WEBVTT 00:00:00.840 --> 00:00:02.096 मैं एक पेंटर हूँ। 00:00:02.120 --> 00:00:04.696 मैं बड़े साइज़ में फ़िगरेटिव पेंटिंग करती हूँ, 00:00:04.720 --> 00:00:06.120 लोगों की तस्वीरें बनाना 00:00:06.840 --> 00:00:08.039 कुछ इस तरह की। 00:00:08.840 --> 00:00:11.616 पर आज मैं आपके साथ कुछ पर्सनल बातें साझा करूँगी 00:00:11.640 --> 00:00:14.320 जिन्होंने मेरे काम और दृष्टिकोण को बदल दिया। 00:00:15.520 --> 00:00:17.216 ये ऐसा कुछ है जो हम सब झेलते है 00:00:17.240 --> 00:00:20.840 और मेरी आशा है की मेरे अनुभव किसी के काम आ सकेंगे। NOTE Paragraph 00:00:22.520 --> 00:00:26.096 मैं अपने बारे में कुछ बताती हूँ, मैं आठ बहन भाइयों में सबसे छोटी हूँ। 00:00:26.120 --> 00:00:28.296 जी हाँ, मेरे परिवार में आठ बच्चे थे। 00:00:28.320 --> 00:00:30.656 छः बड़े भाई और एक बहन। 00:00:30.680 --> 00:00:32.880 और बस यूँ समझ लीजिए कि 00:00:33.720 --> 00:00:35.736 जब हम छुट्टी में जाते थे, 00:00:35.760 --> 00:00:37.456 तो बस लेनी पड़ती थी। NOTE Paragraph 00:00:37.480 --> 00:00:38.680 (ठहाका) NOTE Paragraph 00:00:40.920 --> 00:00:43.656 मेरी सुपर मम्मी हमें शहर भर में हमारी ड्राइवरी करती थीं। 00:00:43.680 --> 00:00:46.416 स्कूल के बाद के तमाम कोर्स वग़ैरह के लिए 00:00:46.440 --> 00:00:47.640 , बस में नहीं। 00:00:48.920 --> 00:00:50.640 हमारी एक नोर्मल कार भी थी। 00:00:51.920 --> 00:00:53.736 वो मुझे आर्ट क्लास ले जाती थी, 00:00:53.760 --> 00:00:55.016 और सिर्फ़ एक और दो क्लास नहीं। 00:00:55.040 --> 00:01:00.616 जितनी भी आर्ट क्लासें थीं , सब जगह, मेरे 8 से 16 साल तक की उम्र में, 00:01:00.640 --> 00:01:02.280 क्योंकि मैं बस आर्ट ही करती थी। 00:01:02.760 --> 00:01:05.400 माँ ने न्यू यॉर्क की एक क्लास मेरे साथ ज्वाइन कर ली थी। NOTE Paragraph 00:01:06.040 --> 00:01:09.736 और आठ में सबसे छोटा होने का मतलब मुझे कुछ हथकंडे सीखने पड़े। 00:01:09.760 --> 00:01:11.296 पहला रूल: 00:01:11.320 --> 00:01:14.280 कभी बड़े भाई को अपनी बेवक़ूफ़ी पकड़ने मत दो। 00:01:15.600 --> 00:01:18.096 तो मैंने चुप और साफ़ रहना सीख लिया 00:01:18.120 --> 00:01:20.760 और नियम के हिसाब से चलना और गड़बड़ नहीं करना। NOTE Paragraph 00:01:21.520 --> 00:01:24.616 मगर जब पेंटिंग की बात आती, तो अपने रूल मैं ख़ुद बनाती थी। 00:01:24.640 --> 00:01:26.280 वो मेरी अपनी निजी दुनिया थी। 00:01:27.560 --> 00:01:30.440 14 की उम्र तक मुझे पता लग गया था कि मुझे आर्टिस्ट बनना है। 00:01:31.880 --> 00:01:35.200 मैं सोचती थी की वेटर बन कर कमा लूँगी और पेंटिंग करूँगी 00:01:36.440 --> 00:01:38.296 तो मैं अपनी पेनिंग पर काम करती रही। 00:01:38.320 --> 00:01:40.456 मैंने एम एफ ए की डिग्री ले ली, 00:01:40.480 --> 00:01:43.776 और मेरे पहले सोलो शो में, मेरे भाई ने पूछा, 00:01:43.800 --> 00:01:46.776 "ये पेंटिंग के बग़ल में लाल लाल बिंदियाँ क्या हैं?" 00:01:46.800 --> 00:01:48.800 और मैं सबसे ज़्यादा हैरान थी। 00:01:49.560 --> 00:01:52.016 लाल बिंदु का मतलब था कि पेंटिंग बिक गयी थी 00:01:52.040 --> 00:01:54.136 और मैं अपना ख़र्चा चला सकती थी 00:01:54.160 --> 00:01:55.480 पेनिंग कर के। 00:01:56.040 --> 00:01:59.376 मेरे फ़्लैट में बिजली के चार प्लग थे, 00:01:59.400 --> 00:02:02.696 और मैं अपना माइक्रोवेव और टोस्टर एक साथ नहीं लगा सकती थी, 00:02:02.720 --> 00:02:04.960 मगर फिर भी, मैं किराया देने जितना कमा रही थी। 00:02:05.480 --> 00:02:06.680 तो मैं काफ़ी ख़ुश थी। NOTE Paragraph 00:02:08.000 --> 00:02:10.120 ये एक पेंटिंग है जो मैंने उस समय बनाई थी। 00:02:11.400 --> 00:02:13.536 मैं इसे बिलकुल असली बनाना चाहती थी। 00:02:13.560 --> 00:02:15.960 एकदम सटीक और जीवंत। 00:02:17.400 --> 00:02:21.720 ये काम मुझे एकांत देता था और पूरी तरह मेरे वश में था। NOTE Paragraph 00:02:23.680 --> 00:02:27.376 तब से, लोगों की पानी में तस्वीरें बनाने को मैंने अपना करियर बना लिया। 00:02:27.400 --> 00:02:31.416 बाथटब और फ़व्वारे बिलकुल परिभाषित माहौल देते हैं। 00:02:31.440 --> 00:02:33.176 एकांत और निजी, 00:02:33.200 --> 00:02:37.416 और पानी पेंट करना ऐसी जटिल चुनौती थी जिस में मैं एक दशक डूबी रही। 00:02:37.440 --> 00:02:39.976 मैंने क़रीब दो सौ ऐसी पेंटिंग बनाईं, 00:02:40.000 --> 00:02:41.720 कुछ तो 6 से 8 फ़ीट लम्बी, 00:02:42.440 --> 00:02:43.680 जैसे की ये। 00:02:44.240 --> 00:02:48.736 इस पेंटिंग के लिए मैंने पानी में आटा घोल कर उसे धुँधला बनाया 00:02:48.760 --> 00:02:51.736 और फिर इस के सतह पर तेल मल कर 00:02:51.760 --> 00:02:53.096 उस में इस लड़की को लगा दिया, 00:02:53.120 --> 00:02:54.736 और जब मैंने उस पर रोशनी डाली, 00:02:54.760 --> 00:02:57.520 तो वो इतना ख़ूबसूरत था की उसे पेंट किए बिना रहा नहीं गया। 00:02:58.080 --> 00:03:01.760 मैं इस तरह की बेचैन सी जिज्ञासा से भारी थी, 00:03:02.560 --> 00:03:04.496 हमेशा कुछ नया जोड़ने की कोशिश करती हुई: 00:03:04.520 --> 00:03:06.480 विनाइल, भाप, शीशा। 00:03:07.000 --> 00:03:10.776 एक बार मैंने अपने पूरे सर और बालों में वैसलीन लगा ली 00:03:10.800 --> 00:03:12.640 बस जानने के लिए की कैसा दिखेगा। 00:03:13.200 --> 00:03:14.416 आप मत करिएगा। NOTE Paragraph 00:03:14.440 --> 00:03:15.880 (ठहाका) NOTE Paragraph 00:03:18.120 --> 00:03:19.816 तो सब सही चल रहा था। 00:03:19.840 --> 00:03:21.120 मैं अपने रास्ते खोज रही थे। 00:03:21.600 --> 00:03:23.776 मैं उत्सुक थी, उत्साहित थी। 00:03:23.800 --> 00:03:25.280 और आर्टिस्ट लोगों से घिरी हुई थी, 00:03:25.880 --> 00:03:27.800 हमेशा नए इवेंट और ओपनिंग में मौजूद। 00:03:28.320 --> 00:03:31.216 थोड़ी सफलता और शोहरत भी मिलने लगी थी। 00:03:31.240 --> 00:03:34.600 और मेरे नए घर में चार से ज़्यादा बिजली के प्लग भी थे। 00:03:36.280 --> 00:03:38.136 मेरी माँ और में देर रात तक जाग कर 00:03:38.160 --> 00:03:41.296 अपने नए प्रयोगों पर एक दूसरे को बढ़ावा देते रहते थे। 00:03:41.320 --> 00:03:43.040 वो मिट्टी के बर्तन बनाती थीं । NOTE Paragraph 00:03:44.960 --> 00:03:47.416 मेरे दोस्त बो ने ये पेंटिंग बनायी थी 00:03:47.440 --> 00:03:49.816 अपनी पत्नी और मेरे समंदर किनारे नाचते हुए, 00:03:49.840 --> 00:03:51.507 और वो इसे कहता था "द लाइट इयर्स"। 00:03:51.960 --> 00:03:54.576 मैंने पूछा की इस का क्या अर्थ हुआ, और उस ने कहा, 00:03:54.600 --> 00:03:58.160 "देखो, जब हम बड़े होते हैं, तो बचपन पीछे छूट जाता है, 00:03:58.960 --> 00:04:02.320 मगर तुम ने अपनी ज़िम्मेदारियों के बीच भी उसे जीवित रखा है।" 00:04:03.000 --> 00:04:04.720 बस, यही मतलब था द लाइट इयर्स का। NOTE Paragraph 00:04:06.560 --> 00:04:08.536 8 अक्टूबर 2011 को, 00:04:08.560 --> 00:04:10.616 द लाइट इयर्स का अंत हो गया। 00:04:10.640 --> 00:04:12.520 मेरे माँ को फेफड़े का कैंसर निकला। 00:04:15.160 --> 00:04:17.610 वो उनकी हड्डियों और दिमाग़ तक फैल चुका था। 00:04:18.680 --> 00:04:20.935 जब उन्होंने मुझे बताया, तो मैं गिर गयी। 00:04:20.959 --> 00:04:22.200 मेरी दुनिया ख़त्म हो गयी। 00:04:23.720 --> 00:04:26.136 और जब मैं संभली और उन्हें देखा, 00:04:26.160 --> 00:04:27.736 तो लगा की मेरा दुःख बहुत छोटा था। 00:04:27.760 --> 00:04:29.800 यहाँ मुद्दा माँ के मदद करने का था। 00:04:31.000 --> 00:04:32.416 मेरे पिता डॉक्टर हैं, 00:04:32.440 --> 00:04:36.016 और उनकी वजह से हमें बहुत सहारा मिला, 00:04:36.040 --> 00:04:38.200 और उन्होंने बड़े बहतरीन तरीक़े से माँ का ख़याल रखा। 00:04:38.720 --> 00:04:41.496 पर मैं भी जो बन पड़े, करना चाहती थी, 00:04:41.520 --> 00:04:44.096 तो मैंने सब कुछ करने लगी। 00:04:44.120 --> 00:04:45.320 हम सब करने लगे। 00:04:45.720 --> 00:04:47.656 वैकल्पिक दवाई रिसर्च करी, 00:04:47.680 --> 00:04:50.760 खानपान, ऐक्यूपंक्चर। 00:04:51.600 --> 00:04:52.976 आख़िर मैंने उन से पूछा, 00:04:53.000 --> 00:04:54.600 "तुम चाहती हो कि मैं ये करूँ?" 00:04:55.280 --> 00:04:56.520 और उन्होंने कहा, "न।" 00:04:57.360 --> 00:05:00.480 उन्होंने कहा, "अपनी ताक़त बचा के रखो। आगे ज़रूरत होगी।" NOTE Paragraph 00:05:04.160 --> 00:05:05.896 उन्हें पता था की क्या हो रहा है 00:05:05.920 --> 00:05:07.336 उन्हें वो पता था जो डाक्टरों 00:05:07.360 --> 00:05:09.856 और विशेषज्ञों और इंटर्नेट को भी नहीं पता था: 00:05:09.880 --> 00:05:11.840 की वो इस से कैसे गुज़रना चाहती थी। 00:05:12.600 --> 00:05:13.840 बस उनसे पूछने भर की देर थी 00:05:15.840 --> 00:05:17.936 और मुझे समझ आया कि सब ठीक करने में 00:05:17.960 --> 00:05:19.160 तो मैं ये चूक जाऊँगी। 00:05:20.440 --> 00:05:22.056 तो मैंने बस उनके साथ समय बिताना शुरू किया, 00:05:22.080 --> 00:05:24.480 चाहे जैसे भी हो, चाहे जैसी भी स्थिति आए, 00:05:25.400 --> 00:05:26.760 बस उनकी बात सुनना शुरू किया। 00:05:28.320 --> 00:05:32.360 जहाँ मैं पहले बहस में लगी थी, अब बस समर्पण कर चुकी थी, 00:05:33.200 --> 00:05:35.816 होनी को बदलने की जद्दोजहद को छोड़ कर 00:05:35.840 --> 00:05:38.400 बस उनके साथ रहने को तैयार हो कर। 00:05:39.760 --> 00:05:40.960 जैसे समय की गति ही धीमी हो गयी थी, 00:05:41.840 --> 00:05:43.360 दिन, तारीख सब बेमानी हो गए थे। NOTE Paragraph 00:05:45.000 --> 00:05:46.480 हमने एक दिनचर्या बना ली थी। 00:05:47.440 --> 00:05:50.760 हर सुबह मैं उनके बिस्तर में घुस कर चिपक कर सो जाती थी। 00:05:51.160 --> 00:05:52.856 मेरा भाई नाश्ते के लिए आ जाता था 00:05:52.880 --> 00:05:55.656 और हमें उसके कार की आवाज़ सुन कर बहुत अच्छा लगता था। 00:05:55.680 --> 00:05:58.440 और में उन्हें उठा कर, उनके दोनो हाथ थाम कर 00:05:59.200 --> 00:06:01.120 उन्हें रसोई तक ले जाती थी। 00:06:01.960 --> 00:06:05.216 उन्हें ख़ुद के बनाए बड़े से मग में 00:06:05.240 --> 00:06:07.040 कॉफ़ी पीना बड़ा अच्छा लगता था, 00:06:07.800 --> 00:06:09.960 और आइरिश सोडा ब्रेड उन्हें पसंद थी। 00:06:11.600 --> 00:06:12.976 फिर वो स्नान करती थीं, 00:06:13.000 --> 00:06:14.256 उन्हें बहुत अच्छा लगता था। 00:06:14.280 --> 00:06:15.816 उन्हें गरम पानी पसंद था, 00:06:15.840 --> 00:06:19.296 और में इसे जितना अच्छा हो सके, कर देती थी, 00:06:19.320 --> 00:06:20.520 एक स्पा जैसा। 00:06:21.360 --> 00:06:23.096 कभी कभी मेरी बहन भी मदद करती थी। 00:06:23.120 --> 00:06:25.416 हम गरम किए तौलिए 00:06:25.440 --> 00:06:27.576 और चप्पलें तैयार रखते थे 00:06:27.600 --> 00:06:29.560 जिस से एक सेकेंड भी उन्हें ठंड न लगे। 00:06:30.920 --> 00:06:32.200 हम उनके बाल सुखाते थे। 00:06:33.200 --> 00:06:36.056 मेरे भाई शाम को अपने बच्चों के साथ आ जाते थे, 00:06:36.080 --> 00:06:37.920 और वो दिन का सबसे ख़ास हिस्सा होता था। NOTE Paragraph 00:06:39.080 --> 00:06:41.400 धीरे धीरे, वहील चेअर का इस्तेमाल होने लगा, 00:06:42.080 --> 00:06:43.776 और उनकी भूख मिट गयी, 00:06:43.800 --> 00:06:48.960 तो बहुत ही छोटे छोटे कपों में काफ़ी पीने लगीं। 00:06:51.120 --> 00:06:52.976 और अब मैं उनका ध्यान नहीं रख पाती थी, 00:06:53.000 --> 00:06:55.280 तो हमने नहाने में मदद करने के लिए किसी को रखा। NOTE Paragraph 00:06:56.440 --> 00:06:59.056 ये दिनचर्या हमारे लिए 00:06:59.080 --> 00:07:00.840 ज़रूरी पूजा जैसी हो गयी, 00:07:01.920 --> 00:07:03.736 और हम दिन पर दिन इसे करते रहे 00:07:03.760 --> 00:07:04.960 जैसे जैसे कैन्सर बढ़ा। 00:07:05.560 --> 00:07:07.696 ये बहुत कठिन और नम्र कर देने वाला अनुभव था, 00:07:07.720 --> 00:07:10.720 और बिलकुल वैसा था जैसा हम चाहते थे। 00:07:12.160 --> 00:07:14.440 हम इसे "सुंदर कठिनाई" कहते थे। NOTE Paragraph 00:07:16.280 --> 00:07:19.976 वो अक्टूबर 26 2012 को चल बसीं। 00:07:20.000 --> 00:07:23.680 कैन्सर पता लगने के 1 साल और 3 हफ़्ते बाद। 00:07:24.760 --> 00:07:25.960 वो बस चली गयीं। 00:07:29.520 --> 00:07:31.496 मेरे भाई, बहन, पिता और मैं 00:07:31.520 --> 00:07:35.120 एक दूसरे को सहारा देने के लिए साथ आए। 00:07:35.903 --> 00:07:37.856 मानो हमारे पुराने रिश्ते 00:07:37.880 --> 00:07:39.936 और रोल हवा हो गए 00:07:39.960 --> 00:07:42.616 और हम बस इस अनजान जगह साथ थे, 00:07:42.640 --> 00:07:44.496 एक सी चीज़ को महसूस करते 00:07:44.520 --> 00:07:46.000 और एक दूसरे का ख़याल रखते। 00:07:47.640 --> 00:07:49.920 मैं उनकी बहुत शुक्रगुज़ार हूँ। NOTE Paragraph 00:07:53.160 --> 00:07:56.776 मैं अकेले स्टूडीओ में काम करते हुए अपना समय बिताती हूँ, 00:07:56.800 --> 00:07:59.656 मुझे अंदाज़ा ही नहीं था की ऐसे जुड़ना 00:07:59.680 --> 00:08:02.616 इतना ज़रूरी और इतना सहारा दे सकता है। 00:08:02.640 --> 00:08:04.440 ये सब से महत्वपूर्ण बात थी। 00:08:06.120 --> 00:08:07.520 मैंने हमेशा यही तो चाहा था। NOTE Paragraph 00:08:09.160 --> 00:08:13.920 तो अंत्येष्टि के बाद, मुझे वापस अपने स्टूडीओ जाना था। 00:08:15.600 --> 00:08:18.416 मैंने अपना समान कार में भरा और ब्रुकलिन चली गयी, 00:08:18.440 --> 00:08:21.360 क्यूँकि मैं पेंटिंग ही जानती थी, मैं उसमें जुट गयी। 00:08:22.400 --> 00:08:23.680 और फिर कुछ अलग ही हुआ। 00:08:27.120 --> 00:08:31.480 जैसे अपने भीतर भारी चीज़ों को आज़ादी मिल गयी हो। 00:08:33.919 --> 00:08:38.895 वो सुरक्षित, सम्हाल के सब करने वाला तारिक 00:08:38.919 --> 00:08:41.856 जिस से मैं अपना सारा काम करती थी, 00:08:41.880 --> 00:08:43.135 वो सब झूठ था, 00:08:43.159 --> 00:08:44.360 वो काम ही नहीं आया। 00:08:45.280 --> 00:08:48.080 और मुझे डर गयी - अब मेरा पेंट करने का मन ही नहीं करता था। NOTE Paragraph 00:08:51.120 --> 00:08:52.576 तो मैं जंगलों में चली गयी। 00:08:52.600 --> 00:08:56.216 मैंने सोचा, बाहर निकालने की कोशिश करते हैं, 00:08:56.240 --> 00:09:00.056 मैंने अपने पेंट लिए, और मैं प्रकृति चित्र नहीं बनाती थी, 00:09:00.080 --> 00:09:02.696 और किसी ख़ास विधा में तो बिलकुल नहीं बनाती थी, 00:09:02.720 --> 00:09:05.216 तो ना कोई लगाव था, ना कोई आशा, 00:09:05.240 --> 00:09:08.296 और मैं खुल कर पेंट करने लगी। 00:09:08.320 --> 00:09:10.376 मैंने एक पानी वाली पेंटिंग को 00:09:10.400 --> 00:09:12.320 रात भर बाहर छोड़ दिया। 00:09:13.000 --> 00:09:16.176 जंगल में एक रोशनी के बग़ल में। 00:09:16.200 --> 00:09:19.160 सुबह तक इसमें तमाम कीड़े चिपक गए थे। 00:09:20.520 --> 00:09:23.136 मगर मुझे फ़र्क़ नहीं पड़ा। किसी बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा। 00:09:23.160 --> 00:09:25.536 उन सब पेंटिंग को स्टूडीओ ले जा के, 00:09:25.560 --> 00:09:28.216 उन्हें घिसा, उनमे छेद किए, 00:09:28.240 --> 00:09:30.736 उनपे थिनर उँडेल दिया, 00:09:30.760 --> 00:09:33.056 और पेंट लगाया, उनके ऊपर और बनाया, 00:09:33.080 --> 00:09:34.280 कही कोई प्लान नहीं था, 00:09:35.320 --> 00:09:37.130 मगर मैं देख रही थी की कुछ हो रहा था। NOTE Paragraph 00:09:38.680 --> 00:09:40.585 ये वो कीड़े वाली पेंटिंग है। 00:09:41.960 --> 00:09:44.096 मैं कोई असल जगह बनाने की कोशिश में नहीं थी। 00:09:44.120 --> 00:09:48.576 इनकी उथलपथल और गड़बड़ियाँ मुझे आकर्षित करते थे, 00:09:48.600 --> 00:09:50.280 और कुछ नया सा घटना शुरू हुआ गया। 00:09:51.680 --> 00:09:53.160 मैं फिर से जिज्ञासु हो उठी। 00:09:54.320 --> 00:09:56.520 ये जंगलों में बनायी एक और पेंटिंग है। NOTE Paragraph 00:09:58.320 --> 00:10:00.136 बस एक कमी थी, 00:10:00.160 --> 00:10:03.096 की मेरे रंग अब मेरे बस में नहीं रह गए थे। 00:10:03.120 --> 00:10:06.136 बस अपने आप सब होता चलता था, 00:10:06.160 --> 00:10:08.880 ना समझना ना बताना। 00:10:09.760 --> 00:10:14.016 और वही अस्तव्यस्त उबाल भरी हलचल 00:10:14.040 --> 00:10:15.840 एक कहानी कह रही थी। 00:10:18.240 --> 00:10:21.440 मैं अपने विद्यार्थी जीवन जितनी उत्सुक और जिज्ञासु हो गयी थी। NOTE Paragraph 00:10:22.000 --> 00:10:26.096 और फिर में इन पेंटिंगो में लोगों को डालने लगी, 00:10:26.120 --> 00:10:27.896 और मुझे ये नया परिवेश बहुत अच्छा लगा 00:10:27.920 --> 00:10:32.200 मैं लोगों को और इस परिवेश दोनो को मिलना चाहती थी। 00:10:33.760 --> 00:10:35.896 जब मुझे समझ आया की ये कैसे करना है, 00:10:35.920 --> 00:10:38.696 तो मैं बिलकुल पसर से गयी, 00:10:38.720 --> 00:10:41.576 शायद अड्रेनलिन के वजह से, 00:10:41.600 --> 00:10:44.536 मगर मेरे लिए वो बढ़िया लक्षण था। NOTE Paragraph 00:10:44.560 --> 00:10:47.696 तो अब मैं आपको दिखाना चाहती हूँ की मैं क्या करती रही हूँ। 00:10:47.720 --> 00:10:51.776 अभी तक इसे किसी ने नहीं देखा है, समझ लीजिए, ख़ास झलक है, 00:10:51.800 --> 00:10:53.056 मेरे अगले शो की, 00:10:53.080 --> 00:10:54.280 अब तक इतना हो चुका है। 00:10:56.280 --> 00:10:57.960 विशाल जगह 00:10:59.000 --> 00:11:01.080 अलग थलग बाथटब की जगह। 00:11:01.480 --> 00:11:03.640 बाहर की ओर जाना, अंदर बंद होने के बजाय। 00:11:05.480 --> 00:11:06.680 कंट्रोल छोड़ना, 00:11:07.880 --> 00:11:09.896 गड़बड़ को एकाकार करना, 00:11:09.920 --> 00:11:11.120 इजाज़त देना -- 00:11:12.160 --> 00:11:13.840 कि खोट होती है तो हो जाए। 00:11:15.680 --> 00:11:17.336 और उन्हीं त्रुटियों में, 00:11:17.360 --> 00:11:19.256 एक नाज़ुकपन का एहसास निकालना। 00:11:19.280 --> 00:11:23.440 मैं अपने अंदर की गहरी भावनाओं तक पहुँच सकी, 00:11:26.000 --> 00:11:27.200 उस इंसानी जुड़ाव तक 00:11:28.400 --> 00:11:32.320 जो तब ही हो सकता है जब पूरी तरह से आज़ाद हो कर जुड़ा जाए। 00:11:33.560 --> 00:11:35.275 अपनी पेंटिंग में वही लाना चाहती हूँ। NOTE Paragraph 00:11:38.280 --> 00:11:39.560 तो मैंने ये सीखा कि --- 00:11:41.240 --> 00:11:44.240 हम अब अपने जीवन में बड़ी त्रासदियों से गुज़रेंगे, 00:11:45.000 --> 00:11:47.056 शायद नौकरी, करियर, 00:11:47.080 --> 00:11:50.360 रिश्ते, प्यार, जवानी से जुड़े। 00:11:51.520 --> 00:11:53.736 हम बीमार हो जाएँगे, 00:11:53.760 --> 00:11:54.960 हम अपनो को खो देंगे। 00:11:56.240 --> 00:11:58.656 इस तरह के नुक़सान हमारे वश के बाहर हैं। 00:11:58.680 --> 00:11:59.880 ये कभी भी हो सकते हैं, 00:12:00.720 --> 00:12:02.320 और ये हमें तोड़ डालते हैं। 00:12:03.520 --> 00:12:05.520 तो मैं कहती हूँ , तोड़ने दो। 00:12:06.840 --> 00:12:09.400 गिर जाओ। अपनी क्षणभंगुरता का सामना करो। 00:12:10.920 --> 00:12:12.640 उसे रोकने की नाकाम कोशिश से आगे जाओ 00:12:13.280 --> 00:12:14.960 उसे बदलने में मत उलझो। 00:12:15.440 --> 00:12:16.800 ऐसा बस होता है। 00:12:19.160 --> 00:12:20.616 और तब वो जगह मिलेगी, 00:12:20.640 --> 00:12:23.816 और उस जगह में अपनी कमज़ोरी से सामना होगा, 00:12:23.840 --> 00:12:25.536 वो मिलेगा जो आपके लिए सबसे ज़रूरी होगा, 00:12:25.560 --> 00:12:27.240 आपका सबसे गहरा ध्येय। 00:12:28.640 --> 00:12:30.320 और उस से जुड़ने के लिए उत्सुक 00:12:31.600 --> 00:12:34.720 जो वहाँ है, 00:12:35.440 --> 00:12:37.240 जागता और जीता। 00:12:38.120 --> 00:12:39.480 हम सब वही खोज रहे हैं। NOTE Paragraph 00:12:40.800 --> 00:12:43.920 आइए कुछ ख़ूबसूरत सा ढूँढे 00:12:44.720 --> 00:12:47.680 इस दुनिया में - जो अनजान, अप्रत्याशित, 00:12:48.760 --> 00:12:50.080 बल्कि बदसूरत भी है। NOTE Paragraph 00:12:51.320 --> 00:12:52.536 धन्यवाद। NOTE Paragraph 00:12:52.560 --> 00:12:55.639 (तालियाँ)