हम सब डॉक्टरों के पास जाते हैं। और ये हमारी उम्मीद और अंध विश्वास है कि डॉक्टरों जाँच की आदेश और द्वाइयाँ निर्धारित करना परीक्षण के आधार पर करते है -- सबूत जो हमें मदद करने के लिए बनाया गया है। हालांकि, वास्तविकता ये है कि हमेशा सभी को ये स्थिति नही हो सकती। यदि मैं तुमसे कहती कि पिछली सदी में जो चिकित्सा विज्ञान की खोज हुई वह केवल आधी आबादी के आधार पर हुई? मैं एक संकटकाल चिकित्सा डॉक्टर हूँ। मैं चिकित्सा आपात स्थिति को निपटने के लिए प्रशिक्षित कियी गयी थी। यह जीवन को बचाने के बारे में है। कितना मजेदार है ? ठीक है, बहती नाक और टोंटदार पंजों को हम बहुत देखते है, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ता दर्वाजे से ER में कोई भी आये, लिंग के बारे में कभी सोचे बिना ही हमारे मरीजों को एक प्रकार के परीक्षण करने के लिए कहते है, हम एकसमान दावा लिख देते है, हम ऐसे क्यों करते है ? हमें कभी नहीं पढाया गया कि पुरुषों और महिलाओं के बीच कोई फ़र्क है। हाल ही में एक सरकार के जवाबदेही अध्ययन से पता चला है कि दवाओं में से ८० प्रतिशत महिलाओं पर दुष्प्रभाव के कारण बाजार से वापस ले लिए गये हैं| तो चलो एक मिनट के लिए उस के बारे में सोचते हैं। केवल एक दवा बाजार में जारी करने के बाद ही क्यों हम खोज करते है कि इस दवाई से महिलाओं पर क्या दुष्प्रभाव होगा? आपको पता होगा कि कई साल लग जाते हैं एक दवा की कल्पना के लिए विचार से एक प्रयोगशाला में कोशिकाओं पर परीक्षण तक, उसके बाद जानवरों पर अध्ययन, आगे मनुष्यों पर नैदानिक परीक्षण, अंतमें उसे एक नियामक मंजूरी की प्रक्रिया प्राप्त करनी पड़ती है, उसके बाद ही दवा, आप को निर्धारित करने के लिए डॉक्टर के पास उपलब्ध होती है? इस प्रक्रिया के माध्यम से जाने के लिए धन की लाखों और अरबों डॉलरों की निधीकरण होगी| तो हम आधी आबादी पर अस्वीकार्य दुष्प्रभाव बरे में, जब उस के माध्यम से चला जाने के बाद क्यों खोज रहे है ? ये क्या हो रहा हैं? खैर, यह पता चला है कि प्रयोगशाला में जो कोशिकाओं इस्तेमाल करते, वे पुरुष कोशिकाओं थे, और जानवरों के अध्ययन में प्रयुक्त जानवर, पुरुष जानवरों थे, और नैदानिक परीक्षण केवल पुरुषों पर ही प्रदर्शन किया गया है। कैसे पुरुष मॉडल चिकित्सा अनुसंधान के लिए हमारे ढांचा बन गया है? हम एक उदाहरण पर नजर डालते हैं जो मीडिया में लोकप्रिय हुआ था, और यह सोने के लिए सहायता करने वाली आम्बियन के बारे में है। आम्बियन, २० साल पहले बाजार में जारी किया गया था, और तब से, सौ मिलियन्स नुस्खे मुख्य रूप से महिलाओं के लिए लिखे गए है क्योंकि महिलाओं पुरुषों की तुलना में अधिक नींद संबंधी विकार ग्रस्त हैं। परंतुलेकिन अभी यह पिछले साल, खाद्य एवं औषधि प्रशासन, केवल महिलाओं को आधी खुराक काटने की सिफारिश की, क्योंकि उन्हें एह्सास हुआ कि सिर्फ महिलाओं को पुरुषों की तुलना में धीमी दर पर दवा रस प्रक्रिया होती है, जिसकी वजह से उनकी व्यवस्था में अधिक सक्रिय दवा सुबह जागृत होने की समय होती हैं। और फिर वे नींद से भरे हुए थे और कार के पहिये के पीछे थे, और वे मोटार वाहन दुर्घट्नाओँ के लिये खतरे पर थे| और मैँ एक आपत्कालीन वैद्य होने के नाते मदद तो नही,पर सोच सकता हूँ, मेरे रोगोयोँ, जिनको मैँ सालोँ से परवाह कर रहा हूँ, जिन्मेसे कितने एक मोटार वाहन दुर्घटना मेँ शामिल थे, जिसको शायद रोका जा सकता था अगर इस तरह की विश्लेषण २० साल पहले किया और इस पर काम किया गया होता जब ये दवाई पहले जारी किया गया था| कितने अन्य बातों के लिंग के आधार पर विश्लेषण करने की आवश्यकता है? हम और क्या छोड रहे हैँ? द्वितीय विश्व युद्ध ने बहुत सारे चीजोँ को बदल दिया, और उनमेँ से एक लोगोँ को सूचित सहमति के बिना चिकित्सा अनुसंधान के शिकार बनने से बचाने की जरूरत थी| तो कुछ बहुत जरूरी दिशा-निर्देश या नियमों स्थापित किए गए थे, और उस का हिस्सा प्रसव उम्र की महिलाओं कोई भी चिकित्सा अनुसंधान अध्ययन मेँ प्रवेश करने से रक्षा के लिए इस इच्छा थी| वहाँ डर थी: क्या होगा अगर अध्यन के समय भ्रूण के साथ कुछ हुआ ? कौन जिम्मेदार होगा? और वैज्ञानिकों ने इस बार सचमुच सोचा ये छद्म वेष में एक आशीर्वाद थी, क्योँ कि हम उसका सामना करेंगे-- पुरुषों के शरीर समरूप होते हैं। उनके पास लगातार हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव नहीँ होते वह साफ डेटा को गडबड कर देता जो उनको केवल पुरुष होने से मिल सकता था| यह आसान था|यह सस्ता था| इसके अतिरिक्त, इस समय, एक सामान्य धारणा है कि पुरुषों और महिलाओं हर तरह से एक जैसे थे, उनके प्रजनन अंगों और सेक्स हार्मोन के अलावा। तो इसका निर्णय लिया गया था: पुरुषों पर चिकित्सा अनुसंधान किया गया था, और परिणाम बाद में महिलाओं पर लागू किया गया। यह महिलाओं के स्वास्थ्य की धारणा के लिए क्या किया? महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रजनन के साथ पर्याय बन गया है: स्तनों, अंडाशय, गर्भाशय, गर्भावस्था। यही श्ब्द है जिसको अब हम "बिकिनि दवा" के रूप मेँ जिक्र करते हैँ| और यह 1980 तक इसी रूप मेँ रहा, जब ये अवधारणा को चिकित्सा समुदाय और सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति निर्माताओं द्वारा चुनौती दी गयी तो उनको अहसास हुआ कि सब चिकित्सा अनुसंधान अध्ययन से महिलाओँ को बाहर करने से हम वास्तव मेँ उनको एक नुकसान कर रहे हैँ, उस मेँ प्रजनन मुद्दों को छोडकर, महिला रोगी की अद्वितीय जरूरत के बारे मेँ लगभग कुछ भी नही जाना जाता था| उस समय से, भारी मात्रा मेँ सबूत बाहर आया है वह हमेँ महिलाओँ और पुरुषोँ हर तरह से कितने अलग है ये दिखाता है| आप जानते हैँ, वैद्यक-शास्र मेँ हमारे पास ये कहावत है: बच्चे सिर्फ छोटे आदमी नही होते हैँ| और हम इसको खुद को याद दिलाने केलिये कहते हैँ कि बच्चोँ को वास्तव मेँ सामान्य वयस्कोँ से अलग शरीर क्रिया होती है| और इसके वजह से बाल रोग चिकित्सा विशेषता प्रकाश में आया था। और अब हम उनके जीवन में सुधार लाने के लिए बच्चों पर अनुसंधान का संचालन करते| और मुझे पता है कि वहीं चीज महिलाऑ के बारे में कह सकते हैं| महिलाओं को सिर्फ स्तन और ट्यूबों के साथ नहीं हैं। लेकिन वे स्वयं के चीरफाड़ और शरीर विज्ञान है जिसे वहीं तीव्रता के साथ अध्ययन किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, हृदय प्रणाली लेते हैं। चिकित्सा के इस क्षेत्र में यह पता लगाने की कोशिश बहुत हुई है कि पुरुषों और महिलाओं में पूरी तरह से अलग दिल के दौरे क्यों आते है। हृदय रोग, पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए एक नंबर का हत्यारा है, लेकिन अधिकतर महिलाओं पुरुषों से ज्यादा दिल का दौरा होने से एक साल के भीतर मर जाते हैं। पुरुषों के सीने में दर्द की पेराई की शिकायत करेंगे - जैसे कि एक हाथी उनके सीने पर बैठा है। और हम इसे विशिष्ट कहते हैं। महिलाओँ को भी चाती मेँ दर्द होती है| लेकिन महिलाओँ से ज्यादा पुरुष"बस , ठीक मेहसूस नहीँ हो रहा है"की शिकायत करते हैँ, "काफी हवा पर्याप्त नहीँ कर सकते", "हाल ही मेँ बहुत थक जाता हूँ"| और कुछ कारण हम इसे असामान्य कहते हैँ, हालाँ कि, जैसे मै ने कहाँ, महिलायेँ जंसंख्या मेँ आधी हैँ| और इन मतभेदोँ के कुछ हिस्सोँ को समझाने के लिये सबूत का कुछ हिस्सा कहाँ है? अगर हम शरीर रचना विज्ञान देखेंगे, दिल की चारों ओर रक्त वाहिकाओं,पुरुषोँ की तुलना में महिलाओं में छोटे होते हैं और जिस तरीके से उन रक्त वाहिकाओँ व्याधि को शुरू करते हैँ महिलाओँ मेँ पुरुषोँ की तुलना मेँ ये अलग है| और जो परीक्षा किसी को दिल का दौरा पड्ने के लिए खतरा है निर्थारित करने के लिये उपयोग करते, खैर, वे शुरू में बनाये गये,परीक्षण किये और पुरुषों में सिद्ध किये गये थे, और इसलिए महिलाओं में उसको निर्धारित करने के लिये अच्छा नही है । और फिर अगर हम दवाई के बारे मेँ सोचे तो-- साधारण दवाई हम उपयोग करते हैँ, जैसे आस्प्रिन| हम आस्प्रिन स्वस्थ पुरुषोँ को उनको दिल का दौरा पडने से रोकने के लिये देते हैँ, लेकिन आप जानते हैँ कि अगर आप आस्प्रिन एक स्वस्थ महिला को देते हैँ , वह वास्तव मेँ हानिकारक है? ये क्या कर रहा है कि केवल हमेँ बता रही है कि हम सतह को खरोच रहे हैँ| आपातकालीन चिकित्सा एक तेज गति व्यापार है। चिकित्सा के कितने जीवन रक्षक क्षेत्रों में, कैंसर और स्ट्रोक की तरह, पुरुषों और महिलाओं के बीच महत्वपूर्ण फर्क को हम उपयोग कर रहे हैं? या फिर भी, क्यों कुछ लोगों को दूसरों से ज्यादा बहती नाक मिलता ह, या हम क्यों उन टोंटदार पैर की उंगलियों को दे दर्द की दवा जो कुछ लोग पर काम करती है और दूसरों पर नहीं क्यों? चिकित्सा संस्थान कहा है कि हर कोशिका में एक यौन संबंध है। इसका क्या मतलब है? सेक्स DNA है| समाज मेँ लिंग के द्वारा ही कोई भी खुद को प्रस्तुत करते हैँ| और ये दोनोँ हमेशा नहीँ मिल सकते, जैसे हम विपरीत लिंग आबादी के साथ देख सकते हैँ| लेकिन यह गर्भाधान के समय से महसूस करना महत्वपूर्ण है, हमारे शरीर में हर कोशिका -- त्वचा, बाल, दिल और फेफड़ों -- हमारे अपने अनोखा डीएनए होता है, और वह डीएनए में गुणसूत्रों निर्धारित करते है कि हम क्या बनेंगे यदि पुलिंग या स्त्रीलिंग, पुरुष या स्त्री। यह सोचा करते थे कि जो लिंग-निर्धारण क्रोमोसोम्स यहाँ चित्रित किये गये हैँ-- XY अगर आप पुरुष हैँ, XX अगर आप महिला हैँ-- आप अंडाशय या वृषण के साथ पैदा होंगे केवल ये निर्धार्ण करने के लिये थे, और जो सेक्स हार्मोंस वे अंगोँ उत्पादन करते हैँ विपरीत लिंगोँ मेँ जो भेद हम देखते हैँ उनके लिये वे जिम्मेदार हैँ | लेकिन अब हम जानते हैँ कि वह सिद्धांत गलत है-- या कम से कम वह थोडा अधूरा है| और शुक्र है, व्हाइटहेड संस्थान से वैज्ञानिकों जैसे डॉ.पेज, जो Y क्रोमोसोम पर काम कर रहे हैँ, और डाक्टर यांग उक्ला से, उनको साक्ष्य मिला है जोहमेँ कहता है कि वे लिंग- निर्थारण क्रोमोसोम्स जो हमारे शरीर मेँ हर कोशिका मेँ हैँ हमारे पूरे जीवन सक्रिय रहने के लिये जारी रहेंगे और जो हम अंतर देखते हैँ उनके लिये ये जिम्मेदार हो सकते हैँ दवाइयोँ के मात्रा मेँ, या पुरुष और महिलाओँ मेँ बीमारियों की संवेदनशीलता और गंभीरता मेँ क्योँ अंतर हैँ| ये नयी जानकारी जोहै वह खेल-परिवर्तक है, और ये वैज्ञानिकों पर निर्भर है कि वे सबूत को डूँढने की काम जारी रखेँ, लेकिन ये चिकित्सकोँ पर निर्भर है कि वे डाटा का अनुवाद शुरू करेँ बिस्तर के पास से,आज ही| अभी| और इसे कर ने मेँ मदद करने के लिये, मैं एक सह-संस्थापक हूँ एक राष्ट्रीय संगठन की जिसको सेक्स और जेंडर महिला स्वास्थ्य सहयोगी कहते हैँ, और हम ये सब डाटा इकट्ठा करते हैँ ताकि ये शिक्षण के लिये उपलब्ध रह सके और रोगी की देख्भाल के लिये| और हम चिकित्सा शिक्षकोँ को मेजे के पास एक साथ लाने की काम कर रहे हैँ| वह बडा काम है| चिकित्सा प्रशिक्षण अपनी स्थापना से जैसे कर रहे हैँ वह बदल रहा है| लेकिन मुझे उन मेँ विश्वास है| मुझे लगता है वे लिंग लेंस को वर्तमान पाठ्यक्रम में शामिल करने की मूल्य देखने जा रहे हैँ | यह सही ढंग से भविष्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के प्रशिक्षण के बारे में है। और क्षेत्रीय, मैँ एक सह- निर्माता हूँ यहाँ ब्रौन विश्वविद्यालय के पास, एक विभाग आपत्कालीन चिकित्सा मेँ, सेक्स और लिंग नाम का, आपातकालीन चिकित्सा विभाग के अंदर और हम खोज का आचरण करते हैँ महिलओँ और पुरुषोँ के बीच अंतर निर्धारित करने के लिये आकस्मिक स्थिती मेँ, जैसे हृदय रोग और स्ट्रोक और पूति और मादक द्रव्यों के सेवन, लेकिन हम ये भी मानते हैँ कि शिक्षा सर्वोपरि है। हम लोग शिक्षा के एक 360-डिग्री का नमूना तैयार किया| हमारे पास वैक्योँ के लिये, नर्सोँ के लिये, छात्राओँ के लिये और मरीजोँ के लिये कार्यक्रम हैँ| क्योँ कि इसे स्वास्थ्य देखभाल के अग्रलेख के लिये नहीँ छोडा जा सकता| हम सभी को बदलाव लाने मेँ भूमिका है| लेकिन मुझे आप को चेतावनी देनी है: ये आसान नही है| वास्तव मेँ, ये बहुत कठिन है| चिकित्सा और तबियत और खोज के बारे मेँ हमारी जो सोच है यह बदल रही है| यह स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के साथ हमारे सम्बंध बदल रही है| लेकिन वापस जाना नही है| हम अब हम इसे ठीक नहीं कर रहे थे कि पता करने के लिए अभी पर्याप्त पता है। मार्टिन लूथर किंग, जूर. ने कहा, "बदलाव अनिवार्यता के पहियों पर रोल नहीँ होती, लेकिन निरंतर संघर्ष के माध्यम से आता है। " और बदलाव के तरफ पहला कदम है जागरूकता| यह सिर्फ महिलाओँ के लिये चिकित्सा देखभाल मेँ सुधार लाना नहीँ है| यह हर एक के लिये व्यक्तिगत, निजीक्रुत स्वास्थ देख्भाल के बारे मेँ है| यह जागरूकता मेँ पुरुषोँ और महिलाओँ के लिये चिकित्सा देख भाल बदलने की शक्ती है| और अबसे, मैँ चाहती हूँ कि आप अपने वैद्य से पूछेँ कि क्या जो इलाज आप को कर रहे हैँ वह आप की लिंग और जेंडर के लिये विशिष्ट है| शायद वे जवाब नही जानते-- अभी तक| लेकिन बातचीत शुरू हो गया है और हम एक साथ सब सीख सकते हैं।...... याद रखिये, इस क्षेत्र मेँ मुझे और मेरे सहयोगी के लिये, आप की लिंग और जेंडर मायने रखता है| धन्यवाद। (तालियाँ)