0:00:03.941,0:00:06.472 बक बक बक ... 0:00:06.472,0:00:08.399 बक बक बक ... 0:00:08.399,0:00:10.994 बक बक बक बक बक बक बक ... 0:00:10.994,0:00:13.741 बक बक बक 0:00:14.997,0:00:17.170 तो क्या बकवास थी ये ? 0:00:17.170,0:00:20.689 खैर, आपको पता नहीं क्यूँकि[br]आप इसे समझ नहीं सके 0:00:21.320,0:00:23.620 यह स्पष्ट नहीं था 0:00:24.530,0:00:27.768 उम्मीद है कि ये इतने विश्वास से कहा गया था[br][टेड@२५० में रिकार्डेड] 0:00:27.768,0:00:31.467 कि वो आकर्षक और रहस्यमयी प्रतीत हुआ 0:00:32.792,0:00:35.973 स्पष्टता या रहस्य ? 0:00:35.973,0:00:40.199 एक ग्राफ़िक डिज़ाइनर की भूमिका में[br]प्रतिदिन मैं इन दोनों का संतुलन करता हूँ 0:00:40.199,0:00:45.031 और दिनचर्या में एक न्यूयॉर्कवासी के तौर पर 0:00:45.031,0:00:46.561 प्रतिदिन I 0:00:46.561,0:00:51.028 और ये दो तत्व मुझे पूर्णतः मोहित करते हैं 0:00:51.028,0:00:53.390 उदाहरण के लिए 0:00:53.390,0:00:57.170 कितने लोग जानते हैं कि ये क्या है ? 0:00:59.703,0:01:04.727 अच्छा अब कितने लोग जानते हैं[br]कि ये क्या है ? 0:01:04.727,0:01:12.410 और अब प्रतिभावान चार्ल्स एम्. शुल्ज़[br]की दो निपुण रेखाओं के फलस्वरूप 0:01:12.410,0:01:15.454 अब हमारे पास सात निपुण रेखाएं हैं[br]जो अपने आप में 0:01:15.454,0:01:18.984 एक भावपूर्ण जीवन को जन्म देती हैं, 0:01:18.984,0:01:21.863 वो जिसने हजारों लाखों प्रशंसकों को [br]मंत्रमुग्ध किया है 0:01:21.863,0:01:23.906 करीब पचास सालों से | 0:01:23.906,0:01:26.420 वास्तव में यह एक किताब का मुख्यपृष्ट है 0:01:26.420,0:01:29.711 जो मैंने डिजाईन किया है, जो स्चुल्ज़ के [br]कार्य और कला के बारे में है 0:01:29.711,0:01:32.497 जो कि इस शरद ऋतू से उपलब्ध होगी 0:01:32.497,0:01:34.378 और यह ही पूरा मुखपृष्ट है 0:01:34.378,0:01:39.324 इस मुखपृष्ट पर कोई और जानकारी [br]मुद्रण या दृश्य के रूप में नहीं है 0:01:39.324,0:01:42.737 और इस किताब का नाम है[br]"ओनली व्हाट्स नेसेसरी" | 0:01:43.317,0:01:48.790 तो ये प्रतीक है उन निर्णयों का, [br]जो मैं रोज लेता हूँ 0:01:48.790,0:01:52.706 डिजाईन बूझने के सन्दर्भ में 0:01:52.706,0:01:54.985 और मैं जिन डिजाईन की रचना कर रहा हूँ | 0:01:55.525,0:01:56.842 तो स्पष्टता 0:01:57.332,0:01:59.421 स्पष्टता तर्क दर्शाती है 0:01:59.421,0:02:02.758 वो सहज, सत्यवादी और निष्कपट होती है 0:02:03.748,0:02:07.370 हम अपने आप से यह सवाल करते हैं [br]["हमें कब स्पष्ट होना चाहिए?"] 0:02:07.370,0:02:12.818 अब इस तरह की कोई चीज़[br]चाहे हम इसे पढ़ पायें या नहीं 0:02:12.818,0:02:16.418 बिलकुल, साफ़ तौर पर स्पष्ट होनी चाहिए 0:02:16.418,0:02:18.455 क्या वाकई ? 0:02:20.586,0:02:27.284 यह एक हालिया नमूना है शहरी स्पष्टता का[br]जो मुझे बेहद पसंद है, 0:02:27.284,0:02:32.392 मुख्यतः क्यूँकि मुझे हमेशा देर हो जाती है [br]और मैं हमेशा जल्दी में रहता हूँ 0:02:32.742,0:02:39.288 तो कुछ साल पहले जब सडकों के नुककड़[br]पर जब इस तरह के सूचक लगने लगे, 0:02:39.288,0:02:42.748 मैं रोमांचित हो गया, क्यूँकि[br]अब मैं आखिरकार जानता था 0:02:42.748,0:02:45.673 कि मेरे पास सड़क पार करने के लिए [br]कितने सेकंड हैं 0:02:45.673,0:02:48.553 किसी कार से कुचले जाने से पहले 0:02:48.553,0:02:53.475 छह ? मैं कर सकता हूँ [br](दर्शक हँसते हुए) 0:02:53.475,0:02:57.283 अगर स्पष्टता यिन है तो[br]अब देखते हैं यांग को 0:02:57.283,0:03:00.812 और वो है रहस्य 0:03:00.812,0:03:06.176 रहस्य परिभाषा से ही काफी जटिल है 0:03:06.176,0:03:09.659 रहस्य के मांग होती है सुलझाना 0:03:09.659,0:03:12.643 और जब सही तरह से किया जाए[br]तो हम वाकई उसे करना चाहते हैं 0:03:12.643,0:03:14.303 ["हमें कब रहस्यमयी होना चाहिए?"] 0:03:14.303,0:03:20.107 द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, जर्मन [br]किसी भी तरह इसे सुलझाना चाहते थे 0:03:20.107,0:03:22.731 पर वो ऐसा कर नहीं पाए | 0:03:22.731,0:03:25.912 यह एक उदाहारण उस डिजाईन का[br]जो मैंने अभी हाल ही में किया है 0:03:25.912,0:03:28.234 हारुकी मुराकामी के उपन्यास के लिए, 0:03:28.234,0:03:31.438 जिनके के लिए मैंने पिछले बीस सालों से[br]डिजाईन बनाये हैं 0:03:31.438,0:03:37.150 और यह उपन्यास एक युवक के बारे में है[br]जिसके चार करीबी दोस्त हैं 0:03:37.150,0:03:40.819 जो महाविद्यालय के पहले वर्ष के बाद अचानक 0:03:40.819,0:03:44.116 बिना कुछ बताये उसका पूर्ण बहिष्कार कर देते हैं 0:03:44.116,0:03:45.973 और वो विनष्ट हो जाता है 0:03:45.973,0:03:51.376 जापानी भाषा में प्रत्येक दोस्त के नाम का [br]संकेतार्थ एक रंग से है 0:03:51.376,0:03:56.050 सो हैं श्री लाल, श्री नील, [br]सुश्री श्वेता और सुश्री काली 0:03:56.770,0:04:00.160 सुकुरु तज़ाकि, उसका नाम किसी रंग[br]की ओर संकेत नहीं करता है 0:04:00.160,0:04:04.610 इसीलिए उसका उपनाम बैरंग है और,[br]जब वो अपनी मित्रता की समीक्षा करता है 0:04:04.610,0:04:07.776 तो वो याद करता है की कैसे वो [br]एक हाथ की पांच उँगलियों की तरह थे 0:04:07.776,0:04:12.257 इसलिए मैंने एक संशिप्त वर्णन किया है 0:04:12.257,0:04:16.437 पर कहानी में सतह के नीचे [br]बहुत कुछ चल रहा है 0:04:16.437,0:04:21.110 और पुस्तकाव्रण के तले भी कुछ चल रहा है 0:04:21.110,0:04:25.515 वो चार उँगलियाँ अब चार रेल पटरियां हैं 0:04:25.515,0:04:27.582 टोक्यो सबवे प्राणाली में 0:04:27.582,0:04:29.973 जिसका कहानी में महत्व है 0:04:30.813,0:04:33.610 और फिर है एक बैरंग सबवे पटरी 0:04:33.610,0:04:36.173 बाकी रंगों को काटती है 0:04:36.173,0:04:38.820 जो मूलतः वो करता कहानी में आगे | 0:04:38.820,0:04:40.802 वो प्रत्येक से पुनः संपर्क करता है 0:04:40.802,0:04:44.332 ये जानने के लिए कि उन्होंने उसके[br]साथ ऐसा बर्ताव क्यों किया 0:04:44.332,0:04:48.558 और इसलिए यह तीन आयामी मुख्यपृष्ट 0:04:48.558,0:04:50.879 मेरे कार्यालय की मेज़ पर रखा हुआ है, 0:04:50.879,0:04:55.546 और इधर मैं उम्मीद कर रहा हूँ कि आप [br]सरलता से आकर्षित हो जायेंगे 0:04:55.546,0:04:59.401 इसके रहस्यमयी रूप से, 0:04:59.401,0:05:02.196 और इसको पढने की इच्छा रखेंगे 0:05:02.196,0:05:07.345 इसको सुलझाने और समझने के लिए [br]कि यह ऐसा क्यूँ दिखता है | 0:05:08.163,0:05:09.858 ["दृश्यों की भाषा"] 0:05:09.858,0:05:14.177 यह परिचित रहस्य के प्रयोग [br]करने का एक तरीका है 0:05:14.177,0:05:15.938 इसका क्या मतलब है ? 0:05:15.938,0:05:18.772 इसका मतलब यह है[br]["इसे किसी और चीज़ की तरह दर्शायिये"] 0:05:18.772,0:05:23.302 दृश्यों की भाषा वो तरीका है जिसमे हम[br]किसी प्रचलित दृष्टिकोण का 0:05:23.302,0:05:27.691 प्रयोग किसी और वस्तु को अलग तरीके[br]से दिखाने के लिए करते हैं 0:05:27.691,0:05:31.840 मैं इस पद्धति का उपयोग डेविड सेडारिस की [br]कहानियों की किताब के लिए करना चाहता हूँ 0:05:31.840,0:05:35.211 जिसका शीर्षक है[br]["आल द ब्यूटी यू विल एवर नीड"] 0:05:35.211,0:05:39.402 अब चुनौती यह थी की इस शीर्षक का[br]कोई भावार्थ नहीं है 0:05:39.402,0:05:42.792 यह कितान की किसी कहानी से [br]सम्बंधित नहीं है 0:05:42.792,0:05:47.503 ये लेखक की पुरुष मित्र के सपने में आया था 0:05:47.993,0:05:53.659 बहुत शुक्रिया, (हंसी)[br]तो आम तौर पे, मैं डिजाईन बनाता हूँ 0:05:53.659,0:05:57.722 जो किसी रूप में विषय पर आधारित होता है,[br]पर इधर यही पूरा विषय है 0:05:57.722,0:06:02.111 सो हमारे पास ये रहस्यमयी शीर्षक है[br]जिसका कोई भावार्थ नहीं है 0:06:02.111,0:06:04.610 तो मैं सोचने की कोशिश कर रहा था कि 0:06:04.610,0:06:10.848 मैं कहाँ रहस्यमयी पाठ्य देख सकता हूँ [br]जिसका भावार्थ लगे पर हो ना 0:06:10.848,0:06:13.255 और जाहिर तौर पर, थोड़े समय बाद 0:06:13.255,0:06:16.570 एक शाम चाईनीज़ खाने के बाद 0:06:16.570,0:06:23.062 इसका आगमन हुआ और मैंने सोचा[br]"आह, बिंग आईडियागैस्म !" (हंसी) 0:06:23.472,0:06:28.673 मुझे फौरच्यून कूकी के रहस्यमयी इशारे[br]बहुत पसंद हैं 0:06:28.673,0:06:31.575 जिनके के बारे लगता है की उनका गहन अर्थ है 0:06:31.575,0:06:35.662 लेकिन जब आप इनके बारे में सोचते हैं - [br]अगर आप सोचते हैं - तो वाकई नहीं होता 0:06:35.662,0:06:41.907 इसका कहना है "भविष्य की चिंता ना करने से [br]कितना लाभ होता है यह किसी को नहीं पता" 0:06:42.537,0:06:44.899 शुक्रिया[br](हंसी) 0:06:45.389,0:06:51.046 पर हम दृश्यों की भाषा का प्रयोग [br]श्रीमान सेडारिस के लिए कर सकते हैं 0:06:51.046,0:06:56.657 चूँकि हम फौरच्यून कूकी की आकृति से[br]भलीभांति परिचित हैं 0:06:56.657,0:06:59.424 हमें इनके खोल की जरुरत भी नहीं है 0:06:59.424,0:07:02.419 हम सिर्फ इस अनोखी चीज़ को देख रहे हैं 0:07:02.419,0:07:04.416 और हमें डेविड सेडारिस से प्यार है 0:07:04.416,0:07:07.300 और हमें उम्मीद है कि आगे वक़्त सुहाना है 0:07:07.760,0:07:11.048 [" "फ्रौड" एसेज बी डेविड राकोफ्फ़"][br]डेविड राकोफ्फ़ एक अद्भुत लेखक थे 0:07:11.048,0:07:14.211 और उन्होंने अपनी पहली किताब का[br]नाम रखा "फ्रौड" 0:07:14.211,0:07:18.171 क्यूँकि उन्हें पत्रिकाओं के द्वारा[br]ऐसे कार्यों पे भेजा जा रहा था 0:07:18.171,0:07:20.841 जिसे करने के लिए वो सुसज्जित नहीं थे 0:07:20.841,0:07:23.163 सो वो एक नाटे, पतले शहरी आदमी थे 0:07:23.163,0:07:26.762 और "जी क्यू" पत्रिका उन्हें कोलराडो नदी [br]पर भेज देते थे 0:07:26.762,0:07:30.478 यह देखने के लिए कि उथले, झागदार पानी में [br]बेडा चलाते हुए वो बचते हैं कि नहीं 0:07:31.378,0:07:34.679 और फिर वो इसके बारे में लिखते थे,[br]और वो स्वंय को धोखेबाज़ महसूस करते थे 0:07:34.679,0:07:36.978 और वो स्वंय को धोखा दे रहे थे 0:07:36.978,0:07:41.645 और मैं चाहता था कि मुख्यपृष्ट [br]भी मिथ्या लगे 0:07:41.645,0:07:46.916 और किसी पाठक की प्रतिक्रिया दर्शाओ 0:07:46.916,0:07:50.167 ये मुझे ग्राफीटी की ओर ले गया 0:07:50.167,0:07:52.210 मैं ग्राफीटी से मुग्ध हूँ 0:07:52.210,0:07:54.903 मेरे विचार से कोई भी जो [br]शहरी वातावरण में रहता है 0:07:54.903,0:07:58.943 हर समय ग्राफीटी से टकराता रहता है,[br]और वो भी हर प्रकार के 0:07:58.943,0:08:02.550 यह छवि मैंने निचले पूर्व तरफ खिंची थी 0:08:02.550,0:08:05.398 फूटपाथ पे किसी ट्रांसफार्मर बक्से की 0:08:05.398,0:08:07.372 और इस पर उन्मादी चिन्ह बने हुए हैं 0:08:07.372,0:08:12.991 अब चाहे आप इसे देखे और सोचे,[br]"वह यह एक रोमांचक शहरी स्वांग है" 0:08:12.991,0:08:17.379 या आप इसको देख कर बोल सकते हैं,[br]"यह गैरकानूनी दुष्प्रयोग है संपत्ति का" 0:08:17.379,0:08:19.724 पर हम सब एकमत हो सकते हैं कि 0:08:19.724,0:08:22.905 आप इसको पढ़ नहीं सकते 0:08:22.905,0:08:26.458 है ना? यहाँ कोई स्पष्ट सन्देश नहीं है 0:08:26.458,0:08:31.682 एक और प्रकार के ग्राफीटी हैं जो मुझे [br]कहीं ज्यादा रोचक लगते हैं 0:08:31.682,0:08:34.538 जिन्हें मैं बोलता हूँ सम्पादिक्य ग्राफीटी 0:08:34.538,0:08:38.744 ये छवि मैंने हाल ही में सबवे में खींची 0:08:38.744,0:08:42.610 और कभी कभार आप देखते हैं[br]कामुक, मूर्खतापूर्ण चीज़ें 0:08:42.610,0:08:47.517 पर मुझे यह रोचक लगा[br]और यह पोस्टर कह रहा है कि 0:08:47.517,0:08:49.747 बक बक "एयरबीएनबी" 0:08:49.747,0:08:52.510 और किसी ने कलम ली 0:08:52.510,0:08:56.434 और अपने विचारों का संपादन कर दिया है 0:08:56.434,0:08:59.266 और इसने मेरा ध्यान खींचा 0:08:59.266,0:09:02.692 फिर मैंने सोचा कि इसका प्रयोग किताब[br]के लिए कैसे किया जाये 0:09:02.692,0:09:08.405 सो मैंने इस व्यक्ति की कितान लाकर पढने लगा[br]और मैंने सोचा 0:09:08.405,0:09:13.079 यह आदमी वो नहीं है जो यह कहता है[br]ये, ये एक धोखेबाज़ है 0:09:13.079,0:09:16.540 और मैंने लाल कलम निकाली 0:09:16.540,0:09:21.151 और अपनी झुन्झुलाहट में [br]मुख्यपृष्ट पर यह अंकित कर दिया 0:09:21.151,0:09:25.259 डिजाईन ख़तम[br](हंसी) 0:09:25.815,0:09:30.190 और उन्हें यह पसंद भी आया[br](हंसी) 0:09:30.190,0:09:32.107 लेखक को पसंद आया,[br]प्रकाशक को पसंद आया 0:09:32.107,0:09:34.824 और ये किताब इस तरह दुनिया में गई, 0:09:34.824,0:09:39.723 और लोगों को सबवे में पढता देख [br]वाकई मनोरंजक था 0:09:39.723,0:09:41.859 और इसको लेकर चलते हुए,[br]और आप क्या कर सकते हैं 0:09:41.859,0:09:45.760 और वे सभी एक प्रकार से उन्मादित लग रहे थे 0:09:45.760,0:09:48.120 (ठहाका) 0:09:48.590,0:09:52.633 [" 'पर्फिडिया' ए नोवेल बाई जेम्स एलरॉय"][br]हाँ तो, जेम्स एलराय, कमाल के अपराध लेखक 0:09:52.633,0:09:55.117 एक अच्छे दोस्त, जिनके साथ [br]मैंने कई साल काम किया 0:09:55.117,0:09:57.325 वो लेखक के तौर पर शायद सबसे प्रसिध्द हुए[br] 0:09:57.325,0:10:00.295 "द ब्लैक डेहलिया" और "एल. ऐ. कोन्फ़िडेन्शिअल" के लिए 0:10:00.295,0:10:05.150 उनके नवीनतम उपन्यास का नाम है,[br]जो कि बहुत रहस्यपूर्ण है 0:10:05.150,0:10:08.756 मुझे विश्वास है कि बहुत सारे लोगों को इसका[br]अर्थ पता है, लेकिन बहुतों को नहीं 0:10:08.756,0:10:15.814 और यह कहानी सन १९४१ में लास एंजेल्स में [br]एक जापानी-अमरीकी जासूस की है 0:10:15.814,0:10:17.834 जो एक हत्या की पड़ताल कर रहा है 0:10:17.834,0:10:20.247 और तभी पर्ल हार्बर घटित हो जाता है 0:10:20.247,0:10:23.357 और जैसे की उसका जीवन कम कठिन था 0:10:23.357,0:10:28.200 अब नस्ल संबंध जोर मारने लगते हैं 0:10:28.200,0:10:32.718 और फिर जल्द ही जापानी-अमरीकी [br]नजरबंदी शुरू हो जाती है 0:10:32.718,0:10:34.738 और बहुत तनाव बन जाता है 0:10:34.738,0:10:38.824 और भीषण माहौल में वो हत्या की गुत्थी[br]सुलझाने की कोशिश कर रहा होता है 0:10:38.824,0:10:44.656 तो पहले मैंने इसके बारे में वस्तुतः सोचा 0:10:44.656,0:10:48.538 कि पर्ल हार्बर के साथ लास एंजेल्स [br]को जोड़ देंगे 0:10:48.539,0:10:55.736 और हम शहर के क्षितिज पर [br]प्रलय दर्शित करेंगे 0:10:56.146,0:10:58.561 और इसिलए यह छवि है पर्ल हार्बर की 0:10:58.561,0:11:01.625 जो लास एंजेल्स पृष्ठभूमि पर है 0:11:01.625,0:11:04.899 मेरे प्रधान संपादक में कहा [br]"जानते हो, ये दिलचस्प है 0:11:04.899,0:11:10.286 लेकिन मुझे लगता है कि तुम इसे [br]सरल और बेहतर बना सकते हो" 0:11:10.286,0:11:14.506 तो हमेशा की तरह मैं इसे फिर से [br]पहले सिरे से सोचने लगा 0:11:14.506,0:11:19.197 पर अपने वातावरण के बारे में सचेत रह कर 0:11:19.197,0:11:22.830 मैं शहर के बीच में[br]एक गगन-चुम्बी ईमारत में काम करता हूँ 0:11:22.830,0:11:26.500 और हर रात कार्यालय से निकलने से पहले 0:11:26.500,0:11:28.745 मुझे ये लाल बटन दबाब होता है [br]बाहर जाने के लिए 0:11:28.745,0:11:32.483 इससे बड़ा भारी-भरकम कांच का दरवाज़ा[br]खुलता है और मैं एलीवेटर तक जा पाता हूँ 0:11:32.483,0:11:35.979 और अचानक एक रात 0:11:35.979,0:11:41.750 मैंने इसे देखा और ऐसे गौर किया जैसे[br]पहले कभी नहीं किया था 0:11:41.750,0:11:44.279 बड़ा लाल गोला, खतरा 0:11:44.279,0:11:47.158 और मैंने सोचा यह तो इतना स्वाभाविक था 0:11:47.158,0:11:49.875 कि इसका खरबों बार प्रयोग हो चूका होगा 0:11:49.875,0:11:54.449 तो मैंने "गूगल इमेज सर्च" करी,[br]लेकिन ऐसा एक भी मुखपृष्ट नहीं मिला 0:11:54.449,0:11:56.608 जो कि ऐसा दिखता हो 0:11:56.608,0:11:59.232 और इस प्रकार यह समस्या सुलझ गई 0:11:59.232,0:12:01.763 और चित्रवत यह ज्यादा दिलचस्प है 0:12:01.763,0:12:05.989 और ज्यादा बड़ा तनाव पैदा करता है[br]इस ख्याल से 0:12:05.989,0:12:11.096 कि एक ख़ास प्रकार का सूर्योदय हो [br]रहा है एल. ए. और अमरीका पर 0:12:11.506,0:12:14.492 [" 'गल्प' ए टूर ऑफ़ द ह्यूमन डाईजेस्टीव [br]सिस्टम बाई मेरी रोच."] 0:12:14.492,0:12:16.530 मेरी रोच एक अद्भुत लेखक हैं 0:12:16.530,0:12:20.152 जो एक साधारण से वैज्ञानिक विषय को 0:12:20.152,0:12:23.540 बहुत ही असाधारण बना देती हैं;[br]वो उन्हें मनोरंजक बना देती हैं 0:12:23.540,0:12:25.167 तो इस ख़ास प्रकरण में 0:12:25.167,0:12:28.279 ये मानवीय पाचक प्राणाली के बारे में है 0:12:28.279,0:12:33.201 तो मैं बूझने की कोशिश कर रहा हूँ कि इसका[br]मुख्यपृष्ट कैसा होना चाहिए 0:12:34.141,0:12:37.845 यह एक सेल्फी है[br](हंसी) 0:12:37.845,0:12:43.905 रोज सुबह मैं अपने आप को देखता हूँ[br]अपनी दवाई की अलमारी के शीशे में 0:12:43.905,0:12:46.622 यह देखने के लिए कि कहीं मेरी [br]जीभ काली तो नहीं पड़ गई है 0:12:46.622,0:12:50.170 और अगर नहीं, तो में जाने के लिए तैयार हूँ 0:12:50.170,0:12:53.279 (हंसी) 0:12:55.185,0:12:58.296 मैं आप सब को ऐसा करने की सिफारिश करता हूँ 0:12:58.296,0:13:02.243 परन्तु मैंने सोचा यह हमारा परिचय है[br]पाचक प्राणाली से 0:13:02.243,0:13:05.122 है ना ? मानवीय पाचक प्राणाली के बारे में 0:13:05.962,0:13:08.210 पर मैं यह सोचता हूँ कि हम सब एकमत हैं कि 0:13:08.210,0:13:12.460 मानवीय मुख के असली छायाचित्र, [br]कम से कम इस तरह के 0:13:12.460,0:13:16.244 विकर्षक हैं[br](ठहाका) 0:13:16.244,0:13:20.145 इसीलए मुख्यपृष्ट के लिए मैंने ये चित्रण बनवाया 0:13:20.145,0:13:22.374 जो की वास्तव में खुशगवार है 0:13:22.374,0:13:26.902 और याद दिलाता है बेहतर है कि [br]पाचक प्राणाली के बारे में 0:13:26.902,0:13:29.200 इस सिरे से ही बात की जाए 0:13:29.200,0:13:31.847 (ठहाका) 0:13:31.847,0:13:34.793 मुझे यह वाक्य ख़तम करने की जरुरत भी [br]नहीं है | ठीक है | 0:13:35.533,0:13:37.079 ["अनयूसफुल मिस्ट्री"] 0:13:37.079,0:13:41.156 जब स्पष्टता और रहस्य मिल जाते हैं[br]तो क्या होता है ? 0:13:41.516,0:13:43.489 और हम ऐसा अक्सर देखते हैं 0:13:43.489,0:13:45.997 मैं इसे अनुपयोगी रहस्य कहता हूँ 0:13:45.997,0:13:48.946 मैं सबवे में गया हूँ, - [br]मैं सबवे का काफी प्रयोग करता हूँ 0:13:48.946,0:13:53.450 यह कागज़ का टुकड़ा एक खम्बे पर चिपका हुआ था 0:13:54.590,0:13:58.243 ठीक ? अब मैं सोच रहा हूँ, ओह्हो, 0:13:58.243,0:14:02.120 रेलगाड़ी आने वाली है और मैं इसका मतलब[br]समझने की कोशिश कर रहा हूँ 0:14:02.120,0:14:04.914 बहुत बहुत शुक्रिया 0:14:04.914,0:14:08.914 इधर समस्या यह है कि उन्होंने जानकारी को [br]खानों में बाँट दिया है यह सोचकर कि वो 0:14:08.914,0:14:12.420 मदद्गार होगा और साफ़ बात है कि मुझे [br]ऐसा बिलकुल नहीं लगता 0:14:12.420,0:14:15.694 सो ये वो रहस्य हैं जिनकी [br]हमें जरुरत नहीं है 0:14:15.694,0:14:23.780 हमें जरुरत है उपयोगी स्पष्टता की, इसीलिए [br]बस मज़े के लिए मैंने इसे रिडिजाइन किया 0:14:23.780,0:14:26.259 ये उन्ही समस्त तत्वों का उपयोग कर के 0:14:26.259,0:14:29.182 (तालियाँ) 0:14:29.532,0:14:33.837 धन्यवाद, मैं अभी भी एम्टीए के काल[br]का इंतज़ार कर रहा हूँ (हंसी) 0:14:34.447,0:14:37.506 क्या आप जानते हैं कि मैंने उनके रंगों से [br]अधिक भी नहीं प्रयोग किए 0:14:37.506,0:14:40.803 उन्होंने ४ और ५ को हरे में दर्शाने [br]का सोचा भी नहीं 0:14:40.803,0:14:43.961 वो मूर्ख |[br](हंसी) 0:14:44.851,0:14:47.920 तो सुबह सबसे पहले ये पता चलता है[br]कि सेवा में बदलाव है 0:14:47.920,0:14:51.613 और फिर दो पूर्ण वाक्यों में जिनका[br]मुखड़ा, मध्य और अन्तरा है 0:14:51.613,0:14:56.383 हमें पता चल जाता है कि क्या बदलाव है[br]और किस समय होने वाला हैI 0:14:56.383,0:15:00.440 मुझे पागल बोलो ![br](हंसी) 0:15:01.630,0:15:04.161 [" यूस्फुल मिस्ट्री"][br]ठीक है 0:15:04.161,0:15:09.841 अब, यह वो रहस्य है जो मुझे पसंद है: 0:15:09.841,0:15:11.498 पैकेजिंगI 0:15:11.498,0:15:14.772 डाइट कोक के कैन का ये रीडिजाईन 0:15:14.772,0:15:20.200 मेरे दृष्टीकोण से टर्नर डकवर्थ की [br]उत्कृष्ट कलाकारी है 0:15:20.200,0:15:23.716 यह कलात्मक है, यह सुन्दर हैI 0:15:23.716,0:15:26.893 पर डिज़ाइनर के तौर पर जो चीज़ [br]दिल को खुश करती है 0:15:26.893,0:15:31.351 वो यह है कि उन्होंने डाइट कोक की चित्र[br]शब्दावली को लिया 0:15:31.351,0:15:34.889 उसकी अक्षराकृति, रंग, रजत पृष्टाधार 0:15:34.889,0:15:39.974 और उनको मौलिक रूप में रखा 0:15:39.974,0:15:42.714 तो यह परिचित वस्तु की तरफ वापस जाना हुआ, 0:15:42.714,0:15:46.661 ठीक वैसे ही जैसे कुछ पहचानने के लिए[br]जितनी जरुरत हो उतनी जानकारी ही देना 0:15:46.661,0:15:50.539 लेकिन जो उन्हें पहले से ज्ञात है उसको[br]श्रेय भी देना 0:15:50.539,0:15:52.396 इस वस्तु के बारे में ? 0:15:52.396,0:15:56.181 ये बहुत अच्छा दिखता है और जब आप [br]किसी दूकान के जायेंगे 0:15:56.181,0:16:00.631 और अचानक इस पर नज़र पड़ेगी, [br]ये अद्भुत है I 0:16:00.631,0:16:04.330 जो अगली बात बनाता है -- 0:16:04.330,0:16:06.862 [" अनयूस्फुल क्लारिटी" ] --[br]जो बेहद निराशाजनक है, 0:16:06.862,0:16:08.510 कम से कम मेरे लिए I 0:16:08.510,0:16:12.350 अच्छा फिर से सबवे में वापस जाते हुए, 0:16:12.350,0:16:14.440 जब यह प्रकाशित हुए, 0:16:14.440,0:16:16.460 यह वो चित्र हैं जो मैंने खींचे, 0:16:16.460,0:16:18.503 टाइम्स स्क्वायर सबवे स्टेशन: 0:16:18.503,0:16:23.681 कोका-कोला ने पूरी जगह विज्ञापन[br]के लिए खरीद ली| ठीक ? 0:16:23.681,0:16:27.990 और शायद कुछ लोग जानते है [br]कि यह किस ओर जा रहा है I 0:16:28.660,0:16:30.438 उम्म I 0:16:30.438,0:16:33.056 "आप न्यूयॉर्क आये अपने कपड़े[br]अपनी पीठ पे लाद कर, 0:16:33.056,0:16:35.640 जेब में पैसे लिए, नज़र इनाम पर 0:16:35.640,0:16:39.147 आप कोक पर हैं"[br](हंसी) 0:16:45.298,0:16:48.251 "आप न्यूयॉर्क आये एक एमबीए के साथ,[br]एक साफ़ सूट ले कर 0:16:48.251,0:16:50.341 और बहुत मज़बूत हैंडशेक 0:16:50.341,0:16:53.138 आप कोक पर हैं"[br](हंसी) 0:16:53.638,0:16:58.142 यह असली हैं ![br](हंसी) 0:16:58.142,0:17:01.973 यहाँ तक कि सहारा देने वाले खम्बों [br]को भी नहीं बक्शा गया 0:17:01.973,0:17:05.789 सिवाय इसके कि वो "योडा" बन गए[br](हंसी) 0:17:07.569,0:17:10.838 कोक पर आप हैं"[br](हंसी) 0:17:11.298,0:17:13.998 ["माफ़ कीजिये, मैं किस पर हूँ ???"] 0:17:14.018,0:17:17.623 ये अभियान एक बड़ा गलत कदम था 0:17:17.623,0:17:22.310 इसे फ़ौरन वापस ले लिया गया[br]ग्राहकों की नकारात्मक प्रतिक्रिया के कारण 0:17:22.310,0:17:26.850 और इन्टरनेट पर उपहास करते व्यंग्यों के बाद 0:17:26.850,0:17:28.731 (ठहाका) 0:17:28.731,0:17:34.451 और हाँ "आप हैं" के बाद लगा बिंदु पूरण विराम[br]नहीं, वो व्यापार-चिन्ह है 0:17:35.141,0:17:36.421 सो बहुत शुक्रिया 0:17:36.421,0:17:40.433 मेरे लिए यह सब इतना बेतुका था 0:17:40.433,0:17:46.447 ये समझना कि उन्होंने इतनी उत्तम [br]रहस्यमयी सुन्दर पैकेजिंग 0:17:46.447,0:17:50.905 का विज्ञापन इतना असहनीय और ज़ाहिर[br]तौर पर गलत कैसे बनाया 0:17:50.905,0:17:54.365 यह मेरे लिए अविश्वसनीय था 0:17:54.365,0:17:59.891 तो मुझे उम्मीद है कि मैं आप से [br]थोड़े गुर बाँट पाया 0:17:59.891,0:18:03.699 अपने काम में स्पष्टता और रहस्य [br]के प्रयोग के बारे में 0:18:03.699,0:18:09.005 और क्या पता आप जीवन और स्पष्ट होने का [br]निर्णय कर ले 0:18:09.005,0:18:15.273 या फिर ज्यादा रहस्यमयी बन जाए[br]बजाय ज्यादा व्यक्त करने के 0:18:15.273,0:18:18.110 (हंसी) 0:18:19.000,0:18:23.806 अगर इस चर्चा से कोई एक चीज़ मैं छोड़ना[br]चाहूँगा तो 0:18:23.806,0:18:25.757 तो मेरे ख्याल से वो है 0:18:25.757,0:18:29.022 बक बक बक बक ...[br][" जज दिस, चिप किड्ड] 0:18:29.022,0:18:32.086 बक बक बक ... 0:18:32.086,0:18:33.883 बक बक 0:18:33.883,0:18:37.883 (तालियाँ)