मैं वाशिंगटन, डी.सी. मे रहता हूँ,
मगर में भारत के उड़ीसा राज्य के सिंधकेला
नाम के गाँव में पला बढ़ा.
मेरे पिता एक सरकारी कर्मचारी थे.
मेरी माँ पढ़ लिख नहीं सकती,
मगर वो
मुझसे हमेशा कहती थी कि,
"एक राजा अपने राज्य में ही
पूजा जाता है |
एक कवि की इज्ज़त हर जगह होती है."
तो मैं बड़ा होकर एक कवि बनना चाहता था.
मगर मैं लगभग कभी भी कॉलेज नहीं गया
जबतक एक मौसी ने मुझे आर्थिक तौर पर
मदद करने की पेशकश नहीं की.
मैं संबलपुर पढने चला गया,
उस क्षेत्र का सबसे बड़ा शहर,
जहा, कॉलेज में, मैंने टीवी (दूरदर्शन)
पहली बार देखा.
मेरा सपना था मैं यूनाइटेड स्टेट्स जाऊ
उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए.
जब वह अवसर आया,
तब मैं २ महासागरों को पार कर,
उधार लिए पैसों से
एक यात्रा की टिकेट
और केवल २०डॉलर का नोट जेब में था.
यू.एस. मे, मै अनुसंधान केंद्र
में कार्य करता था,
और खाली समय में, अर्थशास्त्र के
लेक्चर लेता था.
और जो भी कुछ मैं कमाता था,
मै अपने खर्चे उठता था और फिर मै उन पैसों
को घर अपने भाई और पिता के पास
भेज देता था.
मेरी कहानी कोई अनोखी नहीं है.
लाखों लोग हर साल प्रवासी होते हैं.
परिवार की मदद से, वो
महासागरो को पार,
रेगिस्तान, नदी, पहाड़ सब को
पार करते हैं.
वे अपनी ज़िन्दगी जोखिम में डाल
ख्वाब को वास्तविकता में बदलते है
और वो ख्वाब बड़ा ही सीधा सा है,
एक नौकरी होना, जिससे घर वापस कुछ पैसे
भेज सके
और परिवार की मदद कर सके,
जिन्होंने उनकी पहले मदद की थी.
दुनिया में २३.२ करोड़ ऐसे लोग है जो
अंतररास्ट्रीय प्रवास करते हैं,
ये वो लोग है जो उस देश में रहते है
जहाँ उनका जन्म नहीं हुआ.
अगर एक ऐसा देश बनाया जाए
जिसमे सिर्फ इसी तरह के लोग हो,
तो वहा की जन संख्या इतनी ज्यादा होगी
जो ब्राज़ील जैसे देश को पीछे छोड़ दे.
अर्थशास्त्र के हिसाब से
ये फ्रांस को भी पीछे छोड़ देगा.
करीब १८ करोड़ लोग, गरीब देशो से हैं,
जो उनके घरो में पैसे लगातार भेजते रहते है.
यह पैसे रेमित्तान्सस (प्रेषण) कहलाते है.
तथ्य जो आपको आश्चर्य में डाल सकते है :
४१३ बिलियन(अरब) डॉलर
रेमित्तान्सस थे पिछले साल के
प्रवासियों द्वारा विकासशील देशो में
भेजा जाने वाला पैसा
विकासशील देशो के प्रवासियों द्वारा,
विकासशील देशो में भेजा जाने वाला
४१३ बिलियन(अरब) डॉलर.
यह एक उल्लेखनीय संख्या है क्यूंकि
यह ३ गुना है
कुल विकास सहयता पैसों का.
और फिर भी, आप और मै,
मेरे सहयोगी वाशिंगटन से,
हम अन्तहीन चर्चा और
वार्ता करते है विकास सहायक की,
जबकि हम रेमित्तान्सस को अनदेखा कर देते है.
सत्य है कि, लोग २०० डॉलर
हर माह तक भेजते हैं औसतन
किंतु, हर माह लगातार,
लाखो लोगो द्वारा,
यह पैसा विदेशी मुद्रा के चलन में जुड़ जाता हैं
तो पिछले साल भारत को $७२ अरब मिले,
उसके आय.टि . निर्यात से ज्यादा.
इजिप्त में भेजी हुई रक्कम तीन गुणा है
सुएझ कनाल के उत्पन्न से।
ताजिकीस्तान मे,
भेजी गाई राशी जी.ड़ि.पी के ४२ प्रतिशत है।
और गरीब, छोटे, नाजूक स्तिथीवाले,
टकराव करनेवाले देशो मे,
भेजा गया उत्त्पन्न जीवन रेखा है।
जैसे कि सोमालिया या हैती।
अचंभित करने वाला नही कि इतनी बडी नगद का
अर्थव्यवस्था और गरीब लोगो पर
बडा असर होता होगा।
भेजी गइ नगद, निजी निवेश जैसी,
वह वापस नहीं जाती
जब देश के मुसीबत के इशारे हो|
असल में यह बिमा की तरह काम करती है|
जब घरवाले मुसीबत में होते है,
कठिनाई से जूझते है,
भेजी जानेवाली नगद बढती है,
यह बिमा की तरह काम करती है|
विस्थापित और पैसे भेजते है|
विकाश के लिए मदद राशि की तरह,
उसे शासकीय संस्था के माध्यम से,सरकार के माध्यम से
नहीं जाना होता, भेजे जानी वाली नगद
सीधा गरीबो तक,
और घरवालो तक पहुँचती हैं,
और बहुत बार व्यावसायिक सलाह के साथ|
तो नेपाल में, गरीबो का हिस्सा
१९५५ में ४२ प्रतिशत था,
गरीबों का हिस्सा पूरी आबादी में|
२००५ से, दस साल बाद,
सरकारी और पैसो की समस्या के समय
गरीब लोगो का हिस्सा ३१ प्रतिशत तक गिरा|
दारिद्र्य में यह गिरावट, बहुत हद तक,
लगभग उसमे से आधा, भारत से
भेजी गई नगदी से था
एक और गरीब देश|
साल्वाडोर में, शाला छोड़ने वालो की
बच्चो की संख्या उन परिवारों में कम हैं
जहाँ भेजी गई नगद प्राप्त होती हैं|
मेक्सिको और श्री लंका में,
नवजात शिशु के वजन उन परिवारों में ज्यादा हैं
जहाँ भेजी जाने वाली नगद आती हैं|
भेजी जाने वाली नगद ध्यान से लपेटे डॉलर्स है|
विस्थापित घर पे पैसे खाना,
जरुरी चीजे खरीदना, घर बनाना,
शिक्षा निधी,
बड़ो का स्वास्थ्य, व्यवसाय निवेश
दोस्त और कुटुंब के लिए|
विस्थापित लोग और पैसे भेजते है|
अगर कोई शादी या ऑपरेशन होता है|
और विस्थापित लोग पैसे
बहुत बार भेजते है,
अप्रत्याशित मृत्यु जिसमें
वो नहीं जा सकते|
यह सभी अच्छे के लिए ही जाता है,
भेजे जाने वाले नगदी पे
कुछ प्रतिबन्ध है
४०० अब्ज डॉलर्स भेजे जानी वाली नगद|
उसमे से सबसे बड़ी
पैसे भेजने के लिए लगने वाली बड़ी कीमत|
पैसे भेजने वाली कंपनिया शुल्क
गरीबो के हिसाब से रखते है|
वे कहेंगे, " ५०० डॉलर्स तक
भेजने के लिए
३० डॉलर्स शुल्क है|
अगर आप गरीब है और
आप को सिर्फ २०० डॉलर्स भेजने है
आप को $३० शुल्क भरना ही पड़ेगा|
दुनिया का भेजे जाने का शुल्क औसत
आठ प्रतिशत है|
इसका मतलब आप १०० डॉलर्स भेजते हो,
आप के कुटुंब तक सिर्फ
९२ डॉलर्स पहुचेंगे|
अफ्रीका में पैसे भेजने का शुल्क
और ज्यादा है|
१२ प्रतिशत|
अफ्रीका के अंदर पैसे भेजने के लिए
उससे भी ज्यादा पैसे लगते है,
२० प्रतिशत से ज्यादा|
उदाहरनार्थ, बेनिन से नाइज़रिया
पैसे भेजने के लिए|
और फिर वेनेज़ुएला जहाँ पे
विनिमय नियंत्रण की वजह से,
आप १०० डॉलर्स भेजते हो और आप
भाग्यशाली है और आप के कुटुंब को
१० डॉलर्स भी मिलते है तो|
सच है, वेनेज़ुएला को कोई भी सरकारी
व्यवस्था से पैसे नहीं भेजता|
सभी सूटकेस में से ही जाता है|
जहाँ भी शुल्क ज्यादा है,
पैसा निचे से जाता है|
और इससे भी खराब,
बहुत से विकाशशील देशो में
दुसे देशो में पैसे
भेजने पे पाबंदी है|
बहुत से धनवान देशो में भी कुछ ही देशो को
पैसे भेजने की अनुमति है|
तो वहा पैसे भेजने के लिए कोई पर्याय,
सस्ता पर्याय, नहीं है?
है|
केनिया में एम्- पेसा लोगो को
पैसे भेजने का तरीका है
और मिलने का शुल्क सिर्फ
६० सेंट (पैसे) प्रति लेन-देन|
अमरिकी फेड ने मेक्सिको के साथ
मेक्सिको में पैसे भेजने के
व्यवसाय के लिए
६७ सेंट प्रति लेन-देन शुल्क लगाया है|
और फिर भी, यह जल्द, सस्ते, अच्छे तरीके
अंतरराष्ट्रीय लागू नहीं कर सकते
क्यूंकि काले धन को वैध बनाने के भय से,
थोडा डाटा होते हुए भी
किसी भी संबंध को समर्थन देने के लिए,
कोई भी काला धन वैध करने का माध्यम
और छोटी भेजी जाने वाली नगद के बीच.
बहुत से बड़े बैंक आज कल
सावधानता से बैंक व्यावसायिक खाता
संभालते है, मुख्यतर
जो सोमालिया से है|
सोमालिया, एक देश जहा
सालाना प्रति व्यक्ति आय २५० डॉलर्स है|
प्रतिमाह सोमालिया जाने वाली नगदी
उससे ज्यादा बड़ी है|
भेजे जाने वाली नगद
सोमालिया की जीवनावश्यक है
और यह एक उदाहरण है
दाया हाथ बहुत मदद कर रहा है
और बाया हाथ जीवनावश्यक
चीज को मार दे रहा है
उनके अर्थव्यवस्था के नियमों के माध्यम से|
उसके बाद गाँव के मेरे जैसे
गरीब लोगो की स्थिति.
गाव में, सिर्फ डाक सेवा से
पैसे पहुचाने का मार्ग है|
दुनिया के बहुत से सरकार ने
उनके डाक सुविधा को
पैसे भेजने वाले कंपनियों
के साथ साझेदारी की है|
तो अगर मुझे मेरे पिताजी को
गाव में पैसे भेजने है, मुझे पैसे
भेजने वाली कंपनी से ही पैसे भेजने पड़ेंगे|
कीमत अधिक भी क्यों न हो|
मै कोई और सस्ता तरीका नहीं ले सकता|
यह बदलना चाहिए|
तो हमने अंतरराष्ट्रिय संगठनों और
सामजिक व्यवसायिको के साथ पैसे भेजने का
सस्ते उपाय ढूंढे?
पहला, १००० डॉलर्स से भी कम भेजे जाने वाले
कीमत के उपर नियम न लगाए|
सरकार को वह पता चलना चाहिए कि
छोटी नगदी कला धन नहीं होता|
दूसरा, सरकार ने पैसे भेजने वाली कंपनिया
और डाक की साझेदारी बंद करनी चाहिए|
उस के लिए डाक
और कोई भी राज्य की बैंकिंग सुविधा जिसका
सबसे बड़ा संघ है जो गरीबो की सेवा करती है|
असल में, उन्होंने प्रतियोगिता लानी चाहिए,
साझेदारी चालु करने की,
उससे मूल्य कम कर सकते है, जैसे कि हमने किया
उन्होंने किया, दूरसंचार इंडस्ट्री में|
आपने देखा होगा कि वहां क्या हुआ है|
तिसरा, बड़े मनुष्य के हित और
बिना लाभ के लिए काम करने वाले संस्थाए
पैसे भेजे जाने वाला तरीका विना मूल्य
की तौर पर चालु करना चाहिए|
उन्होंने विना मूल्य
पैसे भेजने के लिए मंच बनाना चाहिए
जिससे वो कम से कम मूल्य में पैसा भेज सके
दुनिया के सभी मिश्रित नियमों को
सामने रख कर|
समुदाय के विकास का विचार करके
भेजे जाने वाले पैसे पर लगने वाला मूल्य को
अभी के आठ प्रतिशत से एक तक
कम करने का लक्ष्य रखना चाहिए|
अगर हमने मूल्य एक प्रतिशत तक कम किया,
तो हम हर साल ३० अरब डॉलर्स बचा सकते है|
३० अरब डॉलर्स, तो अफ्रीका के वार्षिक
द्विपक्षीय मदद बजट से ज्यादा है|
यह लगभग समान या थोडा
अमरीका के कुल मदद बजट से ज्यादा है
जो कि दुनिया के सबसे ज्यादा दानी है|
असल में, बचत ३० अब्ज डॉलर्स से
ज्यादा हो सकती है क्यूंकि पैसे
भेजनेवाले चैनल भी
मदद के लिए, व्यापार या निवेश
के लिए उपयोग कर सकते है|
और पैसे भेजने घर तक पहुचने के लिए
एक बड़ी बाधा यह है कि
बड़ी और अत्यधिक
और चुनने का अवैध मूल्य,
मूल्य जो विस्थापित भरते है,
विस्थापित कामगार
उनके नौकरी देनेवालो को पैसे देते है|
मैं कुछ साल पहले दुबई में था|
मैं कामगारों के कैंप में गया था|
वह समय रात के ८ बजे थे अँधेरा, गर्मी, उमस|
कामगार काम पे कठिन दिन के बाद
वापिस आ रहे थे,
और मेरा बांग्लादेशी कंस्ट्रक्शन कामगार
के साथ संवाद हुआ|
वो निश्चिंत था कि वो
पैसे घर भेज रहा था,
वो कुछ महीनो से पैसे भेज रहा था|
और बहुत सा पैसा
भरती एजेंट या कामगार एजेंट को जाता
जिसने उसको जॉब दिया था|
और मेरे मन में यह चित्र देख सकता हूँ
पत्नी भेजे जाने वाले पैसे
का इन्तेजार कर रही है|
पैसे आते है|
वो पैसे लेती है और नियुक्ती एजेंट
के हाथ में देती है|
और बच्चे देख रहे है|
यह रुकना चाहिए|
यह सिर्फ बांग्लादेश के
कंस्ट्रक्शन कामगार के लिए नहीं
यह सभी लाखो कामगारों के लिए है|
जिनको यह बाधा होती है|
बंगलादेशी कंस्ट्रक्शन कामगार
औसत ४००० डॉलर्स
नियुक्ती एजेंट को फी देता है
जिस जॉब से उसको सिर्फ
२००० डॉलर्स सालाना मिलते है|
इसका मतलब दो या तीन साल के लिए
वो पैसे भेजता है
नियुक्ती फी भरने के लिए|
कुटुंब को इसमें कुछ देखने को भी नहीं मिलता
यह सिर्फ दुबई के बारे में नहीं
दुनिया के सब बड़े शहरो के पीछे की बात है|
यह सिर्फ बांग्लादेशी
कंस्ट्रक्शन कामगारों की नहीं,
बल की दुनिया के सभी कामगारों की स्थिति है|
सिर्फ आदमी नहीं|
अधिकतम महिलाए
इस रिक्रूटमेंट में वेदनीय है|
एक सबसे अच्छी और नई
भेजे जाने वाले पैसे की घटना हो रही है कि,
कैसे नए इनोवेशन से जुटाया जाए
लेन देन का प्रचार|
विस्थापित घर पैसे भेजते है
वे जहाँ रहते है वहां भी वे
ज्यादा पैसे बचाते है|
सालाना, प्रस्थापित लोगो की बचाई हुई नगद
५०० अरब डॉलर्स है|
सबसे ज्यादा नगदी बैंक डिपॉजिट्स में है
जो कि आपको शून्य प्रतिशत ब्याज देते है|
अगर कोई देश देता है और तीन या चार प्रतिशत
व्याज देता है और वे कहते है कि,
पैसे पाठशाला बनाने, रस्ते, हवाई अड्डे, रेलवे सुविधाए
बनाने के लिए उस पैसो का उपयोग करेंगे
मुल देश के, बहुत से
विस्थापित रूचि रखते होंगे कि
उनके पैसो से अलग करते होंगे क्यूंकि
यह सिर्फ पैसे मिलाने के लिए नहीं कि
जो उनको पैसे बचाने का मौका
उनके देश के उन्नति में
सलग्न होने को देती है|
पैसे भेजने वाले चैनल का इस्तेमाल
यह सबंध बेचने के लिए कर सकते है
कारण जब वो आते है
हर महिना नगदी भेजते है,
तभी आप उनको वह बेचते है|
आप यही कर सकते है
लेनदेन जुटाने का प्रचार कर सकते है|
मुझे भारत के बुलेट ट्रेन में
निवेश करना अच्छा लगेगा
और मुझे मेरे गाँव में मलेरिया के खिलाफ
योगदान देना अच्छा लगेगा|
भेजे जाने वाली नगदी एक
अच्छा तरीका है जिससे
सबसे ज्यादा जरुरत मंद को
उससे सहायता मिले|
भेजे जाने वाली नगद लोगो को ताकतवर बनाती है|
हम सबने मिलके भेजी जाने वाली नगद
और रिक्रूटमेंट
सस्ता और सुरक्षित बनाना चाहिए|
और यह सब कर सकते है|
मेरे बारे में देखा जाए, मै
दो दशक से भारत से दूर हूँ|
मेरी पत्नी वेनुज़ुएला से है|
मेरे बच्चे अमरीकी है|
बहुत्तर मुझे वैश्विक नागरिक
जैसे महसूस होता है|
और फिर भी, मैं बहुत याद करता हूँ
अपने मातृभूमि को|
मैं एक ही समय भारत
और अमेरिका में रहना चाहता हूँ|
मेरे माँ बाप अब नहीं है|
मेरे भाई और बहने आगे जा चुके है|
मुझे घर पैसे भेजने के लिए
कोई शीघ्र जरूरत नहीं है|
और फिर भी, समय से समय,
मैं दोस्तों को,
परिवारों को, गाव वालो को, पैसे भेजता हूँ,
वहाँ होने के लिए, जुड़े रहने के लिए|
यह मेरी पहचान का हिस्सा है|
और अभी भी मैं कवि बनने के लिए कोशिश कर रहा हूँ
और कष्ट उठाने वाले विस्थापित
उनको दरिद्र्यता के चक्र के संघर्ष से
मुक्त करने के लिए|
धन्यवाद|
(तालियाँ)