मैंने ये सोचा था की मैं
एक साधारण अनुरोध के सांथ प्रारंभ करूँ |
मैं चाहता हूँ की आप सभी
एक पल के लिए शांत हों ,
और कमजोर मनहूसों ,
अपने दुखी अस्तित्व को परखो |
(हँसी)
यह सलाह
पांचवी सताब्दी में संट बेनेडिक्ट ने
अपने अनुयायियों को दी थी |
जब इस सलाह को मैंने पालन करने का फैसला किया
तब मैं ४० वर्ष का था |
तब तक मैं एक उत्कृष्ट कॉर्पोरेट योद्धा था |
मैं बहूत ज्यादा खा रहा था , मैं बहूत ज्यादा पी रहा था
मैं बहूत ज्यादा मेहनत कर रहा था,
और अपने परिवार की उपेछा कर रहा था |
और फिर मैंने अपने जीवन में
परिवर्तन लाने का प्रयत्न करने का फैसला किया |
मैंने विशेषकर यह निर्णय लिया
की मैं कार्य और जीवन में समन्वय के
जटिल मुद्दे पर ध्यान दूंगा |
इस लिए मैंने नौकरी छोड़ दी
और मैंने १ वर्ष घर पर
अपनी पत्नी और चार छोटे बच्चों के सांथ व्यतीत किये |
किन्तु उस एक वर्ष में
कार्य और जीवन में समन्वय के बारे में मैंने यह सीखा
कि तब कार्य और जीवन में समन्वय रखना
काफी सरल था
जब मेरे पास नौकरी नहीं थी |
(हंसी)
यह एक उपयोगी कला नहीं है
विशेष रूप से जब आपके पैसे खत्म होने लगें |
इसलिए मैंने फिर से नौकरी प्रारंभ कर दी |
और मैं संघर्ष के सांथ पिछले सात वर्षों से
कार्य और जीवन में समन्वय के बारे में
अध्यन और लेखन कर रहा हूँ |
और इस पर मेरे चार निष्कर्ष हैं
जो कि मैं आज आप लोगों को बताऊंगा |
सबसे पहले है ,
यदि समाज को इस विषय में प्रगति करना है ,
तो इसके लिए हमें ईमानदारी से सोचना होगा |
किन्तु समस्या यह कि
कार्य और जीवन में समन्वय के बारे में
बहूत से लोग बहुत सी व्यर्थ बातें करते हैं |
ऑफिस का समय आप के अनुसार हो ,
शुक्रवार का परिधान आप के अनुसार हो
और आप के पिता बनने पर छुट्टी मिलाना
ये सारी चर्चाएँ उस मुख्य विषय को दर्शाती हैं
जो यह है कि
कुछ कार्य और कार्य क्षेत्र में विकास के विकल्प
मौलिक रूप से अनुचित हैं
जिसमे एक परिवार के सांथ
प्रतिदिन
सार्थक रूप से सकारात्मक रहा जा सके |
किसी भी समस्या के समाधान का प्रथम चरण है कि
हम स्थिति की वास्तविकता को स्वीकार करें |
और जिस समाज में हम रहे रहें हैं उसकी वास्तविकता यह है
कि यंहा हजारों
लोग हैं जो कि
चुपचाप एक हताश जिन्दगी जी रहें हैं
जन्हाँ वो कठिन परिश्रम के सांथ देर तक काम करते हैं
ऐसी नौकरी पर हैं जो उन्हें पसंद नहीं है
उस नौकरी से ऐसे चीजें खरीदने में सक्षम होते हैं जिसकी उन्हें जरुरत नहीं है |
उस नौकरी में ऐसे लोगों को प्रभावित करते हैं जिन्हें वो पसंद नहीं करते हैं |
(हंसी)
(तालियाँ)
मेरा तर्क यह है कि शुक्रवार को जींस और टी-शर्ट में कार्यालय जाना
वास्तव में समस्या का समाधान नहीं है |
(हंसी)
मेरा दूसरा अवलोकन यह है कि
हमें सच का सामना करना होगा
कि प्राशसन और प्रबन्धन
हमारे लिए इस समस्या का समाधान नहीं करेंगे |
हमें इसके लिए दूसरों पर निर्भर नहीं होना है ;
यह व्यक्तिगत रूप से हम पर निर्भर है
कि हम इसे नियंत्रित करने की जिम्मेदारी लें
कि हम किस प्रकार का जीवन जीना चाहते हैं |
यदि आप अपने जीवन की रचना स्वयं नहीं करेंगे ,
तो कोई और आप के लिए इसकी रचना करेगा,
और कार्य और जीवन में समन्वय के उनके विचार
आप को पसंद ना आयें |
यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है --
यह इन्टरनेट पर नहीं है ना,मुझे नौकरी से निकल दिया जायेगा --
यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है
कि आप कभी अपने जीवन की गुणवत्ता
व्यावसायिक प्रबंधनो के हाँथ में ना दें |
मैं सिर्फ ख़राब कंपनियों की बात नहीं कर रहा हूँ --
जिन्हें मैं मनुष्य की आत्मा का कसाईखाना कहता हूँ |
(हंसी)
मैं सारी कंपनियों की बात कर रहा हूँ
क्योंकि व्यावसायिक कंपनियां
स्वाभाविक रूप से ऐसी बनाई गई हैं
कि आप से जितना ज्यादा हो सके
उतना कार्य कराया जाये
यह उनके स्वभाव में है, यह उनके डीएनए में है,
और वो यही करती हैं --
अच्छी और नेक कंपनियां भी यही करती हैं |
एक ओर कार्यालय में
बच्चों के देख रेख की सुविधा प्रदान करना
बहुत अच्छा है |
पर दूसरी ओर यह एक बुरे स्वप्न की तरह है ;
इसके कारण आप ऑफिस में और ज्यादा समय व्यतीत करते हैं |
अपने जीवन की सीमाओं को
स्थापित करने और लागू करने के लिए
हमें स्वयं ही उत्तरदायी होना होगा |
तीसरा अवलोकन है कि
हमें सावधानी के सांथ
समय सीमा निर्धारित करना चाहिए
जिसमे हम जीवन में समन्वय का आकलन करें |
दोबारा ऑफिस में कार्य प्रारंभ करने से पहले
जब एक वर्ष के लिए मैं घर पर था ,
तब एक दिन मैंने बैठ कर
विस्तार से चरणबद्ध विवरण लिखा
कि मैं किस प्रकार के
एक आदर्श संतुलित दिन
की अभिलाषा रखता हूँ |
जो कि इस प्रकार है :
रात की एक अच्छी नींद के बाद
अछे विश्राम के बाद सुबह जागूं |
सेक्स करूँ |
सुबह की सैर पर जाऊं
अपनी पत्नी और बच्चों के सांथ सुबह का नाश्ता करूँ |
फिर से सेक्स करूँ |
(हंसी)
ऑफिस जाते हुए बच्चों को स्कूल ले कर जाऊं
तीन घंटे तक ऑफिस में काम करूँ |
दोपहर को दोस्तों के सांथ खेल का आनन्द लूँ |
और तीन घंटे तक ऑफिस में काम करूँ |
शाम को दोस्तों से पब में मिलूं |
पत्नी और बच्चों के सांथ
रात्रि भोजन के लिए घर जाऊं |
आधे घंटे योग करूँ |
सेक्स करूँ |
शाम की सैर पर जाऊं | फिर से सेक्स करूँ |
और फिर सोने जाऊं |
(तालियाँ)
आप क्या सोचते है कितनी बार मैंने ऐसा दिन व्यतीत किया होगा ?
(हंसी)
हमें वास्तविक होना होगा |
आप सब कुछ एक ही दिन में नहीं कर सकते |
हमें समय सीमा को बढाना होगा जिसमे हम
कार्य और जीवन में समन्वय का सही आकलन कर सकें
किन्तु हमें समय सीमा बढाते हुए
इन बातों से खुद को बचाना होगा कि
"मेरे जीवन में आनन्द होगा जब मैं रिटायर हो जाऊंगा
जब मेरे बच्चे घर पर नहीं होंगे ,
मेरी पत्नी मुझे तलाक दे चुकी होगी , मैं बीमार रहने लगूंगा ,
मेरे कोई दोस्त नहीं होंगे और मुझे कोई इच्छाएं नहीं होंगी |"
(हंसी)
एक दिन बहूत कम है ,और रिटायर होना बहुत दूर है |
हमें एक बीच का रास्ता चुनना होगा |
चौथा अवलोकन:
हमें समन्वय स्थापित करने के लिए
संतुलित दृष्टिकोण की जरूरत है |
पिछले वर्ष मेरी एक मित्र मुझे मिली--
यह बात बताने में वह बुरा नहीं मानती -- पिछले वर्ष मेरी एक मित्र मुझे मिली
और मुझसे बोली ,"नाइजेल मैंने तुम्हारी किताब पढ़ी है |
और मुझे अहसास हुआ कि मेरे जीवन में बिलकुल भी संतुलन नहीं है |
मेरे जीवन में सिर्फ कार्य का ही वर्चस्व है |
मैं 10 घंटे काम करती हूँ , प्रतिदिन 2 घंटे सफ़र में व्यतीत करती हूँ |
मैं अपने सारे रिश्तों में विफल रही |
मेरी जिंदगी में काम के अलावा
कुछ भी नहीं है |
इस लिए मैंने इसे ठीक करने का फैसला लिया है |
इसलिए मैं एक व्यायामशाला(gym) जाने लगी हूँ | "
(हंसी)
मैं दिखावटी नहीं होना चाहता
किन्तु एक स्वस्थ, 10 घंटे ऑफिस में काम करने वाला कर्मचारी होना
समन्वयित होना नहीं है, यह स्वस्थ होना है |
(हंसी)
स्वस्थ होना बहुत अच्छा है ,
किन्तु जीवन में और बहुत कुछ है |
एक बौद्धिक पछ है, भावनात्मक पछ है ,
एक आध्यात्मिक पछ है |
और समन्वयित होने के लिए
मैं समझता हूँ कि हमें
इन सभी क्षेत्रों में ध्यान देना चाहिए --
सिर्फ 50 दंडबैठक पर ही नहीं |
यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है.
क्योंकि लोग यह कहते हैं "मेरे पास खुद को स्वस्थ रखने का समय नहीं है |
और तुम कहते हो मैं चर्च जाऊं और अपनी माँ की देख रेख करूँ"
मैं समझता हूँ |
मैं सच में समझता हूँ यह कितना चुनौतीपूर्ण है |
किन्तु कुछ वर्षों पहले की एक घटना ने
मुझे एक नया परिप्रेक्ष्य दिया.
मेरी पत्नी ,जो की आज दर्शक दीर्घा में मौजूद है ,
मुझे ऑफिस में फ़ोन किया
और बोली "नाइजेल ,तुम हमारे सबसे छोटे बेटे हैरी को स्कूल से
घर ले जाना "
क्योंकि उस शाम को उसे और तीन बच्चों के सांथ कंही और जाना था |
तो मैं एक घंटे पहले ऑफिस से निकल गया
और हैरी को स्कूल लेने गया |
हम एक उद्यान में घूमने गए ,
झुला झूले, कुछ खेल खेले |
फिर हम एक कैफ़े पर गए ,
और हमने वंहा चाय पी और पिज्जा खाया |
फिर हम पहाड़ी रास्तों से नीचे आपने घर को आये |
मैं उसे नहलाया
उसे उसका batman पजामा पहनाया
फिर मैंने उसे Roald Dahl की "James and the Giant Peach."
की कहानी पढ़ कर सुनाई |
मैंने उसे उसके बिस्तर पर सुलाया
और उसके माथे को चूम कर बोला "शुभ रात्रि दोस्त "
और उसके कमरे से बाहर आ गया |
जब मैं उसके कमरे से बाहर आ रहा था ,
तो उसमे बोला : "डैड ?" मैं उसके पास गया और बोला "हाँ बेटा "
उसने कहा "डैड ये मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा दिन था " |
सबसे अच्छा |
मैंने कुछ भी नहीं किया था |
मैं उसे डिस्नी वर्ल्ड नहीं लेकर गया था, या playstation नहीं ख़रीदा था |
मेरा यह मानना है
कि छोटी छोटी चीजों का बहुत महत्व है |
समन्वयित होने का यह मतलब नहीं है ,
की आप के जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन हो |
आप एक बहुत छोटा सा निवेश
सही जगह पर करके ,
अपने सम्बन्धों की गुणवत्ता में
और अपने जीवन की गुणवत्ता में मौलिक परिवर्तन ला सकते हैं |
इसके अलावा मुझे लगता है,
यह पुरे समाज को बदल सकता है |
क्योंकि यदि पर्याप्त लोग इसे करते हैं,
तो हम समाज की सफलता की उस परिभाषा बदल सकते हैं
जो कि बहूत ही बचकानी साधारण धारणा पर आधारित है
कि वह व्यक्ति जो सबसे ज्यादा धन के सांथ मरता है वह जीतता है ,
हम इसे एक विचारशील और संतुलित परिभाषा दे सकते हैं
कि एक अच्छा जीवन कैसा होता है |
और मैं सोचता हूँ ,
कि यह एक विचार है जो प्रसार के लायक है |
(तालियाँ)