक आएगा।
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    एक जी० विश्व में,
    कुछ अफ़्रीकी देशों के लिए
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    यह पूर्णतः अद्भुद समय है,
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    जिनका शहरीकरण के साथ
    अच्छी तरह शासन किया जाता है,
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    जहाँ चतुर लोग बहुत हैं,
    स्त्रियाँ काम पर जा रही हैं,
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    व्यवसाय बढ़ रहा है।
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    लेकिन अफ्रीका के ज़्यादातर देशों के लिये
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    यह ज़्यादा संदिग्ध होगा:
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    चरम जलवायु परिस्थितियाँ,
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    इस्लाम और ईसाई धर्म दोनों की उग्रता,
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    बहुत घटिया शासन,
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    सीमा जिसकी आप रक्षा नहीं कर पाते,
    मजबूरी में होता अत्यधिक पलायन।
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    ऐसे देश नक़्शे से
    ख़त्म हो सकते हैं।
  • 10:59 - 11:03
    तो आप सच में चरम सीमा पर
    पूरे अफ़्रीका में
  • 11:03 - 11:06
    विजेता और पराजितों के बीच
    होता हुआ अलगाव देखेंगे।
  • 11:06 - 11:10
    अन्ततः, अमेरिका पर वापस आते हैं।
  • 11:10 - 11:12
    हमारे बारे में मेरी क्या सोच है?
  • 11:12 - 11:15
    क्योंकि यहाँ बहुत लोग परेशान हैं,
  • 11:15 - 11:18
    यहाँ टेडएक्स में नहीं,
  • 11:18 - 11:20
    लेकिन अमेरिका में। हे ईश्वर,
  • 11:20 - 11:22
    १५ महीने के प्रचालान के बाद
    हमें दुख़ी होना भी चाहिए।
  • 11:22 - 11:24
    यह मैं समझता हूँ।
  • 11:24 - 11:27
    पर बहुत लोग परेशान हैं
    क्योंकि वो कहते हैं, "वॉशिंगटन खंडित है,
  • 11:27 - 11:30
    हमें स्थापन में विश्वास नहीं,
    हमे जनसंचार पसंद नहीं।"
  • 11:30 - 11:34
    मेरे जैसे वैश्वीकरण को मानने वाले लोग भी
    इसको बिना शिकायत स्वीकार करते हैं।
  • 11:34 - 11:39
    देखिये, मेरे हिसाब से
    हमें यह समझना ज़रूरी है,
  • 11:39 - 11:41
    मेरे साथियों,
  • 11:41 - 11:45
    कि जब आपके पीछे भालू पड़ा हो,
  • 11:45 - 11:50
    वैश्विक सन्दर्भ में, तो आपको भालू को
    पीछे छोड़ने की ज़रूरत नहीं है,
  • 11:50 - 11:52
    आपको सिर्फ अपने साथियों
    को पीछे छोड़ने की ज़रूरत है।
  • 11:52 - 11:55
    (खिलखिलाहट)
  • 11:56 - 11:58
    तो मैंने अभी-अभी आपको
  • 11:58 - 12:00
    साथियों को पीछे छोड़ने के बारे में बताया।
  • 12:00 - 12:03
    है ना? और उस दृष्टिकोण से
  • 12:03 - 12:05
    हम ठीक दिखते हैं।
  • 12:05 - 12:07
    इस सन्दर्भ में बहुत लोगों का कहना है,
  • 12:07 - 12:11
    "डॉलर में भरोसा रखो,
    न्यू यॉर्क की ज़मीन जायदाद में भरोसा रखो।
  • 12:11 - 12:14
    अपने बच्चों को अमेरिकी
    विश्वविद्यालयों में भेजो।"
  • 12:14 - 12:16
    हमारे पड़ोसी बहुत अच्छे हैं:
  • 12:16 - 12:19
    कनाडा, मेक्सिकौ और
    २ बड़े बड़े जल श्रोत।
  • 12:19 - 12:23
    क्या आपको पता है कि तुर्की कितना
    खुश होगा ऐसे पड़ोसी पा कर।
  • 12:23 - 12:25
    ये बहुत अच्छे पड़ोसी हैं।
  • 12:26 - 12:29
    अमेरिका में एक समस्या आतंकवाद है।
  • 12:29 - 12:32
    भगवान जानता है कि हमने यहाँ
    न्यू यॉर्क में उसे बहुत झेला है।
  • 12:32 - 12:35
    लेकिन वो यूरोप में अमेरिका से
    ज़्यादा बड़ी समस्या है।
  • 12:35 - 12:37
    और यूरोप से भी बड़ी
  • 12:37 - 12:38
    मध्यपूर्व में।
  • 12:38 - 12:41
    यह विशालता के कारक हैं।
  • 12:41 - 12:46
    हमने अभी १०००० सीरियाई शरणार्थी स्वीकार
    किये, और हम इसकी कड़वी शिकायतें कर रहे हैं।
  • 12:46 - 12:48
    पता है क्यों?
    क्योंकि वो यहाँ तैर कर नहीं आ सकते।
  • 12:48 - 12:53
    है ना? तुर्की खुश होंगे बस १००००
    सीरियाई शरणार्थी ले कर।
  • 12:53 - 12:56
    जोरदान के लोग, जर्मनी के,
    ब्रिटैन के, है ना?
  • 12:57 - 12:58
    पर ऐसी स्थिति है नहीं।
  • 12:58 - 13:01
    यह अमेरिका की सच्चाई है।
  • 13:01 - 13:04
    अब यह तो काफी अच्छा दिखता है।
  • 13:04 - 13:07
    पर चुनौती यह है,
  • 13:07 - 13:10
    एक जी० विश्व में, आपको उदाहरण
  • 13:11 - 13:12
    से नेतृत्व करना पड़ता है।
  • 13:12 - 13:15
    अगर हम जानते हैं कि हम और ज़्यादा
    वैश्विक रक्षक नहीं बनना चाहते,
  • 13:15 - 13:18
    अगर हमें पता है कि हम
    वैश्विक व्यापार के निर्माता नहीं बनेंगे,
  • 13:18 - 13:21
    हम सांसारिक मूल्यों की
    जयकार नहीं करेंगे,
  • 13:21 - 13:23
    हम वो नहीं करेंगे जो
    हम करते आये हैं,
  • 13:23 - 13:24
    इक्कीसवी सदी बदल रही है,
  • 13:24 - 13:27
    हमें उदाहरण द्वारा नेतृत्व करना होगा,
    इतना सम्मोहक होना होगा
  • 13:27 - 13:30
    कि ये सब बाकी लोग फिर भी कहेंगे,
  • 13:30 - 13:32
    ऐसा नही है कि ये सिर्फ तेज़ हैं।
  • 13:32 - 13:35
    अगर भालू इनके पीछे न भी पड़ा हो,
    तब भी ये अच्छी जगह पर हैं।
  • 13:35 - 13:36
    हम इनका अनुसरण करना चाहते है
  • 13:37 - 13:41
    इस वर्ष की चुनावी प्रक्रिया,
    उदाहरण द्वारा नेतृत्व करने के लिये
  • 13:42 - 13:44
    एक अच्छा विकल्प सिद्ध नहीं हो रही।
  • 13:45 - 13:47
    हिलेरी क्लिंटन कहती है,
    कि ९० के दशक जैसा समय आएगा।
  • 13:47 - 13:50
    हम अब भी मूल्यों की जयकार
    करने वाले बन सकते हैं।
  • 13:50 - 13:53
    हम अब भी वैश्विक व्यापार
    के निर्माता बन सकते हैं।
  • 13:53 - 13:54
    हम अब भी संसार के
    रक्षक बन सकते हैं।
  • 13:54 - 13:57
    और डोनाल्ड ट्रम्प हमें वापस
    ३० के दशक में ले जाना चाहता है।
  • 13:59 - 14:02
    वो कहता है, "मेरा रास्ता स्वीकार करो
    या भाड़ में जाओ।" है ना?
  • 14:03 - 14:06
    दोनों ही जी० के इस मौलिक सच
    को नहीं मान रहे,
  • 14:06 - 14:10
    कि चाहे अमेरिका
    पतन की ओर अग्रसर नहीं है,
  • 14:10 - 14:13
    अमेरिका के लोगों के लिये
  • 14:13 - 14:16
    अपनी इच्छा थोपना
    कठिन होता जा रहा है,
  • 14:16 - 14:18
    और वैश्विक व्यवस्था पर
  • 14:18 - 14:20
    ज़्यादा प्रभाव डालना भी।
  • 14:20 - 14:24
    क्या हम सच में उदाहरण द्वारा
    नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं?
  • 14:24 - 14:27
    नवम्बर के बाद
    इसे ठीक करने के लिये
  • 14:27 - 14:28
    हमें क्या करना होगा,
  • 14:29 - 14:31
    जब अगला राष्ट्रपति
    अपनी जगह लेगा/लेगी?
  • 14:31 - 14:35
    या तो हम पर कोई ऐसा संकट आये
    जो हमें प्रतिक्रिया करने पर मजबूर कर दे।
  • 14:35 - 14:37
    आर्थिक मंदी ऐसा कर सकती है।
  • 14:37 - 14:39
    एक और वैश्विक आर्थिक
    संकट ऐसा कर सकता है।
  • 14:39 - 14:41
    भगवान ना करे, पर एक और
    ९/११ ऐसा कर सकता है।
  • 14:41 - 14:44
    या फिर, संकट की अनुपस्थिति में,
  • 14:44 - 14:50
    हमें देखना होगा कि
    खोखली होती हुई असमानता,
  • 14:50 - 14:52
    अमेरिका में बढ़ती हुई चुनौतियाँ,
  • 14:52 - 14:55
    खुद इतने आवश्यक हों,
  • 14:55 - 14:57
    कि वो हमारे नेताओं को
    बदलने पर मजबूर कर दें,
  • 14:57 - 14:59
    और हम वो आवश्यक आवाज़ें सुनें।
  • 14:59 - 15:01
    अपने मोबाइल फ़ोन के ज़रिये, हमारे पास
  • 15:01 - 15:04
    व्यक्तिगत रूप से वो आवाज़ें हों
    जो उन्हें बदलने पर मजबूर कर दें।
  • 15:05 - 15:07
    और हाँ, एक तीसरा विकल्प भी है,
  • 15:08 - 15:10
    शायद सबसे उपयुक्त,
  • 15:10 - 15:13
    कि हम उनमे से कुछ भी न करें,
  • 15:13 - 15:15
    और चार वर्ष बाद आप मुझे फिर से बुलाएं,
  • 15:15 - 15:18
    और मैं आपको यही भाषण दोबारा दूँ।
  • 15:18 - 15:20
    आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
  • 15:20 - 15:22
    (तालियाँ)
Title:
अमेरिका को अपने महाशक्तिशाली होने के पद का प्रयोग कैसे करना चाहिए
Speaker:
ईऐन ब्रेमर
Description:

पिछली कुछ पीढ़ियों से अमेरिकीकरण और वैश्वीकरण का अर्थ समान ही रहा है। लेकिन अमेरिका का दुनिया पर दृष्टिकोण और दुनिया का अमेरिका पर दृष्टिकोण बदल रहा है। अंतरराष्ट्रीय राजनीती की वर्तमान स्थिति पर तेज़ी से चर्चा करते हुए, ईऐन ब्रेमर एक ऐसे संसार की चुनौतियों के बारे में बात करते हैं, जिसमें कोई एक देश या संधि वैश्विक नेतृत्व की चुनौतियों का सामना नहीं सकते, और पूछते हैं एक महत्वपूर्ण प्रश्न, कि क्या अमेरिका उदाहरण द्वारा, ना कि बल द्वारा, नेतृत्व करने के लिए तैयार है?

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Video Language:
English
Team:
closed TED
Project:
TEDTalks
Duration:
15:37

Hindi subtitles

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