किसी भी शारीरिक कौशल में माहिर होने के लिये, चाहे वो घिरनी खाना हो, कोई साज़ बजाना हो, या गेंदबाज़ी करना हो, अभ्यास करना पड़ता है। सुधर करने के लक्ष्य से एक क्रिया को बार-बार करने को अभ्यास करना कहते हैं, जो हमें उसे ज़्यादा आसानी, गति, और आत्मविश्वास से करने में मदद करता है। तो अभ्यास हमारे दिमाग में ऐसा क्या करता है जिससे हम और कुशल होते जाते हैं? हमारे दिमाग में दो तरह के तंत्रिका ऊतक होते हैं: धूसर पदार्थ और श्वेत पदार्थ। धूसर पदार्थ संकेतों और संवेदी उत्तेजनाओं को तंत्रिका कोशिकाओं की ऒर निर्देशित करते हुए मस्तिष्क मे जानकारी नियंत्रित करता है जबकि श्वेत पदार्थ ज़्यादातर वसीय ऊतक और स्नायु तंत्रों से बना होता है। हमारे शरीर को चलाने के लिये, जानकारी को मस्तिष्क के धूसर पदार्थ से रीढ़ की हड्डी से होते हुए, अक्षतंतु कहलाने वाले स्नायु तंत्र की श्रृंखला के माध्यम से मांसपेशियों तक का सफर तय करना होता है। तो अभ्यास या पुनरावृत्ति हमारे मस्तिष्क के आंतरिक कार्य को कैसे प्रभावित करता है? श्वेत पदार्थ में मौजूद अक्षतंतु एक वसीय तत्व में लिपटे होते हैं जिसे माइलिन कहते हैं। और ये माइलिन आवरण, या म्यान है, जो अभ्यास से बदलता है। माइलिन बिजली के तारों पर रोधन के समान है। ये मस्तिष्क द्वारा प्रयोग किये जाने वाले विद्युत संकेतों में से ऊर्जा हानि रोकता है जिससे वो तंत्रिका मार्ग पर ज़्यादा कुशलता से चलते हैं। चूहों पर हुए हाल ही के कुछ शोध कहते हैं कि किसी शारीरिक गति का दोहराव माइलिन म्यान की उन परतों को बढ़ा देता है जो अक्षतंतु का रोधन करती हैं। और जितनी ज़्यादा परतें, उतना ज़्यादा अक्षतंतु श्रृंख्ला के आस-पास रोधन होता है जिससे जानकारी के लिये एक तरह का उत्तम हाईवे बन जाता है जो आपके मस्तिष्क को आपकी मांसपेशियों से जोड़ देता है। तो जहाँ बहुत से खिलाड़ी और कलाकार अपनी सफलता का श्रेय अपनी मांसपेशियों की स्मृति को देते हैं दरअसल, मांसपेशियों की कोई स्मरणशक्ति होती ही नहीं है। वो तो तंत्रिका मार्ग का माइलिनीकरण हो सकता है जो इन खिलाड़ियों और कलाकारों को ज़्यादा तेज़ और कुशल तंत्रिका मार्ग के द्वारा उनकी श्रेष्ठता प्रदान करता है। बहुत से सिद्धान्त उन घंटों, दिनों, यहाँ तक कि उन वर्षों की मात्रा निर्धारित करने की कोशिश करते हैं, जो किसी कौशल में निपुणता हासिल करने के लिये लगते हैं। हमारे पास वो निर्धारित मात्रा तो अभी तक नहीं है, लेकिन हम ये जानते हैं कि निपुणता केवल कुछ घंटो के अभ्यास के बारे में नहीं है। उस अभ्यास की गुणवत्ता और प्रभावशीलता के बारे में भी है। प्रभावशाली अभ्यास नियमित होता है, अत्यधिक केंद्रित होता है, और उन चीज़ों या कमज़ोरियों पर वार करता है जो किसी व्यक्ति की वर्तमान क्षमताओं को श्रेष्ठ बनने से रोक रही होती हैं। तो अगर प्रभावशाली अभ्यास मुख्य है, क्या हम अपने अभ्यास के समय से अधिकतम परिणाम प्राप्त कर सकते हैं? इन सुझावों को आज़मा कर देखिये। अपने कार्य पर ध्यान केंद्रित कीजिये। जो चीज़ें संभवतः ध्यान भटका सकती हैं, उनको कम से कम कीजिये, कंप्यूटर या टीवी बन्द और अपने मोबाइल फ़ोन को एयरप्लेन मोड पर रखिये। एक शोध में शोधकर्ताओं ने पढ़ते हुए २६० छात्रों पर गौर किया। औसतन, वो छात्र एक बार में छह मिनट ही अपने काम पर लगे रह पाए। लैपटॉप, स्मार्टफोन, और विशेष रूप से फेसबुक सबसे ज़्यादा ध्यान भटकने की जड़ थे। धीरे-धीरे या धीमी गति में शुरुआत कीजिये। सामंजस्य पुनरावृत्ति से बनता है, चाहे वह सही हो या गलत। अगर आप धीरे-धीरे गुणी पुनरावृत्ति की गति बढ़ायेंगे, तो उसको सही तरह से करने का बेहतर संयोग होगा। फिर, नियमित अन्तराल के साथ अक्सर पुनरावृत्ति, अन्यन्त श्रेष्ठ कलाकारों के अभ्यास का सामान्य तरीका होता है। शोध दिखाते हैं कि बहुत से शीर्ष खिलाड़ी, संगीतकार, और नर्तक अपनी कला से जुड़ी गतिविधियों पर हर सप्ताह ५०-६० घंटे व्यतीत करते हैं। कई लोग, प्रभावशाली अभ्यास में प्रयोग होने वाले समय को रोज़ाना सीमित अवधि के कई अभ्यास सत्रों में विभाजित करते हैं। और अन्त में, सुस्पष्ट विस्तार में अपने मस्तिष्क में अभ्यास कीजिये। ये थोड़ा आश्चर्यजनक है, लेकिन बहुत से शोध ये बताते हैं कि किसी शारीरिक गति के कायम होने के बाद, मात्र उसकी कल्पना करके उसे सुदृढ़ बनाया जा सकता है। एक शोध में, बास्केटबॉल के १४४ खिलाड़ियों को दो समूहों में विभाजित किया गया। समूह अ ने एक हाथ से बॉल फेंकने का शारीरिक अभ्यास किया, जबकि समूह ब ने केवल मानसिक अभ्यास किया। जब दो सप्ताह के इस परीक्षण के अन्त में उनका इम्तेहान लिया गया, तो दोनों समूहों के माध्यम व अनुभवी खिलाड़ी लगभग समान रूप से ही उन्नत हुए थे। जैसे-जैसे वैज्ञानिक हमारे मस्तिष्क के रहस्यों को सुलझाने के करीब जायेंगे, प्रभावशाली अभ्यास की हमारी समझ केवल सुधरेगी ही। इतने, प्रभावशाली अभ्यास ही हमारा सबसे अच्छा तरीका है, अपनी व्यक्तिगत सीमाओं से आगे बढ़ने, नई ऊँचाइयों को प्राप्त करने, और अपनी क्षमता को अधिकतम बनाने के लिये।