[Script Info] Title: [Events] Format: Layer, Start, End, Style, Name, MarginL, MarginR, MarginV, Effect, Text Dialogue: 0,0:00:19.13,0:00:21.53,Default,,0000,0000,0000,,सृष्टि के आरंभ में था लोगोस (नाद/शब्द), Dialogue: 0,0:00:21.53,0:00:25.27,Default,,0000,0000,0000,,महाविस्फोट (बिग बैंग), प्रारंभिक ओम् (ओंकार नाद) । Dialogue: 0,0:00:25.27,0:00:29.27,Default,,0000,0000,0000,,महाविस्फोटक सिद्धांत के अनुसार भौतिक सर्पिल Dialogue: 0,0:00:29.27,0:00:31.73,Default,,0000,0000,0000,,ब्रह्माण्ड एक अकल्पनीय गर्म और सघन एकल Dialogue: 0,0:00:31.73,0:00:34.93,Default,,0000,0000,0000,,बिंदु से प्रकट हुआ जो विलक्षण कहलाता है- पिन Dialogue: 0,0:00:34.93,0:00:39.13,Default,,0000,0000,0000,,की नोक से करोड़ों गुना सूक्ष्म । Dialogue: 0,0:00:39.13,0:00:44.00,Default,,0000,0000,0000,,क्यों और कैसे, यह स्पष्ट नहीं । कोई वस्तु Dialogue: 0,0:00:44.00,0:00:47.43,Default,,0000,0000,0000,,जितनी रहस्मयमय हो, हमें लगता है Dialogue: 0,0:00:47.43,0:00:54.47,Default,,0000,0000,0000,,हम उसे जान गए हैं। Dialogue: 0,0:00:54.47,0:01:03.03,Default,,0000,0000,0000,,ऐसा सोचा गया कि अंततोगत्वा गुरुत्वाकर्षण Dialogue: 0,0:01:03.03,0:01:08.01,Default,,0000,0000,0000,,या तो विस्तार को धीमा करेगा Dialogue: 0,0:01:08.01,0:01:12.00,Default,,0000,0000,0000,,या ब्रह्माण्ड के लिए विकट स्थिति पैदा करेगा । Dialogue: 0,0:01:12.00,0:01:16.17,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन हब्बल अंतरिक्ष दूरबीन की छवियों से Dialogue: 0,0:01:16.17,0:01:20.83,Default,,0000,0000,0000,,पता चलता है कि ब्रह्माण्ड के विस्तार Dialogue: 0,0:01:20.83,0:01:26.01,Default,,0000,0000,0000,,में वास्तव में तेजी आई । ज्यों-ज्यों यह महाविस्फोट से बाहर आया, Dialogue: 0,0:01:26.01,0:01:33.43,Default,,0000,0000,0000,,इसमें तेजी से विस्तार होने लगा । पता नहीं कैसे, पर ब्रह्माण्ड में भौतिकी के पूर्वानुमान से कहीं अधिक Dialogue: 0,0:01:33.43,0:01:37.53,Default,,0000,0000,0000,,द्रव्यमान है। लापता द्रव्यमान की खोज में भौतिकविद मानते हैं कि ब्रह्माण्ड में केवल 4% परमाणु खनिज है, Dialogue: 0,0:01:37.53,0:01:47.13,Default,,0000,0000,0000,,जिसे हम सामान्य खनिज कहते हैं । ब्रह्माण्ड में 23% अविज्ञ पदार्थ है Dialogue: 0,0:01:47.13,0:01:55.01,Default,,0000,0000,0000,,और 73% निष्क्रिय ऊर्जा है – जिस पर पहले हमने रिक्त स्थान के रूप में विचार किया था । Dialogue: 0,0:01:55.01,0:02:00.47,Default,,0000,0000,0000,,यह अदृश्य तंत्रिका तंत्र की तरह है जो सभी वस्तुओं को संबद्ध करते हुए समग्र Dialogue: 0,0:02:00.47,0:02:08.13,Default,,0000,0000,0000,,ब्रह्माण्ड में संचालित होता है । Dialogue: 0,0:02:08.13,0:02:11.00,Default,,0000,0000,0000,,प्राचीन वैदिक शिक्षकों ने सिखाया कि नाद Dialogue: 0,0:02:11.00,0:02:13.97,Default,,0000,0000,0000,,ब्रहृम है-ब्रह्माण्ड कंपायमान है । Dialogue: 0,0:02:13.97,0:02:17.53,Default,,0000,0000,0000,,कंपायमान क्षेत्र समस्त मूल आध्यात्मिक अनुभव Dialogue: 0,0:02:17.53,0:02:20.01,Default,,0000,0000,0000,,और वैज्ञानिक अन्वेषण का आधार है । Dialogue: 0,0:02:20.01,0:02:25.87,Default,,0000,0000,0000,,यह ऊर्जा का वही क्षेत्र है जिसे संतों, Dialogue: 0,0:02:25.87,0:02:31.43,Default,,0000,0000,0000,,बुद्धजनों, योगियों, मनीषियों, पादरियों, शमन और मठवासियों ने अपने Dialogue: 0,0:02:31.43,0:02:42.01,Default,,0000,0000,0000,,भीतर खोज कर महसूस किया । इसे संपूर्ण इतिहास में आकाश, प्रारंभिक ओम्, Dialogue: 0,0:02:42.01,0:02:47.37,Default,,0000,0000,0000,,इंद्र का रत्नजाल, खगोल का संगीत और Dialogue: 0,0:02:47.37,0:02:55.23,Default,,0000,0000,0000,,न जाने कितने हज़ारों अन्य नाम दिए गए । Dialogue: 0,0:02:55.23,0:03:05.13,Default,,0000,0000,0000,,यह सभी धर्मों का आधार है । Dialogue: 0,0:03:05.13,0:03:34.23,Default,,0000,0000,0000,,और यह हमारे भीतरी और बाहरी दुनिया की संपर्क कड़ी है। Dialogue: 0,0:03:34.23,0:03:36.01,Default,,0000,0000,0000,,तीसरी सदी में महायान बौद्ध धर्म में ब्रह्माण्ड-विज्ञान Dialogue: 0,0:03:36.01,0:03:39.01,Default,,0000,0000,0000,,की जो व्याख्या की गई है, वह आज की उन्नत Dialogue: 0,0:03:39.01,0:03:42.01,Default,,0000,0000,0000,,भौतिकी से भिन्न नहीं है । Dialogue: 0,0:03:42.01,0:03:45.57,Default,,0000,0000,0000,,इंद्र का रत्नजाल अति प्राचीन वैदिक शिक्षा Dialogue: 0,0:03:45.57,0:03:49.73,Default,,0000,0000,0000,,को परिभाषित करने के लिए प्रयुक्त एक उपमा है जो ब्रह्माण्ड Dialogue: 0,0:03:49.73,0:03:51.01,Default,,0000,0000,0000,,की संरचना को स्पष्ट करता है । Dialogue: 0,0:03:51.01,0:03:55.43,Default,,0000,0000,0000,,देवताओं के राजा इंद्र ने सूर्य को जन्म दिया और Dialogue: 0,0:03:55.43,0:04:04.33,Default,,0000,0000,0000,,वायु एवं जल को गतिशील बनाया । Dialogue: 0,0:04:04.33,0:04:09.23,Default,,0000,0000,0000,,मकड़ी के जाल की कल्पना कीजिए जो सभी दिशाओं में फैला होता है । Dialogue: 0,0:04:09.23,0:04:10.01,Default,,0000,0000,0000,,जाला, ओस की बूंदों से बना होता है और प्रत्येक Dialogue: 0,0:04:10.01,0:04:15.23,Default,,0000,0000,0000,,बूंद में जल की अन्य सभी बूंदों का प्रतिबिंब होता Dialogue: 0,0:04:15.23,0:04:19.01,Default,,0000,0000,0000,,है और प्रत्येक प्रतिबिंबित ओस की बूंद में आप Dialogue: 0,0:04:19.01,0:04:23.03,Default,,0000,0000,0000,,अन्य सभी ओस की बूदों का प्रतिबिंब देख सकेंगे । Dialogue: 0,0:04:23.03,0:04:27.00,Default,,0000,0000,0000,,उस प्रतिबिंब में, इसी प्रकार पूरा जाल अनंत Dialogue: 0,0:04:27.00,0:04:29.00,Default,,0000,0000,0000,,सीमा तक फैला होता है । Dialogue: 0,0:04:29.00,0:04:32.00,Default,,0000,0000,0000,,इंद्र के जाल को स्वलिखित ब्रह्माण्ड के रूप में वर्णित किया जा Dialogue: 0,0:04:32.00,0:04:35.00,Default,,0000,0000,0000,,सकता है जहां प्रकाश की क्षणिक झलक में Dialogue: 0,0:04:35.00,0:04:42.01,Default,,0000,0000,0000,,भी पूर्णता का एहसास होता है । Dialogue: 0,0:04:42.01,0:04:46.03,Default,,0000,0000,0000,,सर्बियाई अमेरिकी वैज्ञानिक, निकोला टेस्ला Dialogue: 0,0:04:46.03,0:04:49.00,Default,,0000,0000,0000,,को कभी-कभी "20वीं सदी की खोज करने वाले व्यक्ति" Dialogue: 0,0:04:49.00,0:04:50.01,Default,,0000,0000,0000,,का श्रेय दिया जाता है । Dialogue: 0,0:04:50.01,0:04:53.00,Default,,0000,0000,0000,,टेस्ला प्रत्यावर्ती विद्युत धारा की खोज तथा कई Dialogue: 0,0:04:53.00,0:04:55.01,Default,,0000,0000,0000,,अन्य सृजनों के लिए विख्यात थे, Dialogue: 0,0:04:55.01,0:04:59.00,Default,,0000,0000,0000,,जो आज हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा हैं । Dialogue: 0,0:04:59.00,0:05:02.00,Default,,0000,0000,0000,,प्राचीन वैदिक परंपराओं में अपनी रुचि के कारण, Dialogue: 0,0:05:02.00,0:05:05.63,Default,,0000,0000,0000,,टेस्ला पूर्वी और पश्चिमी मॉडल, दोनों के माध्यम से विज्ञान Dialogue: 0,0:05:05.63,0:05:10.23,Default,,0000,0000,0000,,को समझने की अदि्वतीय स्थिति में था । Dialogue: 0,0:05:10.23,0:05:13.07,Default,,0000,0000,0000,,सभी महान वैज्ञानिकों की तरह टेस्ला ने न Dialogue: 0,0:05:13.07,0:05:15.00,Default,,0000,0000,0000,,केवल बाहरी संसार के रहस्य को गहराई से देखा, Dialogue: 0,0:05:15.00,0:05:19.63,Default,,0000,0000,0000,,बल्कि अपने भीतर की गहराई में भी झाँका। Dialogue: 0,0:05:19.63,0:05:23.01,Default,,0000,0000,0000,,प्राचीन योगियों की तरह, टेस्ला ने स्वर्गिक अनुभव Dialogue: 0,0:05:23.01,0:05:31.83,Default,,0000,0000,0000,,को वर्णित करने के लिए आकाश शब्द का प्रयोग किया, \Nजो सभी वस्तुओं में प्रसरित है । Dialogue: 0,0:05:31.83,0:05:36.00,Default,,0000,0000,0000,,टेस्ला ने योगी स्वामी विवेकानंद के साथ अध्ययन किया, Dialogue: 0,0:05:36.00,0:05:38.01,Default,,0000,0000,0000,,जिन्होंने भारत की प्राचीन शिक्षा को पश्चिम तक पहुंचाया । Dialogue: 0,0:05:38.01,0:05:42.67,Default,,0000,0000,0000,,वैदिक शिक्षाओं में आकाश स्वयं में शून्य है; Dialogue: 0,0:05:42.67,0:05:45.00,Default,,0000,0000,0000,,वह शून्य जिसमें अन्य तत्व भरे हैं, Dialogue: 0,0:05:45.00,0:05:49.17,Default,,0000,0000,0000,,जो कंपन सहित उपस्थित रहते हैं । Dialogue: 0,0:05:49.17,0:05:59.93,Default,,0000,0000,0000,,दोनों अभिन्न हैं । आकाश यिन है और प्राण यांग । Dialogue: 0,0:05:59.93,0:06:09.03,Default,,0000,0000,0000,,एक आधुनिक संकल्पना जिससे आकाश अथवा प्राथमिक Dialogue: 0,0:06:09.03,0:06:16.00,Default,,0000,0000,0000,,अस्तित्व की अवधारणा का हमें पता चल सकता है, वह है अंश की अद्भुत कल्पना । Dialogue: 0,0:06:16.00,0:06:20.23,Default,,0000,0000,0000,,1980 के दशक के बाद ही कंप्यूटर के क्षेत्र में प्रगति ने प्रकृति के ढांचे Dialogue: 0,0:06:20.23,0:06:23.43,Default,,0000,0000,0000,,की गणितीय कल्पना कर उसे वास्तविक Dialogue: 0,0:06:23.43,0:06:26.47,Default,,0000,0000,0000,,रूप में पहचानने का हमें अवसर दिया । Dialogue: 0,0:06:26.47,0:06:29.00,Default,,0000,0000,0000,,`फ्रैक्टल` अर्थात अंश शब्द का गठन 1980 Dialogue: 0,0:06:29.00,0:06:31.47,Default,,0000,0000,0000,,में गणितज्ञ बेनॉयट मेंडेलब्रॉट ने किया Dialogue: 0,0:06:31.47,0:06:34.67,Default,,0000,0000,0000,,जब उन्होंने कुछ गणितीय समीकरणों का अध्ययन Dialogue: 0,0:06:34.67,0:06:36.87,Default,,0000,0000,0000,,करने पर पाया कि एक सीमित Dialogue: 0,0:06:36.87,0:06:40.23,Default,,0000,0000,0000,,दायरे में दोहराने पर वे अंतहीन गणितीय Dialogue: 0,0:06:40.23,0:06:41.93,Default,,0000,0000,0000,,अथवा ज्योमितीय रूप में बदलती हैं । Dialogue: 0,0:06:41.93,0:06:48.13,Default,,0000,0000,0000,,वे सीमित हैं लेकिन साथ ही अनंत भी । Dialogue: 0,0:06:48.13,0:06:51.63,Default,,0000,0000,0000,,एक अंश एक स्थूल ज्यामितीय आकार है, Dialogue: 0,0:06:51.63,0:06:56.03,Default,,0000,0000,0000,,जिसे अनेक हिस्सों में विभाजित किया जा सकता है, Dialogue: 0,0:06:56.03,0:06:58.63,Default,,0000,0000,0000,,जिनमें से प्रत्येक लगभग संपूर्ण आकार का संक्षिप्त प्रतिरूप है – Dialogue: 0,0:06:58.63,0:07:05.77,Default,,0000,0000,0000,,एक गुण जिसे “समरूपता“ कहा जाता है Dialogue: 0,0:07:05.77,0:07:06.97,Default,,0000,0000,0000,,मेंडेलब्राट के `अंश` को ईश्वर के अंगूठे Dialogue: 0,0:07:06.97,0:07:22.87,Default,,0000,0000,0000,,की छाप कहा गया है । Dialogue: 0,0:07:22.87,0:07:26.83,Default,,0000,0000,0000,,आप प्रकृति की स्वयं निर्मित कलाकृति देख रहे हैं । Dialogue: 0,0:07:26.83,0:07:29.53,Default,,0000,0000,0000,,यदि आप मेंडेलब्राट की आकृति को एक विशिष्ट तरीक़े से Dialogue: 0,0:07:29.53,0:07:33.73,Default,,0000,0000,0000,,घुमाएँ तो यह किसी हिन्दू देवता अथवा बुद्ध के समान दिखाई देगा । Dialogue: 0,0:07:33.73,0:07:53.27,Default,,0000,0000,0000,,इसे `बुद्धब्राट आकार` नाम दिया गया है । Dialogue: 0,0:07:53.27,0:08:01.00,Default,,0000,0000,0000,,यदि आप किन्हीं प्राचीन कला और स्थापत्य कला के रूप देखें, Dialogue: 0,0:08:01.00,0:08:03.01,Default,,0000,0000,0000,,आप पाएंगे कि मानवों ने ज़माने से सौंदर्य और Dialogue: 0,0:08:03.01,0:08:18.00,Default,,0000,0000,0000,,पवित्रता को फ़्रैक्टल पैटर्न के साथ जोड़ा है । Dialogue: 0,0:08:18.00,0:08:21.47,Default,,0000,0000,0000,,अत्यंत जटिल, फिर भी कण-कण में Dialogue: 0,0:08:21.47,0:08:24.47,Default,,0000,0000,0000,,उसकी पूर्णता का बीज है । Dialogue: 0,0:08:24.47,0:08:26.97,Default,,0000,0000,0000,,फ्रैक्टल्स यानी अंशों ने सृष्टि और इसकी संचालन प्रक्रिया पर Dialogue: 0,0:08:26.97,0:08:29.77,Default,,0000,0000,0000,,गणितज्ञों का दृष्टिकोण बदला है । Dialogue: 0,0:08:29.77,0:08:32.53,Default,,0000,0000,0000,,आवर्धन के हर नए स्तर के साथ, Dialogue: 0,0:08:32.53,0:08:35.93,Default,,0000,0000,0000,,मूल से भिन्नता उजागर होती हैं । Dialogue: 0,0:08:35.93,0:08:38.53,Default,,0000,0000,0000,,जब हम फ्रैक्टल के एक स्तर से दूसरे स्तर पर पारगमन करते Dialogue: 0,0:08:38.53,0:08:42.63,Default,,0000,0000,0000,,हैं तो सतत परिवर्धन एवं रूपांतरण घटित होता है । Dialogue: 0,0:08:42.63,0:08:46.23,Default,,0000,0000,0000,,यह रूपांतरण ब्रह्माण्डीय सर्पिल गति में होता है । Dialogue: 0,0:08:46.23,0:09:14.67,Default,,0000,0000,0000,,दिक्काल के सांचे में सन्निहित बुद्धिमता । Dialogue: 0,0:09:14.67,0:09:19.03,Default,,0000,0000,0000,,फ्रैक्टल्स यानी `अंश` सहज रूप से अस्तव्यस्त - शब्द एवं नियम से भरपूर हैं। Dialogue: 0,0:09:19.03,0:09:22.73,Default,,0000,0000,0000,,हमारे मस्तिष्क किसी आकार को जब पहचानते या परिभाषित करते हैं, Dialogue: 0,0:09:22.73,0:09:26.01,Default,,0000,0000,0000,,तो हमारा ध्यान उस पर यूं केन्द्रित होता है मानो वह कोई वस्तु हो । Dialogue: 0,0:09:26.01,0:09:29.93,Default,,0000,0000,0000,,हम आकारों को देखी गई सुंदरता के अनुरूप ढूंढते हैं, Dialogue: 0,0:09:29.93,0:09:32.01,Default,,0000,0000,0000,,किन अपने मस्तिष्क में इन आकारों को बनाए Dialogue: 0,0:09:32.01,0:09:53.27,Default,,0000,0000,0000,,रखने के क्रम में हमें शेष फ्रैक्टल्स हटा देने चाहिए । Dialogue: 0,0:09:53.27,0:09:55.01,Default,,0000,0000,0000,,फ्रैक्टल्स को चेतनाओं में समाविष्ट करना, Dialogue: 0,0:09:55.01,0:10:01.17,Default,,0000,0000,0000,,इसका संचालन सीमित करना है । Dialogue: 0,0:10:01.17,0:10:05.17,Default,,0000,0000,0000,,ब्रह्माण्ड में समस्त ऊर्जा तटस्थ, Dialogue: 0,0:10:05.17,0:10:10.17,Default,,0000,0000,0000,,शाश्वत, आयामहीन है । Dialogue: 0,0:10:10.17,0:10:13.67,Default,,0000,0000,0000,,हमारी अपनी रचनात्मकता और आकार की पहचान क्षमता, Dialogue: 0,0:10:13.67,0:10:17.63,Default,,0000,0000,0000,,सूक्ष्म जगत एवं ब्रह्माण्ड के बीच की कड़ी है । Dialogue: 0,0:10:17.63,0:10:24.07,Default,,0000,0000,0000,,लहरों का शाश्वत जगत और ठोस वस्तुओं का जगत । Dialogue: 0,0:10:24.07,0:10:29.00,Default,,0000,0000,0000,,चिंतन की स्वभाविक सीमाओं में Dialogue: 0,0:10:29.00,0:10:31.57,Default,,0000,0000,0000,,अवलोकन करना एक सृजनात्मकता है । Dialogue: 0,0:10:31.57,0:10:34.13,Default,,0000,0000,0000,,हम वर्गीकरण द्वारा नाम देकर, Dialogue: 0,0:10:34.13,0:10:37.00,Default,,0000,0000,0000,,चीजों के ठोसपन का भ्रम पैदा करते हैं । Dialogue: 0,0:10:37.00,0:10:39.63,Default,,0000,0000,0000,,दार्शनिक कीर्केगार्ड ने कहा, Dialogue: 0,0:10:39.63,0:10:43.27,Default,,0000,0000,0000,,"यदि आप मेरा नाम रखते हैं तो आप मुझे नकारते हैं । Dialogue: 0,0:10:43.27,0:10:46.43,Default,,0000,0000,0000,,मेरा नाम रखकर, वर्गीकरण कर, आप उन सभी Dialogue: 0,0:10:46.43,0:10:49.97,Default,,0000,0000,0000,,अन्य चीजों को नकार देते हैं जिनकी मुझमें होने की संभावना हो सकती है । Dialogue: 0,0:10:49.97,0:10:52.67,Default,,0000,0000,0000,,आप कण को नाम देकर उसकी वस्तु Dialogue: 0,0:10:52.67,0:10:55.73,Default,,0000,0000,0000,,के रूप में व्याख्या कर देते हैं, Dialogue: 0,0:10:55.73,0:10:57.43,Default,,0000,0000,0000,,आप उसके अस्तित्व को परिभाषित Dialogue: 0,0:10:57.43,0:11:03.00,Default,,0000,0000,0000,,कर उसका सृजन कर देते हैं ।" Dialogue: 0,0:11:03.00,0:11:06.47,Default,,0000,0000,0000,,सृजनात्मकता हमारी सर्वोच्च प्रकृति है । Dialogue: 0,0:11:06.47,0:11:10.00,Default,,0000,0000,0000,,वस्तुओं के सृजन से, ऐसी स्थिति बनती Dialogue: 0,0:11:10.00,0:11:16.57,Default,,0000,0000,0000,,है जब चीजों में ठोसपन का भ्रम हो । Dialogue: 0,0:11:16.57,0:11:22.01,Default,,0000,0000,0000,,आइन्सटीन पहला वैज्ञानिक था जिसने महसूस Dialogue: 0,0:11:22.01,0:11:26.00,Default,,0000,0000,0000,,किया कि जिस अंतरिक्ष को हम शून्य मानते हैं, Dialogue: 0,0:11:26.00,0:11:28.53,Default,,0000,0000,0000,,वह ऐसा है नहीं, उसकी विशेषताएं हैं, Dialogue: 0,0:11:28.53,0:11:30.33,Default,,0000,0000,0000,,अंतरिक्ष की प्रकृति अथाह Dialogue: 0,0:11:30.33,0:11:35.17,Default,,0000,0000,0000,,आंतरिक ऊर्जा से भरपूर है । Dialogue: 0,0:11:35.17,0:11:38.37,Default,,0000,0000,0000,,प्रतिष्ठित भौतिक शास्त्री रिचर्ड फैनमेन ने एक बार कहा, Dialogue: 0,0:11:38.37,0:11:41.00,Default,,0000,0000,0000,,"अंतरिक्ष के अकेले क्यूबिक मीटर में इतनी ऊर्जा है Dialogue: 0,0:11:41.00,0:11:48.01,Default,,0000,0000,0000,,कि विश्व के सभी महासागर उबल सकें ।" Dialogue: 0,0:11:48.01,0:11:51.17,Default,,0000,0000,0000,,गंभीर ध्यानी जानते हैं कि अधिकतम Dialogue: 0,0:11:51.17,0:11:54.00,Default,,0000,0000,0000,,ऊर्जा मौन में है । Dialogue: 0,0:11:54.00,0:11:59.27,Default,,0000,0000,0000,,बुद्ध के पास इस तात्विक सार के लिए एक और शब्द था Dialogue: 0,0:11:59.27,0:12:03.47,Default,,0000,0000,0000,,जिसे उन्होंने `कल्प` कहा, जो सूक्ष्म कणों या तरंगिकाओं Dialogue: 0,0:12:03.47,0:12:07.63,Default,,0000,0000,0000,,की तरह हैं और प्रति सेकंड खरबों बार उत्पन्न Dialogue: 0,0:12:07.63,0:12:17.87,Default,,0000,0000,0000,,व लुप्त होती हैं । इस अर्थ में वास्तविकता, Dialogue: 0,0:12:17.87,0:12:21.33,Default,,0000,0000,0000,,स्वलिखित फ़िल्म कैमरे में तेज़ी से गतिशील फ़्रेमों की शृंखला Dialogue: 0,0:12:21.33,0:12:27.47,Default,,0000,0000,0000,,द्वारा सातत्य का भ्रम पैदा करने के समान है । Dialogue: 0,0:12:27.47,0:12:30.23,Default,,0000,0000,0000,,चेतना के पूर्णतया स्थिर होने पर यह भ्रम समझा Dialogue: 0,0:12:30.23,0:12:32.13,Default,,0000,0000,0000,,जा सकता है चूंकि यह चेतना ही है जो Dialogue: 0,0:12:32.13,0:13:18.07,Default,,0000,0000,0000,,भ्रम को संचालित करती है । Dialogue: 0,0:13:18.07,0:13:20.17,Default,,0000,0000,0000,,पूर्वी प्राचीन परंपराओं में, Dialogue: 0,0:13:20.17,0:13:22.01,Default,,0000,0000,0000,,सदियों से यह समझा गया है कि सब Dialogue: 0,0:13:22.01,0:13:25.57,Default,,0000,0000,0000,,कुछ कंपायमान है । Dialogue: 0,0:13:25.57,0:13:30.87,Default,,0000,0000,0000,,`नाद ब्रह्म`-ब्रह्माण्ड ध्वनि है । Dialogue: 0,0:13:30.87,0:13:35.37,Default,,0000,0000,0000,,`नाद` शब्द का अर्थ है ध्वनि या कंपन और Dialogue: 0,0:13:35.37,0:13:37.87,Default,,0000,0000,0000,,`ब्रह्म` ईश्वर का नाम है । Dialogue: 0,0:13:37.87,0:13:43.01,Default,,0000,0000,0000,,इसके साथ ही ब्रह्मा, ब्रह्माण्ड या ईश है और ईश सृजक है । Dialogue: 0,0:13:43.01,0:13:48.97,Default,,0000,0000,0000,,कलाकार और कला अभिन्न हैं । Dialogue: 0,0:13:48.97,0:13:50.77,Default,,0000,0000,0000,,उपनिषदों में, Dialogue: 0,0:13:50.77,0:13:54.00,Default,,0000,0000,0000,,जोकि प्राचीन भारत के प्राचीनतम मानव जाति के अभिलेख हैं, Dialogue: 0,0:13:54.00,0:13:58.63,Default,,0000,0000,0000,,यह कहा गया है "कमल पर बैठे सृजक ब्रह्मा Dialogue: 0,0:13:58.63,0:14:05.73,Default,,0000,0000,0000,,के नेत्र खुलने पर जगत अस्तित्व में आता है । Dialogue: 0,0:14:05.73,0:14:07.33,Default,,0000,0000,0000,,ब्रहृमा के नेत्र मूंदते ही जगत Dialogue: 0,0:14:07.33,0:14:14.13,Default,,0000,0000,0000,,का अस्तित्व मिट जाता है । Dialogue: 0,0:14:14.13,0:14:16.00,Default,,0000,0000,0000,,"प्राचीन रहस्यवादियों, योगियों और ॠषियों Dialogue: 0,0:14:16.00,0:14:17.67,Default,,0000,0000,0000,,ने माना कि चेतना का Dialogue: 0,0:14:17.67,0:14:20.01,Default,,0000,0000,0000,,मूल एक आधार है । Dialogue: 0,0:14:20.01,0:14:24.43,Default,,0000,0000,0000,,आक्षिक क्षेत्र अथवा आक्षिक अभिलेख, Dialogue: 0,0:14:24.43,0:14:28.23,Default,,0000,0000,0000,,जहां विगत, वर्तमान और भविष्य की सभी जानकारियां, Dialogue: 0,0:14:28.23,0:14:31.83,Default,,0000,0000,0000,,सभी अनुभव अस्तित्व में हैं और सदा रहती हैं । Dialogue: 0,0:14:31.83,0:14:33.01,Default,,0000,0000,0000,,यह वही क्षेत्र अथवा आव्यूह है जहां Dialogue: 0,0:14:33.01,0:14:36.33,Default,,0000,0000,0000,,से सभी वस्तुएं प्रकट होती हैं । Dialogue: 0,0:14:36.33,0:14:40.13,Default,,0000,0000,0000,,उप-परमाणु अणुओं से लेकर आकाशगंगा, Dialogue: 0,0:14:40.13,0:14:51.23,Default,,0000,0000,0000,,नक्षत्र, सितारे और समस्त जीवन चक्र तक। Dialogue: 0,0:14:51.23,0:14:53.27,Default,,0000,0000,0000,,आप इसे समग्रता में कभी Dialogue: 0,0:14:53.27,0:14:56.17,Default,,0000,0000,0000,,नहीं देख पाते, क्योंकि यह कंपन परत-दर-परत Dialogue: 0,0:14:56.17,0:14:59.43,Default,,0000,0000,0000,,पर बना है और निरंतर Dialogue: 0,0:14:59.43,0:15:05.03,Default,,0000,0000,0000,,परिवर्तनशील है, आकाश से जानकारी का आदान-प्रदान कर रही हैं। Dialogue: 0,0:15:05.03,0:15:16.83,Default,,0000,0000,0000,,वृक्ष जल ग्रहण कर रहा है सूर्य, वायु,\N182\N00:15:10,000 --> 00:15:16,833\Nवर्षा तथा पृथ्वी से । Dialogue: 0,0:15:16.83,0:15:18.83,Default,,0000,0000,0000,,वस्तु के भीतर और बाहर ऊर्जा का संसार संचालित Dialogue: 0,0:15:18.83,0:15:22.00,Default,,0000,0000,0000,,है जिसे हम वृक्ष कहते हैं । Dialogue: 0,0:15:22.00,0:15:23.93,Default,,0000,0000,0000,,जब विचारशील मस्तिष्क शांत हो, Dialogue: 0,0:15:23.93,0:15:27.43,Default,,0000,0000,0000,,तो आप यथार्थ को वास्तविक रूप में देखते हैं । Dialogue: 0,0:15:27.43,0:15:30.37,Default,,0000,0000,0000,,सभी अवस्थाएं एक साथ । Dialogue: 0,0:15:30.37,0:15:33.13,Default,,0000,0000,0000,,वृक्ष एवं आकाश और पृथ्वी तथा वर्षा Dialogue: 0,0:15:33.13,0:15:36.43,Default,,0000,0000,0000,,एवं सितारे पृथक नहीं । Dialogue: 0,0:15:36.43,0:15:41.03,Default,,0000,0000,0000,,जीवन और मृत्यु हमारी अपनी या किसी अन्य की, पृथक नहीं हैं । Dialogue: 0,0:15:41.03,0:15:45.97,Default,,0000,0000,0000,,ठीक वैसे ही जैसे पर्वत और वादियां अभिन्न हैं । Dialogue: 0,0:15:45.97,0:15:47.07,Default,,0000,0000,0000,,अमेरिका की आदिवासी तथा अन्य देशज Dialogue: 0,0:15:47.07,0:15:49.00,Default,,0000,0000,0000,,परंपराओं में कहा गया है कि प्रत्येक Dialogue: 0,0:15:49.00,0:15:52.23,Default,,0000,0000,0000,,वस्तु में जीव है जिसे अन्य तरीक़े से कहा Dialogue: 0,0:15:52.23,0:15:54.00,Default,,0000,0000,0000,,जा सकता है कि प्रत्येक वस्तु Dialogue: 0,0:15:54.00,0:15:58.01,Default,,0000,0000,0000,,स्पंदनशील स्रोत से संबद्ध है । Dialogue: 0,0:15:58.01,0:16:02.37,Default,,0000,0000,0000,,सर्वत्र एक चेतना, एक व्यापकता, Dialogue: 0,0:16:02.37,0:16:05.37,Default,,0000,0000,0000,,एक ऊर्जा विद्यमान है । Dialogue: 0,0:16:05.37,0:16:07.73,Default,,0000,0000,0000,,यह व्याप्ति आपके आसपास नहीं, Dialogue: 0,0:16:07.73,0:16:10.23,Default,,0000,0000,0000,,बल्कि यह आपके माध्यम से घटित हो रही है और आपके Dialogue: 0,0:16:10.23,0:16:15.27,Default,,0000,0000,0000,,वास्तविक स्वरूप के अनुसार घटित हो रही है । Dialogue: 0,0:16:15.27,0:16:18.73,Default,,0000,0000,0000,,आप ब्रह्मांड का अंश हैं । Dialogue: 0,0:16:18.73,0:16:24.67,Default,,0000,0000,0000,,आप नेत्र हैं जिनके माध्यम से सृजक स्वयं को देखता है । Dialogue: 0,0:16:24.67,0:16:27.07,Default,,0000,0000,0000,,स्वप्न से बाहर आने पर आप महसूस करते हैं कि Dialogue: 0,0:16:27.07,0:16:30.00,Default,,0000,0000,0000,,स्वप्न में सब कुछ आप ही थे । Dialogue: 0,0:16:30.00,0:16:32.01,Default,,0000,0000,0000,,आप इसे सृजित कर रहे थे। Dialogue: 0,0:16:32.01,0:16:34.01,Default,,0000,0000,0000,,तथाकथित वास्तविक जीवन अलग नहीं है। Dialogue: 0,0:16:34.01,0:16:38.01,Default,,0000,0000,0000,,प्रत्येक व्यक्ति और प्रत्येक वस्तु आप हैं। Dialogue: 0,0:16:38.01,0:16:46.07,Default,,0000,0000,0000,,प्रत्येक नेत्र की चेतन दृष्टि, प्रत्येक चट्टान के नीचे छिपे Dialogue: 0,0:16:46.07,0:17:06.77,Default,,0000,0000,0000,,प्रत्येक अणु के भीतर तक देखती है । Dialogue: 0,0:17:06.77,0:17:09.00,Default,,0000,0000,0000,,सीईआरएन, कण भौतिक शास्त्र की यूरोपियन Dialogue: 0,0:17:09.00,0:17:12.13,Default,,0000,0000,0000,,प्रयोगशाला के अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधानकर्ता Dialogue: 0,0:17:12.13,0:17:13.43,Default,,0000,0000,0000,,इस क्षेत्र के लिए अनुसंधान कर रहे हैं, Dialogue: 0,0:17:13.43,0:17:16.00,Default,,0000,0000,0000,,जो सभी वस्तुओं में विद्यमान हैं । Dialogue: 0,0:17:16.00,0:17:17.57,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन इसके भीतर झांकने की बजाय वे Dialogue: 0,0:17:17.57,0:17:23.73,Default,,0000,0000,0000,,बाहरी भौतिक संसार देखते हैं । Dialogue: 0,0:17:23.73,0:17:25.83,Default,,0000,0000,0000,,जेनेवा, स्विट्जरलैंड के सीईआरएन की प्रयोगशाला Dialogue: 0,0:17:25.83,0:17:28.00,Default,,0000,0000,0000,,में अनुसंधानकर्ताओं ने घोषित किया कि उन्होंने Dialogue: 0,0:17:28.00,0:17:32.00,Default,,0000,0000,0000,,हिग्स बोसन या ईश्वर कण खोज लिया है । Dialogue: 0,0:17:32.00,0:17:35.23,Default,,0000,0000,0000,,हिग्स बोसन के प्रयोगों ने वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित किया कि Dialogue: 0,0:17:35.23,0:17:41.43,Default,,0000,0000,0000,,अदृश्य ऊर्जा फील्ड अंतरिक्ष का शून्य भर देती है । Dialogue: 0,0:17:41.43,0:17:44.33,Default,,0000,0000,0000,,सीईआरएन का बड़ा हैडरॉन कोलाईडर Dialogue: 0,0:17:44.33,0:17:47.97,Default,,0000,0000,0000,,(गोलाकार) 17 मील की परिधि में है जिसमें Dialogue: 0,0:17:47.97,0:17:50.93,Default,,0000,0000,0000,,दो किरण पुंज विपरीत दिशाओं में दौड़ते Dialogue: 0,0:17:50.93,0:17:53.13,Default,,0000,0000,0000,,हैं और प्रकाश की गति के निकट एक साथ Dialogue: 0,0:17:53.13,0:17:55.00,Default,,0000,0000,0000,,टकराकर नष्ट हो जाते हैं । Dialogue: 0,0:17:55.00,0:17:56.57,Default,,0000,0000,0000,,वैज्ञानिकों ने देखकर जाना कि प्रचंड Dialogue: 0,0:17:56.57,0:18:02.23,Default,,0000,0000,0000,,टकराहट से क्या हासिल होता है । Dialogue: 0,0:18:02.23,0:18:04.03,Default,,0000,0000,0000,,मानक मॉडल यह पता नहीं लगा सकता कि Dialogue: 0,0:18:04.03,0:18:06.93,Default,,0000,0000,0000,,अणुओं का द्रव्यमान कहाँ से आता है। Dialogue: 0,0:18:06.93,0:18:09.27,Default,,0000,0000,0000,,प्रत्येक पदार्थ कंपन से निर्मित दृष्टिगोचर होता है, Dialogue: 0,0:18:09.27,0:18:16.13,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन कोई चीज कंपित नहीं हो रही होती । Dialogue: 0,0:18:16.13,0:18:18.63,Default,,0000,0000,0000,,लगता है मानो कोई अदृश्य नर्तक ब्रह्मांड की Dialogue: 0,0:18:18.63,0:18:23.23,Default,,0000,0000,0000,,नृत्य-नाटिका में छिप कर छाया नर्तन कर रहा हो । Dialogue: 0,0:18:23.23,0:18:26.13,Default,,0000,0000,0000,,अन्य सभी नर्तक हमेशा इस छिपे Dialogue: 0,0:18:26.13,0:18:28.83,Default,,0000,0000,0000,,नर्तक के आसपास नृत्य करते हैं । Dialogue: 0,0:18:28.83,0:18:30.53,Default,,0000,0000,0000,,हमने नृत्य की नृत्यकला देखी लेकिन Dialogue: 0,0:18:30.53,0:18:41.17,Default,,0000,0000,0000,,अब तक उस नर्तक को नहीं देख सके । Dialogue: 0,0:18:41.17,0:18:44.00,Default,,0000,0000,0000,,तथाकथित "ईश्वर कण", Dialogue: 0,0:18:44.00,0:18:47.07,Default,,0000,0000,0000,,ब्रह्माण्ड का आधार तत्व का गुण, Dialogue: 0,0:18:47.07,0:18:49.17,Default,,0000,0000,0000,,सभी पदार्थों का अंत:स्तल है, जो उस रहस्यमय द्रव्यमान Dialogue: 0,0:18:49.17,0:18:56.07,Default,,0000,0000,0000,,एवं ऊर्जा के साथ ब्रह्माण्ड के विस्तार को संचालित करता है । Dialogue: 0,0:18:56.07,0:18:59.03,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन ब्रह्माण्ड की प्रकृति की व्याख्या करना तो दूर की बात, Dialogue: 0,0:18:59.03,0:19:01.83,Default,,0000,0000,0000,,हिग्स बोसन की खोज ने बड़े-बड़े रहस्य साधारण Dialogue: 0,0:19:01.83,0:19:05.00,Default,,0000,0000,0000,,रूप में प्रस्तुत किए, जिसने वह ब्रह्माण्ड उद्घाटित Dialogue: 0,0:19:05.00,0:19:10.93,Default,,0000,0000,0000,,किया जो हमारी कल्पना से कहीं अधिक रहस्यपूर्ण है । Dialogue: 0,0:19:10.93,0:19:13.73,Default,,0000,0000,0000,,विज्ञान चेतना और पदार्थ के बीच की सीमा-रेखा के Dialogue: 0,0:19:13.73,0:19:15.43,Default,,0000,0000,0000,,सन्निकट है । Dialogue: 0,0:19:15.43,0:19:18.53,Default,,0000,0000,0000,,वह दृष्टि जिससे हम प्रारंभिक सिद्धांत का क्षेत्र देखते हैं और Dialogue: 0,0:19:18.53,0:19:21.00,Default,,0000,0000,0000,,वह दृष्टि जिससे क्षेत्र हमें देखता है, Dialogue: 0,0:19:21.00,0:19:35.00,Default,,0000,0000,0000,,एक ही है । Dialogue: 0,0:19:35.00,0:19:38.37,Default,,0000,0000,0000,,जर्मन लेखक और विद्वान वुल्फगेंग वॉन गोयथे ने कहा है, Dialogue: 0,0:19:38.37,0:19:40.97,Default,,0000,0000,0000,,"तरंग आदिकालीन तथ्य है Dialogue: 0,0:19:40.97,0:19:45.00,Default,,0000,0000,0000,,जिससे विश्व उत्पन्न हुआ" । Dialogue: 0,0:19:45.00,0:19:53.63,Default,,0000,0000,0000,,सिमेटिक दृश्य ध्वनि का अध्ययन है । Dialogue: 0,0:19:53.63,0:19:57.01,Default,,0000,0000,0000,,सिमेटिक शब्द ग्रीक के मूल शब्द `साईमा` Dialogue: 0,0:19:57.01,0:20:08.73,Default,,0000,0000,0000,,से बना, जिसका अर्थ है - तरंग या कंपन । Dialogue: 0,0:20:08.73,0:20:11.00,Default,,0000,0000,0000,,तरंगीय तथ्य का गंभीरता से अध्ययन करने वालों Dialogue: 0,0:20:11.00,0:20:13.00,Default,,0000,0000,0000,,में प्रथम पश्चिमी वैज्ञानिक अर्नस्ट श्लाड्नी, Dialogue: 0,0:20:13.00,0:20:15.73,Default,,0000,0000,0000,,अठारहवीं शताब्दी का एक जर्मन Dialogue: 0,0:20:15.73,0:20:18.00,Default,,0000,0000,0000,,संगीतज्ञ एवं भौतिक विज्ञानी था । Dialogue: 0,0:20:18.00,0:20:20.00,Default,,0000,0000,0000,,श्लाड्नी ने खोज की कि धातु की प्लेटों पर रेत फैला कर वायलन Dialogue: 0,0:20:20.00,0:20:23.77,Default,,0000,0000,0000,,गज से जब प्लेटों को डुलाया गया, Dialogue: 0,0:20:23.77,0:20:29.17,Default,,0000,0000,0000,,तो रेत स्वत: प्रतिकृतियों में व्यवस्थित हो गई । Dialogue: 0,0:20:29.17,0:20:30.67,Default,,0000,0000,0000,,उत्पादित कंपन के आधार पर भिन्न-भिन्न Dialogue: 0,0:20:30.67,0:20:38.33,Default,,0000,0000,0000,,ज्यामितिक स्वरूप दृष्टिगोचर हुए । Dialogue: 0,0:20:38.33,0:20:40.03,Default,,0000,0000,0000,,श्लाड्नी ने इन रूपों की समूची तालिका रिकार्ड Dialogue: 0,0:20:40.03,0:20:42.93,Default,,0000,0000,0000,,की, जिन्हें श्लाड्नी आकृतियों के रूप में उल्लिखित Dialogue: 0,0:20:42.93,0:20:45.37,Default,,0000,0000,0000,,किया जाता है । Dialogue: 0,0:20:45.37,0:20:47.13,Default,,0000,0000,0000,,इनमें कई प्रतिकृतियों को समग्र प्राकृतिक विश्व में Dialogue: 0,0:20:47.13,0:20:54.17,Default,,0000,0000,0000,,देखा जा सकता है । जैसे कछुए या तेंदुए की Dialogue: 0,0:20:54.17,0:21:03.97,Default,,0000,0000,0000,,चित्तियों की प्रतिकृतियों के निशान । Dialogue: 0,0:21:03.97,0:21:06.93,Default,,0000,0000,0000,,श्लाड्नी की प्रतिकृतियों या साइमेटिक प्रतिकृतियों का अध्ययन Dialogue: 0,0:21:06.93,0:21:09.97,Default,,0000,0000,0000,,एक गोपनीय विधि है जिसके माध्यम से उन्नत गिटार, वॉयलिन Dialogue: 0,0:21:09.97,0:21:21.83,Default,,0000,0000,0000,,और अन्य वाद्ययंत्रों के निर्माता वाद्ययंत्रों की ध्वनि गुणवत्ता का निर्धारण करते हैं । Dialogue: 0,0:21:21.83,0:21:27.57,Default,,0000,0000,0000,,हैंस जेनी ने वर्ष 1960 में श्लाड्नी का कार्य आगे बढ़ाया और ध्वनि Dialogue: 0,0:21:27.57,0:21:30.77,Default,,0000,0000,0000,,नैरंतर्य को विकसित करने के लिए विभिन्न द्रव्य एवं इलेक्ट्रॉनिक प्रवर्धकों का Dialogue: 0,0:21:30.77,0:21:37.33,Default,,0000,0000,0000,,प्रयोग किया एवं `सिमेटिक्स` (तरंग) ध्वनि का सृजन किया । Dialogue: 0,0:21:37.33,0:21:40.53,Default,,0000,0000,0000,,यदि आप जल में सामान्य तरंगों की ओर दौड़ते Dialogue: 0,0:21:40.53,0:21:43.63,Default,,0000,0000,0000,,हैं तो आप जल में प्रतिकृतियां देख सकते हैं । Dialogue: 0,0:21:43.63,0:21:45.73,Default,,0000,0000,0000,,तरंग की आवृत्ति के आधार पर विभिन्न Dialogue: 0,0:21:45.73,0:21:47.01,Default,,0000,0000,0000,,तरंगित प्रतिकृतियाँ दृष्टिगोचर होंगी । Dialogue: 0,0:21:47.01,0:21:52.00,Default,,0000,0000,0000,,आवृत्ति के बढ़ने पर प्रतिकृति जटिल होती जाएगी । Dialogue: 0,0:21:52.00,0:21:55.01,Default,,0000,0000,0000,,इन स्वरूपों की पुनरावृति होगी, लेकिन ये बेतरतीब नहीं होंगी । Dialogue: 0,0:21:55.01,0:21:57.47,Default,,0000,0000,0000,,जितना अधिक आप इन पर ध्यान केंद्रित करेंगे, Dialogue: 0,0:21:57.47,0:22:01.87,Default,,0000,0000,0000,,उतना ही आपको इस बात का एहसास होगा कि किस प्रकार तरंग पदार्थ\Nको साधारण दुहराव Dialogue: 0,0:22:01.87,0:22:04.01,Default,,0000,0000,0000,,वाले तरंगों से जटिल रूपों में व्यवस्थित करने लगती हैं । Dialogue: 0,0:22:04.01,0:22:29.87,Default,,0000,0000,0000,,इस जलतरंग की प्रतिकृति सूर्यमुखी फूल के समान है । Dialogue: 0,0:22:29.87,0:22:32.13,Default,,0000,0000,0000,,मात्र ध्वनि नैरंतर्य के परिवर्तन से हम Dialogue: 0,0:22:32.13,0:22:52.00,Default,,0000,0000,0000,,विभिन्न प्रतिकृतियां पा जाते हैं । Dialogue: 0,0:22:52.00,0:22:55.37,Default,,0000,0000,0000,,जल अत्यंत रहस्यात्मक द्रव्य है । Dialogue: 0,0:22:55.37,0:22:57.01,Default,,0000,0000,0000,,यह अत्यंत संवेदनशील है । Dialogue: 0,0:22:57.01,0:23:00.83,Default,,0000,0000,0000,,अर्थात्, यह कंपन प्राप्त कर सकता है और उसे रोक कर रख सकता है । Dialogue: 0,0:23:00.83,0:23:03.07,Default,,0000,0000,0000,,अपनी अत्याधिक गुंजायमान क्षमता तथा Dialogue: 0,0:23:03.07,0:23:07.23,Default,,0000,0000,0000,,संवेदनशीलता एवं गूंजने के लिए आंतरिक तत्परता के कारण Dialogue: 0,0:23:07.23,0:23:09.53,Default,,0000,0000,0000,,जल सभी प्रकार की ध्वनि तरंगों Dialogue: 0,0:23:09.53,0:23:12.57,Default,,0000,0000,0000,,के प्रति तत्काल प्रतिक्रिया देता है । Dialogue: 0,0:23:12.57,0:23:13.01,Default,,0000,0000,0000,,प्रदोलित जल तथा पृथ्वी से Dialogue: 0,0:23:13.01,0:23:17.43,Default,,0000,0000,0000,,अधिकांश पौधों तथा पशुओं के समूह का निर्माण होता है । Dialogue: 0,0:23:17.43,0:23:21.93,Default,,0000,0000,0000,,यह देखना सरल है कि जल में किस प्रकार साधारण Dialogue: 0,0:23:21.93,0:23:25.00,Default,,0000,0000,0000,,प्रदोलन, पहचानने योग्य प्राकृतिक प्रतिकृतियों को सृजित कर सकता है, Dialogue: 0,0:23:25.00,0:23:30.07,Default,,0000,0000,0000,,लेकिन जैसे ही हम उसमें ठोस पदार्थ मिलाते हैं और उसके आयाम Dialogue: 0,0:23:30.07,0:23:35.13,Default,,0000,0000,0000,,को बढ़ा देते हैं तो वस्तुएं और भी दिलचस्प हो जाती हैं । Dialogue: 0,0:23:35.13,0:23:36.93,Default,,0000,0000,0000,,पानी में कार्नस्टार्च (मक्की की मांड) मिलाने से हमें Dialogue: 0,0:23:36.93,0:23:58.43,Default,,0000,0000,0000,,और मिश्रित तत्व हासिल होते हैं । Dialogue: 0,0:23:58.43,0:24:00.01,Default,,0000,0000,0000,,कदाचित जीवन के सिद्धांतों को भी महसूस किया Dialogue: 0,0:24:00.01,0:24:03.01,Default,,0000,0000,0000,,जा सकता है, चूंकि कंपनों से कार्नस्टार्च चलते- Dialogue: 0,0:24:03.01,0:24:12.73,Default,,0000,0000,0000,,फिरते जीव में परिवर्तित हो जाती है । Dialogue: 0,0:24:12.73,0:24:15.23,Default,,0000,0000,0000,,ब्रह्माण्ड का जीवंत सिद्धांत उन शब्दों का प्रयोग Dialogue: 0,0:24:15.23,0:24:18.00,Default,,0000,0000,0000,,करते हुए प्रत्येक बड़े धर्म में वर्णित किया Dialogue: 0,0:24:18.00,0:24:20.27,Default,,0000,0000,0000,,गया है जो इतिहास में तत्कालीन Dialogue: 0,0:24:20.27,0:24:26.03,Default,,0000,0000,0000,,समझ को प्रतिबिंबित करता है । Dialogue: 0,0:24:26.03,0:24:31.33,Default,,0000,0000,0000,,इकांस की भाषा में, कोलंबियन-पूर्व Dialogue: 0,0:24:31.33,0:24:34.93,Default,,0000,0000,0000,,अमेरिका में `मानव शरीर` के लिए `अल्पा कमास्का` शब्द है, Dialogue: 0,0:24:34.93,0:24:41.00,Default,,0000,0000,0000,,जिसका शाब्दिक अर्थ है `जीवंत पृथ्वी` । Dialogue: 0,0:24:41.00,0:24:43.00,Default,,0000,0000,0000,,कबाला या यहूदी रहस्यवाद में ईश्वर के Dialogue: 0,0:24:43.00,0:24:46.07,Default,,0000,0000,0000,,दिव्य नाम का उल्लेख है । Dialogue: 0,0:24:46.07,0:24:49.00,Default,,0000,0000,0000,,वह नाम जिसे उच्चारित नहीं किया जा सकता । Dialogue: 0,0:24:49.00,0:24:51.00,Default,,0000,0000,0000,,इसे इसलिए नहीं बोला जा सकता, Dialogue: 0,0:24:51.00,0:24:56.01,Default,,0000,0000,0000,,चूंकि यह ऐसा कंपन है जो सर्वत्र है । यह सभी शब्दों, सभी पदार्थों में हैं । Dialogue: 0,0:24:56.01,0:25:00.23,Default,,0000,0000,0000,,पवित्र शब्द ही सब कुछ है । Dialogue: 0,0:25:00.23,0:25:02.00,Default,,0000,0000,0000,,चतुष्फलक सर्वाधिक सामान्य आकार है, Dialogue: 0,0:25:02.00,0:25:05.33,Default,,0000,0000,0000,,जो तीन आयामों में अस्तित्व में है । Dialogue: 0,0:25:05.33,0:25:06.77,Default,,0000,0000,0000,,कुछ में भौतिक वास्तविकता के लिए कम Dialogue: 0,0:25:06.77,0:25:09.27,Default,,0000,0000,0000,,से कम चार बिंदु होने चाहिए । Dialogue: 0,0:25:09.27,0:25:11.33,Default,,0000,0000,0000,,त्रिकोणीय संरचना प्रकृति की केवल Dialogue: 0,0:25:11.33,0:25:13.93,Default,,0000,0000,0000,,स्वनिर्धारित प्रतिकृति है । Dialogue: 0,0:25:13.93,0:25:17.03,Default,,0000,0000,0000,,पूर्व-विधान में शब्द `चतुर्वर्णी` Dialogue: 0,0:25:17.03,0:25:20.27,Default,,0000,0000,0000,,ईश्वर के कुछेक प्रकटीकरण के लिए प्राय: प्रयुक्त किया जाता है । Dialogue: 0,0:25:20.27,0:25:23.73,Default,,0000,0000,0000,,इसे तब प्रयोग किया गया था, जब ईश्वर के शब्द या ईश्वर, Dialogue: 0,0:25:23.73,0:25:30.87,Default,,0000,0000,0000,,लोगो या प्रारंभिक शब्द के विशेष नाम से बात की गई थी । Dialogue: 0,0:25:30.87,0:25:36.23,Default,,0000,0000,0000,,प्राचीन सभ्यता जानती है कि ब्रह्माण्ड की Dialogue: 0,0:25:36.23,0:25:40.47,Default,,0000,0000,0000,,आधारभूत संरचना चतुष्फलक आकार की थी । Dialogue: 0,0:25:40.47,0:25:43.01,Default,,0000,0000,0000,,इस आकार में प्रकृति साम्य, शिव के लिए Dialogue: 0,0:25:43.01,0:25:47.53,Default,,0000,0000,0000,,आधारभूत प्रमाण प्रदर्शित करती है । Dialogue: 0,0:25:47.53,0:25:50.00,Default,,0000,0000,0000,,हालांकि इसमें परिवर्तन के लिए आधारभूत प्रमाण, Dialogue: 0,0:25:50.00,0:25:56.87,Default,,0000,0000,0000,,शक्ति भी है । Dialogue: 0,0:25:56.87,0:25:59.33,Default,,0000,0000,0000,,बाइबल में जॉन सिद्धांत में सामान्यतया Dialogue: 0,0:25:59.33,0:26:01.67,Default,,0000,0000,0000,,`आरंभ में शब्द था़` Dialogue: 0,0:26:01.67,0:26:04.67,Default,,0000,0000,0000,,पठित है लेकिन मूल पाठ में प्रयुक्त शब्द Dialogue: 0,0:26:04.67,0:26:07.73,Default,,0000,0000,0000,,`लोगो` था । Dialogue: 0,0:26:07.73,0:26:09.01,Default,,0000,0000,0000,,ईसा पूर्व लगभग 500वें वर्ष में विद्यमान Dialogue: 0,0:26:09.01,0:26:13.00,Default,,0000,0000,0000,,ग्रीक दार्शनिक हरक्लीटस ने Dialogue: 0,0:26:13.00,0:26:14.00,Default,,0000,0000,0000,,`लोगो` का उल्लेख कुछ आधारभूत Dialogue: 0,0:26:14.00,0:26:16.73,Default,,0000,0000,0000,,अज्ञात के रूप में किया । Dialogue: 0,0:26:16.73,0:26:22.00,Default,,0000,0000,0000,,सभी पुनरावृति, पद्धति और स्वरूपों का उद्भव । Dialogue: 0,0:26:22.00,0:26:24.23,Default,,0000,0000,0000,,हरक्लीटस के उपदेशों का अनुसरण करने वाले Dialogue: 0,0:26:24.23,0:26:27.00,Default,,0000,0000,0000,,निर्लिप्त दार्शनिकों ने ब्रह्माण्ड में व्याप्त दिव्य जीवंत Dialogue: 0,0:26:27.00,0:26:36.00,Default,,0000,0000,0000,,सिद्धांत के साथ इस शब्द का पता लगाया । Dialogue: 0,0:26:36.00,0:26:42.00,Default,,0000,0000,0000,,सूफीवाद में `लोगो` सर्वत्र है और सभी वस्तुओं में है । Dialogue: 0,0:26:42.00,0:26:52.83,Default,,0000,0000,0000,,यह वह तत्व है जिसमें अव्यक्त, व्यक्त हो जाता है । Dialogue: 0,0:26:52.83,0:26:57.27,Default,,0000,0000,0000,,हिन्दू परंपरा में शिव नटराज का शाब्दिक अर्थ है Dialogue: 0,0:26:57.27,0:26:59.93,Default,,0000,0000,0000,,`नृत्य सम्राट`। Dialogue: 0,0:26:59.93,0:27:03.43,Default,,0000,0000,0000,,संपूर्ण ब्रह्माण्ड शिव की धुन पर नृत्य करता है । Dialogue: 0,0:27:03.43,0:27:08.00,Default,,0000,0000,0000,,सभी कुछ स्पंदन से ही ओतप्रोत होता है । Dialogue: 0,0:27:08.00,0:27:10.00,Default,,0000,0000,0000,,केवल जब तक शिव नृत्य कर रहे हैं तभी तक Dialogue: 0,0:27:10.00,0:27:13.00,Default,,0000,0000,0000,,संसार विकसित और परिवर्तित हो सकता है, Dialogue: 0,0:27:13.00,0:27:19.23,Default,,0000,0000,0000,,अन्यथा सब कुछ समाप्त होकर शून्य हो जाएगा । Dialogue: 0,0:27:19.23,0:27:21.03,Default,,0000,0000,0000,,यद्यपि शिव हमारी चेतना का साक्ष्य है, Dialogue: 0,0:27:21.03,0:27:26.01,Default,,0000,0000,0000,,शक्ति संसार का सार है । Dialogue: 0,0:27:26.01,0:27:29.01,Default,,0000,0000,0000,,यद्यपि शिव ध्यानमग्न हैं, Dialogue: 0,0:27:29.01,0:27:31.97,Default,,0000,0000,0000,,शक्ति उन्हें संचालित करने का प्रयत्न करती है, Dialogue: 0,0:27:31.97,0:27:34.01,Default,,0000,0000,0000,,जिससे उन्हें नृत्य में उतारा जा सके । Dialogue: 0,0:27:34.01,0:27:36.00,Default,,0000,0000,0000,,यिन एवं यांग की तरह नर्तक Dialogue: 0,0:27:36.00,0:27:42.87,Default,,0000,0000,0000,,तथा नृत्य का अस्तित्व एक है । Dialogue: 0,0:27:42.87,0:27:47.17,Default,,0000,0000,0000,,`लोगो़` का अर्थ है अनावृत सत्य । Dialogue: 0,0:27:47.17,0:27:51.57,Default,,0000,0000,0000,,जो `लोगो़` को जानता है, वही सत्य को जानता है । Dialogue: 0,0:27:51.57,0:27:53.37,Default,,0000,0000,0000,,छिपाव की कई परतें आकाश के रूप में मानवीय Dialogue: 0,0:27:53.37,0:27:56.37,Default,,0000,0000,0000,,संसार में अस्तित्व में हैं, जिससे स्वयं Dialogue: 0,0:27:56.37,0:27:59.03,Default,,0000,0000,0000,,के स्रोत को छिपाते हुए Dialogue: 0,0:27:59.03,0:28:01.53,Default,,0000,0000,0000,,वह जटिल संरचनाओं के भंवर में फंस जाता है । Dialogue: 0,0:28:01.53,0:28:04.47,Default,,0000,0000,0000,,लुकाछिपी के दिव्य खेल की तरह हम हजारों Dialogue: 0,0:28:04.47,0:28:07.57,Default,,0000,0000,0000,,वर्षों से छिपते चले आ रहे हैं और खेल Dialogue: 0,0:28:07.57,0:28:10.01,Default,,0000,0000,0000,,eको पूरी तरह से भूल गए हैं । Dialogue: 0,0:28:10.01,0:28:17.63,Default,,0000,0000,0000,,हम भूल गए हैं कि कोई ऐसी चीज है जिसकी खोज की जानी है । Dialogue: 0,0:28:17.63,0:28:21.01,Default,,0000,0000,0000,,बौद्धधर्म में प्रत्येक को अपने `लोगो़` को सीधे महसूस करना, Dialogue: 0,0:28:21.01,0:28:25.93,Default,,0000,0000,0000,,अर्थात् ध्यान के माध्यम से अपने भीतर परिवर्तन या नश्वरता के क्षेत्र का पता Dialogue: 0,0:28:25.93,0:28:28.17,Default,,0000,0000,0000,,लगाना सिखाया जाता है। Dialogue: 0,0:28:28.17,0:28:30.33,Default,,0000,0000,0000,,जब आप अपना आंतरिक संसार देखते Dialogue: 0,0:28:30.33,0:28:34.17,Default,,0000,0000,0000,,हैं तो आप सूक्ष्म संवेदनाओं और ऊर्जा को देखते हैं और Dialogue: 0,0:28:34.17,0:28:38.63,Default,,0000,0000,0000,,मस्तिष्क अधिकाधिक कुशाग्र व आत्मकेन्द्रित होने लगता है । Dialogue: 0,0:28:38.63,0:28:41.27,Default,,0000,0000,0000,,`अणिका` के प्रत्यक्ष अनुभव या संवेदन के Dialogue: 0,0:28:41.27,0:28:44.01,Default,,0000,0000,0000,,आधारभूत स्तर पर नश्वरता के माध्यम से व्यक्ति Dialogue: 0,0:28:44.01,0:28:50.97,Default,,0000,0000,0000,,मोह से मुक्त हो जाता है । Dialogue: 0,0:28:50.97,0:28:53.43,Default,,0000,0000,0000,,एक बार हम अनुभव कर लेते Dialogue: 0,0:28:53.43,0:28:55.87,Default,,0000,0000,0000,,हैं कि एक ही क्षेत्र है जो सभी धर्मों का सामान्य रास्ता है, Dialogue: 0,0:28:55.87,0:29:05.01,Default,,0000,0000,0000,,तो हम किस प्रकार कह सकते हैं `मेरा धर्म` या `यह मेरा मौलिक ओम् Dialogue: 0,0:29:05.01,0:29:20.83,Default,,0000,0000,0000,,है`, `मेरा क्वाण्टम क्षेत्र है` ? Dialogue: 0,0:29:20.83,0:29:28.01,Default,,0000,0000,0000,,हमारे संसार में वास्तविक संकट सामाजिक, Dialogue: 0,0:29:28.01,0:29:32.33,Default,,0000,0000,0000,,राजनीतिक या आर्थिक नहीं हैं । Dialogue: 0,0:29:32.33,0:29:38.00,Default,,0000,0000,0000,,हमारे संकट चेतना के संकट हैं, अपने वास्तविक स्वरूप को प्रत्यक्ष अनुभव कर Dialogue: 0,0:29:38.00,0:29:41.01,Default,,0000,0000,0000,,पाने की असमर्थता । Dialogue: 0,0:29:41.01,0:29:44.87,Default,,0000,0000,0000,,प्रत्येक वस्तु और प्रत्येक व्यक्ति में इस प्रकृति Dialogue: 0,0:29:44.87,0:29:53.01,Default,,0000,0000,0000,,को पहचानने की असमर्थता । Dialogue: 0,0:29:53.01,0:29:56.33,Default,,0000,0000,0000,,बौद्ध परंपरा में, `बोधिसत्व` Dialogue: 0,0:29:56.33,0:29:59.00,Default,,0000,0000,0000,,जागृत बुद्ध प्रकृति का व्यक्ति है । Dialogue: 0,0:29:59.00,0:30:03.00,Default,,0000,0000,0000,,ब्रह्माण्ड में बोधिसत्व हर प्राणी को जागृत करने में Dialogue: 0,0:30:03.00,0:30:09.00,Default,,0000,0000,0000,,सहायता करता है, यह अनुभव करते हुए कि चेतना केवल एक ही है। Dialogue: 0,0:30:09.00,0:30:16.63,Default,,0000,0000,0000,,किसी के वास्तविक स्वरूप को जागृत करने के लिए व्यक्ति को सभी को जागृत करना चाहिए । Dialogue: 0,0:30:16.63,0:30:24.00,Default,,0000,0000,0000,,“विश्व में असंख्य सचेतन प्राणी हैं, मैं उनकी Dialogue: 0,0:30:24.00,0:30:28.57,Default,,0000,0000,0000,,जागृति में सहायता करना चाहता हूं । Dialogue: 0,0:30:28.57,0:30:31.87,Default,,0000,0000,0000,,मेरी अपूर्णताएं असंख्य हैं । Dialogue: 0,0:30:31.87,0:30:34.47,Default,,0000,0000,0000,,मैं उन पर विजय पाना चाहता हूँ। Dialogue: 0,0:30:34.47,0:30:37.97,Default,,0000,0000,0000,,धर्म अज्ञात है। Dialogue: 0,0:30:37.97,0:30:41.00,Default,,0000,0000,0000,,मैं इसे जानना चाहता हूं । Dialogue: 0,0:30:41.00,0:30:46.73,Default,,0000,0000,0000,,जागृति का मार्ग अप्राप्य है । Dialogue: 0,0:30:46.73,9:59:59.99,Default,,0000,0000,0000,,मैं इसे पाना चाहता हूं ।“\N�