ए, सी, ई, डी, बी, के.
नहीं, यह कोई क्रमरहित,
बेतरतीब अक्षर नहीं है
ये विटामिन (पोषक पदार्थ) है
और जैसे शब्द बनाते है वाक्य
उसी तरह विटामिन भी कर्म करते है
जो कि शरीर को चलायमान रखता है
विटामिन आर्गेनिक पदार्थ (जैविक) है,
जिसे हमे कम मात्रा में सेवन करना आवश्यक है
ताकी कार्य चलते रहे
वे है शरीर के बनाने वाले, बचाने वाले
और उसकी मरम्मत करने वाले,
जो मदद करते है मॉस एवं हड्डीयों को बनाने में,
पोषक तत्वों को काम में लेने में,
उर्जा को संजोने और काम में लेने में,
घाव ठीक करने में.
अगर आपको विटामिन की ज़रूरत
की सत्यता पे शक है ,
तो एक दृश्य की कलपना करे
जिसमे एक नाविक हो
जिसके पास कोई पहुँच न हो
ताज़ा फल, सब्जी इत्यादि की (पोषक से भरी)
उन्हें स्कर्वी नमक रोग हो जाता था।
लेकिन विटामिन सी,
जो कि पाया जाता है फल, सब्जी में,
वह एक आसान उपाय था इस रोग से बचने का.
हलाकि बैक्टीरिया, फंगस, पेड़
खुद के विटामिन बना सकते है,
पर हमारा शरीर इसमें सक्षम नहीं है, तो हमे
यह किसी दुसरे स्रोत से लेना होगा.
मगर हमारा शरीर बाहर से अन्दर विटामिन
आखिर लाता कैसे है?
यह निर्भर करता है
आपके खाद्य पे.
विटामिन २ प्रकार के होते है:
लिपिड-सोलुबल (चर्बी में घुलने वाले), और
पानी में घुलने वाले,
और यहाँ अंतर तय करता है
कि कैसे शरीर
इन्हें में जाएगा, संजोयेगा
और अत्यधिक मात्रा से केसे निपटेगा
वाटर-सोलुबल में आते है
विटामिन सी
और बी-काम्प्लेक्स-विटामिन
जोकि ८ विभिन्न पदार्थ से बने होते है
जिसमे से हर कोई ,
कोई विशेष कार्य करता है.
यह फल, सब्जी और अनाज के
पानी से भरे हिस्सों में घुले रहते है,
अर्थात, इनके शरीर से गुजरने का रास्ता
बड़ा सीधा-साधा होता है.
एक बार शरीर के अन्दर आने पर,
यह खाना पच जाता है
और इसके अंदर के पोषक पदार्थ
को खून द्वारा संचारित किया जाता है,
क्यूंकि खून का प्लाज्मा पानी पर आधारित
होता है, तो
वाटर-सोलुबल विटामिन सी और बी
वहा से हट सकते है
और पूरी आजादी से शरीर में भ्रमण
कर सकते है.
लिपिड-सोलुबल विटामिन,
जोकि चर्बी में घुल जाता है
और पाया जाता है खाद्य पदार्थ में, जिसमे
शामिल है दूधके सामान, मक्खन, तेल,
इनका खून से होता हुआ रास्ता ज़रा ज्यादा
रोमांचक होता है
येह विटामिन स्टोमक (पेट) और इंतेसटीन (आत)
से हो के गुज़रते है,
जहा एक अम्लीय पदार्थ जो लीवर
से निकलता है जिसे 'बाइल' कहते है, बहता है,
यह फैट को तोड़ता है और तैयार करता है
आत द्वारा अवशोषित कर लिए जाने का
क्यों-की फैट-सोलुबल विटामिन, खून के
पानी तत्त्व को इस्तेमाल नहीं कर पाते
तो उन्हें किसी और चीज़ की सहायता की
आवश्यकता होती है
और ये ज़रूरत पूरी करते है 'प्रोटीन',
जोकी एक कौरिएर की तरह कम करते है,
जेसे की फैट-सोलुबल को ब्लड में ले जाना
और पुरे शरीर मे,
तो, वाटर-सोलुबल और
फैट-सोलुब्ले विटामिन के बीच का अंतर
तय करता है कि यह कैसे खून में जाते है,
और साथ ही इनकी संजोयाँ और
शरीर से निकासी का भी
शरीर वाटर-सोलुबल विटामिन को
खून में फ़ैलाने में
अत्यधिक सक्षम है
मतलब यह कि, ज्यादातर तत्व किडनी से
बड़ी आसानी से बाहर निकासित हो जाते है.
जिसके कारण,
इन वाटर-सोलुबल विटामिन को
हर दिन पुनः अवशोषित करना
आवश्यक है, उस खाने से जिसे हम खाते है.
लेकिन फैट-सोलुबल में
रुकने की क्षमता होती है
क्यूकी यह लीवर और फैट कोशिकाओं में
घुल जाती है.
शरीर इन चीजों को एक तैखाने की तरह
रखता है,
जहा वो विटामिन को संजोता और
ज़रूरत के समय इस्तेमाल में लाता है.
अर्थात, हमे इन्हें ज़रूरत से अधिक नहीं
संजोना चाहिए
क्यूकी, मूल रूप से शरीर इनसे काफी
भरा रहता है
एक बार हम शरीर के यातायात नियंत्रण
और संजोयन को समझ जाए,
तो बस विटामिन के पास वही कार्य बचता है
जिसके लिए वे खाए गए थे
कुछ, जेसे की बी-काम्प्लेक्स-विटामिन
कोएन्झायेम्स बनता है,
जिसका कार्य होता है, एन्ज्य्म की मदद करना
खाने से उर्जा निकलने में.
कुछ और बी-विटामिन उस उर्जा को
इस्तेमाल करने में सहायता करता है.
विटामिन सी से, आपको इन्फेक्शनसे(संक्रमण) लड्ने
और कोलेजन (श्लेषजन) बनाने की शमता मिलती है
कोलेजन, एक तरह का ऊतक होता है, जिससे हड्डी
, दांत बनते हैं और घाव ठीक होते है.
विटामिन ए, से सफ़ेद खून की कोशिका बनी है,
जोकि शरीर की प्रतिरोधक शमता होती है,
और साथ ही हड्डियों को आकार देती है
और आँखों की सेहत भी बनाए रखती है.
विटामिन डी, कैल्शियम और फॉस्फोरस
एकत्र करता है, जिससे हड्डी बनती है,
और विटामिन ई, एक एंटी-ऑक्सीडेंट
(प्रतिउपचायक) के तरह काम करता है,
जिससे शरीर के हानिकारक चीजों को दूर करने
का तरीका मिलता है
आखिर में विटामिन के,
खून के थक्के बनाने में मदद करता है
जो यह प्रोटीन को
यह काम करने में सहायता करते है
विटामिन की भिन्नता के बिना
इन्सान को कमियों का सामना करना पड़ता है,
जो की बड़ी सारी परेशानी पेश कर सकता है,
जेसे की फटीग(थकान) , नर्व डैमेज,
हार्ट डिसऑर्डर,
और बिमारिया जेसे की बालवक्र और रूसीदार.
दूसरी तरफ, अत्यधिक विटामिन शरीर के लिए
विषैला / घातक हो सकते है,
जिससे उस अंध-विश्वास की हवा निकल जाती है
जो कहता है 'ढेर सरे विटामिन से लादना,
अच्छा सुझाव है, असलियत में यह पूरा खेल है
सही तालमेल बनाने का,
और विटामिन का खज़ाना पाने का |