मैं आपसे बांटना चाहता हूँ
जो मेरे पिताजी ने मुझे सिखाया:
कोई स्थिति स्थायी नहीं होती।
उन्होंने यह सीख मुझे बार-बार दी,
और मैंने इसकी सच्चाई
अपनी गलतियों से ही सीखी |
यहाँ मैं चौथी कक्षा में था।
यह स्कूल में मेरी कक्षा में ली हुई,
इयरबुक की तस्वीर है
मनरोविया, लाइबेरिया में।
मेरे माता-पिता 1970 के दशक में
भारत से पश्चिमी अफ्रीका आए,
और मुझे यहाँ बड़े होने का सौभाग्य मिला।
तब मैं नौ साल का था,
मुझे सॉकर खेलना पसंद था,
और गणित और विज्ञान का असामान्य ज्ञान था ।
और मेरी ज़िन्दगी ऐसी थी,
जैसे किसी बच्चे का सुन्दर सपना हो |
पर कोई स्थिति स्थायी नहीं होती।
1989 में क्रिसमस की शाम को,
लाइबेरिया में गृह युद्ध छिड़ गया।
ग्रामीण क्षेत्र में युद्ध शुरू हुआ,
और कुछ ही महीनों में, बागी सेनाएँ
हमारे शहर की ओर आ गई थीं।
मेरा स्कूल बंद हो गया,
और जब बागी सेनाओं ने एकमात्र
हवाईअड्डे पर कब्ज़ा कर लिया,
लोग घबराकर भागने लगे।
एक सुबह मेरी माँ ने मेरा दरवाज़ा खड़काया
और कहा, राज, "अपना सामान बाँधो...
हमें जाना होगा।"
हमें शहर के केंद्र में ले जाया गया,
और वहाँ एक पक्की सड़क पर,
हमें दो कतारों में बाँटा गया,
मैं अपने परिवार के साथ
एक कतार में खड़ा था,
और हमें एक विमान के,
मालवाहक कक्ष में घुसेड़ दिया गया
जो लोगों के बचाव के लिए आया था।
और वहाँ बैंच पर बैठे,
मेरा दिल ज़ोर से धड़क रहा था।
जैसे मैंने खुले दरवाज़े से बाहर देखा,
मुझे दूसरी कतार में खड़े
बहुत से लाइबेरियन दिखे,
बच्चों को पीठ पर बाँधे हुए।
जब वे हमारे साथ आने लगे,
मैंने देखा सैनिकों ने उन्हें रोक दिया।
उन्हें भागने नहीं दिया गया।
हम भाग्यशाली थे।
हमारा सब कुछ लुट गया |
पर हम अमरीका में फिर से बस गए,
और हर प्रवासी की तरह
हमें समर्थकों के समुदाय से बहुत सहयोग मिला
जो हमारे आस-पास थे।
वे मेरे परिवार को अपने घर ले गए,
यहाँ के तौर तरीके सिखाये,
और मेरे पिता को एक कपड़ों की दुकान
शुरू करने में मदद भी की।
किशोर अवस्था में, मै हर सप्ताहांत,
अपने पिता से मिलने आता
उन्हें जूते और जीनें बेचने में मदद करता |
और जब भी व्यापार अच्छा नहीं होता,
वह मुझे वही मंत्र याद दिलाते:
कोई स्थिति स्थायी नहीं होती।
वह मंत्र और मेरे माता-पिता की दृढ़ता
और उन समर्थकों के समुदाय
की वजह से मैं कॉलेज जा पाया
और आखिरकार मेडिकल स्कूल भी।
एक समय था जब युद्ध से
मैं पूरी तरह नाउम्मीद हो चुका था,
पर उनकी वजह से आज,
मै अपने डॉक्टर बनने के सपने
को साकार कर सका।
मेरी स्थिति बदल चुकी थी।
१५ साल हो गए थे,
उस हवाई अड्डे से उड़ने के बाद,
पर उन दो कतारों की याद
अभी तक भूली नहीं थी।
मैं २५ वर्षीय मेडिकल का विद्यार्थी था,
और मैं वापिस जाना चाहता था
यह देखने के लिए, कि मैं उन
पीछे छूटे लोगों की सेवा कर सकूँ।
पर जब मैं वापिस पहुंचा,
तब तक सबकुछ...
तहस-नहस हुआ मिला।
युद्ध की वजह से हमारे पास
बस 51 डॉक्टर बचे थे
चालीस लाख लोगों के देश में।
जैसे मानो सैन फ्रेंसिस्को
में सिर्फ 10 डॉक्टर हों।
तो अगर आप वहां हों,
जहां यह १० डॉक्टर हों,
तब तो आपके बचने की उम्मीद हो सकती है ।
पर अगर आप कहीं दूर के ग्रामीण
ऊष्ण कटिबंधीय वन में रह रहे हों,
और सबसे नज़दीक का क्लिनिक
कुछ दिनो की दूरी पर हो...
मैं मरीज़ों को ऐसी स्थितियों में मरते
देख रहा था जिनसे किसी को मरना नहीं चाहिए,
और सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्हें
मुझ तक पहुँचने में देर हो रही थी |
सोचिए आप का दो साल का बच्चा
सुबह बुखार में उठता है,
और आपको लगता है उसे मलेरिया हो सकता है,
और आप जानते हैं कि उसकी दवा
लाने का एक मात्र यही तरीका है,
कि उसे नदी के तट ले जायें,
किश्ती में बैठें
और दूसरी ओर चलाकर ले जाएँ,
और फिर दो दिन जंगल के भीतर चलें,
सिर्फ सबसे पास के क्लिनिक
तक पहुँचने के लिए |
एक अरब लोग सँसार
के सबसे पिछड़े इलाकों मे रहते हैं
और बावजूद हमारी चिकित्सा
और तकनीक उत्थान के,
हमारी नई खोज, दूर दराज़ के इलाकों
तक नहीं पहुँच पा रही है।
ये समुदाय पिछड़े रह गए हैं,
क्योंकि इन तक पहुँचना कठिन माना जाता है
और सेवा करना और भी कठिन।
बीमारी तो सार्वभौमिक है;
परन्तु चिकित्सा की व्यवस्था नहीं।
और इस एहसास ने मेरी आत्मा में
एक आग सी लगा दी।
किसी की मौत नहीं होनी चाहिए,
क्योंकि वह डॉक्टर या क्लिनिक से दूर हैं।
कोई स्थिति स्थायी नहीं होनी चाहिए।
और इस बार मदद बाहर से नहीं आई,
वास्तव, में वह भीतर से आई।
वह समुदायों से स्वयं आई।
मुसु से मिलें।
दूर कहीं ग्रामीण लाइबेरिया में,
जहाँ अधिकतर लड़कियों को प्राथमिक स्कूल
पूरा करने का मौका नहीं मिलता,
मुसु में दृढ़निश्चय था।
१८ साल की उम्र
में उसने हाई स्कूल पूरा किया,
और अपने समुदाय में वापिस आई।
उसने देखा किसी बच्चे
को उपचार नहीं मिल रहा था
जिन बीमारियों के लिए
उन्हें उपचार की ज़रूरत थी...
जानलेवा बीमारियाँ,
जैसे मलेरिया और न्यूमोनिया।
तो वह स्वयंसेवक बन गई।
हमारे सँसार के ग्रामीण क्षेत्रों
में मुसु जैसे करोड़ों स्वयंसेवक हैं,
और हम सोचने लगे...
मुसु जैसे समुदाय के सदस्य वास्तव में
हमें इस समस्या का हल दे सकते हैं।
हमारी स्वास्थ्य प्रणाली
की रचना इस तरह की है
कि बीमारी का निदान करना और दवा लिखना
मुझ जैसे डॉक्टरों
और नर्सों की टीम तक सीमित है।
परंतु डॉक्टर और नर्सें
तो शहरों में केंद्रित हैं,
इसलिए मुसु जैसे
ग्रामीण समुदाय पीछे रह जाते हैं।
तो हमने कुछ सवाल पूछने शुरू किए:
अगर हम स्वास्थ्य प्रणाली रचना में
थोड़ा बदलाव लायें?
अगर हम मुसु जैसे समुदाय के सदस्यों को
अपनी मेडिकल टीम का हिस्सा
या केंद्र बनायें ?
अगर मुसु शहरों के क्लिनिकों
से स्वास्थ्य देखभाल
अपने पड़ोसियों के घरों तक लाने
में हमारी मदद कर सके तो ?
जब मैं उससे मिला तो मुसु ४८ की थी।
और उसके अदभुत कौशल और दृढ़ता के बावजूद,
और पिछले ३० वर्षों से उसकी
कोई पेशेवर नौकरी नहीं थी |
तो अगर तकनीक उसकी सहायता
कर सकती तो कैसा रहता?
अगर हम उसे असली प्रशिक्षण दे सकते,
असली दवाएँ दे सकते,
और एक वास्तविक नौकरी भी?
2007 में, मैं इन सवालों
का जवाब ढूँढ रहा था,
और उस वर्ष मेरी और मेरी बीवी
की शादी हो रही थी।
हमने अपने रिश्तेदारों से कहा
शादी के उपहार रहने दें
और उसके बजाय कुछ पैसा दान कर दें
ताकि हम एक गैर-लाभकारी संस्था
के लिए पैसा जुटा सकें।
मैं आपको वादा करता हूँ,
मैं इससे कहीं ज़्यादा रोमांचक हूँ।
(हँसी)
हमने 6000 डॉलर इकट्ठे कर लिए,
कुछ अमरीकनों और लाइबेरियनों के साथ मिलकर
एक गैर-लाभकारी लास्ट माइल हैल्थ शुरू किया।
हमारा लक्ष्य है कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता
हर जगह हर किसी के पास पहुँच पाए।
हमने एक तीन कदम की प्रक्रिया बनाई...
प्रशिक्षित करो, सामान दो और पैसे दो...
मुसु जैसे स्वयंसेवकों
में गहरा निवेश करने के लिए
ताकि वे पैरा कार्यकर्ता बन सकें,
सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता बन सकें।
हमने मुसु को प्रशिक्षण दिया,
उसके गाँव में प्रचलित
१० घातक बीमारियों को रोकने, निदान करने
और उपचार करने के बारे में।
एक नर्स सुपरवाइज़र हर महीने
उसे सिखाने जाती थी।
हमने उसे नवीन मेडिकल यंत्रो
से सुसज्जित किया,
जैसे यह १ डॉलर का मलेरिया रेपिड टेस्ट,
और उसे न्यूमोनिया जैसी संक्रामक
बीमारियों के उपचार के लिए
दवाओं से भरे ऐसे थैले में डाल दिया,
और अत्यावश्यक,
एक स्मार्टफ़ोन, ताकि उसे महामारियों को
देखने और रिपोर्ट करने में सहायता मिले।
अंत में, हमने मुसु के काम
की प्रतिष्ठा को पहचाना।
लाइबेरियन सरकार के साथ एक अनुबंध बनाया,
उसे पैसे दिए
और उसे वास्तविक नौकरी करने का मौका दिया।
और वह अदभुत है।
मुसु 30 मेडिकल कौशल सीख चुकी है,
बच्चों की जाँच से लेकर कुपोषण तक,
स्मार्टफ़ोन से बच्चे की खाँसी
का कारण जानने तक,
एचआईवी से पीड़ित लोगों की सहायता करने तक
और जो लोग अपने अंग खो चुके हैं
उनकी अनुवर्त्ति देखभाल तक।
हमारी टीम की सदस्य
के रूप में काम करते हुए,
एक कार्यकर्ता के रूप में काम करते हुए,
एक सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता
सुनिश्चित कर सकता है
जो आपका पारिवारिक डॉक्टर करता है
और उन जगहों तक पहुँच सकता है जहाँ
अधिकतर पारिवारिक डॉक्टर कभी न जाएँ|
मेरा पसंदीदा काम है
कि मै अपने मरीज़ों का ख़याल रख सकूँ
अपने सामाजिक कार्यकर्ताओं के सहयोग से।
पिछले साल मैं जब ए-बी से मिलने गया था,
और मुसु की तरह, ए-बी को भी
स्कूल जाने का मौका मिला था।
वह माध्यमिक स्कूल में था, आठवीं में,
जब उसके माता-पिता नहीं रहे।
और एक अनाथ होने के कारण
उसे स्कूल छोड़ना पड़ा।
पिछले वर्ष, हमने ए-बी को नौकरी और
स्वास्थ्य कार्यकर्ता का प्रशिक्षण दिया।
और जब वह लोगों से मिल रहा था,
तब उसकी मुलाकात
एक प्रिंस नामक बच्चे से हुई,
जिसकी माँ को उसे स्तनपान
करवाने में मुश्किल हो रही थी,
और ६ महीने की उम्र में ही वह,
दुर्बल होने लगा था।
ए-बी ने हाल ही में कलर-कोड टेप
का इस्तेमाल करना सीखा था
जो एक बच्चे की बाजू में बाँधी जाती है,
कुपोषण का अनुमान लगाने के लिए।
ए-बी को लगा कि प्रिंस की स्थिति
लाल सीमा पर है,
जिसका मतलब उसे,
अस्पताल में होना चाहिए था।
इसलिए, ए-बी उस बच्चे
और उसकी माँ को नदी पर ले गया,
किश्ती लाया,
और चार घंटे तक चप्पू चलाता रहा,
उसे अस्पताल पहुँचाने के लिए।
बाद में, प्रिंस को अस्पताल
से छुट्टी होने के बाद,
ए-बी ने माँ को बच्चे को
खाद्य पूरक खिलाना भी सिखाया।
कुछ महीने पहले,
ए-बी मुझे प्रिंस के पास ले गया,
और वह अब एक प्यारा गोल-मटोल बच्चा है |
(हँसी)
वह अपने मापदंडों पर ठीक है,
अपने आपको खड़ा कर सकता है,
और कुछ बोलना भी शुरू कर दिया है।
मुझे इतनी प्रेरणा मिलती है
इन स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के काम से।
और मै अक्सर उनसे पूछता हूँ,
कि आप यह सब क्यों करते हो,
और जब मैंने ए-बी से यह पूछा,
उसने कहा, "डॉक्, जबसे मैंने
स्कूल छोड़ा है, तब से पहली बार
मैंने पेन पकड़ा है
और कुछ लिखने का मौका मिला है।
मेरा दिमाग ताज़ा हो रहा है।"
ए-बी और मुसु की कहानियों ने
मुझे एक बहुत बुनियादी चीज़ सिखाई है,
एक इंसान होने के बारे में।
हमारी औरों की सेवा करने की इच्छाशक्ति,
हमें वास्तव में, अपनी परिस्थितियों
को बदलने में मदद कर सकती है।
मैं इतना द्रवित हुआ कि पड़ोसियों की मदद
करने की हमारी इच्छा कितनी प्रबल हो सकती है
कुछ वर्ष पहले,
जब हमने वैश्विक प्रलय का सामना किया।
दिसम्बर २०१३ में,
हमारी सीमा के पार के
गिनी के जंगलों में कुछ हुआ।
एमील नामक नन्हा बच्चा उल्टी,
बुखार और दस्त से पीड़ित हो गया।
वह जहाँ रहता था वहाँ सड़कें नाम की ही थी
और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की भी कमी थी।
एमील की मौत हो गई,
और कुछ हफ्तों बाद उसकी बहन भी चल बसी,
और कुछ हफ्तों बाद उसकी माँ भी चल बसी।
और यह बीमारी एक समुदाय
से दूसरे समुदाय में फैलती जा रही थी।
और इसके तीन महीनों बाद
सँसार ने इसे इबोला का नाम दिया।
जब हर मिनट कीमती था, हमने महीने गँवा दिए,
और तब तक यह वायरस पश्चिमी अफ्रीका
में आग की तरह फैल चुका था,
और आखिरकार सँसार के अन्य भागों में।
व्यापार ठप हो गए, हवाई कंपनियों
ने उड़ानें बंद करना शुरू कर दीं।
इस संकट की स्थिति में,
जब हमें बताया गया कि १४ लाख लोग
संक्रमित हो सकते हैं,
जब हमें बताया गया
कि उनमें से अधिकतर मर जाएँगे,
जब हम सारी उम्मीद खो चुके थे,
मुझे याद है मैं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं
के एक समूह के साथ खड़ा था
ऊष्ण कटिबंधीय जंगल में
जहाँ इबोला अभी शुरू हुआ था।
हम उन्हें प्रशिक्षित कर रहे थे
और बता रहे थे पहनना
नकाब, दस्ताने और गाउन
जो उन्हें ज़रूरी थे
वायरस से बचने के लिए
जब वे अपने मरीज़ों की सेवा कर रहे थे।
मुझे याद है उनकी आँखों में वह खौफ।
और मुझे याद है रात भर जागना, डर के मारे
कि क्या मैंने उन्हें वहाँ भेजकर ठीक किया।
जब इबोला ने मानवता को झकझोर दिया,
लाइबेरिया के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं
ने डर के आगे घुटने नहीं टेके।
उन्होंने वह किया जो वे हमेशा करते थे:
अपने पड़ोसियों की मदद के आह्वाहन
को बेकार नहीं जाने दिया।
पूरे लाइबेरिया के सामुदायिक कार्यकर्ताओं
ने इबोला के लक्षण सीखे,
नर्सों और डॉक्टरों के साथ मिलकर
बीमारों की खोज में घर-घर गए
ताकि उनकी देखभाल कर सकें।
उन्होंने हज़ारों ऐसे लोगों को ढूँढ निकाला
जो वायरस के संपर्क में आ चुके थे
और उस तरह से प्रसार की कड़ी को तोड़ा।
कुछ दस हज़ार स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं
ने जीवन जोखिम में डालकर
इस वायरस को खोजने की
और रोकने की कोशिश की ।
(तालियाँ)
आज, इबोला पश्चिमी अफ्रीका
में नियंत्रण में है,
और हमने कुछ बातें सीखी हैं।
हमने सीखा कि ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा
के कमज़ोर विषय
बीमारी का गढ़ बन सकते हैं,
और उससे हम सभी को अधिक खतरा है।
हमने सीखा है कि सबसे
प्रभावशाली आपातकालीन प्रणाली
वास्तव में रोज़मर्रा की प्रणाली है,
और उस प्रणाली को हर समुदाय तक पहुँचना है,
एमील के ग्रामीण समुदायों समेत।
और सबसे ज़रूरी,
हमने लाइबेरिया के सामुदायिक
स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साहस से सीखा है
कि हम जैसे लोगों को स्थितियाँ
कभी परिभाषित नहीं कर सकतीं,
चाहे वे कितनी ही
निराशाजनक क्यों ना दिखें।
हमें परिभाषित करता है
कि हम उनसे कैसे जूझते हैं।
पिछले १५ वर्षों से,
मैं इस विचार की प्रबलता देख रहा हूँ
आम नागरिकों को सामुदायिक
स्वास्थ्य कार्यकर्ता बनाना...
और उन्हें रोज़मर्रा के नायक।
और मैंने इसे हर जगह होते देखा है,
पश्चिमी अफ्रीका के वनवासियों से लेकर,
अलास्का के ग्रामीण मछुआरे गाँवों तक।
यह सच है,
ये सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता
न्यूरोसर्जरी नहीं कर रहे,
पर संभव कर रहे हैं
कि स्वास्थ्य सेवा हर जगह
हर किसी के पास पहुँच सके।
तो अब क्या?
हम जानते हैं अभी भी निरोध्य कारणों से
सँसार के ग्रामीण समुदायों में
लाखों लोग जान गँवा रहे हैं।
और हम जानते हैं कि इनमें से अधिकतर मौतें
इन ७५ नीले रंग वाले देशों में हो रही हैं।
हम यह भी जानते हैं
अगर हम सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं
की एक फौज प्रशिक्षित करें
जीवन बचाने के ३० कौशल सीखने में भी,
हम २०३० तक ३०० लाख
लोगों की जानें बचा पाएँगे।
तीस सेवाएँ २०३० तक
३०० लाख जानें बचा लेंगी।
यह सिर्फ़ एक रूपरेखा नहीं है...
हम सिद्ध कर रहे हैं कि यह संभव है।
लाइबेरिया में,
इबोला के बाद, लाइबेरिया की सरकार
ए.बी.और मुसु जैसे हज़ारों कार्यकर्ताओं
को प्रशिक्षण दे रही है,
देश में हर बच्चे और परिवार
तक स्वास्थ्य सेवा पहुँचाने के लिए।
और हम उनके साथ काम करके सम्मानित हैं,
और अब हम अन्य देशों में काम कर रहे
बहुत से संगठनों के साथ मिलकर
उनकी मदद कर रहे हैं
ताकि वे भी ऐसा कर सकें।
अगर हम इन देशों को बढ़ा सकें,
हम लाखों जीवन बचा सकेंगे,
और साथ में,
लाखों नौकरियाँ भी सृजित कर सकेंगे।
पर, बिना तकनीक के, हम ऐसा नहीं कर सकते।
लोग चिंतित हैं कि तकनीक
हमारी नौकरियाँ चुरा लेगी,
पर जहाँ तक सामुदायिक
स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का सवाल है,
तकनीक ने उनके लिए नौकरियाँ
सृजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
तकनीक के बिना...
इस स्मार्टफ़ोन के बिना,
इस रैपिड टेस्ट के बिना...
हम कभी भी मुसु और ए.बी.
को नौकरी नहीं दे सकते थे।
और मुझे लगता है समय आ गया है
तकनीक का प्रशिक्षण में हमारी मदद करने का,
लोगों को तेज़ी से प्रशिक्षित करने का,
और जैसा पहले नहीं हुआ उससे बेहतर।
एक डॉक्टर होने के नाते,
मैं तकनीक का प्रयोग आधुनिकतम रहने
और प्रमाणित रखने के लिए करता हूँ।
मैं स्मार्टफ़ोन और एप्पस
और ऑनलाइन कोर्स इस्तेमाल करता हूँ।
परंतु जब ए.बी. को सीखना होता है,
उसे उस किश्ती में कूदना पड़ता है
प्रशिक्षण केंद्र पहुँचने के लिए।
और जब मुसु प्रशिक्षण के लिए आती है,
उसके प्रशिक्षक फ्लिप चार्टों
और मार्करों में फँसे पड़े हैं।
उनके पास भी सीखने के वही तरीके
क्यों नहीं जो मेरे पास हैं?
अगर हम चाहते हैं कि सामुदायिक स्वास्थ्य
कार्यकर्ता जीवन बचाने के कौशल सीखें
और भी बहुत कुछ सीखें,
हमें इसे शिक्षा के
पुराने ढंग को बदलना होगा।
सही मायने में तकनीक यहाँ पर
सब बदल सकती है।
मैं डिजिटल शिक्षा क्रांति
का सम्मान करता हूँ
जो खान अकादमी, एडएक्स जैसे ला रहे हैं।
और मैं सोच रहा हूँ कि समय आ गया है:
समय आ गया है टक्कर का
डिजिटल शिक्षा क्रांति
और सामुदायिक स्वास्थ्य क्रांति के बीच।
और इसलिए, यह मुझे ले आया है
मेरी टेड प्राइज़ विश पर।
मैं चाहता हूँ...
मैं चाहता हूँ आप हमें मदद करेंगे
सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं
की सँसार की सबसे बड़ी फौज तैयार करने में
सामुदायिक स्वास्थ्य अकादमी बनाकर,
प्रशिक्षित करने, जोड़ने
और सशक्त करने का एक वैश्विक मंच।
(तालियाँ)
शुक्रिया।
(तालियाँ)
शुक्रिया।
यह है विचार:
हम डिजिटल शिक्षा स्त्रोतों
में सबसे बेहतर को
बनाएँगे और प्रबंधित करेंगे।
हम उन्हें सँसार के सामुदायिक
स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं तक पहुँचाएँगे,
ए.बी. और मुसु तक भी।
उन्हें बच्चों को टीका लगाने
पर वीडियो पाठ मिलेंगे
और अगले प्रकोप को पहचानने पर ऑनलाइन कोर्स,
ताकि वे फ्लिप चार्टों
पर ही निर्भर ना रहें।
हम इन देशों को अपने कार्यकर्ताओं
को मान्यता दिलवाने में मदद करेंगे,
ताकि वे बिना पहचान के
नाकाबिल समूह बनकर ना रह जाएँ,
बल्कि प्रसिद्ध, सशक्त पेशेवर बनें,
डॉक्टर और नर्सों की तरह।
और हम कंपनियों और उद्यमकर्ताओं
का नेटवर्क बनाएँगे
जिन्होंने जान बचाने के लिए नई खोज की है
और उन्हें मुसु जैसे कार्यकर्ताओं
से संपर्क करवाएँगे,
ताकि वह अपने समुदाय की बेहतर सेवा कर सके।
और हम लगातार सरकारों को मजबूर करेंगे
वे सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं
को स्वास्थ्य सेवा योजना का आधार बनाएँ।
हम अकादमी को लाइबेरिया
और कुछ अन्य साथी देशों
में टेस्ट करेंगे और मूल रूप बनाएंगे,
और फिर हम पूरे विश्व में ले जाएँगे,
ग्रामीण उत्तरी अमरीका में भी।
इस मंच के पराक्रम द्वारा,
हमारा मानना है देशों
को मजबूर किया जा सकता है
कि स्वास्थ्य सेवा क्रांति सच में संभव है।
मेरा सपना है कि यह अकादमी
समुदाय के हज़ारों सदस्यों
के प्रशिक्षण में योगदान देगी
अपने पड़ोसियों तक
स्वास्थ्य सेवा पहुँचाने के लिए...
करोड़ों जो
सँसार के सबसे पिछड़े इलाकों में रहते हैं,
पश्चिमी अफ्रीका के वनवासियों से लेकर,
ग्रामीण अलास्का के मछुआरे गाँव तक;
एपलेचिया के पहाड़ों से,
अफ्गानिस्तान के पर्वतों तक।
अगर आपकी परिकल्पना इससे मेल खाती है,
communityhealthacademy.org पर जाएँ,
और इस क्रांति का हिस्सा बनें।
अगर आप या आपका संगठन या आपका कोई
परिचित हमारी मदद कर सकता है तो हमें बताएँ
जैसे हम इस अकादमी को अगले साल
में बनाने की कोशिश में हैं।
अब, मैं जब इस कमरे में देखता हूँ,
मुझे एहसास होता है
कि हमारे सफर स्वनिर्मित नहीं होते:
उन्हें आकार दूसरे देते हैं।
और यहाँ पर कितने हैं
जो इस मकसद से जुड़े हैं।
हम इस समुदाय का हिस्सा होने
में सम्मानित महसूस करते हैं,
और एक समुदाय जो अपनाने को तैयार है
ऐसे निर्भीक मकसद को,
तो मैं पेश करना चाहता था,
जैसे मैं समाप्त कर रहा हूँ,
एक आभास।
मैं उस बारे में बहुत सोचता हूँ
जो मुझे मेरे पिताजी ने सिखाया।
इन दिनों, मैं भी पिता बन गया हूँ।
मेरे दो बेटे हैं,
और मेरी बीवी और मुझे अभी मालूम हुआ कि
वह हमारे तीसरे बच्चे की माँ बनने वाली है।
(तालियाँ)
शुक्रिया।
(तालियाँ)
हाल ही में मैं लाइबेरिया में
एक महिला की सेवा कर रहा था
जो, मेरी बीवी की तरह,
अपनी तीसरी गर्भावस्था में थी।
परंतु, मेरी बीवी की तरह,
उसके पहले दो बच्चों के समय
उसकी कोई प्रसवपूर्व देखभाल नहीं हुई थी।
वह जंगल में एक एकाकी समुदाय में रहती थी
जो बिना स्वास्थ्य सेवा के
१०० वर्षों से चल रहा था
जब तक...
पिछले वर्ष एक नर्स ने उसके पड़ोसियों को
सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप
में प्रशिक्षित नहीं किया था।
तो मैं यहाँ था,
इस मरीज़ को देख रहा
जो अपने दूसरे तिमाही में थी,
और शिशु को देखने के लिए
मैंने अल्ट्रासाउँड निकाला,
और उसने हमें अपने पहले दोनों बच्चों
की कहानियाँ सुनाना शुरू किया,
और मैंने अल्ट्रासाउंड प्रोब
उसके पेट पर रखा,
और वह बात सुनाते हुए रुक गई।
वह मेरी ओर घूमी और बोली,
"डॉक्, वह आवाज़ क्या है?"
उसने अपने शिशु के दिल की धड़कन
पहली बार सुनी थी।
और उसकी आँखें वैसे ही चमक उठीं
जैसे मेरी और मेरी बीवी की आँखें चमकी थीं
जब हमने हमारे शिशु के दिल
की धड़कन सुनी थी।
समस्त मानव इतिहास में,
बीमारी तो सार्वभौमिक है
और चिकित्सा की व्यवस्था नहीं।
पर जैसे एक बुद्धिमान व्यक्ति
ने मुझे एक बार कहा था:
कोई स्थिति स्थायी नहीं होती।
समय आ गया है।
समय आ गया है हमें इस स्थिति को बदलने
के लिए जो करना पड़े मिलकर करेंगे।
शुक्रिया।
(तालियाँ)